महाराष्ट्र पुलिस ने आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में पहलवान नरसिंह यादव के खिलाफ FIR दर्ज किया है। नरसिंह यादव पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र में सहायक पुलिस आयुक्त के रूप में सेवारत होते हुए 21 अप्रैल को कॉन्ग्रेस पार्टी का प्रचार किया था। बता दें कि, नरसिंह यादव स्पोर्टस कोटे से एसीपी के पद पर कार्यरत हैं और आदर्श आचार संहिता के मुताबिक, कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं कर सकता। ऐसा करने पर उस व्यक्ति को नोटिस जारी किया जाता है।
Police have lodged an FIR against wrestler Narsingh Yadav who is serving as an Assistant Commissioner of Police in Maharashtra after he campaigned for the #Congress party on April 21. (file pic) #LokSabhaElection2019pic.twitter.com/jy40Va3osT
अतंरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके पहलवान नरसिंह यादव पर आरोप है कि वह उत्तर मुंबई से कॉन्ग्रेस उम्मीदवार संजय निरुपम के लिए चुनावी प्रचार किया है। नरसिंह राव ने उनके साथ रैली में हिस्सा लिया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि चुनाव कर्मियों ने राज्य के निर्वाचन कार्यालय में इस संबंध में रिपोर्ट भेजी, इसके बाद अम्बोली पुलिस ने सोमवार को जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत यादव के खिलाफ एक मामला दर्ज किया और जल्द ही नरसिंह को नोटिस जारी कर जवाब-तलाब किया जाएगा और साथ ही नरसिंह यादव को विभागीय कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
जानकारी के मुताबिक, नरसिंह यादव ने सार्वजनिक रूप से सभा को संबोधित नहीं किया, वो बस संजय निरूपम के मंच पर मौजूद थे। कॉन्ग्रेस के एक कार्यकर्ता ने इस बारे में कहा है कि नरसिंह यादव केवल संजय निरुपम को समर्थन देने के लिए आए थे। यहाँ पर कॉन्ग्रेस के संजय निरूपम का मुकाबला शिवसेना के गजानन कीर्तिकर से है। बता दें कि, नरसिंह यादव कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। हालाँकि, बाद में 2016 के रियो ओलंपिक के समय उन्हें टीम में नहीं चुने जाने पर काफी विवाद हुआ था। उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया गया था। जिसकी वजह से वे रियो ओलंपिक में भाग नहीं ले सके थे।
सिद्धार्थ वरदराजन इतने ‘बड़े’ पत्रकार हैं कि मैं यह नहीं मान सकता उन्हें ‘क्लीन चिट’, नैतिक जिम्मेदारी और आपराधिक जिम्मेदारी में अंतर पता न हो। ऐसे में जब वह बिलकिस बानो को मुआवजा देने के आदेश को मोदी से क्लीन चिट छिन जाना बताते हैं तो यह किसी नौसिखिये बीट-पत्रकार की ग़लतफ़हमी नहीं, वरिष्ठ प्रोपागैंडिस्ट की लोगों को भ्रमित करने की कुत्सित कोशिश होती है।
A great decision but remember this folks, the taxpayers of Gujarat must now pay for Chowkidar Narendra Modi’s splendid chowkidari in 2002. At least now, he can’t say “I got a clean chit from the courts”. https://t.co/RRYsEGAueN via @thewire_in
किसी भी समाज, देश, राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना और लोगों की जान की हिफाजत करना राज्य प्रशासन की जिम्मेदारी होती ही है- इतनी ज्यादा कि कोई व्यक्ति खुद भी अपनी जान लेने की कोशिश करे तो उसे आत्म-हत्या कहा जाता है। ऐसे में अगर किसी महिला का बलात्कार हो जाता है, उसके परिवार वालों की हत्या हो जाती है, वह भी भीड़ के द्वारा, एक दंगे में, तो जाहिर सी बात है कि सरकारी मशीनरी का उसे मुआवजा देय होता ही है। यह मुआवजा राज्य (स्टेट) द्वारा लोगों की रक्षा में असफल रहने के एवज में, या फिर मानवीय-सामाजिक आधार पर उन्हें जिंदगी एक नए सिरे से शुरू करने के लिए, दिया जाता है।
पर इससे सिद्धार्थ वरदराजन ने यह कैसे जान लिया कि एक बलात्कार पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश मोदी को व्यक्तिगत तौर पर गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराता है? मुआवजा तो गोधरा में ट्रेन में जलाए गए लोगों को भी दिया गया– उसी सरकारी कोष से जिससे बिलकिस बानो को दिया जाना है। तो क्या मोदी ही गोधरा काण्ड के लिए भी जिम्मेदार थे और 2002 के दंगों के लिए भी? अगर ऐसा है तो इससे ‘सेक्युलर’ भला क्या हो सकता है?
