Sunday, September 29, 2024
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कोलकाता कमिश्नर के ख़िलाफ़ CBI के आरोप बहुत ही ज्यादा गंभीर: CJI रंजन गोगोई

आपको याद होगा कि कैसे शारदा स्कैम मामले में सीबीआई और कोलकाता पुलिस में ठन गई थी। मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कोलकाता के चीफ कमिश्नर राजीव कुमार पर सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोपों को काफ़ी गंभीर बताया। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को 10 दिनों के भीतर सीबीआई के आरोपों का जवाब देने को कहा है। जस्टिस गोगोई ने कहा कि सीबीआई द्वारा कही गई कुछ बातें बहुत बहुत गंभीर है। मामले की सुनवाई कर रही बेंच में जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे।

बता दें कि सीबीआई की रिपोर्ट को एक सील्ड कवर में फाइल किया गया। इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो दूसरे पक्ष को बिना सुने इस समय किसी भी प्रकार के ऑर्डर जारी नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो चार्जेज और काउंटर-चार्जेज को सुनने के बाद ही कोई निर्णय लेगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई प्रमुख ऋषि कुमार शुक्ला को राजीव कुमार के ख़िलाफ़ शारदा चिट फण्ड स्कैम की जाँच में सबूतों व फाइलों से की गई छेड़छाड़ को साबित करने के लिए चार्जशीट फाइल करने को कहा था। ज्ञात हो कि राजीव कुमार उस स्पेशल टीम का हिस्सा थे, जो शारदा चिट फण्ड घोटाले की जाँच कर रही थी।

कोर्ट को दी गई एफिडेविट में सीबीआई ने कहा था कि 2009 में केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार को आगाह किया था कि चिट फण्ड कम्पनियाँ लोगों को धोखा दे सकती हैं लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र की बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया और उलटा इस घोटाले को होने दिया। जाँच एजेंसी ने कहा कि इस घोटाले के पीछे बहुत बड़ी साज़िश है। इस घोटाले से जुड़े एक टीवी चैनल को 6.21 करोड़ रुपए दिए गए थे, जिस पर कार्रवाई चल रही है। इसी तरह तृणमुल कॉन्ग्रेस द्वारा संचालित समाचार पत्र ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बनाई गई पेंटिंग को 6.5 करोड़ रुपए में बेची। इस पर भी सीबीआई की नज़र है।

आपको याद होगा कि रविवार (फरवरी 3, 2019) को जब जब CBI के अधिकारीगण राजीव कुमार के बंगले पर पहुँचे थे, तब बंगाल पुलिस ने न सिर्फ़ केंद्रीय एजेंसी की कार्यवाही में बाधा पहुँचाई, बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया था और उन्हें अपराधियों की तरह उठा कर थाने ले गए थे। सैंकड़ों की संख्या में पुलिस फ़ोर्स ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के आधिकारिक परिसरों को घेर लिया था। पुलिस यहीं नहीं रुकी, जाँच एजेंसियों के अधिकारियों के आवासीय परिसरों को भी नहीं बख़्शा गया। ममता बनर्जी ने मामले को रफा-दफा करते हुए इसे केंद्र बनाम राज्य बना कर राजनीतिक रंग से पोत दिया और धरने पर बैठ गई थीं। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को शिलॉन्ग में सीबीआई के समक्ष पेश होने का आदेश दिया।

ISI जासूस मोहम्मद परवेज गिरफ्तार, 18 साल में 17 बार पाकिस्तान गया था

राजस्थान पुलिस ने सोमवार (मार्च 25, 2019) को दिल्ली के एक 42 वर्षीय व्यक्ति मोहम्मद परवेज को पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) द्वारा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद, वह 2017 से ही न्यायिक हिरासत में था। अब उसे राज्य पुलिस ने आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।

अधिकारी ने खुलासा किया कि मोहम्मद परवेज ने कथित तौर पर गोपनीय और रणनीतिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए नकली पहचान के माध्यम से भारतीय सेना के सैनिकों को फँसाया और पैसे लेकर उन्हें आईएसआई को भेज दिया।

पूछताछ के दौरान, परवेज ने खुलासा किया कि वह आईएसआई के अधिकारियों के संपर्क में था और पिछले 18 वर्षों में 17 बार पाकिस्तान की यात्रा की थी।

