Sunday, September 29, 2024
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किसने और क्यों शास्त्री जी के चेहरे पर चन्दन मल दिया था? पढ़िए उनके नाती संजय नाथ की जुबानी

मेरे नानाजी लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु की ख़बर जब आई, तब मैं सिर्फ़ 9 वर्ष का था। घर में जब पहला फोन कॉल आया, तब भी मैं उसका गवाह बना था और जो आख़िरी फोन कॉल आया, तब भी मैं वहाँ उपस्थित था। जब घर में उनकी मृत्यु का समाचार आया तब मेरे सबसे बड़े वाले मामा ‘मार डाला, मार डाला तुम लोगों ने’ बोलते हुए बदहवास हो उठे। ये इतना ज्यादा शॉकिंग न्यूज़ था कि मैं रो भी नहीं पाया। उनके पार्थिव शरीर को देख कर भी मुझे रोना नहीं आया। जब भी किसी और की मृत्यु होती, मैं हमेशा सोचा करता था कि मेरे परिवार में कोई नहीं मरेगा। ये बचपन का एक विश्वास था। उनके छोड़ जाने के बाद से उन्हें हमेशा मैंने मिस किया और मेरे मन में उनके लिए कुछ करने का ख्याल आता रहा।

जब मैं विवेक अग्निहोत्री से मिला, तो मुझे लगा कि ये आदमी कर सकता है। मैं हमेशा से सच्चाई चाहता था (नानाजी की मृत्यु की) और इस चक्कर में मैंने कई रिकॉर्ड्स, डॉक्यूमेंट्स, साहित्य और काग़ज़ात खंगाल डाले। मैंने कई लोगों से कई तरह की बातें सुनीं और जानी। मैं आज के युवा पत्रकारों व छात्रों को कहना चाहता हूँ कि आप भी सच्चाई की ख़ोज कीजिए, सच को बाहर निकालना ज़रूरी है।

‘मेरे पिता लाल बहादुर शास्त्री की तरह मोदी ने भी भारतीयों का मस्तक गर्व से ऊँचा उठाया’

नानाजी लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद संसद में भी इस पर सवाल उठे। प्रोफेसर त्रिभुवन नारायण सिंह ने संसद में शास्त्री जी की मृत्यु की प्रवृत्ति पर सवाल उठाए। वह शास्त्री जी के बचपन के मित्र थे। उनके साथ राज नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉक्टर कुंजरू, कामत साहब और लालकृष्ण अडवाणी जैसे लोगों ने सवाल उठाए। उस समय दिल्ली कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे जगदीश संसद में नहीं थे लेकिन उन्होंने भी इसे लेकर आवाज़ उठाई। इन सभी लोगों के सवालों के ऊपर तब मंत्रीगण ने झूठ बोला था।

चाहे उस समय विदेश मंत्री रहे सरदार स्वर्ण सिंह हों या रक्षा मंत्री चौहान, इन सभी ने मिलकर झूठ बोला कि शास्त्री जी के कमरे में 3 टेलीफोन थे। उनके कमरे में एक बजर भी था। एक फोन ऐसा था, जिसे उठाते ही उनके सभी स्टाफ के पास कॉल चला जाता। इसी तरह एक फोन इंटरनल कॉल्स के लिए और एक अंतरराष्ट्रीय कॉल्स के लिए था। मैं अब आपको फैक्ट बताता हूँ। मैं रूस से आए निमंत्रण के बाद अपनी नानी के साथ ताशकंद गया, जब मैं उनके कमरे में गया (जहाँ शास्त्रीजी की मृत्यु हुई थी) तो मुझे पता चला कि उनके कमरे में एक घंटी तक नहीं थी।

इसके बाद बयान बदलते हुए सरदार स्वर्ण सिंह ने कहा था कि उनके कमरे में चार से पाँच मीटर दूर दूसरे कमरे में फोन था। सरकार ने भी बाद में कहा कि उनके कमरे में फोन नहीं था लेकिन उनके कमरे से लगे दूसरे कमरे में था। अब मैं आपको बचपन की बात बताता हूँ। मैं आपको वही बताने जा रहा हूँ, जो एक बच्चे ने देखा था। जैसा कि सरकार ने दावा किया था, फोन उनसे 4-5 मीटर दूर कमरे में नहीं था बल्कि उनके कमरे से 4-5 कमरा हटके था। सरकार और मंत्रियों ने सफ़ेद झूठ क्यों बोला? मंत्रियों को वो समझ में नहीं आया जो एक बच्चे की समझ में आ गया!

