Monday, September 30, 2024
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बंगाल: वोटिंग से पहले BJP कार्यकर्ता पर बम से हमला, तृणमूल के गुंडो पर शक की सुई

पश्चिम बंगाल में सोमावार (अप्रैल 22, 2019) को इटाहर विधानसभा क्षेत्र के चाकला में मतदान से कुछ घंटों पहले बम से हमले की घटना सामने आई है। इस हमले में 2 लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर है।

प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक घायलों को रायगंज जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है। सुबह 7 बजे क्षेत्र में मतदान शुरू होने से पूर्व इस घटना के कारण स्थानीय लोगों में डर का माहौल बन गया है।

बम हमले की खबर सुनते ही घटनास्थल पर बड़ी संख्या में ईटाहर थाना पुलिस के साथ केंद्रीय बल भी पहुँचे। अस्पताल में भर्ती हुए दो घायलों में से एक ने अपना नाम लालन चौधरी बताते हुए खुद को भाजपा का कार्यकर्ता बताया है।

लालन की मानें तो उन पर यह हमला बाजार से लौटने के दौरान हुआ। एक ओर जहाँ इस हमले का आरोप तृणमूल के बदमाशों पर लगाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर तृणमूल इस घटना में अपना हाथ होने से इनकार कर रही है।

गौरतलब है कि चुनावों के चलते भाजपा के कार्यकर्ताओं पर होती हिंसा दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। पश्चिम बंगाल में तो TMC का राजनीतिक दुश्मनी भरा व्यवहार आम हो गया है। 11 अप्रैल को सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान भी पश्चिम बंगाल में हिंसा की कई घटनाएँ दर्ज की गईं थी।

BJD के ‘गुंडा’ विधायक ने छापा मारने आई EC की टीम पर किया हमला, समर्थकों से पिटवाया – हुए गिरफ़्तार

ओडिशा में सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल के विधायक प्रदीप महारथी ने अपने ठिकानों पर छापा मारने आई चुनाव आयोग की टीम पर समर्थकों सहित हमला बोल दिया। दरअसल, मेजिस्ट्रेट के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग की टीम विधायक के ठिकानों पर छापा मारने आई थी। टीम विधायक के फ़ार्म हाउस पर छापेमारी करने गई थी। पिपिल विधायक महारथी ने छापा मारने आई फ्लाइंग स्क्वाड टीम पर अपने समर्थकों सहित धावा बोल दिया, जिसमें मजिस्ट्रेट को भी चोट पहुँची और वो घायल हो गए। प्रदीप महारथी बीजद सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और इस चुनाव में पिपिल विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार भी हैं। ताज़ा सूचना के अनुसार, पूर्व मंत्री महारथी को गिरफ़्तार कर लिया गया है।

मामले की छानबीन के लिए उन्हें पूछ्ताछ हेतु थाना बुलाया गया, जहाँ उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। घायल मजिस्ट्रेट रवि नारायण पात्रा सहित अन्य कर्मचारियों को इलाज के लिए भुवनेश्वर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस मामले में अधिक जानकारी देते हुए मजिस्ट्रेट पात्रा ने कहा:

“मुझे महारथी के फार्म हाउस पर शराब और पैसे बाँटे जाने की सूचना मिली थी। इसके बाद मैं स्टेटिक सर्विलांस टीम के अधिकारियों को लेकर छानबीन करने के लिए विधायक के फार्म हाउस पर गया। जैसे ही हम सब वहाँ पहुँचे, वहाँ पहले से ही मौजूद विधायत महारथी ने पहले तो हमसे अपशब्द कहे, फिर मेरे और मेरे टीम पर समर्थकों सहित हमला बोल दिया।”

फ़्लाइंग टीम के सदस्यों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। पिपिल विधानसभा क्षेत्र पुरी के अंतर्गत आता है। पुरी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा चुनाव लड़ रहे हैं। ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रदीप महारथी को गुंडा बताते हुए कहा कि उन्होंने अब सारी हदें पार कर दी हैं। प्रधान ने प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर गुंडा निरोध क़ानून लाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी गुंडों को सलाख़ों के पीछे पहुँचाया जाएगा। धर्मेंद्र प्रधान ने महारथी को बलात्कारियों का रक्षक भी कहा।

विधायक की गिरफ़्तारी के लिए संबित पात्रा, बसंत पांडा और समीर मोहंती के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयोग से मुलाक़ात की। पुरी के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पुलिस अन्य आरोपितों की गिरफ़्तारी के लिए भी लगातार प्रयास कर रही है।

श्री लंका में बढ़ रहा पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का प्रभाव, भारत ने कई बार किया था आगाह

श्री लंका में हुए बम धमकों में वहाँ के चर्चों को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया और इसमें 300 के क़रीब लोगों की जानें गईं। इन वीभत्स हमलों में 500 से भी अधिक लोग अभी भी घायल हैं और कुछ गिरफ्तारियाँ भी हुई हैं। दूसरी तरफ़ लगातार सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन ने उचित सतर्कता नहीं बरती या फिर इंटेलिजेंस इनपुट की तरफ़ ठीक से ध्यान नहीं दिया गया? प्रारंभिक जाँच में इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकी संगठन का हाथ सामने आ रहा है और ये दिखाता है कि श्री लंका में भी वैश्विक आतंकी संगठन आईएस अपना पाँव पसार रहा है। अब ख़बर आई है कि भारत ने श्री लंका को ऐसे किसी संभावित हमले की आशंका को लेकर पहले ही आगाह किया था। भारत ने श्री लंका को कई बार आगाह करते हुए कहा था कि नेशनल तौहीद जमात से जुड़े कई लोग पाकिस्तान में सक्रिय हैं।