परवेज दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग में त्वरित वीजा के लिए आया हुआ फोटो और पहचान पत्र की कॉपी पर मोबाइल सिम कार्ड प्राप्त कर लेता था। इन्हीं से वो जासूसी कार्यों को अंजाम देता था। गिरफ्तारी के बाद परवेज को जयपुर की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उसे चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

पिछले साल, राजस्थान पुलिस ने एक सेना के जवान को जैसलमेर में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद पता चला कि वह सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी आईएसआई के गुर्गों के संपर्क में था।

कुछ महीने पहले, नागपुर में ब्रह्मोस के एक इंजीनियर निशांत अग्रवाल को कथित तौर पर जासूसी करने और उनके आईएसआई संचालकों को संवेदनशील सूचना देने के लिए गिरफ्तार किया गया था। तब भी पाकिस्तानी हैंडलर्स ने अग्रवाल को हनीट्रैप करने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल किया था।

पिछले साल सितंबर में, उत्तर प्रदेश एटीएस की टीम ने एक बीएसएफ जवान, मध्य प्रदेश के रीवा जिले के निवासी अच्युतानंद मिश्रा को गिरफ्तार किया था, जो भारत की रक्षा तैयारियों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक पत्रकार होने का दावा करने वाली महिला द्वारा हनी ट्रैप में फँसाया गया था।

वामपंथी का पेज घंटों में रि-स्टोर, दक्षिणपंथी अंशुल को फेसबुक ने हफ्ते भर लटकाया

सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक किस कदर दक्षिणपंथियों के प्रति दुराग्रह से ग्रस्त है, इसकी एक और झलक हाल में देखने को मिली। फेसबुक ने दक्षिणपंथी ब्लॉगर व सोशल मीडिया पर्सनैलिटी अंशुल सक्सेना के पेज को पिछले सप्ताह अकारण निलंबित कर दिया। यही नहीं, लगातार अंशुल सक्सेना की शिकायत के बावजूद एक सप्ताह तक फेसबुक ने उन्हें लटकाए रखा।

‘न्यूडिटी’-विरोधी पर न्यूडिटी फैलाने का आरोप

मामला दरअसल यह था कि अंशुल सक्सेना ने बंगलुरु के एक चित्रकार की चित्र प्रदर्शनी के खिलाफ लिखा था। इस प्रदर्शनी में चित्रकार के मंगलसूत्र पहनीं नग्न महिलाओं के चित्रों का प्रदर्शन होना था। अंशुल सक्सेना ने इस पर आपत्ति जताते हुए फेसबुक पर इसे हटवाने का सामाजिक दबाव बनाने के लिए अपील की थी।

इसके बाद खुद अंशुल सक्सेना के पेज को फेसबुक ने नग्नता फैलाने के आरोप में निलंबित कर दिया। इसके बाद अंशुल ने जब इसके खिलाफ अपील की तो फेसबुक ने अपनी गलती तो मान ली पर उनका पेज चालू नहीं किया। यही नहीं, उस पेज का संचालन करने वाले उनके निजी अकाउंट को भी फेसबुक ने निलंबित कर दिया।

12 घंटे तक फेसबुक ने जब उनके पेज और अकाउंट को वापस चालू नहीं किया तो अंशुल ने ट्विटर पर फेसबुक को टैग करते हुए इसकी शिकायत की।

और आज जाकर के, सात दिन बाद, अंशुल सक्सेना का पेज फेसबुक ने दोबारा चालू किया।

ध्रुव राठी के मामले में गतिमान फेसबुक

इसी फेसबुक पर कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी के समर्थक माने जाने वाले ब्लॉगर और यू-ट्यूबर ध्रुव राठी ने ऐसी ही शिकायत की थी। उन्होंने हिटलर की जीवनी के कुछ अंशों को उठाकर उनकी आलोचनात्मक तुलना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से की, जिसे फेसबुक ने हिटलर की प्रशंसा मानते हुए ध्रुव राठी को 30 दिन के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।

तब ध्रुव राठी ने आगामी चुनावों के मद्देनजर खुद को बैन किए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद फेसबुक ने बड़ी ही तत्परता से उनका पेज फिर से चालू कर दिया था।

सवाल यह है कि यदि ध्रुव राठी के मामले में अपनी गलती समझ में आने के बाद फेसबुक इतनी तेज गति से भूल-सुधार कर सकता है तो अंशुल सक्सेना के मामले में क्यों नहीं?