सिद्धार्थ वरदराजन जी, आप प्रोपागैंडिस्ट हैं
आज के समय में माना ‘निष्पक्ष’ पत्रकारिता मुश्किल है, पर सिद्धार्थ वरदराजन जैसे वरिष्ठ पत्रकार से यह तो उम्मीद की ही जा सकता है कि कम-से-कम तथ्य और अपनी राय को अलग-अलग तो रखें। अपनी राय को कम-से-कम तर्क पर आधारित करें, कुतर्क पर नहीं! लेकिन फिर ध्यान यह आता है कि ऐसी उम्मीदें सिद्धार्थ वरदराजन जैसे आग्रह को दुराग्रह बना चुके, अंधविरोध में लिप्त व्यक्ति से करना बेमानी है।
‘सेक्युलरिज्म’, मुस्लिम तुष्टिकरण और मोदी-विरोध के विचार को यह विचारधारा से होकर विचारधारा की जकड़न (ideological possession) तक ले जा चुके हैं, और हर खबर में इन्हें ‘एंगल’ ही यह दिखता है कि कैसे, कहाँ मोदी को गरियाने का बहाना मिल जाए। यही इनका पत्रकारिता का (अ)धर्म है, यही इनकी (अ)नैतिक जिम्मेदारी है। और यही पत्रकार से प्रोपागैंडिस्ट बनने की कुल दास्तान है।
नफ़रत, घृणा में नहाए और सत्ता के टुकड़ों से दूर ऐसे पत्रकार और कुछ कर भी नहीं सकते। सोचने की क्षमता तब क्षीण हो जाती है जब विचारधारा के लटकते गाजर की पत्तियाँ आँख ढक देती हैं।
कॉन्ग्रेस और तृणमूल समर्थकों की आपस में हुई लड़ाई हिंसक झड़प में तब्दील हो गई जिसके कारण लाइन में खड़े एक वोटर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव रक्तरंजित होता जा रहा है और तृणमूल के गुंडों द्वारा लगातार की जा रही हिंसक झड़पों में निर्दोष लोग जान गँवा रहे हैं। उक्त घटना मुर्शिदाबाद के रानीनगर की है। यहाँ पोलिंग बूथ के पास तृणमूल व कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने देसी बम का प्रयोग कर मतदाताओं को डराने का प्रयास किया। कॉन्ग्रेस उम्मीदवार अबू हीना ने दावा किया है कि जिस व्यक्ति की मौत हुई है वह कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता है।
पश्चिम बंगाल के हिंसक चुनावी इतिहास को देखते हुए सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए थे। 7 बजे जब मतदान शुरू हुआ तब सब कुछ ठीक था लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, माहौल हिंसक होता चला गया। अचानक से बढ़ी इस हिंसा की एक झलक मुर्शिदाबाद के डोमकाल इलाक़े में हुई। यहाँ पर भी दो गुटों में भीषण झड़प हुई जिसमें कई आमजन घायल हो गए। यहाँ तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता भी घायल हुए। मालदा से भी हिंसा की ख़बरें आई हैं। मालदा स्थित छाँछल में बूथ संख्या 216 को उपद्रवियों द्वारा निशाना बनाया गया। यहाँ तृणमूल कॉन्ग्रेस के काउंसलर के पति की पिटाई की गई। तृणमूल ने इसके लिए कॉन्ग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया।
भाजपा ने भी बंगाल में तृणमूल कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं और वामपंथी पार्टियों के समर्थकों से हो रही हिंसक झड़प को मुद्दा बनाया है। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह लगातार अपनी बंगाल की रैलियों में ममता बनर्जी के कार्यकाल को गुंडाराज बताते हुए तृणमूल कॉन्ग्रेस पर प्रदेश को पीछे ले जाने का आरोप लगाते रहे हैं। अभी हाल ही में एक चुनाव अधिकारी ने भी कहा था कि आज बंगाल में वैसे ही हालात हैं, जैसे दो दशक पहले बिहार में होते थे। बता दें कि लालू राज के दौरान बिहार में बूथ लूट, अपहरण और हत्याओं की घटनाएँ आम बात थी। चुनाव को प्रभावित करने के लिए बाहुबल का इस्तेमाल सामान्य हो चला था।
Murshidabad Domkal’s Tiktikipara after the bombs were hurled .Some crude bombs and cells are littered in and around Mango garden..locals said they informed Police but no reply. pic.twitter.com/n2UxqUDrxD
1 बजे दोपहर तक पश्चिम बंगाल में 51% मतदान होने की ख़बर है। आज तीसरे चरण का चुनाव चल रहा है जिसमे बिहार, यूपी, केरल, बंगाल, ओडिशा सहित कई राज्यों की 116 सीटों पर मतदान हो रहा है। अमित शाह, अभिजीत मुख़र्जी, वरुण गाँधी और महबूबा मुफ़्ती सहित कई दिग्गजों के किस्मत का फ़ैसला आज जनता कर देगी।
