Sunday, September 29, 2024
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326 रन, 20 ओवर: 2 शतक, 30 छक्का – 25 गेंद में सेंचुरी ठोक बनाया नया World Record

डीए मिलर और रोहित शर्मा 35-35 गेंदों में शतक ठोक कर विश्व रिकॉर्डधारी हैं अंतरराष्ट्रीय टी-20 क्रिकेट के। आधिकारिक क्रिकेट मैचों की बात करें तो 2013 में क्रिस गेल ने पुणे वॉरियर्स के खिलाफ RCB की ओर से खेलते हुए 30 गेंदों में शतक जड़ दिया था। लेकिन जॉर्ज मुनसे (George Munsey) ने मात्र 25 गेंदों में सेंचुरी मार इन बड़े नामों को पीछे धकेलते हुए सनसनी मचा दी है।

ग्लोसेस्टरशर सेकंड XI टीम Vs बाथ सीसी टीम

जॉर्ज मुनसे ने अपनी टीम ग्लोसेस्टरशर सेकंड XI की ओर से ओपनिंग की। उनके साथी ओपनर थे जीपी विलोज़। जॉर्ज मुनसे ने शुरू से ही अटैकिंग क्रिकेट खेली और मैदान में जलजला ला दिया। इसका प्रमाण नीचे का ट्वीट है। जलजला इसलिए क्योंकि जब 13.2 ओवर में आउट होकर गए तो सिर्फ 39 गेंदों में 147 रन बना चुके थे – 20 छक्के और 5 चौकों के साथ। जबकि उनके साथी ओपनर भी तब तक 35 गेंद खेल चुके थे लेकिन उनका स्कोर था मात्र 72 रन।

धीमा-तेज-धीमा

स्कॉटलैंड के बल्लेबाज जॉर्ज मुनसे ने वैसे तो काफी तेज खेल शुरुआत से ही दिखाया लेकिन पहला अर्द्धशतक उन्होंने ‘धीमा’ खेलते हुए बनाया – 17 गेंदों में। फिर न जाने क्या हुआ और किन-किन गेंदबाजों के साथ हुआ, अगले 8 गेंदों में उनका शतक बन चुका था। मतलब कुल 25 गेंदों में शतक – मतलब दूसरा अर्द्धशतक भयंकर ‘तेज’ खेलते हुए। इसके बाद के 47 रन उन्होंने 14 गेंदों में बनाया – ‘धीमा’ खेलते हुए।

कुछ ऐसे ढाया जॉर्ज मुनसे ने कहर

50 से 100 रन के बीच में जॉर्ज मुनसे ने युवराज सिंह वाला कारनामा भी किया – एक ओवर में 6 छक्के लगाने का। जिस गेंदबाज को शिकार बनाया, वो थे – ए हेवेट।

टीम ने भी दिया साथ

जॉर्ज मुनसे के साथी ओपनर जीपी विलोज़ ने भी शानदार खेल दिखाते हुए 59 गेंदों में 115 रन बनाए। मुनसे के आउट होने के बाद आए टीजे प्राइस ने भी 23 गेंदों में 50 रन बनाए। तीनों बल्लेबाजों ने पिच पर जो धुआँ-धुआँ किया, उसके दम पर ग्लोसेस्टरशर सेकंड XI टीम ने 20 ओवर में 326 रन का ODI टाइप स्कोर बना डाला।

गेंदबाजों ने भी बाथ सीसी टीम को बांधे रखा। उनकी पूरी टीम मात्र 214 रन बना पाई और 112 रनों से हार गई।

PS: यह एक नॉन-ऑफिशियल मैच था। जानकारी इसलिए ताकि गेल-शर्मा के फैन हल्ला न मचाने लगें कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की तुलना लोकल खिलाड़ियों से क्यों की जा रही है। क्योंकि वो ये मानने को तैयार नहीं होंगे कि खिलौने से खेलते-खेलते बच्चे जवान हो जाते हैं। क्योंकि वो शायद ये भी मानने को तैयार नहीं होंगे कि भले ही यह एक नॉन-ऑफिशियल मैच था लेकिन रिकॉर्ड ऐसा तगड़ा ICC को भी ट्वीट करना पड़ गया।