फेसबुक के राजनीतिक पूर्वग्रह का लग रहा है मामला

प्रथमदृष्टया यह फेसबुक के राईट-विंग यानि दक्षिणपंथियों के खिलाफ पूर्वग्रह का मामला लग रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया भर के दक्षिणपंथी फेसबुक पर दक्षिणपंथियों के खिलाफ दुराग्रह का आरोप लगाते रहे हैं। ऑपइंडिया ने पिछले दिनों एक खबर प्रकाशित भी की थी जिसमें फेसबुक के इस राजनीतिक पूर्वग्रह के बारे में उसकी ही पूर्व कर्मचारी के खुलासे पर बात की गई थी। साथ ही हमने पहले ही फेसबुक द्वारा भारत के आगामी चुनावों में वाम-समर्थक दखल का भी अंदेशा पहले ही जताया था

हिन्दू रीति-रिवाजों से खिन्न कॉन्ग्रेसी गैंग ने आयुध पूजा को लेकर युवा तेजस्वी सूर्या को बनाया निशाना

कॉन्ग्रेस आईटी सेल ने आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण बेंगलुरु से भाजपा प्रत्याशी तेजस्वी सूर्या को बदनाम करने के लिए उनके हिन्दू रीति-रिवाजों से पूजा करने को मुद्दा बनाया है। बता दें कि हिंदुत्व में आयुध पूजा का विधान है, जिसमें अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विधि-विधान से आयुध पूजा में हिस्सा लेते रहे हैं। कॉन्ग्रेस को इस हिन्दू पद्धति से आपत्ति हो गई है। सोशल मीडिया पर कॉन्ग्रेस समर्थकों व आईटी सेल के लोगों ने ट्वीट्स के माध्यम से तेजस्वी सूर्या पर निशाना साधा। इसके लिए पेड प्रमोशन का भी सहारा लिया गया। जैसा कि आप नीचे वाले ट्वीट में देख सकते हैं, जिसे प्रमोट किया गया है। प्रमोट करने से यह ट्वीट उन लोगों की टाइमलाइन पर भी दिख सकता है, जो उस यूजर को फॉलो नहीं करते।

प्रमोट किया गया ट्वीट

बता दें कि आयुध पूजा नवरात्री के दौरान की जाती है। इसमें हथियारों और अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। माँ चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर राक्षस का वध किए जाने की याद में इस प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। ख़ासकर दक्षिण भारत में ये त्यौहार ज्यादा लोकप्रिय है। हाँ, इसकी प्रक्रिया में थोड़ी-थोड़ी भिन्नताएँ हैं लेकिन आयुध पूजा दक्षिण भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। तेजस्वी भाजपा युवा प्रदेश मोर्चा के सचिव हैं। उन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्री बीके हरिप्रसाद के मुक़ाबले उतारा गया है। प्रखर वक्ता माने जाने वाले सूर्या संघ से जुड़े हुए हैं। वकील सूर्या भाजपा की सोशल मीडिया टीम का भी हिस्सा हैं। यहाँ से भाजपा के दिग्गज नेता अनंत सिंह जीता करते थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में, भाजपा के पास अपना गढ़ बचाने की चुनौती है।

28 वर्षीय तेजस्वी सूर्या आगामी चुनावों में सबसे युवा लोक सभा प्रत्याशियों में से एक हैं। सेक्युलर-लिबरल-लेफ्टिस्ट्स द्वारा भारतीय ख़ासकर हिन्दू पर्व-त्योहारों का मज़ाक उड़ाने और उसे बदनाम करने का सिलसिला चल निकला है। इन्हे कभी दीवाली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण नज़र आता है तो कभी होली को पानी की बर्बादी का कारण बताते हैं। कुछ दिनों पहले रूद्र हनुमान के चित्र को इन्होने निशाना बनाया था। इनका कहना था कि हनुमान के चित्र को देख कर हिंसा भड़कती है। इसी तरह एक पत्रकार ने बाघ की खाल पहनकर बैठे गणेश जी की मूर्ति को उग्रवादी बताया था। तेजस्वी के आयुध पूजा वाले चित्र को उनके तथाकथित ‘हिंसक अतीत’ से जोड़ा जा रहा है।