देश को बेचने वाले वामपंथियों को जरूर देखनी चाहिए ‘द ताशकंद फाइल्स’: ऑपइंडिया से बोले विवेक अग्निहोत्री

4 अक्टूबर 1970 का दिन था। जो लोग नहीं जानते हैं, उन्हें बता दें कि उस समय धर्मयुग नामक एक पत्रिका छपा करती थी। यह एक राष्ट्रीय पत्रिका थी। पत्रिका के इस अंक में दिवंगत लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी और मेरी नानी ललिता शास्त्री का साक्षात्कार छपा था। वो भी इस बात से परेशान हो गईं थीं कि उनके पति की मृत्यु के कारणों को कवर-अप किया जा रहा है। उन्होंने इंटरव्यू में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए थे। उस इंटरव्यू में काफ़ी महत्वपूर्ण पॉइंट्स थे, लेकिन मैं आपको सबसे महत्वपूर्ण बात से अवगत कराता हूँ।

जब शास्त्री जी का पार्थिव शरीर आया, तब उनके बेटे हरि शास्त्री को हुतात्मा के पार्थिव शरीर के नज़दीक नहीं जाने दिया जा रहा था। यहाँ तक कि मेरी नानी को भी उनके पति के पार्थिव शरीर के नज़दीक नहीं जाने दिया जा रहा था। बहुत ज़िद करने के बाद परिवार के लोग पार्थिव शरीर के पास जा सके। जब लोगों ने बात उठानी शुरू की तो न जाने कहाँ से एक व्यक्ति आया और उसने शास्त्रीजी के चेहरे पर चन्दन पोत दिया। उनके चेहरे पर अजीब तरह के नीले और काले निशान बन गए थे। उनके पीछे से ख़ून निकला हुआ था, उनके नाक से भी ख़ून निकला हुआ था।

दूसरा फैक्ट यह है कि सरकार ने पोस्टमॉर्टम कराने से मना कर दिया। उन्होंने पोस्टमॉर्टम होने ही नहीं दिया। इसके बाद ‘अंतररष्ट्रीय सम्बन्ध ख़राब होंगे’ जैसी बातें कह कर किनारा कर लिया गया। मैं पूछता हूँ कि क्या विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री की संदेहास्पद स्थिति में मृत्यु हो जाती है और उनके मृत शरीर का पोस्टमॉर्टम नहीं होता है, क्यों? इसके बाद ये मामला संसद में फिर उठा। धर्मयुग में ललिता शास्त्री के इंटरव्यू ने सोवियत यूनियन के साथ-साथ भारत सरकार में भी हड़कंप मचा दिया था। सोवियत ने भारत को पत्र लिख कर शास्त्री जी की मृत्यु की जाँच के लिए कमिटी बनाने जैसी माँगों के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराया था।

अंततः भारत सरकार ने कोई जाँच कमिटी नहीं बिठाई। ये सारी चीजें यह साबित करती हैं कि दाल में कुछ काला था। इसमें कोई शक़ ही नहीं है। तभी से मेरे मन में ये बात थी कि कोई न कोई आएगा, जो इस बात को उठाने की ताक़त रखता हो। विवेक अग्निहोत्री ने इस कार्य का बीड़ा उठाया है। वह पिछले ढाई वर्षों से रिसर्च में लगे हुए हैं। मैं उन्हें इसके लिए बधाई देता हूँ। सच्चाई सामने आएगी। मैं पत्रकारों से भी निवेदन करना चाहता हूँ, आप चुप मत बैठिए। सच्चाई की ख़ोज में निकलिए, सच्चाई को बहार लाने का प्रयास कीजिए।

(यह लेख पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती संजय नाथ सिंह द्वारा ‘द ताशकंद फाइल्स’ के ट्रेलर लॉन्च के दौरान कही गई बातों के आधार पर तैयार किया गया है।)

BJP ज्वॉइन करने पर सपा सांसद ने बहनोई से तोड़ा रिश्ता, प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जताया दुःख

