Monday, September 30, 2024
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राहुल गाँधी ने वायनाड में किया आचार संहिता का उल्लंघन, चुनाव आयोग से कार्रवाई की अपील

अपनी उल-जुलूल बयानबाजी और हरकतों की वजह से कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी लगातार फँसते हुए दिखाई दे रहे हैं। ‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान को लेकर अभी तक राहुल गाँधी को कोर्ट से राहत नहीं मिली कि उन पर एक और आरोप लग गया। दरअसल, राहुल गाँधी अमेठी के साथ-साथ केरल के वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं और इस सीट पर आज (अप्रैल 23, 2019) को तीसरे चरण के लिए मतदान हो रहे हैं। मतदान के दौरान ही राहुल गाँधी ने सोशल मीडिया के जरिए कॉन्ग्रेस को वोट करने की अपील की है। इसको लेकर वायनाड से एनडीए के प्रत्याशी तुषार वेल्लापल्ली ने राहुल गाँधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि आरोप लगाया है कि उन्होंने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है।

बता दें कि आज सुबह यानी मतदान के दिन राहुल गाँधी ने अपने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘भारत में लाखों युवा पहली बार मतदान करने जा रहे हैं। उनके हाथों में भारत का भविष्य है। मुझे विश्वास है कि वे हर भारतीय के लिए NYAY चाहते हैं और बुद्धिमानी से मतदान करेंगे। पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने जा रहे युवाओं के साथ इस शार्ट फिल्म को शेयर करें।’

तुषार वेल्लापल्ली ने राहुल गाँधी के द्वारा किए गए इस ट्वीट पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा और राहुल गाँधी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की बात कही। उनका कहना है कि वायनाड सीट पर चुनाव प्रचार आज से दो दिन पहले यानी 21 अप्रैल की शाम 5 बजे से ही बंद हो गया था, लेकिन राहुल गाँधी आज मतदान के दिन भी, ट्विटर के जरिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं, जो कि साफ तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन है। उन्होंने चुनाव आयोग से कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अपील की है। तुषार का कहना है कि अगर इस पर कार्रवाई नहीं की गई तो चुनाव के निष्पक्षता पर सवाल उठ सकता है। इसलिए निष्पक्ष रूप से मतदान करवाने के लिए यह कार्रवाई करना अति आवश्यक है।

NDTV वालों के लिए लिए स्त्री का अपमान सिर्फ ‘तंज’ है, सेक्सिज़्म तो चलता है

लिबरलों के गिरोह की वास्तविकता और पूर्वग्रह जब-जब सामने आते हैं, तब-तब उनके घटिया होने की परतें खुलती चलती जाती हैं। अगर ये क्लेम करें कि दूसरे असहिष्णु हैं, तो आप आँख मूँद कर समझ लीजिए कि इनसे ज्यादा इनटॉलरेंट कोई ब्रीड नहीं है। अगर ये कहें कि फ़लाँ विचारधारा के लोग नारीविरोधी हैं, तो मान कर चलिए कि इनसे ज़्यादा मोलेस्टेशन, बलात्कार और सेक्सिज्म और कहीं नहीं दिखेगा। अगर ये कहें कि फ़लाँ विचारधारा साम्प्रदायिक है, तो समझ जाइए कि मजहबी घृणा को जितनी हवा ये लोग देते हैं, उतनी सौ ज़ाकिर नायक जैसे लोग भी नहीं दे पाएँगे।

आप लोगों ने पिछले कुछ दिनों में आज़म खान की नग्नता देखी जब उसने स्टेज पर से जया प्रदा के ऊपर बेहूदी टिप्पणी की थी। उसके बाद उसके नकारे लड़के ने जया प्रदा को निशाना बनाते हुए उसे ‘अनारकली’ कहा। जैसा बाप, वैसा बेटा। आज़म खान के बेटे से और आशा भी क्या की जा सकती थी, वो तो अपने बाप का नाम आगे बढ़ा रहा है। जैसी परवरिश उसके बाप को मिली, वैसी ही उसने आगे बढ़ाई। तो उसका बयान सुन कर मुझे कोई ताज्जुब नहीं हुआ।

इस वाहियात बयानबाज़ी के बाद, NDTV की एक रिपोर्ट मिली जो किसी दक्षिणपंथी वेबसाइट से होती, या उन्हीं शब्दों में किसी नेता का ट्वीट बन कर आती, तो पत्रकारों का समुदाय विशेष, इस ब्रीड के लिबरलों का झुंड अपने रदनक दाँतों से फाड़ कर रख देता।

रिपोर्ट के हेडलाइन का स्क्रीनशॉट

इस रिपोर्ट की हेडलाइन है – आज़म खान के बाद बेटे अब्दुल्ला ने भी कसा तंज, बोले, ‘हमें अली भी चाहिए, बजरंगबली भी, लेकिन अनारकली नहीं’। इसके ठीक नीचे लेख के सारांश या संदर्भ की जगह दो लाइन में बताया गया कि आज़म खान और जया प्रदा में ‘ज़ुबानी जंग’ देखने को मिल रही है।

अब आप कहेंगे कि इसमें दिक्कत क्या है? दिक्कत है मामले की गंभीरता और शब्दों के चुनाव से छिछोरेपन को, सेक्सिस्ट बयान को, नारीविरोधी शब्दों को ‘तंज’ और ‘ज़ुबानी जंग’ के नाम पर ऐसे प्रस्तुत करना जैसे इतना तो चलता है। क्या सच में इतना चलता है? आप किसी प्रत्याशी को, उसके फ़िल्मी अदाकारा होने के कारण, कभी उसके अंतःवस्त्रों के रंग की बात करके उपहास करेंगे, और कभी आपका बेटा उसे अनारकली कह कर नीचा दिखाएगा?