टेरर फंडिंग: 11 हुर्रियत नेताओं की संपत्ति होगी जब्त, गिलानी के दामाद का नाम भी शामिल

आतंक की फंडिंग से बनी प्रॉपर्टी पर मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी कर ली है। सरकार का ये ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ लश्कर के आका हाफिज़ सईद के पैसों से बनाई गई हुर्रियत नेताओं की प्रॉपर्टियों पर होगा। सरकार ने हुर्रियत के सभी नेताओं की प्रॉपर्टी जब्त करने का फैसला किया है। सरकार ने इसके लिए कई प्रॉपर्टी की पहचान भी कर ली है।

बता दें कि टेरर फंडिंग मामले में शामिल हुर्रियत के 11 नेता सरकार के निशाने पर हैं। इन नेताओं पर आतंक की फंडिंग के जरिए करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाने का आरोप है। इनमें हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद का नाम भी शामिल है, जिसका केस दिल्ली की कोर्ट में भी चल रहा है। हुर्रियत के इन नेताओं ने पाकिस्तान से घाटी और देश में आतंक फैलाने के लिए मिल रहे पैसों से ये प्रॉपर्टी खड़ी की है।

सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ फंटूश, नईम अहमद खान, फ़ारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शहीदुल इस्लाम, पाक में मौजूद हिज्बुल चीफ सैय्यद सलाउद्दीन, अकबर खंडी, राजा मेहराजुद्दीन, पीर सैफुल्ला, ज़हूर अहमद वताली समेत 11 अलगाववादियों की संपत्ति जब्त होगी।

जानकारी के मुताबिक, सैयद अलीशाह गिलानी के दामाद की हॉउस न.119 HIG ग्रीन पार्क बेमिना रोड की प्रॉपर्टी जब्त होगी। शहीदुल इस्लाम की मजीब बाग, श्रीनगर की प्रॉपर्टी, फ़ारुख अहमद डार उर्फ़ बिट्टा कराटे की नसीम बाग, श्रीनगर की प्रॉपर्टी जब्त होने वाली है। इसके साथ ही नईम अहमद खान की श्रीनगर के इब्राहिम कालोनी में मौजूद प्रॉपर्टी, मोहम्मद अकबर खंडीय की मलोरा की इस्लाम उल बाना की प्रॉपर्टी जब्त होने वाली है।

सरकार की तरफ से कश्मीर घाटी में आतंकवाद पर नकेल कसने की पूरी कोशिश की जा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 19 मार्च को प्रवर्तक निदेशालय ने टेरर फंडिंग मामले में जम्मू कश्मीर में सईद सलाऊद्दीन की 13 संपत्ति जब्त की थी। गौरतलब है कि टेरर फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम गिलानी और मीरवाइज उमर फारुक से भी पहले पूछताछ कर चुकी है।

‘खतना’ ने ली 5 महीने के मासूम की जान, दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत

इटली में एक 5 महीने के मासूम को उस समय अपनी जान से हाथ धोना पड़ा जब उसके माँ-बाप ने घर में ही उसका खतना करने का प्रयास किया। इसकी खबर की जानकारी इटली की मीडिया ने रविवार (मार्च 24, 2019) को दी।

एएनएसए न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक 5 महीने के बच्चे को शुक्रवार (मार्च 22, 2019) को बोलोन्या के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने के कारण हॉलीकॉप्टर से लाया गया, जहाँ उसी रात बच्चे की मौत हो गई। पूरे मामले की जाँच के लिए जाँच अधिकारियों ने बच्चे के शव का परीक्षण किया। जिसके बाद बच्चे की मौत के कारण का खुलासा हुआ।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि विदेशों में खतना के कारण किसी मासूम ने अपनी जान गवाई हो। पिछले साल दिसंबर में भी रोम में इस प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए एक 2 साल के बच्चे के शरीर से अधिक खून बह जाने के कारण मृत्यु हो गई थी। जबकि उस बच्चे का जुड़वा भाई भी लगभग मरने ही वाला था लेकिन गहन उपचार के बाद उसकी जान को बचा लिया गया था।