भारत ने श्री लंका को आगाह किया था कि राष्ट्र का पूर्वी प्रदेश लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूँखार पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के लिए एक ऑपरेशनल जोन बनता जा रहा है। इस्लामिक कट्टरपंथ और जिहाद के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी भारत ने श्री लंका को चेतावनी दी थी। लश्कर के चैरिटी समूह फलाह-ए-इंसानियत ने 2016 में ही दावा किया था कि अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया और श्री लंका सहित कई देशों में उसकी उपस्थिति है। लश्कर के एक अन्य चैरिटी विंग इदारा ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ के भी यहाँ तौहीद के साथ मिलकर काम करने की बात सामने आई थी। 2004 में श्री लंका और मालदीव में सुनामी आने के बाद ये संगठन बचाव कार्यों में काफ़ी सक्रिय रहा था और उसके बाद इसने धीरे-धीरे वहाँ पैठ बनानी शुरू कर दी।

लश्कर लगातार भारत को चारों ओर से घेरने की कोशिश में पड़ोसी देशों में अपना आधार मज़बूत करने के लिए बेस कैम्प बनाता रहा है। श्री लंका में भी उसने ऐसा ही किया। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लश्कर के इन प्रयासों से स्थानीय आतंकी संगठन तोहीद को मदद मिली हो। तोहीद द्वारा तमिलनाडु में भी कट्टरपंथी अभियान चलाए जाने की सूचना है। भारत ने 4 अप्रैल को भी ऐसे किसी संभावित हमले को लेकर श्री लंका को आगाह किया था लेकिन द्वीपीय देश ने भारत की चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया। श्री लंकाई विशेषज्ञ अमरनाथ अमरसिंगम ने अंदेशा जताया है कि ये हमला स्थानीय संगठन द्वारा बिना किसी बाहरी मदद के किया गया लगता है।

आपको बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा और श्री लंका को सालों तक सिविल वॉर में घेरे रखने वाले लिट्टे के बीच 1992 से ही सम्बन्ध स्थापित हो गए थे। उस दौरान लिट्टे ने कुछ मुस्लिम कट्टरवादियों को हथियारों की सप्लाई की थी। इसमें से कुछ हथियार अभी भी मौजूद हैं। चेन्नई में अमेरिकी उच्चायोग को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे आतंकी साकिर हुसैन को गिरफ़्तार किया गया। आईएसआई एजेंट साकिर कोलंबो में पाकिस्तानी विदेश सेवा के अधिकारी आमिर सिद्दीकी के कहने से काम करता था। अब तक दर्जनों श्री लंकाई युवाओं द्वारा आईएस जॉइन करने की ख़बर आ चुकी हैं। मालदीव के भी 50 से भी अधिक युवाओं को पाकिस्तानी आतंकी कैम्पों में प्रशिक्षित किया जा रहा है, ऐसा वहाँ की एजेंसियों ने सूचना दी है।

राजनीति में ओपनिंग के लिए तैयार गौतम गंभीर, ईस्ट दिल्ली से BJP के टिकट पर इनसे होगा मुकाबला

भाजपा ने नई दिल्ली से पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज़ गौतम गंभीर को टिकट दिया है। भारतीय क्रिकेट जगत में नाम कमाने वाले गौतम गंभीर का मुक़ाबला यहाँ कॉन्ग्रेस प्रत्याशी और दिल्ली कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे अरविंदर सिंह लवली से होगा। कॉन्ग्रेस-आप गठबंधन के फाइनल न होने के बाद आज कॉन्ग्रेस ने भी दिल्ली की 6 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पिछली बार इस सीट से महेश गिरी ने जीत दर्ज की थी। इस बार उनकी जगह गंभीर ताल ठोकेंगे। वहीं नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी को टिकट दिया गया है। उनका मुक़ाबला दिल्ली कॉन्ग्रेस के एक और पूर्व अध्यक्ष अजय माकन से होगा। गौतम गंभीर और अजय माकन के नाम का ऐलान आज सोमवार (अप्रैल 22, 2019) को देर शाम किया गया।

गौतम गंभीर और मीनाक्षी लेखी के नाम की घोषणा

आज कॉन्ग्रेस ने ईस्ट दिल्ली से अरविंदर सिंह लवली के नाम की घोषणा की। दिल्ली कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे अरविंदर सिंह लवली शीला दीक्षित की कैबिनेट में कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। बीच में उन्होंने कॉन्ग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे लकिन अब वो फिर से अपनी पुरानी पार्टी कॉन्ग्रेस में लौटे हैं और इनाम स्वरूप उन्हें लोकसभा टिकट थमाया गया है। अब गौतम गंभीर और लवली के बीच कड़ा मुक़ाबला होगा।