अनारकली का पात्र महलों में नृत्य करने वाली महिला का है। उससे किसी को आपत्ति नहीं। वो उसका काम था, वो करती थी। लेकिन जिस संदर्भ में अब्दुल्ला ने उसका प्रयोग किया है, जिस टोन में किया है, वो रक्काशाओं को लेकर समाज में प्रचलित संदर्भ में है। इसलिए, कोई अगर यह डिफ़ेंस और जस्टिफिकेशन लेकर आए कि अनारकली कहने से अपमान कैसे हो गया, तो वो अपने कुतर्क अपने पास रखें।

लिबरलों की ब्रीड और पत्रकारिता का समुदाय विशेष, अपने विरोधियों को तो इन्हीं बातों पर घेरता रहा है। NDTV के दुर्गंध मारते पत्रकार भाजपा नेताओं के बयानों को अपने हिसाब से मोड़ कर आपातकाल तक ला देते हैं, और उनके मन में स्त्रियों की इतनी इज़्ज़त है कि बाप द्वारा स्त्री के अंडरवेयर का रंग, और बेटा द्वारा किसी को भरी सभा में अनारकली कहना महज़ ‘तंज’ हो जाता है।

NDTV या इनके जैसे बिके हुए लोगों से और कोई उम्मीद भी बेकार है। इनके सारे आदर्श अपनी ‘जात’ के बलात्कारियों तक को बचाने में उठ कर सामने आते हैं। इनके सारे आदर्श वामपंथ के उस नेता के चरण चुंबन में जाते हैं जो लिंग लहरा कर लड़कियों को धमकाता हुआ पकड़ा गया था। फिर इनसे उम्मीद तो नहीं, हाँ, इनकी नग्नता सामने लाना बहुत आवश्यक है।

‘चौकीदार ढूँढना होगा तो मैं नेपाल चला जाऊँगा’: हार्दिक पटेल ने की PM पर टिप्पणी

मतदान के तीसरे चरण में 23 अप्रैल को गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। यहाँ उन्होंने नरेंद्र मोदी के चौकीदार कैम्पेन को आधार बनाकर टिप्पणी की है कि यदि उन्हें चौकीदार ढूँढना होगा तो वे नेपाल चले जाएँगे।

हार्दिक पटेल ने गुजरात के विरमगाम में वोट डालने के बाद गोरखाओं और नेपालियों के खिलाफ यह जातिवादी बयान दिया। मीडिया से अपनी बातचीत में हार्दिक ने कहा, “मुझे देश में ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए जो इस देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, युवाओं और जवानों को मजबूत कर सके। मुझे चौकीदार नहीं प्रधानमंत्री चाहिए।”

हार्दिक ने वोट डालने के बाद ट्विटर पर लिखा, “लोकतंत्र का पर्व मतलब चुनाव हैं। मैं इस चुनाव का हिस्सा बन देश को मज़बूत बनाने के लिए अपना वोट कर आया हूँ। मेरा वोट देश को अच्छा और सच्चा प्रधानमंत्री बनाने के लिए हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी ज़िंदाबाद, भारत माता की जय”

गौरतलब है कि बीते दिनों पाटीदार आंदोलन से सुर्खियाँ बटोरने वाले हार्दिक पटेल चुनावी हलचल में कॉन्ग्रेस पार्टी का हाथ थाम चुके हैं। जिसके बाद से ही वह कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए थे। पहले उनके चुनाव लड़ने की अटकलें भी लगाई जा रही थी, लेकिन दंगे भड़काने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट द्वारा टाली गई सुनवाई के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया।

देश का सबसे ‘बड़ा’ दलित नेता और ‘बयानवीर’ उदित राज का कटा टिकट – ये हैं कारण

भाजपा ने दिल्ली की सभी 7 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। इनमें मनोज तिवारी और गौतम गंभीर जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से दलित नेता उदित राज का टिकट काटा जा चुका है। उनकी जगह हंस राज हंस भाजपा के उम्मीदवार हैं। इस सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा में हुई देरी के बाद ही उदित राज बौखला गए थे और उन्होंने ट्वीट पर ट्वीट कर के पार्टी आलाकमान पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। हालाँकि, जब तक नॉर्थ वेस्ट दिल्ली का भाजपा द्वारा टिकट का ऐलान नहीं होता, तब तक वो चुप भी रह सकते थे और इन्तजार कर सकते थे लेकिन बड़बोले उदित राज ने सीधा अमित शाह और नरेंद्र मोदी को घेरना शुरू कर दिया। उनका टिकट काटकर पार्टी ने साफ़ सन्देश दे दिया है कि भाजपा में रहकर पार्टी की विचारधारा के ख़िलाफ़ बार-बार बोलने वालों के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है।