EVM के बारे में झूठ फैलाने और नकली शिकायत पर होगी जेल, केरल में हुआ एक अरेस्ट

केरल के तिरुवनंतपुरम में एक युवक को गिरफ़्तार कर लिया गया है। उसने यहाँ एक बूथ पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ख़राब होने की शिकायत की थी लेकिन जाँच में उसकी शिकायत झूठी पाई गई। पुलिस के अनुसार, बिन बाबू नामक व्यक्ति पर धारा 177 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। जब उसने इवीएम में गड़बड़ी को लेकर शिकायत की थी, तब निर्वाचन अधिकारियों ने ‘टेस्ट वोटिंग’ की। टेस्ट वोटिंग में उक्त युवक द्वारा कही गई बातें झूठ निकलीं और अंततः उसे गिरफ़्तार कर लिया गया। हालाँकि, बाद में उसे ज़मानत पर रिहा भी कर दिया गया।

उक्त युवक ने शिकायत की थी कि उसने एक विशेष उम्मीदवार को वोट दिया था लेकिन वीवीपैट में किसी अन्य उम्मीदवार को वोट जाता हुआ दिखा। इसके बाद पीठासीन अधिकारियों व पोलिंग एजेंट्स की मौजूदगी में एक ‘टेस्ट वोटिंग’ आयोजित किया गया। इसमें युवक के आरोप सरासर झूठे पाए गए। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने कहा कि ईवीएम को लेकर बढ़ रहे अफवाहों के मद्देनज़र उक्त युवक को पुलिस को सौंप दिया गया। क्षेत्र के सांसद शशि थरूर ने भी ईवीएम में गड़बड़ियाँ होने की बातें कही थीं।

केरल में कल तीसरे चरण के तहत मतदान हुआ, जिसमें शशि थरूर और राहुल गाँधी की सीटें भी शामिल हैं। राज्य की सभी 20 लोकसभा सीटों पर मंगलवार (अप्रैल 24, 2019) को मतदान संपन्न करा लिया गया। राहुल गाँधी इस बार अमेठी के अलावा वायनाड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर 2014 में 73% वोटिंग हुई थी लेकिन 2019 में कल 79% मतदान हुआ। 6 बजे शाम तक पूरे केरल में 69% लोगों ने अपना मताधिकार का प्रयोग कर लिया था।

इस बीच राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाना शुरू हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि गोवा में दोषपूर्ण ईवीएम सभी वोट्स भाजपा को ही ट्रांसफर कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये इस तरह से प्रोग्राम किए गए भी हो सकते हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तो चुनाव आयोग को ही भाजपा की शाखा बता दिया। उन्होंने कहा कि असंवेदनशील, अवास्तविक, गैरजिम्मेदार और बेकार चुनाव आयोग ने लोकतंत्र का मज़ाक बना कर रख दिया है। उन्होंने राज्य में 4500 ईवीएम ख़राब होने की बात कही।

ममता बनर्जी ने सुरक्षा बलों को दी धमकी, लगाया घिनौना आरोप – कहा, याद रखें हम भी सत्ता में आएँगे

ममता बनर्जी ने केंद्रीय सुरक्षा बलों पर मतदाताओं से भाजपा को जबरन वोट दिलाने का आरोप लगाया है। ममता ने कहा कि चुनाव के दौरान पोलिंग बूथ पर तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए कह रहे हैं। ममता बनर्जी ने सीआरपीएफ व अन्य एजेंसियों पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग से इस बाबत शिकायत भी दर्ज कराई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, “आज मुझे ख़बर मिली है कि मालदा दक्षिण लोकसभा सीट के इंग्लिश बाजार में केंद्रीय बल के अधिकारी मतदान बूथ संख्या 166 और 167 में घुसे और उन्होंने मतदाताओं से भाजपा को वोट डालने के लिए कहा। उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। हमने उनके खिलाफ एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है।” बता दें कि बांग्लादेशी घुसपैठिए और एनआरसी का मुद्दा उठा भाजपा ने ममता को बंगाल में चहुँओर घेर रखा है।

उन्होंने साथ ही सवाल भी दागा कि वे ऐसा क्यों करेंगे? ममता ने पूछा कि क्या ऐसा करना उनका कर्त्तव्य है? ममता बनर्जी ने आरोपों की झड़ी लगाते हुए आगे कहा, “मतदान अधिकारी की अनुमति लिए बिना पुलिस मतदान बूथ के अंदर नहीं घुस सकती। हमें ईटाहार (बालुरघाट) से भी ऐसी ही खबर मिली है। वे कतारों में खड़े लोगों से भाजपा को वोट देने के लिए कह रहे हैं। मैं केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस दोनों के प्रति प्रेम रखती हूँ, लेकिन उन्हें क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने तक ख़ुद को सीमित रखना चाहिए और मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।” सीएम ममता ने कहा कि वे सीआरपीएफ और राज्य पुलिस, दोनों से ही प्यार करती हैं।