ज्यों-ज्यों चुनाव की तारीख़ नज़दीक आ रही है, सियासी रंग भी बदलते दिखाई दे रहे हैं। चुनावी मौसम में दल-बदल का दौर लगातार जारी है। अब इसका असर आपसी रिश्तों पर भी देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने अपने बहनोई से इसलिए रिश्ता तोड़ दिया, क्योंकि उन्होंने भाजपा ज्वॉइन कर ली। सपा सांसद ने इस बात की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति जारी करके दी।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के बदायूं से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश प्रताप सिंह यादव ने रविवार (24 मार्च 2019) को भाजपा ज्वॉइन कर ली। बता दें कि अनुजेश मैनपुरी ज़िला पंचायत संध्या उर्फ़ बेबी यादव के पति हैं। बेबी यादव, धर्मेंद्र यादव की बहन है। धर्मेंद्र को जैसे ही अनुजेश के भाजपा ज्वॉइन करने की बात पता चली, उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए उनसे सारे रिश्ते तोड़ दिए।

धर्मेंद्र यादव द्वारा जारी किए गए विज्ञप्ति में लिखा, “मीडिया के माध्यम से मुझे पता चला कि अनुजेश प्रताप सिंह, निवासी-भारौल, जनपद फिरोजाबाद ने 24-03-2019 को भाजपा में शामिल हो गए हैं। मीडिया ने उन्हें मेरे बहनोई के रूप में प्रस्तुत कर सुर्खियाँ बनाई हैं। मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि भाजपा के किसी भी नेता से मेरा कभी भी कोई संबंध नहीं हो सकता। अत: अनुजेश प्रताप सिंह से भी मेरा अब कोई संबंध नहीं है। मेरा मीडिया के साथियों से निवेदन है कि भविष्य में उन्हें कभी भी मेरे रिश्तेदार के तौर पर प्रस्तुत न करें।”

सपा सांसद धर्मेंद्र यादव द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति

सपा सांसद के की तरफ से रिश्ता तोड़े जाने की बात पर अनुजेश प्रताप ने कहा, “अब वह नहीं मान रहे हैं, तो नहीं हैं बहनोई। क्या किया जा सकता है? वह सांसद हैं, मैं उनके लिए कुछ नहीं कहूँगा। नवल किशोर की पत्नी सांसद जी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, उन्होंने अपनी पत्नी छोड़ दी है क्या?”

बता दें कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के दामाद और फिरोजाबाद से जिला पंचायत अध्यक्ष अनुजेश यादव रविवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा ज्वॉइन कर ली। जिसकी वजह से कहीं न कहीं सपा को बीजेपी की तरफ से झटका लगा है। गौरतलब है कि अनुजेश को 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से निष्कासित कर दिया गया था।


पटना: पकड़े गए दो संदिग्ध बांग्लादेशी, पुलवामा हमले से जुड़े काग़ज़ात बरामद

बिहार पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स को बड़ी कामयाबी मिली है। बता दें कि पटना पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर पटना रेलवे स्टेशन के पास घूम रहे दो बांग्लादेशी नागरिकों को संदिग्ध अवस्था में गिरफ्तार किया है। दोनों के पास से कई संदिग्ध कागजात बरामद हुए हैं। पुलिस के मुताबिक पकड़े गए दोनों शख्स बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमीयत-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश और इस्लामिक स्टेट बांग्लादेश के सक्रिय सदस्य हैं।

जानकारी के मुताबिक, पुलिस को उनके पास से जम्मू के पुलवामा की घटना से जुड़े कुछ कागजात मिले हैं। दोनों के पास से पुलिस की टीम को अर्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति संबंधी रिपोर्ट की कॉपी भी मिली है। पुलिस ने इस कार्रवाई में दोनों के पास से आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी संगठनों के पोस्टर और पैंपलेट की फोटोकॉपी भी जब्त की है। गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम खैरुल मंडल और अबु सुल्तान बताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस दोनों को गुप्त स्थान पर ले जाकर पूछताछ कर रही है।

पुलिस के मुताबिक, ये दोनों बिना किसी पासपोर्ट वीजा या वैध दस्तावेज के अवैध रूप से बांग्लादेश सीमा पार कर भारत में प्रवेश कर गए और दोनों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए फ़र्ज़ी भारतीय मतदाता पत्र बनवाकर उसका इस्तेमाल कर रहे थे। दोनों देश के विभिन्न शहरों में अपने आतंकी संगठन में जुड़ने के लिए युवकों की तलाश कर रहे थे। इसके साथ ही वो बौद्ध धार्मिक स्थलों पर आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए रेकी भी कर रहे थे। दोनों युवक पिछले 11 दिनों से गया शहर में रह रहे थे और ये सीरिया जाकर आतंकी संगठन आईएसआईएस के साथ मिलकर जेहाद में शामिल होना चाहते थे।

गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस आतंकी हमले की ज़िम्मेदारी प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। भारतीय वायु सेना ने इस आतंकी हमले जवाब पाकिस्तान के बालाकोट पर एयर स्ट्राइक करके दिया था। बता दें कि बीते 2 मार्च को भी बिहार में पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार संदिग्ध के पुलवामा हमले की साजिश से जुड़े होने की बात सामने आने के बाद पुलिस ने उससे पूछताछ की थी।

देश को बेचने वाले वामपंथियों को जरूर देखनी चाहिए ‘द ताशकंद फाइल्स’: ऑपइंडिया से बोले विवेक अग्निहोत्री

फ़िल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ का ट्रेलर रिलीज हो चुका है और इसे सोशल मीडिया पर अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के कारणों को ढूँढती इस थ्रिलर फ़िल्म का निर्माण विवेक रंजन अग्निहोत्री ने किया है। वो एक तरफ़ चॉकलेट, हेट स्टोरी और ज़िद जैसी कमर्शियल फ़िल्में बनाते हैं तो दूसरी तरफ़ ‘बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम’ और ‘द ताशकंद फाइल्स’ जैसी फ़िल्में भी बनाते हैं, जो समाज को जागरूक करने का कार्य करती हैं। सामाजिक रूप से काफ़ी जागरूक विवेक अग्निहोत्री ट्विटर पर ख़ासे सक्रिय हैं और वामपंथी अक्सर उन्हें निशाना बनाते रहते हैं। हाल ही में स्वरा भास्कर भी उनसे उलझ गई थी। लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम के विरुद्ध उन्होंने कई बार ट्विटर पर अभियान चलाया है। उनकी ताज़ा फ़िल्म के ट्रेलर के रिलीज के मौक़े पर उन्होंने ऑपइंडिया से बातचीत की और अपनी बात रखी।

इस दौरान विवेक अग्निहोत्री ने तमाल सवालों के जवाब दिए और अपनी फ़िल्म के साथ-साथ लाल बहादुर शास्त्री के बारे में किए गए अपने रिसर्च से भी हमें अवगत कराया। आइए देखते हैं ‘द ताशकंद फाइल्स’ के निर्माता-निर्देशक-लेखक विवेक रंजन अग्निहोत्री से ऑपइंडिया की बातचीत के प्रमुख अंश।

“Who Killed Shastri” का कैप लिए विवेक अग्निहोत्री, अभिनेत्री श्वेता, पल्लवी जोशी व शास्त्रीजी के परिजन

लाल बहादुर शास्त्री की समाधि विजय घाट पर फ़िल्म शूटिंग के दौरान आपका कैसा अनुभव रहा?

वहाँ एकदम सुनसान वातावरण था। वो जगह ऐसी लग रही थी, जहाँ कभी कोई आता न ही न हो। गाहे-बगाहे अगर टूरिस्ट वाले बसों में भर कर आ गए तो आ गए, वरना वहाँ कोई जाता ही नहीं। वहाँ काम कर रहे लोगों ने हमें बताया कि पहले तो कभी-कभार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेतागण आ भी जाया करते थे, अब तो कोई भी नहीं आता। 2 अक्टूबर के मौके पर भी यहाँ शायद ही कोई आता हो। ऐसा इसीलिए हुआ है क्योंकि हमने लाल बहादुर शास्त्री को अपनी स्मृति से ही हटा दिया है। विधिवत तरीके से हम उन्हें भूलते चले गए। इसीलिए आज उनकी समाधि का ये हाल है।

लेकिन हाँ, विजय घाट पर जाकर हमें एक बात तो समझ में आ ही गई कि सरलता क्या होती है। अगर इस चीज को आप समझना चाहते हैं तो शास्त्री जी की समाधि पर जाकर अनुभव कीजिए।

आपकी ट्विटर पर अक्सर स्वरा भास्कर टाइप लोगों से बहस होती रहती है। लेफ्ट लिबरल्स को आपसे आख़िर दिक्कत क्या है? आपको क्या लगता है कि आपने ऐसा कौन सा गुनाह किया है जो वो आपसे इतने ख़फ़ा-ख़फ़ा रहते हैं?