कल रविवार को भाजपा ने दिल्ली की अन्य 4 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी। चाँदनी चौक से 2014 के आम चुनाव में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को हराने वाले डॉक्टर हर्षवर्धन का टिकट बरकरार रखा गया है। भाजपा ने एक बार फिर उनकी साफ़-सुथरी छवि और सौम्य व्यक्तित्व के आधार पर इस सीट को जीतने की उम्मीद लगाई है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी नार्थ-ईस्ट दिल्ली से चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर पूर्वांचलवासियों की अच्छी-ख़ासी तादाद है और पूर्वांचल के लोगों के बीच लोकप्रिय भोजपुरी गायक-अभिनेता के लिए ये सुरक्षित सीट मानी जा रही है।

वेस्ट दिल्ली से वर्तमान सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा पर ही भरोसा जताया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा ने पिछले आम चुनाव में रिकॉर्ड 2,68,586 वोटों से जीत दर्ज की थी। ये दिल्ली आम चुनाव में जीत का सबसे बड़ा अंतर था। प्रवेश ने इसका श्रेय अपने पिता द्वारा किए गए कार्यों और मोदी लहर को दिया था। साउथ दिल्ली से वर्तमान सांसद रमेश बिधूड़ी को टिकट दिया गया है। अभी एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी ने उन पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया था। पार्टी ने बिधूड़ी का रिपोर्ट कार्ड जारी कर उन पर कई आरोप लगाए थे।

दिल्ली की सात में से 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भाजपा और कॉन्ग्रेस ने कर दी है। अब देखना यह है कि 2014 में सातों सीटों पर जीत चुकी भाजपा इस बार अपना किला बचाने में कामयाब होती है या नहीं।

तीसरा चरण: कहीं चाचा-भतीजा की लड़ाई, कहीं सबरीमाला का मुद्दा, कहीं 3 यादवों की ज़ंग

लोकसभा के तीसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है। अब गेंद पूरी तरह से जनता के पाले में है। तीसरे चरण में 14 राज्यों की 116 सीटों पर मतदान होना है। इसमें चुनावी रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश की 10 सीटें भी शामिल हैं। जहाँ इस चुनाव में एक तरफ़ समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा का सवाल है, वहीं दूसरी तरफ़ कर्णाटक-महाराष्ट्र में भाजपा की गढ़ बचाने की चुनौती है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की किस्मत का फ़ैसला भी इसी चुनाव में होगा। आइए एक नज़र डालते हैं इस चुनाव में हिस्सा ले रहे दिग्गज उम्मीदवारों का, जिसकी किस्मत का फैसला जनता को कल मंगलवार (अप्रैल 23, 2019) को करना है।

गाँधीनगर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह

गाँधीनगर से भाजपा अध्यक्ष इस बार ख़ुद चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की पारम्परिक सीट रही गाँधीनगर से पूर्व भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण अडवाणी जीतते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी भी यहाँ से जीत दर्ज कर चुके हैं। अगर अमित शाह को यहाँ से जीत मिलती है तो वो तीसरे ऐसे सांसद होंगे, जो भाजपा अध्यक्ष भी रहे। हालाँकि अमित शाह नामांकन के बाद से सिर्फ़ 2 बार ही गाँधीनगर जा पाए हैं लेकिन वहाँ उनके प्रचार अभियान का संचालन एक विश्वस्त टीम कर रही है। अमित शाह की लड़ाई गाँधीनगर से दो बार विधायक रहे सीजे चावड़ा से है। जब अडवाणी 2009 में भारत भर में प्रचार में व्यस्त थे, गाँधीनगर में उनके प्रचार अभियान की ज़िम्मेदारी शाह ने ही संभाली थी।

मैनपुरी से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव

मैनपुरी सपा के प्रमुख परिवार की पारम्परिक सीट रही है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से पहली बार 1996 में चुनाव लड़ा था। उसके बाद से अभी तक इस सीट पर सपा का ही कब्ज़ा रहा है। पिछले चुनाव में भी मुलायम ने यहाँ से जीत दर्ज की थी लेकिन दो सीटों से चुनाव लड़ने के कारण उन्हें ये सीट छोड़नी पड़ी थी। उपचुनाव में तेज प्रताप सिंह यादव ने जीत दर्ज की। वो मुलायम के बड़े भाई के पोते हैं और लालू यादव के दामाद हैं। मुलायम 2004 और 2009 में भी यहाँ से जीत दर्ज कर चुके हैं। 28 वर्ष की उम्र में 1967 में वे पहली बार विधायक यहीं की सीट (जसवंतनगर) से बने थे। उनका मुक़ाबला इस बार भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य से होना है।

रोम पोप का, मधेपुरा गोप का

बिहार की मधेपुरा सीट पर भी इस बार रोचक लड़ाई है। दिग्गज नेता पप्पू यादव की किस्मत का भी कल फ़ैसला होना है। यहाँ से 4 बार सांसद रहे शरद यादव ने कभी इस सीट पर लालू यादव को हरा दिया था। पप्पू यादव इस सीट से शरद यादव को हरा चुके हैं। पिछले 40 वर्षों से इस सीट पर किसी न किसी यादव का ही कब्ज़ा रहा है। इस बार महागठबंधन में स्थान पाने में असफल रहे पप्पू यादव अपनी जन अधिकार पार्टी से मैदान में हैं। उनका मुक़ाबला राजद के सिंबल पर लड़ रहे पूर्व जदयू अध्यक्ष शरद यादव और जदयू के दिनेश चंद्र यादव से होगा। बिहार में मंत्री रह चुके दिनेश के लिए ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार किया है।