देखा जाए तो भाजपा सहित कई अन्य दलों में बहुत से ऐसे बयानवीर नेता हैं जो अलूल-जलूल बयानबाज़ी करते रहते हैं लेकिन उदित राज ख़ुद को भाजपा में रहते हुए भी एक अलग ही संस्था समझ रहे थे। उन्होंने पार्टी आलाकमान को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि उनकी उम्मीदवारी घोषित करने में हो रहे विलम्ब के कारण उन्हें भाजपा छोड़ने को भी मज़बूर होना पड़ सकता है। 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले भी उदित राज भाजपा का विरोध कर चुके हैं। उन्होंने पिछले आम चुनाव से पहले अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया था, तभी उन्हें लोकसभा का टिकट भी मिला था। उदित राज ख़ुद को देशभर के दलितों का प्रतिनिधि मानते हैं, खुद को दलितों की आवाज़ बताते रहे हैं।

दरअसल, पिछले 5 वर्षों में कई मौकों पर उदित राज ने या तो अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा या फिर कुछ ऐसा बयान दिया, जिससे पार्टी की फजीहत हुई और कार्यकर्ताओं में भरम पैदा हुआ। यहाँ तक कि उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक के बयानों पर सार्वजनिक रूप से पलटवार किया। शत्रुघ्न सिन्हा भी भाजपा के ख़िलाफ़ सालों से बयान देते रहे लेकिन उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न कर के भाजपा ने उन्हें एक दायरे के भीतर सीमित कर दिया और टिकट से नदारद कर के पार्टी छोड़ने को मज़बूर कर दिया। इससे न तो उन्हें सहानुभूति को भुनाने का मौक़ा मिला और न ही जनता के बीच उनकी ज्यादा चर्चाएँ हुईं। उदित राज वाले मामले में भी भाजपा ने यही रणनीति अपनाई लेकिन थोड़ा संभल कर।

पिछले वर्ष जब ‘मी टू’ अभियान चल रहा था और महिलाओं द्वारा वर्षों पहले किसी पुरुष द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के राज़ खोले जा रहे थे, तब उदित राज ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने उस वक़्त कहा था कि पुरुष तो स्वभाव से ही ‘ऐसे’ होते हैं लेकिन महिलाओं को भी क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा था कि महिलाएँ 2-4 लाख रुपए लेकर ऐसे आरोप लगा रही हैं और एक के बाद एक पुरुष इसमें फँस रहे हैं। उस दौरान उनके इस बयान से भाजपा की ख़ासी फ़ज़ीहत हुई थी लेकिन दलित नेता होने कारण उनका ज़्यादा विरोध नहीं हुआ।

इसी तरह उन्होंने अपनी पार्टी की विचारधारा के ख़िलाफ़ जाकर अज़ीबोग़रीब बयान देते हुए कहा था कि प्रसिद्ध धावक युसेन बोल्ट ने बीफ खाने के कारण इतने ओलिंपिक मेडल्स जीते हैं। उदित राज ने कहा था कि ‘ग़रीब’ बोल्ट ने दिन में 2 बार बीफ का सेवन कर ओलंपिक में 9 मेडल्स अपने नाम किया। उदित राज आरक्षण बढ़ाने और प्राइवेट सेक्टर में दलितों को आरक्षण देने के लिए भी काफ़ी मुखर रहे हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने दावा किया था कि दलित मतदाता भाजपा को लेकर संशय में हैं। उन्होंने कहा था कि रोहित वेमुला की मृत्यु और गोरक्षक के मुद्दे को लेकर दलित कन्फ्यूज्ड हैं। सार्वजनिक रूप से पार्टी को लेकर इस तरह के बयान देने के कारण दिल्ली भाजपा के एक धड़े में उनके प्रति नाराज़गी थी।

क्रिकेट में आरक्षण और दलित मुद्दा घुसाकर भी उन्होंने कुछ ऐसा ही विवादित बयान दिया था। उस दौरान उन्हें पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली ने कड़ी डाँट पिलाई थी। उदित राज ने विनोद कांबली से कहा था कि उन्हें इस बात को स्वीकार करने से नहीं हिचकना चाहिए कि उन्हें दलित होने के कारण टीम इंडिया से निकाल बाहर किया गया था। इसके जवाब में विनोद कांबली ने उन्हें कहा था “मैं आपके किसी भी बयान का समर्थन नहीं करता। कृपया मेरा नाम लेने से बचें”। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उदित राज का मज़ाक बनाया था। लोगों ने उस दौरान उदित से कहा था कि अगर वो चुनाव भी हार जाते हैं तो यही कहेंगे कि उन्हें दलित होने के कारण जीत नहीं मिली। भाजपा लगातार इस तरह के बयानों से परेशान हो चुकी थी।