ममता बनर्जी ने केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों को धमाके हुए ये याद रखने की सलाह दी कि वर्तमान केंद्र सरकार हमेशा के लिए नहीं है और कल को वो भी सत्ता में आएँगी। ममता ने कहा कि केंद्रीय बल याद रखें कि उन्हें हमारे साथ भी काम करना पड़ेगा। ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार के कहने पर चुनाव आयोग ने सुरक्षा बलों की इतनी बड़ी तादाद में तैनाती की है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में इतनी संख्या में तैनाती नहीं की गई है। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि बिहार, यूपी और असम में सुरक्षा बलों की कितनी कम्पनियाँ भेजी गई हैं? उन्होंने चुनाव आयोग को भी इसके लिए दोषी ठहराया।

पश्चिम बंगाल में मंगलवार (अप्रैल 23, 2019) को तीसरे चरण के चुनाव के दौरान मतदान हुए हिंसा की कई वारदातें सामने आईं। तीसरे चरण में 65% के क़रीब मतदान हुए। पश्चिम बंगाल की सीटों पर हुए मतदान में 79% मतदाताओं से अपने मताधिकार का प्रयोग किया। राजनीतिक पंडित क़यास लगा रहे हैं कि इस बम्पर वोटिंग के क्या मायने हैं? मुर्शिदाबाद में तृणमूल और कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हुए हिंसक संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मालदा के कालिया चौक स्थित पोलिंग बूथ के नज़दीक बदमाशों ने क्रूड बम फेंके। पश्चिम बंगाल में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने भी तृणमूल राज में हो रही हिंसा की वारदातों को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है।

फैक्ट चेक: कॉन्ग्रेस सेवादल ने बेहूदी टिप्पणी के साथ फैलाया स्मृति ईरानी का झूठा बयान

कॉन्ग्रेस और उनके कार्यकर्ता सत्ता में आने के प्रयासों में किस तरह से झूठे प्रपंच और आरोप लगाकर अपने समर्थकों का विश्वास जीतने का प्रयास करते हैं, ये आए दिन देखने को मिल रहा है।

उत्तराखंड कॉन्ग्रेस सेवादल (Uttarakhand Pradesh Congress Sevadal, @SevadalUKP) नाम के ट्विटर यूजर ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नाम से एक भद्दी टिप्पणी करते हुए एक झूठी खबर को पब्लिश किया। इस ट्वीट के अनुसार, भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हारे, तो वो आत्महत्या कर लेंगी। इसके साथ ही कॉन्ग्रेस सेवादल के इस आधिकारिक एकाउंट ने बेहद भद्दे शब्दों में लिखा है, “इतनी मोहब्बत, इस मोहब्बत को क्या नाम दूँ?”

यह टिप्पणी दर्शाती है कि कॉन्ग्रेस ने मोदी सरकार और इसके मंत्रीयों को अपमानित करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं और ‘आधिकारिक’ संगठनों को किस प्रकार के निर्देश दिए हैं। कॉन्ग्रेस के पास ऐसे कई MEME बनाने वाली संस्था की तरह वेरिफाइड एकाउंट हैं जो झूठे बयान फैलाने के लिए तत्परता से मौजूद हैं। इस ट्वीट को बड़े स्तर पर रीट्वीट किया जा रहा है। स्मृति ईरानी ने इस प्रकार का कोई भी बयान कभी भी, किसी भी समाचार चैनल को नहीं दिया है।

ये ट्वीट दिखाता है कि कॉन्ग्रेसी न सिर्फ हारे हुए हैं, बल्कि गिरे हुए भी हैं, जो कि अब किसी भी हद तक जाकर नीचता पर उतर आए हैं। हालाँकि, ये रिपोर्ट लिखे जाने तक यूजर ने पकड़े जाने के डर से इस ट्वीट को डिलीट कर दिया है।