फ़िरोज़ाबाद में चाचा-भतीजा की लड़ाई

फ़िरोज़ाबाद सीट से इस बार शिवपाल सिंह यादव और उनके भतीजे अक्षय यादव में लड़ाई है। अक्षय रामगोपाल यादव के पुत्र हैं। भाजपा नेता डॉ चंद्रसेन जादौन के कारण त्रिकोणीय बने इस मुक़ाबले को लेकर ख़ुद मुलायम सिंह यादव ख़ामोश हैं। सपा के कई नेताओं को अपने पाले में कर के शिवपाल ने अपने भतीजे के लिए ऐसा चक्रव्यूह रच दिया है, जिससे वो बहार नहीं निकल पा रहे। हालाँकि, अक्षय को 2014 में इस सीट से जीत मिली थी लेकिन जो नेता उस वक़्त अक्षय के साथ थे, वो अब शिवपाल के लिए प्रचार कर रहे हैं। माया-अखिलेश-चौधरी अजीत की साझा रैली के बावजूद यहाँ शिवपाल डटे हुए हैं। चाचा-भतीजे की इस लड़ाई में भाजपा की जीत के लिए शाह और योगी ने यहाँ रैलियाँ भी कीं। यही वो सीट है जहाँ से कभी राज बब्बर ने डिंपल यादव को हरा दिया था।

शशि थरूर के ख़िलाफ़ इस बार मज़बूत उम्मीदवार

कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर के ख़िलाफ़ इस बार भाजपा ने केरल में पार्टी के अध्यक्ष रहे पुराने संघी कुमानम राजशेखरन को उतारा है। राजशेखरन ने मिजोरम के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव में कूदने का फ़ैसला लिया है। स्थानीय ओपिनियन पोल्स में राजशेखरन को बढ़त मिलती दिख रही है। पिछले 2 चुनावों से यहाँ से जीत रहे थरूर को पहली बार कड़ी चुनौती मिल रही है। पिछले चुनाव में अंतिम राउंड में थरूर को जीत तो मिल गई थी लेकिन उनका मत प्रतिशत अच्छा-ख़ासा गिरा था। सबरीमाला के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे अनुभवी राजशेखरन कॉन्ग्रेस और लेफ्ट के विकल्प के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं। जहाँ 2009 में थरूर की जीत का अंतर क़रीब 1 लाख था, 2014 में यह घटकर सिर्फ़ 15,000 रह गया था।

उपर्युक्त उम्मीदवारों के अलावा पुरी से संबित पात्रा, अनंतनाग से महबूबा मुफ़्ती, पीलीभीत से वरुण गाँधी और पश्चिम बंगाल में पूर्व राष्ट्रपति के पुत्र अभिजीत मुख़र्जी के भाग्य का भी फ़ैसला होना है।

केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा से ₹2 करोड़ का ब्लैकमेल, मीडिया में काम कर चुकी लड़की गिरफ्तार

लोकसभा निर्वाचन के तीसरे चरण के ठीक पहले केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महेश शर्मा को ब्लैकमेल कर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश का मामला सामने आया है। मंत्री की कुछ व्यक्तियों के साथ निजी बातचीत को सार्वजनिक करने की धमकी दे उनसे ₹2 करोड़ की राशि माँगी गई थी।

पुलिस को दी सूचना, बिछा जाल

समाचार पत्र दैनिक जागरण के पोर्टल के अनुसार महेश शर्मा ने लड़की के धमकी भरे पत्र की तहरीर गौतम बुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण को दी। सोमवार को ₹45 लाख की किश्त लेने जब लड़की कैलाश अस्पताल पहुँची तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

चुनाव से पहले की बातचीत, मीडिया में काम कर चुकी है लड़की

अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार गिरफ्तार लड़की मीडिया में काम कर चुकी है। यही नहीं, साजिश में कुल 6-7 लोगों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है, जिनमें एक किसी निजी चैनल का मालिक भी हो सकता है। हिंदी दैनिक अमर उजाला ने यह भी दावा किया है कि यह गैंग पहले भी कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है।

बातचीत किस बारे में थी, यह तो पता नहीं चला है पर मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत चुनावों के पहले की है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता माने जाते हैं महेश शर्मा

महेश शर्मा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का कद्दावर चेहरा माना जाता है। मंत्री बनने के पहले भी वह नोएडा के विधायक रह चुके हैं। इस बार वह पुनः निर्वाचित होने के लिए उम्मीदवार हैं। 2009 में पहला चुनाव गौतमबुद्ध नगर लोकसभा का लड़ने वाले महेश शर्मा 2012 में पहली बार नोएडा से विधायक निर्वाचित हुए, और 2014 में सांसद व मंत्री बने।

FT संपादक ने किया आजम खान के बेहूदा बयान का समर्थन, दक्षिणपंथी पत्रकार ने लताड़ा

जहाँ आजम खान के जयाप्रदा पर दिए गए अश्लील बयान की पूरे देश में आलोचना हो रही है, वहीं एक विदेशी पत्रकार ने इसका समर्थन करने की कोशिश की है। फाइनेंशियल टाइम्स के संपादक लायोनेल बार्बर ने आजम खान के वक्तव्य को “कोई बुरा कथन नहीं” कहकर उसे हल्का करने की कोशिश की है।