इसी तरह एक बार वो भाजपा के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ से भिड़ गए थे। योगी आदित्यनाथ ने जब भगवान हनुमान को दलितों से जोड़कर देखा था तब उदित ने उन पर निशाना साधते हुए सार्वजनिक रूप से कहा था, “हनुमानजी बन्दर हैं और योगी आदित्यनाथ के अनुसार, क्या दलित लोग बन्दर हैं?” भाजपा के एक बड़े नेता के बयान पर इस तरह के पलटवार से विरोधियों को भी मौक़ा मिल गया था। उदित राज ने केंद्र सरकार द्वारा कॉन्ट्रैक्ट पर की जाने वाली बहाली को आरक्षण के नियमों के विरुद्ध बताया था। हिन्दू से धर्मान्तरण कर बौद्ध बने उदित राज जजों की बहाली में आरक्षण की माँग करते हुए विरोध प्रदर्शन भी किया था। उन्होंने दलितों के बारे में तरह-तरह के बयान देकर पार्टी को असहज कर दिया था।

उन्होंने खुलेआम कहा था कि संविधान में अनुसूचित जाति एवं जनजाति को मिला आरक्षण ख़तरे में है। भाजपा को असहज करते हुए उन्होंने कहा था, “मैंने इस बात को बार-बार पार्टी फोरम पर उठाई है लेकिन मुझे अनसुना कर दिया गया।” उन्होंने आरक्षण को ख़तरे में बताते हुए बेरोज़गारी को लेकर सवाल खड़े किए थे। उनकी एक रैली में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के नारे लगे थे। इन कारणों से मीडिया को चर्चा का मुद्दा मिल जाता था और विपक्षी भी भाजपा पर निशाना साधते थे। उदित राज ने साफ़ कह दिया था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वो पार्टी छोड़ देंगे। इसके उलट महेश गिरी ने गौतम गंभीर के लिए तुरन्त ट्वीट किया, जैसे ही ख़बर आई की उनकी सीट पर गिरी की जगह गंभीर लड़ेंगे।

बड़बोले उदित राज ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “पार्टी क्यों नहीं टिकट दे रही? मैंने इतना अच्छा काम किया है। पार्टी क्या दलित विरोधी है? पूरे देश में मुझसे बड़ा दलित नेता कौन है। जितने इनके कैंडिडेट लड़ रहे हैं, उनके जितनी मेरे अकेले की ताकत है।” उदित राज ने बिना इन्तजार किए ऐसे-ऐसे तेवर दिखाने शुरू कर दिए, जिससे शायद ही उन्हें भाजपा में आगे तरजीह मिले। ख़ुद को टिकट न दिए जाने को उन्होंने दलितों के साथ धोखा भी बताया। उनके संसदीय क्षेत्र के कुछ मतदाताओं ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि उन्होंने पिछले 5 वर्षों में कभी अपने सांसद उदित राज की सूरत तक नहीं देखी, वो किस आधार पर अपने आप को सबसे अच्छा परफॉर्म करने वाला सांसद बता रहे हैं?

नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से BJP ने पंजाबी गायक हंस राज हंस को उतारा, देखें दिल्ली की पूरी लिस्ट

भारतीय जनता पार्टी ने अंततः दिल्ली की सारी सीटों के लिए उम्मीदारों के नामों की सूची घोषित कर दी है। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से पार्टी ने पंजाबी गायक व सूफी संगीत के लिए प्रसिद्ध हंस राज हंस को अपना उम्मीदवार बनाया है। हंस राज हंस ‘सिली-सिली हवा’, ‘दिल टोटे-टोटे’ और ‘नित खैर मँगा’ जैसे चार्टबस्टर गानों के लिए ख़ासे लोकप्रिय हैं। हंस राज हंस को संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री भी मिल चुका है। वाल्मीकि समुदाय से आने वाले हंस राज हंस दलित वाल्मीकि समुदाय से आते हैं। उन्हें टिकट देने के लिए भाजपा ने उदित राज का टिकट काटा है। उदित राज के टिकट कटने के पीछे कई वजहें थी। टिकट कटने के बाद उदित राज बग़ावत पर उत्तर आए हैं और लगातार धमकियाँ दे रहे हैं।

इसके साथ ही भाजपा, कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी, तीनों ने ही दिल्ली की सातों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की स्थिति साफ़ कर दी है। आइए देखते हैं दिल्ली की सातों सीटों के लिए किनके-किनके बीच मुक़ाबला है:

  • नई दिल्ली: मीनाक्षी लेखी (भाजपा), अजय माकन (कॉन्ग्रेस), बृजेश गोयल (आप)
  • चाँदनी चौक: डॉक्टर हर्षवर्धन (भाजपा), जेपी अग्रवाल (कॉन्ग्रेस), पंकज गुप्ता (आप)
  • नॉर्थ वेस्ट दिल्ली: हंस राज हंस (भाजपा), राजेश लिलोठिया (कॉन्ग्रेस), गुगन सिंह (आप)
  • नॉर्थ ईस्ट दिल्ली: मनोज तिवारी (भाजपा), शीला दीक्षित (कॉन्ग्रेस), दिलीप पांडेय (नॉर्थ ईस्ट दिल्ली)
  • वेस्ट दिल्ली: प्रवेश सिंह वर्मा (भाजपा), महाबल मिश्रा (कॉन्ग्रेस), बलबीर सिंह जाखड़ (आप)
  • ईस्ट दिल्ली: गौतम गंभीर (भाजपा), अरविंदर सिंह लवली (कॉन्ग्रेस), आतिशी (आप)
  • साउथ दिल्ली: रमेश बिधुरी (भाजपा), विजेंदर सिंह (कॉन्ग्रेस), राघव चड्डा (आप)

नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली से हंस राज हंस का मुक़ाबला कॉन्ग्रेस उम्मीदवार राजेश लिलोठिया से होगा। आम आदमी पार्टी से गठबंधन के विरोधी रहे लिलोठिया दिल्ली कॉन्ग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। आप से यहाँ गुगन सिंह लड़ रहे हैं जो 2017 में भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। जालंधर से ताल्लुक रखने वाले हंस राज हंस ने 2016 के अंत में भाजपा जॉइन की थी। उन्होंने कॉन्ग्रेस में शामिल होने के कुछ महीनों बाद ही उसे छोड़कर भाजपा जॉइन की थी। भाजपा में शामिल होने के बाद हंस राज हंस ने कहा था, “मेरी इमेज के हिसाब से जहाँ मेरी ड्यूटी लगाई जाएगी, वहाँ करूँगा। जहाँ मोदी जी हैं, कमजोरी नहीं हो सकती। वह बब्बर शेर हैं।

CM कमलनाथ के भतीजे की कंपनी पर आईटी रेड, पकड़ी गई ₹1350 करोड़ की कर चोरी

आयकर विभाग ने पिछले दिनों एनसीआर, भोपाल, इंदौर और गोवा में कई जगहों पर छापेमारी और सर्च ऑपरेशन किया था। इस दौरान ₹1350 करोड़ की कर चोरी पकड़ी गई। एएनआई के हवाले से आई खबर में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने खुलासा किया कि ये छापेमारी विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मिली खबर के बाद की गई थी, जिसमें इतने बड़े पैमाने पर धांधली के बारे में पता चला।

आपको बता दें कि कुछ हफ्ते पहले ही आयकर विभाग ने हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स नामक कंपनी के खिलाफ छापेमारी कई शहरों में की थी। बताया जाता है कि यह कंपनी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे के नाम पर है। सीबीडीटी ने आज खुलासा किया कि सोलर पावर पर काम करने वाली इस कंपनी के खिलाफ काफी पुख्ता जानकारियाँ और दस्तावेज पाए गए हैं। हालाँकि, सीबीडीटी ने किसी कंपनी या ग्रुप का नाम नहीं लिया है, सिर्फ ₹1350 करोड़ के टैक्स चोरी की जानकारी दी है।

गौरतलब है कि 7 अप्रैल को कमलनाथ के भतीजे राहुल पुरी की कंपनी हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ रेड डाले गए थे। पुरी के खिलाफ अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले में भी जाँच हो रही है। सीबीडीटी से मिली जानकारी के मुताबिक, इस दौरान गैर कानूनी तरीके से संपत्ति की खरीद के लिए ₹9 करोड़ के बेहिसाब भुगतान का पता चलने के साथ ही ₹3 करोड़ की बेहिसाब संपत्ति को जब्त किया गया है।

‘ढाई किलो के हाथ’ ने थामा कमल का साथ, विनोद खन्ना वाली सीट से लड़ सकते हैं चुनाव

बॉलीवुड कलाकार सनी देओल आज 23 अप्रैल 2019 को भाजपा में शामिल हो गए। मंगलवार को दिल्ली स्थित पार्टी हेडक्वार्टर में उनको पार्टी की सदस्यता दी गई। खबरों के मुताबिक पार्टी हेडक्वार्टर में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें पार्टी में शामिल होने की पर्ची दी। साथ ही गुलदस्ते के साथ उनका स्वागत किया।

इस मौक़े पर मौजूद रहे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कई सालों का पारिवारिक संबंध अब राजनीतिक संबंध बनने जा रहा है। उन्होंने कहा, “साल 2008 में धर्मेंद्र पार्टी के सांसद थे, अब उनके पुत्र सनी देओल भी जनता के बीच रहकर अपनी राजनीतिक छाप लोगों के बीच छोड़ेंगे।”

पीयूष गोयल ने सनी का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि जिस तरह उन्होंने फिल्मों के जरिए सुरक्षाबलों का उत्साह बढ़ाया है, उसी प्रकार वे राजनैतिक जीवन में भी अपनी पारी को आगे बढ़ाएँगे।

एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सनी देओल ने पार्टी में शामिल होने के दौरान कहा, “जिस तरह से मेरे पापा इस परिवार के साथ जुड़े थे, उन्होंने अटल जी के साथ काम किया, आज मैं मोदी जी के साथ जुड़ रहा हूँ, मैं मोदी जी से जुड़ने आया हूँ। आज मोदी जी ने जिस तरह से पाँच सालों में काम किया है, इसलिए मैं चाहता हूँ कि अगले पाँच साल तक मोदी जी ही पीएम रहें। क्योंकि हम विकास चाहते हैं। मैं इस परिवार की सेवा करूँगा। 