देशविरोधी बयान देने वालों को तुरंत पाकिस्तान भेज देने की चॉइस रखने वालों की माँग को देखते हुए मोदी सरकार ने इस कार्य को संस्थागत रूप देने का निर्णय ले लिया है। इसके लिए भाजपा सरकार पृथक ‘तारा पाजी मंत्रालय’ का गठन करेगी और उसके कैबिनेट मंत्री ‘तारा पाजी’ यानी, सनी देओल पहले से ही चुने जा चुके हैं।
सूत्रों का कहना है कि देश में बढ़ती हुई ‘एंटी नेशनल्स’ की संख्या को देखते हुए भाजपा ने तारा पाजी को राजनीति में लेकर आने का निर्णय लिया है। समर्थकों का तो यहाँ तक भी कहना है कि जिस तरह से ‘तारा पाजी’ ने गदर फिल्म में चारों ओर से दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद भी हैंडपंप उखाड़ कर खलबली मचा दी थी, उन्हें भाजपा में जोड़ने में बहुत देर की गई है। राष्ट्रवादियों का कहना है कि मोदी जी ने जिस तरह से अपने कार्यकाल के दौरान सभी संस्थानों और छुपी हुई हस्तियों को पहचान दिलाई है, तारा पाजी के योगदान को पहचान देने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
भाजपा ने आज तारा पाजी, यानी सनी देओल को पार्टी की सदस्यता दिलाकर युवाओं के अंदर जोश भरने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मोदी लहर से कई साल पहले ही, वर्ष 2000 में गदर फिल्म के बाद ही जनता के बीच तारा पाजी की लहर जन्म ले चुकी थी, लेकिन उस समय से लेकर आज तक गोदी मीडिया ने ये लहर जनता से छुपाकर रखी। लेकिन, अमित ‘चाणक्य’ शाह ने इस दबी-कुचली लहर को समय पर पहचान दिलाकर जनता के सामने लेकर आने का एक और श्रेय आज नेहरू जी से छीन लिया है।
पाकिस्तान में बढ़ी हैण्डपम्पों की सुरक्षा
दूसरी ओर, सनी देओल के भाजपा जॉइन करने की खबर से पाकिस्तान में हलकान मच गया है। पाकिस्तान की सरकार ने उच्चस्तरीय आपात बैठक बुलाकर आवाम से टिंडे-टिमाटर और बकरी को छोड़कर अपने-अपने हैण्डपम्पों को सुरक्षित करने के फरमान जारी कर दिए हैं। गदर में हैण्डपम्प उखाड़ देने की घटना के चश्मदीद गवाह अब्दुल चश्मुद्दीन का कहना है कि वो आज भी उस कालजयी घटना को सपने में देखकर नींद से जाग जाते हैं। अब्दुल चश्मुद्दीन अमुक स्थान (सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संधियों के कारण जानकारी गुप्त रखी गई है) के स्थानीय नागरिक हैं और भारत-पाक सीमा के पास ही पाकिस्तानी सैनिकों की बकरी चुराने वालों की जानकारी रखने के लिए प्रशासन द्वारा नियुक्त किए गए हैं।
इस्लामाबाद के सभी सार्वजनिक हैण्डपम्पों पर सरकार ने ताला लटका दिया है और आवाम से ‘भगवान’ पर भरोसा रखने की अपील की है। हालाँकि, कॉन्सपिरेसी थ्योरी ‘एक्टिविस्ट’ और विशेषज्ञ ध्रुव लाठी का कहना है कि पाकिस्तान के हैण्डपम्पों की तालाबंदी इसलिए की जा रही है क्योंकि हैण्डपम्पों से लोग निकाल पानी रहे हैं, लेकिन आ मोदी रहा है।
राम मंदिर मुद्दे पर भाजपा की ‘तारीख पे तारीख’ नीति से मिलेगा छुटकारा
राम कार्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में हो रही देरी को देखते हुए भाजपा ने सनी देओल को पार्टी में लाकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। सनी देओल के भगवाकरण द्वारा भाजपा ने विपक्ष की जुबान बंद कर दी है। सूत्रों का कहना है कि सनी देओल लाल किले की प्राचीर से बस 3 बार राम मंदिर की तारीख पूछेंगे और अगर उन्हें जवाब में फिरसे ‘अगली तारीख’ सुनने को मिली, तो वो एक-एक ईंट अपने कंधे पर और खूंखार दरिंदे ‘कात्या’ के सात के सात भाइयों का समर्थन लेकर राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी खुद ले लेंगे।
अक्सर हर दूसरी फिल्म में इन्साफ की लड़ाई को कोर्ट में हार जाने वाले सनी देओल का कहना है कि हर बार रह जाती है तो बस तारीख, लेकिन उन्हें इन्साफ नहीं मिल पाता है मीलॉर्ड! इसलिए राम मंदिर मुद्दे को अब कोई भी राजनीतिक दल हल्के में लेने से पहले 7 बार जरूर सोचेगा।