भारत के निर्वाचन दौरे के दौरान किया लज्जाजनक बचाव

लायोनेल बार्बर अपने समाचारपत्र फाइनेंशियल टाइम्स की ओर से भारत के आम चुनावों को कवर कर रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के बीच अमेठी के चुनावी मुकाबले के बारे में लिखते हुए उन्होंने प्रदेश के अपने अनुभव साझा किए। इसी दौरान अपने एक दौरे पर, जिसमें वह खुद आजम खान के मेहमान थे, लिखते हुए उन्होंने जयाप्रदा पर आजम की टिप्पणी का उल्लेख किया और लिखा, “Not a bad line, though Khan was temporarily banned for it।(अनुवाद: कोई बुरा कथन नहीं है, हालाँकि इसके लिए खान पर अस्थाई प्रतिबंध लगा दिया गया।”)

सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया

बार्बर के इस कथन को सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादी धड़ों ने आड़े हाथों लिया। नवम कैपिटल के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक राजीव मंत्री ने ट्विटर पर लिखा:

उन्हें रीट्वीट करते हुए प्रख्यात पत्रकार और स्तंभकार शेफ़ाली वैद्य ने बार्बर को आड़े हाथों लिया, और उनके दोहरे मापदंडों को उजागर करते हुए उनसे पूछा कि अगर जयाप्रदा पर आजम खान की बातें बुरी नहीं हैं तो ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे की आलोचना करने वाला नारीद्वेषी कैसे हो जाता है?

RaGa के सिर फिर चढ़ी ‘गर्मी’ कहा, ‘कमलछाप चौकीदार…’ – लोगों ने कमजोरी-कबूतर शब्द फेंक कर मारा

चुनावी दौर के बीच सियासी घमासान की रफ़्तार ज़ोरों पर है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपने ट्विटर हैंडल से पीएम मोदी के ख़िलाफ़ फिर से निशाना साधा है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि 23 मई को जनता की अदालत में फैसला होकर रहेगा कि कमलछाप चौकीदार ही चोर है। साथ ही चौकीदार को सज़ा मिलेगी जैसी बात भी लिखी।

‘चौकीदार चोर है’ की टिप्पणी के लिए 10 अप्रैल को भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गाँधी को नोटिस जारी कर 22 अप्रैल तक जवाब देने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में राहुल गाँधी ने आज जो हलफ़नामा दाखिल किया उसमें उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए चुनावी जोश यानी चुनावी गर्मी को इसका कारण बताया। राहुल ने अपने हलफ़नामे में यह भी स्पष्ट किया वो भविष्य में कोर्ट का हवाला देकर ऐसा कुछ नहीं कहेंगे जो कोर्ट ने न कहा हो।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का यह चेहरा समझ से परे है, वो स्वांग रचने में माहिर हैं। एक तरफ तो कोर्ट में वो अपनी ग़लती के लिए हाथ जोड़कर माफ़ी माँगने का स्वांग रचते दिखते हैं, तो दूसरे ही पल कोर्ट से बाहर आते ही फिर से अपना वही हमलावर रुख़ अख़्तियार करते हैं। अपने माफ़ीनामे के बाद भी आदतन पीएम मोदी को आड़े हाथों लेना उनकी कुंठित मानसिकता और हताशा को दर्शाता है।

जनता को बरगलाने के लिए राहुल गाँधी जिन ज़ुबानी अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल करते हैं वो सब धरे के धरे ही रह जाते हैं, जब सोशल मीडिया पर यूज़र्स उन्हें आईना दिखाते हैं।

एक यूज़र ने तो यह तक लिख दिया कि राहुल जी, अब आपके पास बोलने को बचा क्या है?

एक अन्य यूज़र ने अपने ट्वीट में लिखा कि कमलछाप का तो पता नहीं लेकिन 281 करोड़ रुपए वाला कमलनाथ जरूर चोर है, और जिसको 20 करोड़ रुपए पहुँचे वो भी !!!

राहुल गाँधी अगर चाहें भी तो भी वो पीएम मोदी को बेवजह घेरने से बाज नहीं आएँगे। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उनके पास कोई दूसरा चारा या बहाना ही नहीं है जिसके दम पर वो अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंक सकें। अब वो इसे अगर चुनावी गर्मी का नाम देना चाहते हैं तो यह उनका भ्रम है, जिसमें वो बने रहना चाहते हैं।

दिग्विजय ने युवक से ₹15 लाख को लेकर पूछा सवाल, जवाब सुनकर भरी सभा में हुई किरकिरी

दिग्विजय सिंह का एक वीडियो ख़ूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दिग्विजय सिंह रैली के मंच से भाषण देते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए दिग्विजय सिंह ने लोगों से पूछा कि क्या उनके खातों में 15 लाख रुपए आ गए? मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सभा में से एक युवक को बुलाकर पूछा की क्या उसके खाते में 15 लाख रुपए आ गए हैं? युवक ने मंच पर आकर दिग्विजय की बोलती बंद कर दी। युवक ने मंच पर पहुँच कर सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र करते हुए कहा ‘मोदीजी ने आतंकवादियों को मारा।‘ नीचे दिए गए वीडियो में आप देख सकते हैं कैसे युवक ने दिग्विजय को मुँहतोड़ जवाब दिया।