बता दें अभी दो दिन पहले सनी देओल और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई थी। दोनों के बीच बातचीत 5 मिनट तक चली। उसके बाद से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। चूँकि अब वे पार्टी की सदस्यता ले चुके हैं तो कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा उन्हें गुरदासपुर से प्रत्याशी बनाकर उतार सकती है।

VISTARA एयरलाइंस और जीडी बख्शी मामला: वामपंथी ट्रोलों के मुँह पर जोरदार तमाचा, घर पहुँच माँगी माफी

लिबरलों की ट्रोलिंग से परेशान होकर विस्तारा एयरलाइंस द्वारा रिटायर्ड मेजर जनरल बख्शी के अभिनंदन वाले ट्वीट को डिलीट करने के बाद एयरलाइन्स ने अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर उनसे माफी माँगने के लिए उनके घर भेजा।

दरअसल, विस्तारा ने 19 अप्रैल को ‘कारगिल वॉर के हीरो’ सेवानिवृत्त मेजर जनरल जीडी बख्शी की एक फोटो ट्विटर पर पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने भारत के युद्ध नायक मेजर जनरल जीडी बख्शी का अभिनन्दन किया था। मेजर जनरल बख्शी विस्तारा के हवाई जहाज से यात्रा कर रहे थे और एयरलाइन्स ने उनका स्वागत करते हुए एक ट्वीट किया था, “कारगिल युद्ध के नायक मेजर जनरल जीडी बख्शी (सेवानिवृत्त) का आज हमारे विमान से उड़ान भरना हमारे लिए सम्मान की बात है। देश की सेवा के लिए आपका धन्यवाद।”

विस्तारा द्वारा जीडी बख्शी के स्वागत में किया गया ट्वीट

एक युद्ध नायक का इतना सा सम्मान भी वाम-चरमपंथी ‘लिबरल’ धड़े के लिए असह्य हो गया, और उन्होंने बुरी तरह ट्रोल कर विस्तारा को अपमानित करना शुरू कर दिया। खुद को ‘समाज का पथ-प्रदर्शक’ कहने वाले पत्रकार भी आम ट्रोलों की आलोचना करने के बजाय एक सुर में गाते नजर आए। हर समय मॉब-लिंचिंग का खटराग छेड़ने वाले लोग देश के वीर सैनिक की ही सोशल-मॉब-लिंचिंग में शामिल होने कूद पड़े।

लगातार ट्रोलिंग और बहिष्कार की धमकी के बाद विस्तारा ने यह ट्वीट डिलीट कर दिया। इसके बाद कंपनी ने एक पोस्ट करते हुए लिखा कि विस्तारा नियमित तौर पर अपने कर्मचारियों के साथ यात्रियों की तस्वीरें शेयर करती रहती है। इसी सिलसिले में हाल में शेयर की गई एक तस्वीर पर काफी बहस हुई, जो सभी के लिए अपमानजनक थी। इसके आगे विस्तारा ने लिखा कि कंपनी नहीं चाहती कि इस प्लेटफॉर्म पर किसी का अपमान हो या फिर किसी को तकलीफ हो। इसलिए इस ट्वीट को हटाने का मकसद इस प्रकार की टिप्पणियों को डिलीट करना था।

विस्तारा द्वारा ट्वीट किए गए फोटो पर मेजर जनरल बख्शी के लिए जिस तरह की अपमानजनक टिप्पणियाँ की गईं थीं, उससे विस्तारा को भी बुरा लगा था, इसलिए कंपनी ने अपने दो सीनियर ऑफिसर्स को उनके घर भेजकर माफी माँगने का फैसला किया। मेजर जनरल बख्शी ने विस्तारा के इस कदम की सराहना की, और उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया कि यह सैनिक की भावनाओं के लिए एक सम्मानजनक कदम था। उन्होंने एक तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें वे एयरलाइन्स के मुख्य रणनीति और वाणिज्य अधिकारी संजीव कपूर और वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपा चड्ढा के साथ नजर आ रहे हैं। दीपा चड्ढा मानव संसाधन और कॉर्पोरेट मामलों को भी देखती हैं। इस तस्वीर को देखकर ये बात साफ हो जाती है कि कंपनी ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है, तभी तो कंपनी ने सीनियर अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर उनसे मिलने के लिए भेजा।

मेजर बख्शी ने अपने पोस्ट में लिखा कि वह यह देखकर बहुत खुश हैं कि भारत में एयरलाइंस ने अपने विमानों में सेवारत और सेवानिवृत्त सैनिकों को सम्मानित करके अपने अमेरिकी समकक्षों का अनुकरण करना शुरू कर दिया है। उन्होंने लिखा कि अमेरिकन देश की सेवा करने वाले सैनिकों का खुले दिल से स्वागत करते हैं और देश की रक्षा करने के लिए उनका धन्यवाद भी करते हैं। अब यही धारणा भारत में भी पकड़ बना रही है, जिससे कुछ तथाकथित वामपंथी उदारवादियों को परेशानी हो रही है। उन्होंने आगे लिखा कि वो लोग, संकुचित मानसिकता के लोग थे, जिन्होंने उनके खिलाफ तीखे और अपमानजनक ट्वीट किए और विस्तारा को बायकॉट करने की धमकी दी।