अच्छा आप मुझे एक बात बताइए। (हँसते हुए…) चोर सबसे अधिक किससे डरता है? (Interviewer: चोर तो आजकल चौकीदार से डरता है। चौकीदार वाला ट्रेंड चल रहा है आजकल)। (फिर हँसी) हाँ, चोर को सबसे ज्यादा पुलिस से डर लगता है। इन लोगों का खुलेआम नंगा नाच चल रहा था। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था। इनके गिरोह के पत्रकारों ने जो भी लिख दिया, वही अकाट्य सत्य हो जाता है। अगर उन्होंने कह दिया कि Feminism की यही परिभाषा है, फलाँ चीज Feminism है, तो वही उसकी परिभाषा बन जाती है।

आजतक लोग इन पर सवाल नहीं उठाया करते थे। मैंने आकर सीधा कहा कि तुमलोग जिस Feminism की बात करते हो, वो फेक है। अरे, तुमलोग (गिरोह विशेष) तो भारत की माँओं को भी Empowered नहीं मानते। अरे, जो भारतीय माताएँ अपने बच्चों का पालन-पोषण करती हैं, बच्चों और परिवार के लिए इतना सारा त्याग करती हैं, उन्हें Empowered क्यों नहीं मानते हैं ये लोग? ये सारे के सारे फेक हैं। ये आदमी और औरत के बीच दरार खड़ा करना चाहते हैं।

ये सारी की सारी पाश्चात्य बातें हैं, फेक बातें हैं, वेस्टर्न ढकोसले हैं। अगर समस्या भारत की है तो समाधान भी भारतीय ही होगा। मैंने इन सब बातों को उठाया, जिस से इन्हे मुझ से दिक्कतें हो गई।

प्रेस को सम्बोधित करते विवेक अग्निहोत्री (उनके बगल में लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री)

क्या आपको लगता है कि लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम के लोग पाश्चात्य (western) विचारधारा को हम पर जबरन थोप रहे हैं?

जी हाँ, बिलकुल। भारत की समस्याओं का निदान के लिए भारतीय सलूशन चाहिए जबकि ये लोग वेस्टर्न कॉन्सेप्ट्स लेकर आ रहे हैं। ऐसा इसीलिए है, क्योंकि ये हिंदुस्तान को समझते ही नहीं हैं। इन्हे हिंदुस्तान क्या है, इस बारे में ज़रा भी आईडिया ही नहीं है। इन्होने भारत को देखा ही नहीं है। हिंदुस्तान का अर्थ है- त्याग और संघर्ष। इनमें से किसी से न तो आज तक त्याग किया है और न ही संघर्ष किया है, (हँसते हुए) ये क्या जानें हिन्दुस्तान को।

आज लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री ने ऑपइंडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उनके पिता की तरह नरेंद्र मोदी के कारण भी भारतीयों का मस्तक गर्व से ऊँचा हो जाता है। क्या आपको भी लगता है कि शास्त्री और मोदी में समानताएँ हैं?

मुझे ऐसा लगता है कि जब भी कोई ज़मीन से जुड़ा राष्ट्रवादी व्यक्ति इस देश में सर उठा कर चलने की कोशिश करता है, उनके कारण पूरे विश्व में भारत का नाम ऊपर होता है। लेकिन, इसे दुर्भाग्य कहिए या कुछ और, जब भी कोई ज़मीन से जुड़ा साधारण, ईमानदार और राष्ट्रवादी व्यक्ति जब इस देश में सर उठाकर चलने की कोशिश करता है, उसका गला घोंटने के लिए पूरा का पूरा एक इकोसिस्टम आ जाता है।

जेएनयू और जाधवपुर यूनिवर्सिटी में ‘बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम’ की स्क्रीनिंग के दौरान आप पर हमले किए गए थे। आपको चोटें भी आई थी। क्या ‘द ताशकंद फाइल्स’ की भी वहाँ स्क्रीनिंग करेंगे?

अभी तो फ़िल्म 12 अप्रैल 2019 को बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होगी। जेएनयू और जाधवपुर सहित सभी जगहों के लेफ्ट लिबरल्स को ये फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए क्योंकि हमारे देश की सारी बर्बादी के पीछे वही लोग हैं। भारत की बर्बादी के पीछे पूरा का पूरा एक लेफ्टिस्ट और कम्युनिस्ट सिस्टम है। मैं ऐसा बिलकुल नहीं कह रहा हूँ कि उस सिस्टम का हर एक व्यक्ति गलत है लेकिन ‘इस देश को बेच देना’ वाली लाइन उन पर चरितार्थ होती है। आपने ट्रेलर में भी देखा होगा कि एक डायलॉग है, ‘India For Sale’, ये डायलॉग किस परिपेक्ष्य में था?