युवक का इतना कहना था कि मंच पर उपस्थित कॉन्ग्रेस नेताओं ने माइक को युवक से अलग कर दिया। फिर उन्होंने युवक को मंच से नीचे उतार दिया। दिग्विजय ने इसके बाद अपना भाषण फिर से चालू किया। विपक्षी नेताओं के भाषण में उपस्थित लोगों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करना अब आम बात होती जा रही है। आज सोमवार (अप्रैल 22, 2019) को ही तेजस्वी यादव की रैली में उपस्थित कई लोगों ने न सिर्फ़ मोदी-मोदी के नारे लगाए बल्कि कहा कि वे तो तेजस्वी की सभा में हैलीकॉप्टर देखने आते हैं। इसका भी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की रैली में भी लोग मोदी की प्रशंसा कर चुके हैं।

दिग्विजय सिंह का उक्त वीडियो भोपाल की रैली का है। भोपाल में भाजपा ने दिग्विजय के ख़िलाफ़ साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उतारकर चुनावी माहौल गरमा दिया है। 71 वर्षीय दिग्विजय ने साध्वी प्रज्ञा का भोपाल में स्वागत करते हुए एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें उन्होंने माँ नर्मदा का जिक्र किया। साध्वी प्रज्ञा ने कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा उन पर लगाए गए आतंकवाद के दाग को मुद्दा बनाया है और लोगों की सहानुभूति भी उनकी तरफ़ दिख रही है। 9 वर्षों तक जेल में रहीं साध्वी ने अपने ऊपर किए गए अत्याचारों को चुनावी मुद्दा बनाया है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनका खुला समर्थन किया और कहा कि कॉन्ग्रेस विरोधियों को फँसाने के लिए मनगढंत चार्ज लगाती है।

मध्य प्रदेश में साध्वी बनाम दिग्विजय मुक़ाबले के लिए दोनों पार्टियों ने कमर कस ली है। जब साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय को ‘भगवा आतंकवाद’ का सूत्रधार बताया तो दिग्विजय ने पलटवार करते हुए कहा कि ‘हिन्दू आतंकवाद’ शब्द उन्होंने नहीं गढ़ा है। नामांकन भरने के बाद दिग्विजय ने कहा कि उनकी डिक्शनरी में हिंदुत्व शब्द है ही नहीं। साध्वी प्रज्ञा साफ़ कर चुकी हैं कि उन्हें आध्यात्मिक जीवन पसंद है लेकिन वो सिर्फ़ और सिर्फ़ भगवा आतंकवाद जैसे शब्द गढ़ने वालों को हराने के लिए ही राजनीति में आई हैं। दिग्विजय ने भी अब अपने ट्वीट्स में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और सनातन धर्म की बातें करनी शुरू कर दी हैं।

कश्मीरी पंडितों से इतनी नफरत क्यों राहुल गाँधी? आप तो ‘दत्तात्रेय-कौल ब्राह्मण’ हो!

राहुल गाँधी, नमस्कार!

इस खत की शुरुआत मैं अपने परिचय के साथ करती हूँ। मेरा नाम साक्षी है और मैं एक कश्मीरी पंडित हूँ। मेरा जन्म विश्वामित्र-वशिष्ट के गोत्र में हुआ था। हालाँकि एक कश्मीरी युवक के साथ शादी होने के बाद मेरा गोत्र पत स्वमीना कौशिक हो गया है। हमारे समाज में जो गोत्र प्रणाली है, उसके बारे में आपके ज्ञान पर मुझे जरा सा भी शक नहीं है। आपने नवंबर 2018 में पुष्कर में एक मंदिर का दौरा करने के दौरान अपने आपको दत्तात्रेय (कौल) ब्राह्मण बताया था। आपके इस ख़ुलासे से राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा हो गई थी और आपको काफी नाराजगी का सामना भी करना पड़ा था।

जहाँ तक मुझे याद है और सार्वजनिक रिकॉर्ड में है, उसके हिसाब से आपके दादा जी फिरोज गाँधी थे, जो पारसी थे। हालाँकि आपके पिता और स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी की आस्था पर भी शक है। मैं आपको बता दूँ कि गोत्र परंपरागत रूप से एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक जाते हैं। जिस तरह से आपको अपना उपनाम अपने पिता से विरासत में मिला, उसी तरह से गोत्र भी आपको अपने पिता से विरासत में मिला होगा। वास्तविकता तो यह है कि आप गोत्र को नहीं चुन सकते, बल्कि गोत्र आपको चुनता है। मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि गोत्र कोई कमोडिटी (बिकाऊ वस्तु) नहीं है, जिसे आप अपनी इच्छा और राजनीतिक जरूरतों के लिए उधार ले सकते हैं या फिर त्याग कर सकते हैं। मुझे आशा है कि आपके संदेहास्पद दावे पर मेरे न्यायसंगत संदेह के मेरे अधिकार से आप सहमत होंगे।

मैं आपकी राजनीतिक विवशता को समझ सकती हूँ; आप वर्षों से भारत में राजनीतिक परिदृश्य में एक मुकाम पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। फिर भी कमोबेश सफलता आपके हाथ नहीं आती लग रही है। आप राजनीतिक परिवार यानी नेहरू-गाँधी परिवार में पैदा होने के लाभ को भुनाने में भी सक्षम नहीं हैं। आश्चर्य की बात यह है कि मेरे 8 साल के बेटे समेत हममें से अधिकतर आम भारतीय मानते हैं कि आप भारतीय राजनीति में बेमेल हैं। मेरे बेटे का विचार है कि आपको सक्रिय राजनीति छोड़कर प्राथमिक रूप से कॉमेडी को तवज्जो देनी चाहिए। आप अपने कॉमिक और अबोधगम्य भाषणों से उसे अचंभित करने से नहीं चूकते। वह कहता है कि आप और राजनीति एक विरोधाभास है!