यदि देखा जाए तो कॉन्ग्रेस अपने शीर्ष से लेकर अंतिम कार्यकर्ता तक झूठ और अफवाह फैलाकर राजनीति और सत्ता में वापसी के सपने देख रही है। भाषा की मर्यादा की अपेक्षा करना इस राजनीतिक दल से बहुत बड़ी उम्मीद होती जा रही है। महिला सशक्तिकरण जैसे जुमलों को अपने मेनिफेस्टो में बेचने वाली कॉन्ग्रेस को अक्सर भाजपा में मौजूद महिलाओं पर भद्दे और अपमानजनक टिप्पणी करते देखा जाता है।

फैक्ट चेक: पुराना लेख चला कॉन्ग्रेस प्रवक्ता फैला रहे EVM के बारे में फेक न्यूज़

कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और झारखण्ड में पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ट्विटर पर EVM के विषय में फेक न्यूज़ फैलाते पकड़े गए हैं। 3 अप्रैल 2014 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपे EVM में खराबी के बारे को एक लेख को उन्होंने ऐसे शेयर किया जैसे वह वर्तमान लोकसभा चुनावों के दौरान अभी हो रही घटना हो।

पकड़े जाने पर गोलमोल जवाब

जब एक आम ट्विटर यूजर ने उन्हें उनके द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम के बारे में पूछा तो उन्होंने उल्टा उसे ही उसकी उपलब्धियों पर सवाल पूछना शुरू कर दिया। साथ ही यह दावा भी किया कि उन्होंने इस समय की ‘गड़बड़’ EVM के बारे में भी ट्वीट किया है।

पर जब हमने देखा तो उन्होंने अभी की ‘गड़बड़’ EVM के विषय में जो लेख शेयर किया है, वह लगभग ठीक सवाल पूछे जाने के समय का है। उनके पहले ट्वीट को पुराना बताया जाना और उनका आज की EVMs के बारे में ट्वीट दोनों ही सुबह 4.59 के हैं, जबकि उनका 2014 के चुनावों की EVM खराबी को चुपचाप आज के चुनाव जैसा दिखाने वाला पहला ट्वीट आधे घंटे पहले का है। उन्होंने ट्विटर यूजर को जवाब भी 5 मिनट बाद 5.04 पर दिया था।

ऐसे में या तो यह फ़िल्मी संयोग है कि एक यूजर ने उनके पहले ट्वीट का झूठ ठीक उसी समय पकड़ा जब उन्होंने दूसरा ट्वीट किया, या फिर दूसरा ट्वीट पहले की सच्चाई पकड़े जाने के बाद किया गया। हमें दूसरी सम्भावना के अधिक आसार लग रहे हैं!

जब सड़क पर गाय काटकर कॉन्ग्रेस ने मनाई थी बीफ पार्टी, हिन्दूओं की आस्था पर किया था सीधा हमला

कॉन्ग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते देश, समाज और राजनीतिक समीकरणों को बहुत अच्छे से पहचानती है। कब, कहाँ और कैसे कोई हलचल पैदा कर के राजनीतिक लाभ उठाया जाए, ये इस बजुर्ग दल को खूब आता है। अवार्ड वापसी हो, लोकतंत्र की हत्या जैसे शब्दों को जनमानस के बीच स्थापित करना हो, या फिर समाज की संरचना में उथल-पुथल पैदा करनी हो, कॉन्ग्रेस इन सभी मामलों में हर पार्टी से मीलों आगे है।

लेकिन इन सब होशियारी के बीच ये दल अक्सर भूल जाता है कि समय और समाज अपनी आवश्यकताओं के अनुसार करवट लेता है। सत्ता और राजनीति के नशे में डूबी कॉन्ग्रेस से इस तरह की गलती हो जाना पिछले कुछ समय में बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया हो गया है।

हमारे सेक्युलर देश में हिन्दुओं की आस्था के प्रतीकों, विशेषकर गाय को लेकर वामपंथियों से लेकर कॉन्ग्रेस, आतंकवादी संगठन और तमाम अन्य राजनीतिक दल हमेशा ही हमलावर रहे हैं। पुलवामा हमले में भी हमने देखा कि जिहादी फिदायीन हमलावर अहमद डार ने भी हमले से पहले गोमूत्र पीने वाले हिन्दुओं के प्रति घृणा व्यक्त की थी।

विगत वर्ष मई की ही बात है जब केरल के कन्नूर में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिन्दुओं की आस्था को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से आम सड़क पर ही गाय के बछड़े को काटकर ‘बीफ पार्टी’ का जश्न मनाया था। इस घटना के वीडियो बनाए गए, सोशल मीडिया पर लोगों को दिखाए गए और हिन्दुओं पर मानसिक बढ़त बनाने जैसी थीम रची गईं।