ढाई किलो का हाथ vs कॉन्ग्रेस का हाथ
बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि सनी देओल जब किसी पर अपना ढाई किलो का हाथ उठाते हैं, तो वो उठता नहीं बल्कि डेरेक्ट ‘उठ जाता’ है। कॉन्ग्रेस मुक्त भारत के अपने फासीवादी अभियान को नई दिशा देने के लिए मोदी सरकार ने सनी देओल को पार्टी में शामिल कर कॉन्ग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है। एक आदमी, जिसके पास ढाई किलो का हाथ है और एक राजनीतिक दल, जिसके पास सिर्फ हाथ ही हाथ है, इस जंग में मामला इकतरफा होना अब तय माना जा रहा है। अनपेड ट्रॉल्स का तो यह भी कहना है कि मोदी जी ने गाँधी के साथ अब कॉन्ग्रेस से उनका ‘हाथ’ भी छीन लिया है।
ऑप इंडिया तीखी मिर्ची सेल के सूत्रों का यह भी कहना है कि 62 वर्ष के तारा पाजी को बॉलीवुड ने VRS देने से मना कर दिया था। और वहाँ भी बार-बार तारीख दे रहे थे। दामिनी जैसी फिल्म में वकालत सीख चुके तारा पाजी ने जब जाना कि 62 में जज भी रिटायर हो जाते हैं तो इन्होंने क्षुब्ध होकर खुद ही लॉयर से लॉ-मेकर बनने का निर्णय लिया और इसके लिए किसी तारीख का इंतजार नहीं किया।
कॉन्ग्रेस से भी आया था निमंत्रण
मीडिया में एक ऐसा प्रकरण सामने आया है, जिसे कॉन्ग्रेस ने अन्य कई दस्तावेजों की तरह छुपाकर रखा था। इसके अनुसार, भाजपा जॉइन करने से पहले तारा पाजी को कॉन्ग्रेस हेडक्वार्टर से भी निमंत्रण आया था। वहाँ सोनिया गाँधी ने उन्हें याद दिलाई की नेहरू जी के भगीरथ प्रयासों से ही तारा पाजी की पत्नी और बच्चा वीजा लेकर भारत वापस आ पाए थे। इसी बात का वास्ता देकर सोनिया गाँधी ने सनी देओल से कहा कि आपका ढाई किलो का हाथ कॉन्ग्रेस के साथ होना चाहिए। लेकिन जब सनी पाजी ने मना कर दिया तो जाते-जाते सोनिया ने उनसे कहा कि कम से कम एक आखिरी बात उन्हें माननी होगी और राहुल गाँधी जिंदाबाद कहना होगा, ताकि वो टिकटॉक पर ये वीडियो पोस्ट कर सकें।
इस पर तारा पाजी ने कहा, “राहुल गाँधी जिंदाबाद।” इसके बाद मैडम सोनिया ने स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश की और कहा की तारा ‘मोडी मोरडाबाद’ कहे। इस पर गुस्से से तारा पाजी ने ढाई किलो का हाथ सोनिया के सामने पटकते हुए कहा, “मैडम जी, आपका राहुल गाँधी नकारा होकर भी ज़िंदाबाद रहे, मैं वो टिकटॉक पर भी बोल दूँगा लेकिन ये जान लीजिए कि मोदी ज़िंदाबाद था, ज़िंदाबाद है, और ज़िंदाबाद रहेगा।”
इतिहास के पन्नों में कैद बस यही वो पल था, जब तारा पाजी ने कॉन्ग्रेस मुक्त भारत अभियान से जुड़ने का निर्णय लिया था। जानकारों का मानना है कि टिकटॉक को बैन करने के प्रयास भी राजमाता सोनिया के टिकटॉक पर होने की जानकारी होने के बाद ही सत्तारूढ़ सरकार ने तेज किए।
श्री लंका में गत रविवार हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की जिम्मेदारी कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है। IS की प्रोपेगैंडा एजेंसी AMAQ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, “श्री लंका में ईसाईयों और अमेरिका के समर्थक देशों के नागरिकों को जिन्होंने मारा है, वो इस्लामिक स्टेट के लड़ाके हैं।”
321 मरे, 500 घायल
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इस बीच श्री लंका धमाकों में मृत लोगों की संख्या बढ़कर 321 हो चुकी है। श्री लंका के पर्यटन मंत्री जॉन अमरतुंगा ने मृतकों में कम से कम 39 विदेशियों के होने की भी पुष्टि की है। ईसाईयों के ईस्टर पर्व पर हुए हमले में श्री लंका के गिरजाघरों और लक्ज़री होटलों को निशाना बनाया गया था।
इस मामले में श्री लंका में 20 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह भी दावा किया है कि एक आत्मघाती हमलावर को पहले भी भगवान बुद्ध की प्रतिमा ध्वंस करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