जनरल बख्शी लिखते हैं कि एयरलाइन्स को अपने बात पर अडिग रहना चाहिए था, मगर कंपनी ने वामपंथी ट्रोलों के दबाव में आकर, डर कर ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन अब कंपनी के अधिकारियों के यहाँ पर आकर व्यक्तिगत तौर पर मिलकर माफी माँगने के साथ ही ये बात यहीं पर खत्म हो जाती है। हालाँकि उन्होंने आगे कहा कि वो भारतीय सशस्त्र बलों से नफरत करने वालों के बारे में आश्वस्त नहीं हैं, जो अपनी आवाज को राष्ट्र की आवाज का रूप देकर अपनी बात मनवाने की कोशिश करते हैं। उनका कहना है कि इस तरह के लिबरल्स देश की जनता के नब्ज को नहीं समझते हैं और ना ही उनका जनता के विचार से कोई सरोकार है। उन्हें देश की जनता के भीतर की आवाज को सुनने की ज़रूरत है और साथ ही उस पर चिंतन करने की भी।

CJI यौन शोषण मामला: SC के वकीलों ने की निष्पक्ष जाँच की माँग, सभी 27 जज मुख्य न्यायाधीश के साथ खड़े

बीते शनिवार (अप्रैल 20, 2019) को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ न्यायालय की पूर्व कर्मचारी ने एक हलफनामा दर्ज कराया था। इसमें CJI रंजन गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगाया गया था। मामले के मद्देनजर रंजन गोगोई ने शनिवार को एक बैठक की थी। जिसमें उन्होंने अपने ऊपर लगे हुए इल्जामों को खारिज करते हुए न्यायपालिका को खतरे में बताया था।

अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो शीर्ष संस्थाओं ने रंजन गोगोई द्वारा खुद के ख़िलाफ़ लगे आरोपों से निपटने के तरीके को अनुचित ठहराया है। संगठन ने इसे “प्रक्रियात्मक असंगतता (procedural impropriety)” और प्रक्रिया का ‘उल्लंघन’ करार दिया है। सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने पीठ से चीफ जस्टिस पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जाँच के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।

एससीबीए (सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन) ने अपनी कार्यकारी समिति की इमरजेंसी बैठक के बाद मामले की जाँच को निष्पक्षता के साथ शुरू करने के लिए फुल कोर्ट से इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया और अन्य स्रोतों पर आरोपों के संबंध में उपलब्ध सभी सामग्रियों और तथ्यों को अगली बैठक में सुनवाई के लिए एक साथ देखने का आग्रह किया।

दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एससीबीए के सचिव विक्रांत यादव ने बताया कि कार्यकारी समिति का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा सीजेआई पर लगाए गए आरोपों की सुनवाई के लिए 20 अप्रैल को अपनाई गई प्रक्रिया, कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के साथ ही साथ स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।

वहीं एससीएओआरए (सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन) ने सोमवार(अप्रैल 22, 2019) को पारित प्रस्ताव में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों पर स्थापित प्रक्रिया के तहत सुनवाई होनी चाहिए और प्रत्येक मामले में समान रूप से कानून को लागू किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही एसोसिएशन ने आरोपों की निष्पक्ष जाँच के लिए फुल कोर्ट की अध्यक्षता में कमिटी गठन करने की माँग की है। वहीं दूसरी ओर न्यायालय के कर्मचारी कल्याण संगठन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का समर्थन किया है।

गौरतलब है कि इन दो शीर्ष संस्थाओं के अलावा मेधा पाटकर, अरुंधति रॉय, अरुणा रॉय सहित लगभग 33 हस्तियों ने एक बयान में भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों की जाँच के लिए एक उच्च स्तरीय स्वतंत्र समिति द्वारा एक स्वतंत्र जाँच की माँग की है।

वकीलों की माँग से उलट सुप्रीम कोर्ट के सभी 27 जज मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोप मामले में उनके साथ हैं। सुबह की चाय (जो सुप्रीम कोर्ट में जजों की हर दिन की अनौपचारिक मीटिंग होती है) पर सभी 27 जज मुख्य न्यायाधीश के पक्ष में खड़े दिखे। यह मीटिंग आज 15 मिनट देर तक चली और 10:30 पर शुरू होने वाली हियरिंग भी इसी वजह से 10:45 पर शुरू हुई।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रंजन गोगोई ने सोमवार को हुई एक बैठक के बाद न्यायाधीश एस ए बोबडे को इस मामले में अगला कदम लेने के लिए कहा है। बता दें कि चीफ जस्टिस पर लगे इस आरोप के बाद अन्य जजों ने अपने आवासीय दफ्तरों में पुरुष कर्मचारियों की तैनाती की माँग की है। गौरतलब है कि सोमवार को हुई जजों से मुलाकात में उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत कराया था। जिसके बाद अन्य जजों ने उनके साथ मज़बूती से खड़े रहने पर सहमति जताई थी।