यह सब बहुत ही शानदार तरीके से और गौरव के साथ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने मीडिया में दिखाया। लेकिन तब शायद उन्हें आने वाले समय का आभास नहीं था। इस घटना को लगभग एक वर्ष होने वाला है और इस एक वर्ष के भीतर ही कॉन्ग्रेस के युवा अध्यक्ष राहुल गाँधी ने जनेऊ भी धारण किया, अमरनाथ यात्रा का भी फोटोशॉप किया, समय और परिस्थिति के अनुसार हिन्दू प्रतीकों के साथ खूब तस्वीरें खिंचवाते नजर आते हैं, उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक के मंदिर का भ्रमण और धोती पहनना सीखने तक के उपक्रम राहुल गाँधी को करने पड़े हैं।

लेकिन आज का वोटर बेहद जागरूक है। आज के वोटर के मस्तिष्क में यह बीजारोपण कर पाना कि इस देश में यदि राजीव गाँधी अपने कंधे पर ढोकर कम्प्यूटर ना लेकर आते तो हम आज कम्यूटर विहीन रहते, बहुत ही मुश्किल कार्य है। अब यह उतना आसान नहीं रह गया है जितना आजादी के बाद से ही कॉन्ग्रेस समझती आई है।

आज का वोटर जानता है कि दलित अगर आज भी दलित है तो उसके पीछे कॉन्ग्रेस की नीतियाँ ही जिम्मेदार हैं। वोटर जानता है कि जिन झुग्गी-झोंपड़ियों में वो आज जीवन बिताने के लिए मजबूर है, वो कॉन्ग्रेस का ही ‘आशीर्वाद’ और देन है। उसका दैनिक जीवन आज भी उसी स्तर का है, जो उनके 3 पीढ़ियों पहले के लोग जीने को मजबूर थे, शायद आजादी के बाद से ही।

नेहरू आए, लोकतंत्र और संस्थाओं का खुला मजाक बनाकर संविधान से हर संभव छेड़खानी कर के लोह महिला बनी इंदिरा गाँधी भी आई, बोफोर्स घोटाले के प्रमुख अभियुक्त भी आए और यहाँ तक कि अब इंदिरा गाँधी की तरह ही दिखने वाली एक और गाँधी भी अवतरित हो चुकी हैं, लेकिन उस वोटर का जन-जीवन आज भी वही है, जिसे कॉन्ग्रेस ने हमेशा वोट बैंक ही बने रहने पर मजबूर किया।         

इस ‘बीफ पार्टी प्रकरण’ के बाद कॉन्ग्रेस तुरंत घबराहट में भी नजर आई थी। हालाँकि, पहले कॉन्ग्रेस ने आरोपितों के कॉन्ग्रेस से जुड़े होने की बात को खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में पता चला कि मामले का मुख्य आरोपित न सिर्फ कॉन्ग्रेस का कार्यकर्ता था, बल्कि वो कॉन्ग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका था। यही नहीं, इस बीफ पार्टी के मुख्य अभियुक्त भी कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के करीबी निकल आए।

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर पाल बग्गा ने चुनाव आयोग की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के बाद बताया था कि गोहत्या करने वाला कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ता रिजील मुकुत्टी केरल विधानसभा का चुनाव लड़ चुका था। सड़क पर बीफ पार्टी मनाने वाला कॉन्ग्रेस नेता मुकुट्टी साल 2011 के केरल विधानसभा चुनाव में थालेसरी सीट से चुनाव लड़ चुका था।

कॉन्ग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए सर से पाँव तक का जोर लगाती नजर आ रही है। इस बुजुर्ग दल पर अपनी इमेज से लेकर अपने एकमात्र प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार यानी, अध्यक्ष राहुल गाँधी तक की इमेज का मेकओवर करने का बहुत बड़ा दबाव है।

विगत कुछ समय में देखा गया है कि ‘हिंदी’ और ‘हिंदुत्व’ को घृणा की दृष्टि से देखने वाले लोगों ने धर्म की शरण ली है। बॉलीवुड से लेकर राजनीतिक दल इस सनातन धर्म की छाया से जुड़ने का प्रयास करते नजर आने लगे हैं। यह बदलाव एक ढोंग ही सही, लेकिन देखने को मिला है। इसकी अच्छी बात यह है कि यह बिना किसी धमकी और प्रताड़ना के हुआ है।