आपको बता दें कि भारत ने श्री लंका को ऐसे किसी संभावित हमले की आशंका को लेकर पहले ही आगाह किया था। भारत ने श्री लंका को कई बार आगाह करते हुए कहा था कि नेशनल तौहीद जमात से जुड़े कई लोग पाकिस्तान में सक्रिय हैं। इस्लामिक कट्टरपंथ और जिहाद के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी भारत ने श्री लंका को चेतावनी दी थी।
लश्कर के चैरिटी समूह फलाह-ए-इंसानियत ने 2016 में ही दावा किया था कि अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया और श्री लंका सहित कई देशों में उसकी उपस्थिति है। लश्कर के एक अन्य चैरिटी विंग इदारा ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ के भी यहाँ तौहीद के साथ मिलकर काम करने की बात सामने आई थी। 2004 में श्री लंका और मालदीव में सुनामी आने के बाद ये संगठन बचाव कार्यों में काफ़ी सक्रिय रहा था और उसके बाद इसने धीरे-धीरे वहाँ पैठ बनानी शुरू कर दी।
अपने कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के लिए जाने जाने वाले केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह ने मंगलवार (अप्रैल 23, 2019) को चुनाव आयोग से माँग करते हुए कहा है चुनाव आयोग को हरे झंडे के इस्तेमाल पर रोक लगा देना चाहिए। इस रंग के झंडों को अक्सर मुस्लिमों से जुड़े राजनीतिक एवं धार्मिक निकायों से जोड़ कर देखा जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये घृणा फैलाते हैं और पाकिस्तान में इस्तेमाल होने की धारणा बनाते हैं।
गिरिराज सिंह ने इस दौरान विपक्षी कन्हैया पर तंज कसते हुए कहा कि इस संसदीय क्षेत्र (बेगूसराय) में उनकी लड़ाई भारत को तोड़ने के लिए काम करने वाले गिरोह के खिलाफ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और विकास के एजेंडे का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा नेता ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि भाजपा नीत राजग, बिहार में 2014 में जीती गई 31 सीटों के आँकड़ों को सुधारेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं प्रत्येक सीट पर गठबंधन के उम्मीदवार हैं एवं इसके सभी प्रत्याशी “उनके ही प्रतीक” हैं। बेगूसराय में त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है, जहाँ गिरिराज सिंह का सामना राजद के तनवीर हसन और सीपीआई के युवा नेता कन्हैया कुमार से है।
बेगूसराय सीट पर होने जा रही टक्कर इस बार के आम चुनावों में इसलिए अधिक चर्चा में रही, क्योंकि गिरिराज सिंह को भाजपा के हिंदुत्व का चेहरा के तौर देखा जाता है, तो वहीं जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर ‘देश द्रोही’ होने का आरोप है। गौरतलब है कि गिरिराज सिंह ने साल 2014 में 1.4 लाख मतों के अंतर से बिहार की नवादा लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उन्हें बेगूसराय से टिकट दिया गया है।
चुनावों के मद्देनज़र ईवीएम पर उठने वाले सवालों का दौर अभी थमा नहीं है। 2014 के बाद अब लोकसभा चुनाव 2019 में भी विपक्ष की ईवीएम को लेकर शिकायतें जस की तस हैं। इसी दिशा में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मतदान के तीसरे चरण में मंगलवार (अप्रैल 23, 2019) को आरोप लगाया है कि पूरे भारत में या तो ईवीएम में गड़बड़ है या फिर मशीन भाजपा के पक्ष में वोट डाल रही है।
अखिलेश ने ट्विटर पर चुनाव आयोग को टैग करते हुए लिखा है, “पूरे भारत में या तो ईवीएम खराब है या फिर भाजपा के लिए वोट कर रही है। जिलाधिकारी कहते हैं कि निर्वाचन अधिकारी ईवीएम परिचालन की दृष्टि से प्रशिक्षित नहीं है। साढ़े तीन सौ से अधिक ईवीएम बदली जा रही है।”
अखिलेश यादव का कहना है जिस चुनावी प्रक्रिया में 50 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं उसके लिहाज से यह एक आपधारिक लापरवाही है।
EVMs across India malfunctioning or voting for the BJP. DMs say poll officials untrained to operate EVMs. 350+ being replaced. This is criminal negligence for a polling exercise that costs 50,000 crs.