उस समय भारत के जितने भी वामपंथी थे, वो सभी के सभी KGB को बिके हुए थे। और हाँ, वो आज भी बिके हुए हैं। (बता दें कि केजीबी 1991 तक सोवियत यूनियन की प्रमुख सुरक्षा एजेंसी थी। इसे आर्मी के नियम-कायदों के तहत शासित किया जाता था। ये रूस की विदेशी इंटेलिजेंस की चीजों को देखती थी।)

आपने इस फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह के साथ काम किया है। वो भी तो अक़्सर असहिष्णुता टाइप के बयानों के कारण विवादों में आते हैं? ‘द ताशकंद फाइल्स’ की शूटिंग के दौरान उनके साथ Coordinate करना कैसा रहा? क्योंकि, वो आपके विरोधी विचारधारा के हैं?

देखिए, ऐसा है कि लाल बहादुर शास्त्री का नाम आते ही सारी विचारधाराएँ मिल जाती हैं। हर व्यक्ति को पता है कि शास्त्री जी एक अच्छे एवं ईमानदार नेता थे। सबको पता है कि उनके साथ गलत हुआ है। वहाँ जाकर सब जुड़ जाते हैं।

साल भर से भी ज्यादा समय तक फ़िल्म की शूटिंग चली। क्या आप हमें इस बात की गारंटी दे सकते हैं कि अब नसीरुद्दीन शाह को Intolerance नज़र नहीं आता?

देखिए, किसी के व्यक्तिगत विवाद से तो मेरा कोई लेना-देना नहीं है। हालाँकि, मैं अपने लेवल पर ये ज़रूर कहूँगा कि भारत विश्व का सबसे सहिष्णु (Tolerant) राष्ट्र है। और हाँ, मैं तो इतना ज्यादा सहिष्णु हूँ कि हमेशा अपने से विपरीत विचारधारा वाले लोगों के साथ ही बात करना चाहता हूँ। और मैं ऐसा करता भी हूँ।

एक वेबसाइट है, जिसका नाम है…क्या नाम है…? हाँ, न्यूज़लॉन्ड्री। वे हमेशा मेरी बुराई करते रहते हैं। लेकिन फिर भी जब उन्होंने मुझे बुलाया तो मैं उनके यहाँ गया। एक बार वो आए थे और उन्होंने झूठ बोला। बाद में उन्होंने कैमरे के सामने एक-दो नहीं बल्कि तीन बार माफ़ी माँगी।

न्यूज़लॉन्ड्री वालों ने मेरे वीडियो को गलत तरीके से एडिट कर मुझे बदनाम करने की कोशिश की। तब जाकर मुझे समझ आया कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, कुत्ते की तरह जिनकी पूँछ आप कभी सीधी नहीं कर सकते।इस तरह के लोगों से थोड़ा दूर भी रहना चाहिए। वरना मेरे को किसी भी चीज से कोई समस्या नहीं है। बात कीजिए, बातचीत में क्या प्रॉब्लम है? कोई हम एक-दूसरे को मार तो नहीं रहे…

अमर सिंह के ‘चौकीदार’ बनने के बाद, जया प्रदा हो सकती हैं BJP में शामिल

लोकसभा चुनाव की घोषण के साथ ही राजनीतिक पार्टियाँ अपने उम्मीदवारों की फ़ेहरिस्त को वास्तविक रूप देने में जुटी हुई है। तमाम नेता एक पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थामने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी से निष्काषित नेता जया प्रदा के भाजपा में शामिल होने की ख़बर आ रही है। साथ ही रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। बता दें कि अगर ऐसा हुआ तो चुनावी मैदान में वो आज़म ख़ान को टक्कर देंगी।

इससे पहले 2014 में भाजपा ने रामपुर लोकसभा सीट से नेपाल सिंह को मैदान में उतारा था। उस समय उन्होंने एसपी के क़द्दावर नेता आज़म ख़ान के प्रत्याशी नसीर अहमद ख़ान को हराया था।

जया प्रदा ने सपा में शामिल होने से पहले टीडीपी (तेलुगू देशम पार्टी) के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और 2009 में रामपुर की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट जीती थी। 2010 में सपा में गुटबाज़ी और आज़म ख़ान के साथ उनके बिगड़ते रिश्तों के चलते उन्हें पार्टी से निकलना पड़ा। बाद में 2014 में, उन्होंने बिजनौर से रालोद (राष्ट्रीय लोक दल) के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