लेकिन वोटर को समझना होगा कि वो महज एक वोट बैंक नहीं बल्कि समाज की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उसे समझना होगा कि एक चिरयुवा अध्यक्ष की धोती को ढोती हुई तस्वीर उसका हित नहीं बल्कि उसे सिर्फ गुमराह कर के अपना उल्लू सीधा करना चाहती है। वोटर का मुद्दा हमेशा विकास और उसके स्वयं के सामाजिक जीवन में बदलाव पर आधारित होना चाहिए, इसके लिए कम से कम 3 पीढ़ियों की तुलना अवश्य करनी चाहिए, यानी जब नेहरू थे, जब इंदिरा थी, जब राजीव थे और जब मोदी है।

मोदी कर रहे नेहरू का सबसे बड़ा मलाल मिटाने की कोशिश, विपक्ष लगा रहा अड़ंगा: पूर्व कॉन्ग्रेस नेता

पूर्व कॉन्ग्रेस नेता आरिफ मोहम्मद खान ने मोदी के तीन तलाक विरोधी प्रस्तावित कानून की तारीफ करते हुए उसे प्रथम प्रधानमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू के अधूरे सपने को पूरा करने वाला बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा में इस बिल का विरोध करने वाले राजनीतिक दल ऐसा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रभाव में आकर ऐसा कर रहे हैं।

शाहबानो मामले में दिया था इस्तीफा, मीनाक्षी लेखी ने बिल किया था समर्पित

आरिफ मोहम्मद खान ने कॉन्ग्रेस से तब इस्तीफा दे दिया था जब शाहबानो मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने उच्चतम न्यायालय का फैसला पलटते हुए समुदाय विशेष के पतियों को अपनी पत्नी को तलाक के समय गुजारा भत्ता देने से बचाने के लिए कानून लाए थे। उनके इस कदम की न केवल विपक्ष में इज्जत हुई थी बल्कि प्रगतिशील मुस्लिमों में कॉन्ग्रेस का चेहरा भी उजागर हुआ था। शायद इसीलिए जब तीन तलाक को आपराधिक कृत्य घोषित करने वाला प्रस्तावित कानून भाजपा ने 2017 में लोकसभा से पारित कराया था तो भाजपा नेत्री मीनाक्षी लेखी ने कानून को विपक्षी दल के नेता रहे आरिफ मोहम्मद खान को समर्पित किया था।

उन्होंने द गार्जियन की पत्रकार ताया ज़िन्किन को 1950 के दशक में दिए गए पंडित नेहरू के साक्षात्कार का जिक्र किया। उस समय जब नेहरू से पूछा गया कि उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है तो उन्होंने कहा, “अपनी हिन्दू बहनों को वे अधिकार दिला पाना जो उन्हें सदियों से नहीं मिले।” फिर उनसे उनका सबसे बड़ा मलाल जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, “अपनी मुस्लिम बहनों के लिए यही न कर पाना।” आरिफ मोहम्मद खान ने यह विश्वास जताया कि नेहरू आज जहाँ कहीं होंगे, मोदी से अपना यह मलाल मिटाने के लिए बहुत खुश होंगे।

पोर्टल डेलीओ से बात करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने हालाँकि भाजपा के विपक्ष पर मुस्लिमों के तुष्टीकरण के आरोप पर तो टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, पर उन्होंने इस फैसले की परस्पर तुलना शाहबानो मामले में राजीव गाँधी के उस फैसले से जरूर की जहाँ एक मुस्लिम औरत को महज ₹300 से वंचित रखने के लिए संसद ने कानून पलट दिया था।

उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि कैसे तीन तलाक के मसले पर जब केवल उच्चतम न्यायलय का निर्णय आया था तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उसे ख़ारिज कर यह कहा था कि प्रथा बदस्तूर जारी रहेगी। तीन तलाक के मामले लगातार आते भी रहे। लेकिन जब से भाजपा ने कानून बनाकर तीन तलाक देने को आपराधिक कृत्य बनाया है, ऐसे मामले शून्य हो गए हैं।

अच्छे काम के लिए वोट माँगने में  बुराई क्या है?