आप जिस तरह की राजनीति करते हैं और आपकी जो विचारधारा है, उसे व्यक्तिगत तौर पर मैं समझ नहीं पा रही हूँ। वैसे तो आप काफी पक्षपाती हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्षता की आड़ में उसे छिपाने का काम किया गया है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि भारतीयों के एक विशेष वर्ग में आपकी तरह की धर्मनिरपेक्षता की भूख है, जो स्पष्ट रूप से हिन्दू-विरोधी भावनाओं में तब्दील हो जाती है।

मिस्टर गाँधी, यह एक खुला रहस्य है कि आपके राजनीतिक दुस्साहसों को वामपंथी लुटियन तंत्र द्वारा छिपाया जाता है और उसे ‘सफेद’ कर दिया जाता है। ऐसा देखा गया है कि सार्वजनिक जीवन में आपकी छवि को साफ-सुथरा दिखाने के लिए मुख्यधारा की मीडिया ने आपका खूब समर्थन किया और आपकी छवि को बेहतरीन बनाने की काफी कोशिश की है। मगर उनके इतनी सफाई से किए प्रयासों के बावजूद, सोशल मीडिया पर आपकी छवि लगातार बिगड़ रही है। आपके झूठ का पर्दाफाश हो रहा है और साथ ही आपके संदेहास्पद इरादे भी उजागर हो रहे हैं।

मिस्टर गाँधी, मैं आपसे कुछ प्रश्न पूछती हूँ। आप जिस समुदाय को अपना कहते हैं, उस समुदाय के प्रति आपके मन में इतनी नफरत क्यों है? मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष के रूप में आप, एक कश्मीरी दत्तात्रेय (कौल) ब्राह्मण, अपने समुदाय के कल्याण की उपेक्षा कैसे कर सकते हैं? 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कॉन्ग्रेस की तरफ से जारी किए गए घोषणा-पत्र में क्या उस कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए एक शब्द का भी उल्लेख नहीं करना चाहिए था, जिस समुदाय के होने का आप दावा करते हैं?

मिस्टर गाँधी, अब आप कृपया यह मत कहिएगा कि आपको इसके बारे में सूचित नहीं किया गया या फिर आप अपनी पार्टी के घोषणा पत्र की सामग्री से ही अनजान थे। यह किसी राजनीतिक दल के प्रमुख के रूप में आपकी स्थिति के लिए बहुत ही निराशाजनक और अपमानजनक होगा। वास्तव में इन दिनों आप पूरे देश में रैलियों में जाकर इसी घोषणा-पत्र के आधार पर ही मतदाताओं से वोट देने की अपील करते हैं। पर इतनी स्पष्ट चूक के बावजूद, मैं आपको लेकर हैरान क्यों नहीं हूँ? इसलिए कि बहुत समय पहले से ही आपके इरादों के बारे में ऐसी बातें कही जा रही थीं।

हिंदुओं के प्रति, हमारे समुदाय के प्रति, आपकी अनभिज्ञता और हिंदुओं के प्रति आपकी घृणा आपके व्यवहार से स्पष्ट है। आपके घोषणा-पत्र में जम्मू और कश्मीर के लिए स्वाभिमान वाले सेक्शन में कश्मीरी हिंदुओं पर एक भी शब्द शामिल नहीं किया गया। तथ्य यह है कि आपको हमारी दुर्दशा और पुनर्वास की कोई परवाह नहीं। वास्तव में आपको सिर्फ अपनी झूठी हिंदुत्ववादी छवि की चिंता है। आपके पास अपने राजनीतिक विरोधियों के आरोपों के लिए इस छवि को महज एक राजनीतिक ‘काट’ के रूप में रखने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

आपकी स्पष्ट नफरत के बावजूद आप चाहते हैं कि हम आप पर भरोसा करें और आपको अपने नेता के रूप में स्वीकार करें! लेकिन कैसे? मैं अपनी अंतरात्मा को धोखा नहीं दे सकती।

एक तरफ तो आप महिलाओं का मसीहा होने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ आप बेहद ही चतुराई से अनुच्छेद-35A पर स्टैंड लेने से बचते हैं। यह आश्चर्यजनक है क्योंकि हर कश्मीरी पंडित इसको लेकर परेशान है। आपको 35A की ख़ामियों से बख़ूबी वाकिफ होना चाहिए था, जिससे हर कश्मीरी पंडित महिला नफरत करती है। 35A जम्मू-कश्मीर की हर एक बेटी के लिए एक बुरा सपना है जो अपनी जाति/राज्य के बाहर शादी करना चाहती है। यह उसके मौलिक अधिकारों को दाँव पर लगाता है, जो कि उसके लिए न्यायसंगत नहीं है। मेरे राज्य की महिलाएँ इस अनुच्छेद के खतरों से अवगत हैं। आश्चर्य है कि आपको इस विषय पर अधिक जानकारी नहीं है और इसी वजह से मुझे गुस्सा आता है।