इस्लामिक मज़हब में खतना एक प्रचलित रिवाज है। हालाँकि, इटली में रोमन कैथोलिक लोगों द्वारा इसका अनुसरण नहीं होता लेकिन वहाँ रह रहे मुस्लिम शरणार्थियों के द्वारा ऐसा लगातार किया जाता है। इटली जैसे देश में कुछ लोगों के लिए डॉक्टर की देख-रेख में खतना कराना बहुत महँगी प्रक्रिया हैं। इसके अलावा इटली के कुछ अस्पतालों के डॉक्टर बच्चे के 4 साल पूरे होने से पहले खतना करने से भी मना कर देते है।

इस संदर्भ में पूरे मामले की गंभीरता को जानने के बाद भी इटली (AMSI) में विदेशी डॉक्टरों के संघ के संस्थापक, फोड ओदी ने स्वास्थ्य अधिकारियों से अपील की है कि वे सस्ते दामों पर खतने की अनुमति दें। बता दें कि इस रिवाज के चलते कई बच्चों ने अपनी जाने गवाई हैं, भारत में अभी पिछले महीने ही गलत तरीके से दो बार खतना होने के कारण नवजात की मौत हुई थी।

फुरकान और परवेज़ ने दुष्कर्म के बाद पंचायत में लगाई युवती की बोली, अश्लील वीडियो बनाकर पति को भेजा, गाँव में तनाव

यूपी के मेरठ में भरी पंचायत में एक दुष्कर्म पीड़िता की इज्जत की बोली लगाने का शर्मनाक मामला सामने आया है। दौराला क्षेत्र के एक गाँव में एक समुदाय विशेष के दो युवकों, फुरकान व परवेज ने युवती के साथ दुष्कर्म कर उसकी वीडियो बनाई और इसके बाद युवती की अश्लील वीडियो उसके पति को भेजकर उसकी शादी तुड़वा दी। इस बात को लेकर दोनों पक्षों में पंचायत हुई तो आरोपित पक्ष ने युवती की इज्जत की बोली लगा दी। इस पर युवती के परिजनों ने आरोपित युवकों को पीट दिया, जिससे दोनों पक्षों में तनाव हो गया। सूचना पर पहुँचे SP सिटी, दौराला CO ने मामला शांत कराकर गाँव में PAC तैनात कर दी है।

थाना क्षेत्र के एक गाँव निवासी समुदाय विशेष के दो युवकों ने एक साल पहले गाँव की युवती से दुष्कर्म किया, उसकी अश्लील वीडियो भी बना ली। आरोप है कि दोनों युवक युवती को अश्लील वीडियो व फोटो को वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करते थे। कुछ दिनों पहले युवती की शादी हो गई। समुदाय विशेष के आरोपित युवकों ने अश्लील वीडियो उसके पति को भेज दिया। इससे युवती की शादी टूट गई और उसका पति उसे मायके छोड़ गया।

रविवार (मार्च 24, 2019) शाम युवती के परिजनों और आरोपित युवकों के परिजनों के साथ ग्राम प्रधान के आवास पर पंचायत हुई। पंचायत में कोई निर्णय नही हो पाया। सोमवार (मार्च 25, 2019) को फिर से पंचायत हुई। इस दौरान आरोपित युवकों के परिजनों ने युवती के परिजनों को ₹2.5 लाख देने की पेशकश की। इस पर युवती के परिजन भड़क गए और उन्होंने आरोपित युवकों के साथ मारपीट कर दी। गाँव में सांप्रदायिक झगड़े की सूचना पर पुलिस में हड़कंप मच गया।

इसके बाद एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह, सीओ दौराला जितेन्द्र सरगम, दौराला एसओ रितेश कुमार पुलिस बल के साथ घटनास्थल पहुँचे और किसी तरह लोगों को शांत कराया। पीड़ित युवती ने गाँव निवासी फुरकान व परवेज पर जबरन दुष्कर्म करने, अश्लील वीडियो व फोटो के बल पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुए दौराला थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपित युवकों को हिरासत में लिया है।

बता दें कि गाँव में दोनों पक्षों में समझौता कराने के लिए दो दिनों से पंचायत चल रही थी लेकिन सोमवार को पंचायत में फुरकान व परवेज द्वारा युवती की इज्जत की बोली लगाई गई तो मामला बिगड़ गया जिससे दोनों समुदाय के लोग-आमने सामने आ गए।