सोमवार को यह बैठक लगभग 20 मिनट तक चली। रंजन गोगोई की मानें तो इस दौरान कई जजों ने उनके आवासीय दफ्तरों में सिर्फ पुरूष कर्मियों की तैनाती का आग्रह किया, जिससे ऐसी स्थिति से बचा जा सके। इस दौरान चीफ़ जस्टिस ने यह भी कहा कि पुरुष कर्मियों की माँग पूरी करना मुश्किल है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में 60 फीसदी महिला स्टाफ हैं।

रहमत अली ने दलित किशोरी से 2 बार की अश्लील हरकत: मुस्लिम गुंडों ने तोड़ी अम्बेदकर मूर्ति, महिलाओं को पीटा

उत्तर प्रदेश के देवरिया से बड़ी ख़बर सामने आई है। जनपद स्थित गौरीबाजार थाना क्षेत्र के करजवाँ महुअवाँ दलित बस्ती में मुस्लिम दबंगों ने जम कर उत्पात मचाया। दरअसल, मामला शुरू हुआ रहमत अली द्वारा दलितों के घर में घुसकर लड़की से छेड़छाड़ करने पर। जब दलितों ने इस बात की शिकायत पुलिस से की तो मुस्लिम दबंगों ने गुस्से में दलित बस्ती में घुसकर न सिर्फ़ पीड़िता के परिवार वालों की पिटाई की बल्कि वहाँ लगी अम्बेदकर की मूर्ति को भी तोड़-ताड़ दिया। घटना के बाद दलित महिलाओं में भय का माहौल है। पूछने पर महिलाएँ रो पड़ती हैं। डरी, सहमी और बदहवास महिलाओं ने पुलिस पर ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है। घर में बदहवास बैठी महिलाएँ किसी अनहोनी की आशंका से अभी भी घबराई हुई हैं।

अमर उजाला के स्थानीय संस्करण में छपी ख़बर

रहमत अली द्वारा लड़की से दुर्व्यवहार करने का जब विरोध किया गया तो वो शमशेर, इशराद, नौशाद, अताउल, फ़ैसल, जहाँगीर समेत अपने दर्जन भर गुंडे साथियों के साथ वापस दलित बस्ती में पहुँचा और तांडव मचाया। ‘समुदाय विशेष’ के गुंडों द्वारा खुलेआम तलवारें लहराई गईं, जिसके कारण बच्चों में अभी तक भय व्याप्त है। दलितों का कहना है कि छेड़खानी के अगले ही दिन पुलिस से मामले की शिकायत की गई थी। अगर समय रहते पुलिस सक्रिय हो जाती तो गुंडों की इतनी हिम्मत नहीं होती। घटना के बाद पीड़ितों ने थाने पहुँच कर विरोध प्रदर्शन किया। गाँव में तनाव का माहौल है।

दरअसल, रहमत अली ने 2 बार किशोरी से छेड़खानी की। जब वो पहली बार उसके घर में घुसा तो रात का समय था। किशोरी द्वारा शोर मचाए जाने के बाद घरवालों की नींद खुली, जिसके बाद रहमत भाग खड़ा हुआ। गुरुवार (अप्रैल 18, 2019) की इस घटना के बाद शुक्रवार को रहमत अली फिर से उक्त किशोरी के घर में घुस गया।परिवार के लोगों द्वारा दौड़ाए जाने के बाद वो भाग खड़ा हुआ। इसके बाद बौखलाए रहमत ने लाठी-डंडे और तलवारों से लैस होकर बस्ती में साथियों सहित पहुँच कर कहर बरपाया। गुंडों ने दिव्यांग तक को नहीं बख्शा। किशोरी की माँ को भी घायल कर दिया गया। पीड़िता के सीने पर ईंट से वार किया गया, जिसके कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

मुस्लिम दबंगों द्वारा किए गए इस हमले में 20 दलितों के घायल होने की सूचना है। उपद्रवी फ़रार हैं। अभी तक सिर्फ़ एक आरोपित रहमत अली की गिरफ़्तारी की सूचना है। ग्रामीणों की माँग है कि पहले सभी आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और उसके बाद बाबासाहब अम्बेदकर की प्रतिमा की अच्छी तरह मरम्मत कराई जाए। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस घटना का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह से किसी के घर में घुसकर शर्मनाक हरकत करने का किसी को भी अधिकार नहीं है। उन्होंने प्रशासन को निष्पक्ष जाँच एवं कार्रवाई के लिए कहा है।

दैनिक जागरण के देवरिया संस्करण में छपी पीड़ितों की दास्तान

एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि पुलिस के सामने ही अम्बेदकर की प्रतिमा तोड़ी गई। जब मुस्लिम दबंग डाली बस्ती में हंगामा मचा रहे थे, तभी पुलिस को सूचना दे दी गई थी और पुलिस मौके पर पहुँच भी गई थी। लेकिन गुंडों ने मूकदर्शक बनी पुलिस के सामने ही बाबासाहब भीमराव अम्बेदकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। एक दलित महिला के हाथ पर तलवार से प्रहार भी किया गया।