गौरतलब है कि यूपी में दस सीटों के लिए तीसरे चरण में आज सुबह से मतदान हो रहा है। केरल, असम और उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर ईवीएम में गडबड़ी की शिकायत सामने आईं है, जिस पर अखिलेश ने निशाना साधते हुए कहा कि यदि डिजिटल भारत में इतनी ज्यादा गड़बड़ियाँ है तो इससे शक होता है। सपा अध्यक्ष ने इस मामले पर चुनाव आयोग से अपील करते हुए कहा है कि वह इस पर ध्यान दें और जाँच कराएँ।
it is a trick of Modi, once the EVM malfunction then the engineer come to repair it or replace the faulty EVM, That is the time when engineer fix EVM for BJP. https://t.co/foxPxoRsAX
बता दें कि अखिलेश की ईवीएम से संबंधित इन शिकायतों को चुनाव आयोग द्वारा खारिज कर दिया गया है। तीसरे चरण में केवल अखिलेश ही नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल और आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने आतंकी वारदातों को लेकर 3 बड़े वैश्विक नेताओं के दोहरे रवैये को उजागर किया है। माज़िद ने ट्विटर पर पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे और पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन द्वारा की गई ट्वीट्स को लेकर इन तीनो नेताओं की खिंचाई की। आइए आपको समझाते हैं कि मामला क्या है। दरअसल, इन नेताओं ने न्यूज़ीलैंड स्थित क्राइस्टचर्च में एक मस्जिद पर हुए हमले को तो आतंकी हमला बताया था लेकिन श्री लंका में हुए ताबड़तोड़ बम ब्लास्ट्स को लेकर की गई ट्वीट्स में इन्होने इसे आतंकी वारदात नहीं बताया।
Strange difference in tone between condemnations of a terrorist attacks on Muslims after New Zealand & against Christians after Sri Lanka. Note the absence of words “terrorism” & “Christianity”. This Muslim stands with persecuted Christians globally &all minorities everywhere ?? pic.twitter.com/ylSDCU6ICe
— Maajid – (Mājid) [maːʤɪd] ماجد (@MaajidNawaz) April 22, 2019
इन तीनो नेताओं ने ईसाई शब्द का ज़िक्र भी नहीं किया जबकि खुले तौर पर श्री लंका में किए गए ये ब्लास्ट्स ईस्टर के मौक़ों पर ईसाईयों को निशाना बनाने के लिए किए गए थे। ईसाई (Christian) की जगह ‘Easter Worshippers’ शब्द का प्रयोग किया गया। जबकि इन्ही नेताओं ने क्राइस्टचर्च हमले के वक़्त ख़ासकर के ‘मुस्लिम समाज’ के प्रति अपनी संवेदनाएँ दिखाई थी और उसे आतंकी वारदात भी कहा था। थेरेसा मे ने जहाँ क्राइस्टचर्च हमले को एक ‘भयानक आतंकी हमला (Horrifying Terrorist Attack)’ बताया था वहीं श्री लंका में हुए बम ब्लास्ट्स की निंदा करते हुए उन्होंने इसे ‘हिंसा की वारदात (Act Of Violence)’ बताया।
इसी तरह बराक ओबामा ने क्राइस्टचर्च हमले के वक़्त ख़ास तौर पर ‘मुस्लिम समुदाय’ के साथ शोक मनाने की बात कही थी, वहीं ताज़ा श्री लंका हमले को उन्होंने ईस्टर पर प्रार्थना करनेवालों पर हुआ हमला बताया। हिलेरी क्लिंटन ने तो क्राइस्टचर्च हमले के वक़्त ‘मुस्लिम समुदाय’, ‘Islamophobia’ और ‘White Supremacist Terrorists’ जैसे शब्दों का ज़िक्र किया था जबकि श्री लंका मामले में उन्होंने भी ओबामा की तरह ही ईस्टर वर्शिपर्स जैसे शब्द का प्रयोग किया। वामपंथियों ने भी श्री लंका में हुए हमले के पीछे हड़बड़ी में बिना सबूत बौद्धों का हाथ दिखाने की कोशिश की थी।
माज़िद ने इन तीनो नेताओं के बयानों और दोहरे रवैये का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये मुस्लिम (माज़िद) विश्व के सभी ईसाईयों व अल्पसंख्यकों के साथ खड़ा है और संवेदनाएँ प्रकट करता है। बता दें कि श्री लंका में हुए सीरियल ब्लास्ट्स में अब तक 310 से भी ज़्यादा लोगों के मारे जाने की ख़बर है और कई घायल हैं। इस घटना में इस्लामिक चरमपंथी आतंकियों का हाथ होने की ख़बरें आ रही हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई रैलियों में कह चुके हैं कि श्री लंका में जो आतंकी हमला हुआ, ऐसा भारत में नहीं हो ये सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने भी श्री लंका सरकार को हरसंभव मदद का भी आश्वासन दिया है।
Sri Lanka Govt says initial investigations reveal that suicide bombings were carried out as revenge for New Zealand attack killings. ISIS support can’t be ruled out entirely. Death toll in Sri Lanka terror attack rises to 321. Crackdown on radicals and Islamist elements ongoing.