खुशबू एक कश्मीरी पंडित महिला हैं। उन्होंने गैर-कश्मीरी युवक से शादी की और फ़िलहाल बेंगलुरु में रहती हैं। उनके अंदर अनुच्छेद 35A को लेकर काफी गुस्सा है, क्योंकि यह उनके अधिकारों के साथ विश्वासघात करता है। उनका कहना है कि कश्मीरी पंडित और ऋषि कश्यप की भूमि होने के बावजूद, कानून उनके प्रति और उनके समुदाय से बाहर शादी करने वाली हर लड़की के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपनाता है। वह आगे कहती हैं कि यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर के नागरिक के रूप में उनके मौलिक अधिकार को छीन लेता है। राहुल गाँधी, यह निराशाजनक है कि आप जैसे अधिकांश राजनेता इस तथ्य से बेखबर हैं कि 35A उन्हें उनकी पहचान, आवाज, भाषा और संस्कृति से अलग कराता है। वह चाहती हैं कि इस तरह के कानूनों को निरस्त किया जाए, लेकिन वो मानती हैं कि किसी को भी इसकी परवाह नहीं, क्योंकि उनके समुदाय को वोट बैंक के रूप में नहीं देखा जाता है। खुशबू जैसी कई लड़कियाँ हैं, जिन्हें इस कड़वी सच्चाई के साथ जीना पड़ता है। अफसोस की बात तो यह है कि अनुच्छेद 35A, जो हमारे अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है, इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस या फिर किसी भी कॉन्ग्रेसी नेता के लिए चर्चा योग्य विषय नहीं है।

इसके विपरीत, एक विदेशी माँ की कोख से इंग्लैंड के रोचफ़ोर्ड में पैदा हुए भी उमर अब्दुल्ला को इस तरह की किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। वो 5 जनवरी 2009 से लेकर 8 जनवरी 2015 के बीच राज्य के 8वें मुख्यमंत्री बने। उनकी गठबंधन सरकार को आपकी पार्टी का समर्थन प्राप्त था। तो, मिस्टर गाँधी, अगर पुरुष इस अनुच्छेद से बँधे हुए नहीं हैं, तो फिर केवल महिलाएँ ही क्यों? मुझे यकीन है कि आप इस सवाल का कोई तार्किक जवाब देने की बजाए चुप्पी साधना पसंद करेंगे।

आपका यह ढुलमुल रवैया चिंताजनक और विचारनीय है। आप एक नकली हिंदू हैं और यह यूपी के हिंदू गढ़ अमेठी और केरल के मुस्लिम बहुल वायनाड में आपकी उपस्थिति के अंतर से स्पष्ट हो गया है। वास्तव में आपका रवैया हास्यास्पद है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्रों में जनता से रूबरू होते हुए आपको अपने आप पर भरोसा नहीं रहता। या फिर आप अपनी पहचान को लेकर असमंजस में ही रहते हैं?

अब वापस से इस बिंदु पर आते हुए इस बात को समझने में मैं असफल हूँ कि कैसे आप एक हिंदू जनेऊधारी होकर भी अपने ही समुदाय/धर्म के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को देखते हुए भी सहिष्णु बने हुए हैं? न तो आपने कभी हमारे लिए आवाज उठाई और ना ही कभी कोई चिंता जाहिर की। आप हमारे नरसंहार और 7वें पलायन के लिए जिम्मेदार अपराधियों को कानून के सामने लाने के बारे में मुखर नहीं हैं, क्यों? इसके इतर, मैंने हमेशा आपको हिंदू-विरोधी ताकतों के साथ खड़ा पाया है। बड़े दुख की बात है कि आप एक उग्र विचारधारा के लोगों के साथ खड़े हो कर उनका और उनकी माँगों का समर्थन करते हैं, लेकिन आप उस जगह पर बिल्कुल ही चुप्पी साध लेते हैं, जहाँ पर आपसे कश्मीरी पंडित समुदाय की ओर से कुछ बोलने की उम्मीद की जाती है।

यह वाकई बड़ा दुखद है कि एक आदमी, जो कश्मीरी हिंदू होने का दावा करता है, वह “भक्त” शब्द के बारे में पूरी तरह अंजान है। मिस्टर गाँधी आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि भक्त महज एक शब्द नहीं है, बल्कि ये शब्द उन लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, जो वास्तव में हिंदू हैं। मगर अफसोस! आप जैसे नकली हिंदू कभी भी इसका गूढ़ अर्थ नहीं समझ पाएँगे।

इसलिए, मिस्टर गाँधी, मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि आप अपनी राजनीतिक यात्रा का आत्मविश्लेषण करें और इसे गंभीरता से लें। एक बार के लिए, इस बाहरी लबादे को हटाकर अपने अंतर्मन में झाँके और अपनी आत्मा के प्रति सच्चे रहें। कुछ ऐसा करें, जो करना आपको वाकई में पसंद हो। यह हमारे हित में (और आपके भी) सबसे अच्छा होगा कि आप राजनीति से संन्यास लें और एक शांत तथा गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत करें। शायद आप राजनीति के लिए नहीं बने हैं, एक बार इसके बारे में जरूर सोचें।

भविष्य में आपके प्रयासों के लिए आपको शुभकामनाएँ। आपकी बुद्धि सही रहे, यही मेरी कामना है!