घटना के बाद गाँव में माहौल गर्म है। ग्रामीणों ने दोनों आरोपितों का सामाजिक बहिष्कार कर गाँव से निकालने की माँग की है। घटना से सभी ग्रामीण समुदाय विशेष के आरोपित फुरकान और परवेज के खिलाफ हैं। हालाँकि, किसी सांप्रदायिक हिंसा की आशंका को टालने के लिए अभी भी गाँव में पुलिस बल तैनात है।

राजीव-सोनिया के प्रस्तावक के बेटे कॉन्ग्रेस की ‘गद्दारी’ से दुखी, राहुल के खिलाफ लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

लोकसभा चुनाव 2019 के जरिए सत्ता में वापसी की राह देख रहे कॉन्ग्रेस को उनके ही गढ़ अमेठी में तगड़ा झटका लगा है। पीढ़ियों से कॉन्ग्रेस के वफादार रहे हाजी मोहम्मद हारून राशीद ने सोमवार (मार्च 25) को पार्टी नेतृत्व को ये घोषणा करते हुए चौंका दिया कि वह अमेठी से राहुल गाँधी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि हाजी मोहम्मद हारून राशीद के पिता हाजी सुल्तान खान जिले में कॉन्ग्रेस के बड़े नेता माने जाते हैं। सुल्तान अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से राजीव गाँधी और सोनिया गाँधी के नामांकन के दौरान प्रस्तावकों में से एक रहे हैं। राशीद के पिता ने साल 1991 में राजीव गाँधी और 1999 के लोकसभा में सोनिया गाँधी के नामांकन पत्र पर बतौर प्रस्तावक हस्ताक्षर किया था।

हारून राशीद का कहना है कि वो कॉन्ग्रेस पार्टी में खुद को साइडलाइन महसूस कर रहे थे और स्थानीय नेतृत्व की वजह से अब पूरा समुदाय उपेक्षित महसूस कर रहा है। उन्होंने बताया कि चुनाव में उतरने के पीछे अमेठी में विकास का ना होना है। राशीद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी की तरफ से अमेठी के विकास को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गईं, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। अमेठी की धरती पर आकर देखा जा सकता है कि ये कितना पिछड़ा हुआ है। इसके साथ ही राशीद ने कहा कि उन्होंने 70 साल से अधिक समय तक कॉन्ग्रेस को अपना समर्थन दिया, मगर अब उन्हें एहसास हो रहा है कि पार्टी अमेठी में विकास ही नहीं करना चाहती है। इसलिए उन्होंने अमेठी के बेहतर भविष्य के लिए राहुल गाँधी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

हारून का दावा है कि अमेठी में 6.5 लाख अल्पसंख्यक मतदाता हैं और वह सभी कॉन्ग्रेस के खिलाफ वोट करेंगे। गौरतलब है कि अमेठी में राहुल गाँधी को इस बार भाजपा की उम्मीदवार स्मृति ईरानी से कड़ी टक्कर मिल रही है।

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में ED को मिली बड़ी कामयाबी, एक और दलाल सुशेन गुप्ता गिरफ्तार

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को एक और बड़ी सफलता मिली है। ED ने एक और बिचौलिए सुशेन मोहन गुप्ता को कल रात (मार्च 25, 2019) को गिरफ्तार कर लिया। उसे आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुप्ता से जाँच एजेंसी ED कई बार पूछ-ताछ कर चुकी है। मगर वह जाँच में सहयोग नहीं कर रहा था इसी वजह से उसे गिरफ्तार किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि गुप्ता अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे समेत कई रक्षा सौदों में शामिल रहा है। उसे मंगलवार को यहाँ विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। ईडी इस मामले में वकील गौतम खेतान और ब्रिटिश बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को पहले ही गिरफ्तार कर चुका है।

इससे पहले VVIP चॉपर सौदे के मामले में आरोपी बनाए गए दुबई के कारोबारी राजीव सक्सेना अब सरकारी गवाह बन गए हैं। सीबीआई की स्पेशल अदालत ने उन्हें सरकारी गवाह बनने की इजाजत दे दी थी। ED के अधिकारियों ने बताया कि मामले में हाल ही में सरकारी गवाह बने राजीव सक्सेना के खुलासों के आधार पर गुप्ता की भूमिका सामने आई। राजीव सक्सेना को संयुक्त अरब अमीरात से प्रत्यर्पित किया गया था और ईडी ने यहाँ उसे गिरफ्तार किया था।