इसी बीच यह भी ख़बर आई थी कि भारत ने श्री लंका को ऐसे किसी संभावित हमले की आशंका को लेकर पहले ही आगाह किया था। भारत ने श्री लंका को कई बार आगाह करते हुए कहा था कि नेशनल तौहीद जमात से जुड़े कई लोग पाकिस्तान में सक्रिय हैं। भारत ने श्री लंका को आगाह किया था कि राष्ट्र का पूर्वी प्रदेश लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूँखार पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के लिए एक ऑपरेशनल जोन बनता जा रहा है।
राफेल मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी – ‘चौकीदार चोर है’ और उसे सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बताने पर राहुल गाँधी घिरते जा रहे हैं। इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जो स्पष्टीकरण दिया था, कोर्ट उससे संतुष्ट नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी कर दिया है, और सुनवाई के लिए 30 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की है।
‘आज सुप्रीम कोर्ट ने क्लियर कर दिया है कि चौकीदार जी ने चोरी करवाई है’
10 अप्रैल को पत्रकारों से बात करते हुए राहुल गाँधी ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चौकीदार ने चोरी की है। इस पर भड़की भाजपा ने उन्हें झूठा करार दिया था। भाजपा नेत्री और दिल्ली से लोकसभा सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मुकदमा दायर कर दिया था।
मामला यह था कि दिसंबर में राफेल सौदे में हस्तक्षेप न करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कॉन्ग्रेस ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। पुनर्विचार याचिका का आधार रक्षा मंत्रालय से कथित तौर पर चुराया गया एक नोट था, जिसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के समक्ष राफेल सौदे को लेकर मंत्रालय के नौकरशाहों ने एक मामूली आपत्ति दर्ज की थी; अफसरों ने रक्षा मंत्रालय की मोलभाव समिति के इतर प्रधानमंत्री कार्यालय के बात करने पर आपत्ति की थी। पार्रिकर ने मामले को समन्वय स्थापित कर सुलझाने का निर्देश फाइल नोटिंग में लिख दिया था।
चूँकि यह नोट कथित तौर पर मंत्रालय से चुराया गया था, इसलिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इसे स्वीकार्य दस्तावेज न मानने का आग्रह किया था। कोर्ट ने सरकार की आपत्ति को दरकिनार करते हुए उस नोट पर विचार करने का निर्णय लिया था। पर कहीं भी राफेल सौदे पर अभी तक कोई सवाल नहीं उठाया था। ऐसे में राहुल गाँधी का दावा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री पर उनके द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर अपनी मोहर लगा दी है, साफ अवमानना का मामला था।
‘चुनावी गर्मी में हो गई गलती’
लेखी द्वारा दर्ज मामले पर राहुल गाँधी से जब न्यायालय ने जवाब तलब किया तो उन्होंने हलफनामा दायर कर अपनी टिप्पणी पर खेद प्रकट करते हुए कोर्ट से कहा कि उनसे यह बात चुनावी उत्तेजना में मुँह से निकल गई और ऐसा कहने का उनका कोई इरादा नहीं था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी (उनके दावे के अनुसार) अनजाने में की गई टिप्पणी को भाजपा नाहक चुनावी मुद्दा बना उन्हें घेरने का प्रयास कर रही है।
एक ओर राहुल गाँधी अपने शब्द अदालत के मुँह में ठूँसने के लिए माफी माँग रहे थे, दूसरी ओर उन्होंने ‘जनता की अदालत’ से ‘गुहार’ लगाते हुए पुनः नरेंद्र मोदी को इंगित कर यह ट्वीट किया:
23 मई को जनता की अदालत में फैसला होकर रहेगा कि कमलछाप चौकीदार ही चोर है।
न्याय होकर रहेगा।
गरीबों से लूटकर अमीर मित्रों को लाभ देने वाले चौकीदार को सज़ा मिलेगी। #ChowkidarChorHai
उनके जवाब से असंतुष्ट न्यायमूर्तियों गोगोई, संजीव खन्ना और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने उनकी ओर से पेश उनके वकील और कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि पीठ उनके मुवक्किल के जवाब से सन्तुष्ट नहीं है, और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी कर रही है। मामले की अगली सुनवाई अगले मंगलवार यानी 30 अप्रैल को होगी। उसी दिन राफेल मामले पर दायर पुनर्विचार याचिका पर भी सुनवाई होनी है।
उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके दिवंगत कॉन्ग्रेस नेता एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर हत्याकांड में नया मोड़ आया है। अब पता चला है कि रोहित किसी अन्य महिला को अपनी प्रॉपर्टी में से हिस्सा देना चाहते थे। क्राइम ब्रांच अब लगभग आरोपित की गिरफ़्तारी कर सकती है। सबूतों की कड़ी से कड़ी जाँच और नौकर के बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने अब उस कार की भी गहनता से जाँच की है, जिसमें रोहित को अस्पताल ले जाया जाने वाला था। बता दें कि रोहित की माँ उज्ज्वला ने कहा था कि रोहित की तबियत ख़राब होने की सूचना के बाद जब वो एम्बुलेंस के साथ रोहित के घर पहुँचीं तो उन्होंने देखा कि अपूर्वा अपने पति को कार में लिटा रही थीं। बाद में रोहित को एम्बुलेंस से ही अस्पताल पहुँचाया गया।
इसके अलावा पुलिस रोहित शेखर और उनकी पत्नी के फोन कॉल डिटेल्स भी खंगाल रही है। एक चौंकाने वाली बात यह पता चली है कि उनके फोन से रात 2 से 4 बजे के बीच किसी नंबर पर 12 बार कॉल की गई, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, रोहित की तबतक मृत्यु हो चुकी थी। क्राइम ब्रांच के संदेह के घेरे में आरोपित की पत्नी अपूर्वा के फोन कॉल में शामिल कुछ नंबर भी हैं। रोहित की माँ ने कहा है कि अपूर्वा अपने पति से हमेशा लड़ती थी और उसे परेशान करती थी। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, रात 1:30 बजे अपूर्वा नीचे से पहली मंजिल पर स्थित रोहित के कमरे में जाते हुए दिखाई देती हैं। इसके ठीक एक घंटे बाद रात 2.30 बजे वह पहली मंजिल से भूतल पर आते दिख रही हैं।
और सबसे बड़ी बात कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में रोहित की मृत्यु का समय भी क़रीब 1.30 से 2.00 तक ही पाया गया है। ऐसे में, पुलिस सारी कड़ियाँ जोड़कर जल्द ही गिरफ़्तारी करेगी। क्या ये ख़ून सिर्फ़ एक व्यक्ति ने की या और भी कोई इसमें शामिल था? घर के नौकरों पर भी पुलिस की नज़र है। उधर एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि एनडी तिवारी के नाम पर कोई संपत्ति नहीं थी और न ही उन्होंने कोई संपत्ति किसी के नाम की। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ज़िन्दगी भर अहम पद पर रहनेवाले तिवारी की संपत्ति का क्या हुआ? विवाह से पहले अपूर्वा का बॉयफ्रेंड होने की बात भी सामने आई है।
अब क्राइम ब्रांच द्वारा की गई पूछताछ में नया खुलासा हुआ है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक़, अपूर्वा ने बताया है कि जब उसके और रोहित के बीच झगड़ा हुआ था तो दोनों ने एक-दूसरे का गला दबाया था। हो सकता है कि सोने के दौरान रोहित की मृत्यु हो गई हो लेकिन पुलिस को अब भी अपूर्वा की बातों पर यक़ीन नहीं हो रहा है। अपूर्वा ख़ुद सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और हो सकता है कि गैर इरादतन हत्या की धाराओं से बचने के लिए कुछ-कुछ बोल रही हों। क्राइम ब्रांच भी इस बात को बखूबी समझ रही है। इधर कॉल डिटेल्स खंगालने से पुलिस को पता चला है कि अपूर्वा ने रात 11 बजे दिल्ली के बाहर किसी व्यक्ति को कॉल किया था। क्या अपूर्वा ने किसी जानकार से फोन पर कुछ सुझाव माँगा था?
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, रोहित के नाखून और पैरों के तलवे नीले पड़े हुए थे। ऑक्सीजन लेवल डाउन होने से ऐसा होता है। गला दबाने से पहले ज़हर देने की आशंका भी जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि हत्या के एक दिन पहले जब रोहित और उनका परिवार वोट डालने उत्तराखंड गया था तो उनके साथ एक अन्य महिला भी थी। रोहित ने उस महिला के साथ शराब भी पी थी। अपूर्वा को यह नागवार गुज़रा। रात को रोहित का फोन चालू था। रोहित के फोन का लॉक भी वही खोल सकता था जिसके पास उसका पासवर्ड हो। घर में सात में से पाँच ही सीसीटीवी कैमरे चालू है, जिसने भी हत्या को अंजाम दिया उसे यह बात बख़ूबी पता थी।