जया प्रदा और आज़म खान के बीच आपसी ज़ुबानी जंग लंबे समय तक जारी थी। हाल ही में, एक कार्यक्रम में बोलते हुए, जया प्रदा ने ख़ुलासा किया था कि आज़म ख़ान ने उन पर एसिड हमले का प्रयास किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि ख़ान की वजह से उन्हें एक बार अपनी जान का ख़तरा भी हो गया था जिससे वो सदमें में चली गई थी।

समाजवादी पार्टी ने इस बार कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन करने की बजाए बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया। 2014 में, सपा और बसपा को केवल 5 और 0 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा ने यूपी के साथ-साथ देश में भी ऐतिहासिक जनादेश हासिल करते हुए 71 सीटें जीती थीं।

मुझे हिंदी आती तो ऐश्वर्या राय के साथ ‘रेप’ करने का मौक़ा मिलता: एक्टर का विवादित बयान

तमिल के मशहूर अभिनेता राधा रवि को अभिनेत्री नयनतारा के बारे में विवादित बयान देना इस बार बहुत महँगा पड़ गया। एक तरफ़ जहाँ लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरू किया, वहीं DMK पार्टी ने भी चुनाव के नज़दीक होने के कारण तुरंत फैसला लिया और राधा रवि को पार्टी से निलंबित कर दिया। बता दें कि यह पहला मौक़ा नहीं था जब राधा रवि को महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणी का इस्तेमाल करते सुना गया। इससे पहले भी वह अपने विवादित बयानों के कारण आलोचनाओं का हिस्सा बन चुके हैं।

नयनतारा पर विवादित टिप्पणी करने के बाद खबरों में राधा रवि का एक पुराना बयान भी चर्चा में आ गया है। दरअसल, इस बयान को स्वराज्यमैग के सीईओ प्रसन्ना विश्वनाथन द्वारा ट्विटर पर शेयर किया गया है। वे लिखते हैं कि राधा रवि ने एक बार बयान दिया था, “अगर मुझे सिर्फ़ हिंदी आती तो मुझे ऐश्वर्या के साथ रेप सीन करने का मौक़ा मिल सकता था। लेकिन दुर्भाग्यवश मैं हिंदी नहीं सीख पाया।”

नयनतारा पर दिए विवादित बयान के बारे में याद दिला दें कि कुछ दिन पहले राधा रवि ने अपनी आने वाली फिल्म कोलाईयुथिर कालम ट्रेलर लॉन्च पर अभिनेत्री नयनतारा के किरदार पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे एक भूत के तौर पर काम करती हैं और फिर सीता की भी भूमिका निभाती हैं। राधा का कहना था कि पहले लोग सीता की भूमिका देने के लिए केवी विजया जैसे लोगों को चुनते थे लेकिन अब किसी को भी सीता बनने के लिए ले लिया जाता है। सीता के रोल के लिए ऐसे लोगों को लेना चाहिए, जिनको देखते ही मन में श्रद्धा जागे, न कि उनकी जो लोगों के साथ सोती फिरती हों।

नयनतारा पर इस तरह की टिप्पणी के बाद अभिनेत्री तापसी पन्नू अभिनेता विग्नेश शिवन ने भी राधा रवि की जमकर निंदा की। तापसी पन्नू ने राधा रवि के बयान पर कहा कि ये इतना घटिया है कि इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

तापसी ने ट्वीट के जरिए रवि के बयान के बारे में पूछा कि ये होता कौन है यह कहने वाला कि फिल्म में किसे कास्ट किया जाए और किसे नहीं, ये क्या कैरेक्टर सर्टिफिकेट एसोसिएशन का प्रेजिडेंट है? तापसी ने कहा कि यह बयान एक मेहनती एक्ट्रेस के खिलाफ आया है और ये सभी के बारे में ऐसा ही कहता होगा।

भारतीय धरोहर ‘शारदा पीठ’ कॉरिडोर को खोलने की मंज़ूरी, 5000 साल पुराने मंदिर के दर्शन करना होगा संभव

पाकिस्तान ने हिन्दुओं के पवित्र धर्मस्थल शारदा पीठ के कॉरिडोर को खोलने की मंज़ूरी दे दी है। पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित शारदा पीठ मंदिर किसी पहचान की मोहताज नहीं है। यह माँ सरस्वती के निवास स्थान के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है। कश्मीर के कुपवाड़ा से क़रीब 22 किलोमीटर दूर यह मंदिर महाराज अशोक के द्वारा 237 ईसा पूर्व में बनवाया गया था।