इसी बातचीत में जब आरिफ मोहम्मद खान से यह पूछा गया कि क्या भाजपा यह सब मुस्लिम महिलाओं के वोटों के ‘लालच’ में कर रही है तो उन्होंने कहा कि सरकारों को बेशक अपने अच्छे और मानवतावादी कार्यों को सामने रखकर वोट माँगने ही चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुस्लिम औरतें इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए नरेंद्र मोदी की शुक्रगुज़ार होंगी।

हिंदुस्तान में सेक्युलरिज्म की बात करने वाले पाकिस्तान में उसे कुफ्र बताते हैं  

आरिफ मोहम्मद खान ने भाजपा को ‘सांप्रदायिक’ और ओवैसी या मुस्लिम लीग जैसी पार्टियों को ‘सेक्युलर’ मानने से भी साफ इंकार कर दिया। उन्होंने उदाहरण दिया कि जमात-ए-इस्लामी का संविधान ही कहता है कि वह हिंदुस्तान में इस्लाम पर आधारित सरकार बनाना चाहते हैं। यही नहीं, जमात के लोग पाकिस्तान में सेक्युलरिज्म को कुफ़्र कहकर उसकी निंदा करते हैं और हिंदुस्तान में इसी सेक्युलरिज्म की हिमायत और माँग करते हैं। उन्होंने ऐसे दोहरे चरित्र वाली पार्टियों को चेतावनी देते हुए यह भी जोड़ा कि यह दोहरा चाल-चरित्र इन्टरनेट के दौर में नहीं चलेगा।  

मैंने गलती की होती तो मोदी मुझे कुतुब मीनार पर टाँग देते: आजम खान

उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आजम खान ने अपना वोट डालने के बाद एक बार फिर से अपने विवादित बोल जारी रखे। मंगलवार (अप्रैल 23, 2019) को रामपुर में अपना वोट डालने के बाद आजम खान ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर मैंने सुई की नोंक के बराबर भी गलत काम किया होता तो मोदी जी ने 5 साल में मुझे कुतुबमीनार पर टाँग दिया होता।”

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इसलिए उन्हें चुनावी मैदान में उतरना पड़ा। हाल ही में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने भी जया प्रदा को लेकर विवादित बयान दिया था। अब्दुल्ला ने अपने विवादित बयान में जया प्रदा को ‘अनारकली’ बोल दिया था। चुनावी सभा के एक मंच पर आजम खान की मौजूदगी में अब्दुल्ला आजम खान ने कहा था कि ‘उन्हें अली भी चाहिए और बजरंग बली भी, लेकिन उन्हें अनारकली नहीं चाहिए।’

इससे पहले भी आजम खान जया प्रदा के बॉलीवुड से जुड़े होने की वजह से उन पर कई बार निशाना साधते आए हैं और उन्हें नाचने-गाने वाली भी बोल चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन उनके समर्थकों और परिचितों को परेशान कर रहा है। रामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आजम खान ने रोते हुए कहा था कि उनके साथ ऐसा सलूक हो रहा है, जैसे वो दुनिया का सबसे बड़े आतंकवादी और देशद्रोही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का वश चले तो वो उन्हें गोलियों से छलनी करवा दे। इसके साथ ही उन्होंने कहा था, “भाजपा ने जितना मुझे सताया है उतना किसी को नहीं सताया है। BJP भले मुझे बदनाम करे, लेकिन मैं धरती का सबसे अच्छा इन्सान हूँ।”

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले आजम खान ने भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद चुनाव आयोग ने कड़ा एक्शन लिया और आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में बड़ा कदम उठाते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के चुनाव प्रचार करने पर 72 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।

2 AAP विधायक केजरीवाल जी की तरफ बढ़े, एक ने ऐसा मुक्का मारा कि चश्मा गिर गया, कपिल मिश्रा का क्लेम

आम आदमी पार्टी (AAP) के बगावती विधायक कपिल मिश्रा ने दावा किया है कि कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को AAP के कुछ अन्य विधायकों ने कथित रूप से पीट दिया था।

उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल AAP विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे और गरमागरम चर्चा के बीच ही AAP के कुछ विधायकों ने केजरीवाल के साथ मार पिटाई की। बताया जा रहा है कि केजरीवाल कथित रूप से घायल हो गए थे और इसलिए उन्होंने घर से बाहर कदम नहीं रखा। यहाँ तक की वह अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने वाले कार्यक्रमों से भी दूर रहे। यह भी कहा जा रहा है कि केजरीवाल पिछले कुछ दिनों में दिल्ली विधानसभा क्षेत्रों के लिए नामांकन दाखिल करने वाले AAP उम्मीदवारों को अपनी बधाई या शुभकामनाएँ भी नहीं दी हैं।