उन्होंने बताया कि ऐसा संदेह है कि गुप्ता के पास वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की खरीद में भुगतान संबंधी कुछ सूचनाएँ है और उसके संपर्कों का पता लगाया जाना है। उन्होंने बताया कि इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया है।

बता दें कि एक जनवरी 2014 को भारत ने भारतीय वायु सेना को 12 AW-101 VVIP हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति करने के लिए ब्रिटेन की फिनमैकेनिका की अनुषंगी इकाई अगस्ता वेस्टलैंड के साथ सौदा रद्द कर दिया था। भारत ने उस पर सौदे की शर्तों का उल्लंघन करने और सौदा हासिल करने के लिए 423 करोड़ रुपए की रिश्वत देने के आरोप लगाए थे।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) और ईडी ने मामले में कई आरोपपत्र दाखिल किए हैं और पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी तथा उनके परिवार के सदस्यों समेत कई लोगों को बतौर आरोपित नामजद किया है।

जयाप्रदा भाजपा में शामिल, ‘भैया’ आजम खां के खिलाफ ठोक सकतीं हैं ताल

तमाम कयासों-अटकलों और हाँ-ना के बाद आखिरकार आज अभिनेत्री जयाप्रदा भाजपा में शामिल हो ही गईं। काफी समय से यह कयास लगाए जा रहे थे कि वे ऐसा कर सकतीं हैं। संकेत तभी ही मिल गए थे जब जयाप्रदा के राजनीतिक गुरु और सपा के पूर्व क्षत्रिय क्षत्रप अमर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान के तहत अपने ट्विटर हैण्डल पर ‘चौकीदार’ अपने नाम में जोड़ा था। दरअसल अपने पूरे राजनीतिक कैरियर में जयाप्रदा अपने गुरु अमर सिंह की ही लकीर पर चलती आईं हैं- जब अमर सिंह को सपा की आतंरिक कलह ने किनारे कर दिया था तो जयाप्रदा को भी पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।

एनटीआर लाए राजनीति में

आज जयाप्रदा की राजनीतिक निष्ठा यद्यपि अमर सिंह के साथ मानी जाती है पर एक समय एनटी रामा राव उन्हें तेदेपा (तेलुगु देशम पार्टी) में काफी आग्रह के बाद लाए थे। तेदेपा ने ही जयाप्रदा को 1996 में राज्यसभा भी भेजा। पर फिर जयाप्रदा और तेदेपा सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू के राजनीतिक मत नहीं मिले और जयाप्रदा ने तेदेपा से इस्तीफा दे दिया।

सपा में पारी  

समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद जयाप्रदा ने रामपुर लोकसभा सीट 85000 मतों से जीती। पर यहाँ उनके राजनीतिक गुरु बने अमर सिंह की रामपुर के ‘किंग’ आजम खां से नहीं बनती थी, इसलिए जयाप्रदा के भी रिश्ते आजम खां से कभी सहज नहीं रहे।

2010 में जब अमर सिंह को पार्टी के महासचिव रहते हुए भी अन्दर के ‘सपोर्ट’ की आवश्यकता पड़ी तो जयाप्रदा उनके पक्ष में खुल कर उतर आईं- और पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें भी सपा सुप्रीमो ने निष्कासित कर दिया।

2014 में उन्होंने रालोद का झंडा थामा और बिजनौर का लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के कुँवर भारतेन्द्र सिंह से पार न पा सकीं।

आजम खां से अदावत  

आजम खां और जयाप्रदा की तू-तू-मैं-मैं सपा के भीतर की ‘अर्बन लेजेंड’ है। 2004 में 85000 मतों से बाजी मारने वालीं जयाप्रदा की जीत का अंतर 2009 में गिरकर 30000 बचा। इसके पीछे भी आजम खां का ‘हाथ’ हटा लेना कारण माना गया।

आमतौर पर जयाप्रदा आजम खां को ‘भैया’ कहतीं हैं, पर विवादित फिल्म पद्मावत जब रिलीज हुई तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि फिल्म के खलनायक अलाउद्दीन खिलजी को देखकर उन्हें आजम खां याद आ गए। आजम खां भी जयाप्रदा को ‘नचनिया’ और ‘घुंघरू वाली’ कह चुके हैं।