मिश्रा ने एक लिंक साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, जिसमें बताया गया था कि कैसे और क्यों केजरीवाल को उनके ही सहयोगियों ने कथित तौर पर पीटा था। रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना शनिवार को हुई थी जब AAP के नेता AAP और कॉन्ग्रेस के गठबंधन और आम चुनावों पर चर्चा कर रहे थे। कहा जा रहा है, केजरीवाल ने टिकट वितरण के दौरान अपना आपा खो दिया। यहाँ तक कि गाली-गलौज पर उतारू हो गए और अपने ही कुछ विधायकों के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर के बाद, उन्होंने भी जवाबी हमला करते हुए केजरीवाल की पिटाई कर दी।

रिपोर्ट के अनुसार, दो विधायक केजरीवाल की तरफ बढ़े और उनमें से एक ने उन्हें ऐसा मुक्का मारा कि वह थोड़ा अस्थिर हो गए और उनका चश्मा गिर गया। बताया गया है कि केजरीवाल अपने घुटने तोड़वा बैठे हैं और यहाँ तक कि ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे। हालाँकि, तब तक अन्य विधायकों ने लड़ाई को सुलझाने के लिए बीच-बचाव किया और उन्हें शांत कराया। चूँकि, बैठक बंद दरवाजे पीछे हो रही थी, इसलिए केजरीवाल के सुरक्षा गार्ड भी कमरे में नहीं थे। अपने घुटने तोड़वा लेने के कारण केजरीवाल अब स्वास्थ लाभ ले रहे हैं और पिछले तीन दिनों से घर से बाहर नहीं निकले हैं। माना जा रहा है कि केजरीवाल भी फटे पड़े हैं क्योंकि न तो वह अपने विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं और न ही पुलिस को इसकी सूचना दे सकते हैं। फिर भी, अब तक केजरीवाल की पिटाई की कोई पुष्टि नहीं हुई है।

मिश्रा द्वारा साझा की गई रिपोर्ट के अनुसार, कुछ AAP नेताओं को छोड़कर, उनमें से अधिकांश केजरीवाल के उनके प्रति अपमानजनक व्यवहार से तंग आ चुके हैं। चाँदनी चौक से AAP विधायक अलका लांबा ने भी हाल ही में उल्लेख किया था कि कैसे केजरीवाल के साथ कुछ व्यवहार सम्बन्धी जटिलताएँ हैं, जहाँ वे बहुत आसानी से गुस्सा होकर गाली-गलौज पर उतर आते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि केजरीवाल अपने विधायकों को नौकर की तरह समझते हैं।

केजरीवाल पर पक्षपात का भी आरोप है और वह अपने पसंद के विधायकों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करते हैं। आरोप है कि दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के समय उनके ये पसंदीदा विधायक ही थे। यह भी कहा जा रहा है कि AAP के कुछ विधायक केजरीवाल से असंतुष्ट हैं और उन पर पैसे के लिए दो राज्यसभा और तीन लोकसभा सीटें बेचने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए ‘ट्रेडिंग’ शुरू हो चुकी है।

कपिल मिश्रा के साथ, एक और बागी AAP नेता कुमार विश्वास ने भी AAP विधायकों द्वारा केजरीवाल पर शारीरिक हमले की निंदा ट्विटर पर किया।

विश्वास ने अपने खास अंदाज में कहा, “विधायक जनता की भावनाओं का प्रतिनिधि होता है ! जनता की भावनाओं व इच्छाओं की सूचना मुख्यमंत्री तक पहुँचाना विधायक का नैतिक-धर्म है! किंतु सूचनाएँ मौखिक व लिखित रूप से दी जानी चाहिए! जनभावनाओं की शारीरिक अभिव्यक्ति उचित नहीं है।”

उत्सुकता वश जब लोगों ने विश्वास से सवाल किया कि क्या केजरीवाल के पीटे जाने की अफवाहें सच हैं? विश्वास ने जिसका एक गूढ़ उत्तर दिया “लगभग”

खैर, अभी तक ऑपइंडिया द्वारा यह सत्यापित नहीं हो पाया है कि केजरीवाल वास्तव में पिटे गए हैं या नहीं। ऐसी किसी हरक़त की तारीफ नहीं की जा सकती। यह कड़ी निंदा का विषय है। फिर भी, हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।