बता दें कि कश्मीरी पंडितों की तरफ से इस कॉरिडोर को खोलने के लिए लंबे समय से माँग की जा रही थी। अनंतनाग में रह रहे कश्मीरी पंडितों ने माँ सरस्वती के निवास के रूप में विख्यात शारदा देवी मंदिर में दर्शन करने के लिए रास्ता निकालने को लेकर अनेकों बार प्रदर्शन किए थे, जिसका समर्थन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने भी किया था। न्यूज़ एजेंसी ANI ने पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से इस ख़बर को शेयर किया है।

शारदा पीठ के संबंध में ब्राहम्ण ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रमेश किचलू ने मुंबई मिरर से बातचीत में कहा था कि यदि पुराने समय की बात करें तो छठी और बारहवीं सदी के बीच शारदा पीठ अध्ययन करने का एक बड़ा केंद्र हुआ करता था।

शारदा पीठ के इतिहास में एक लोक प्रचलित कहानी है, जिसमें एक चिड़िया अपनी चोंच से पत्थरों पर अक्षर लिखती है… इस बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

शारदा पीठ को लेकर एक मान्यता यह भी है कि ऋषि पाणिनि ने यहाँ अपने अष्टाध्यायी की रचना की थी। यह श्री विद्या साधना का महत्वपूर्ण केन्द्र था। शैव सम्प्रदाय की शुरुआत करने वाले आदि शंकराचार्य और वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य दोनों ने ही यहाँ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की थीं। शंकराचार्य यहीं सर्वज्ञपीठम पर बैठे तो रामानुजाचार्य ने यहाँ ब्रह्म सूत्रों पर अपनी समीक्षा लिखी थी।

वायु सेना में शामिल हुआ ‘चिनूक’ हेलिकॉप्टर, IAF प्रमुख ने बताया गेमचेंजर

लंबे समय के इंतज़ार के बाद चिनूक हेलिकॉप्टर को भारतीय वायु सेना में शामिल कर लिया गया है। इससे भारतीय वायु सेना को और अधिक मज़बूती मिल गई है। चंडीगढ़ में एयर फोर्स चीफ बीएस धनोआ की मौजूदगी में आज 4 चिनूक हेलिकॉप्टर के पहले यूनिट को वायु सेना में शामिल किया गया। इस चिनूक का नाम CH-47 एफ है।

इस मौक़े पर धनोआ ने कहा कि देश इस वक्त सुरक्षा के स्तर पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में हमें इसके लिए अलग-अलग क्षमता से भरपूर उपकरणों की ज़रूरत है। चिनूक को कुछ विशेष क्षमताओं से लैस किया गया है। यह राष्ट्र के लिए धरोहर है। इसके साथ ही चिनूक हेलिकॉप्टर की ताक़त और उपयोगिता को बताते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि चिनूक हेलिकॉप्टर सैन्य अभियानों में प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग सिर्फ़ दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी हो सकता है। इसकी दूसरी यूनिट पूर्व में दिनजान (असम) में होगी। चिनूक को वायु सेना में शामिल करना ठीक वैसे ही गेमचेंजर साबित होगा, जैसे फाइटर क्षेत्र में राफ़ेल को शामिल करना।

बता दें कि चिनूक एक मल्टीमिशन श्रेणी का हेलिकॉप्टर है। जिसका इस्तेमाल सैनिकों, हथियारों, उपकरण और ईंधन ढोने में किया जाता है। यह 9.6 टन वज़न उठा सकता है, जिसकी वजह से यह भारी मशीनरी, तोप और बख्तरबंद गाड़ियाँ लाने-ले जाने में सक्षम है। इसका उपयोग मानवीय और आपदा राहत अभियानों में भी किया जाता है। राहत सामग्री पहुँचाने और बड़ी संख्या में लोगों को बचाने में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। भारतीय वायु सेना के बेड़े में अब तक रूसी मूल के भारी वजन उठाने वाले हेलिकॉप्टर ही रहे हैं, लेकिन पहली बार वायु सेना को अमेरिका निर्मित हेलिकॉप्टर मिले हैं।

ग़ौरतलब है कि भारत ने सितंबर 2015 में विमान निर्माता कंपनी बोइंग से 15 ‘CH-47 एफ’ चिनूक हेलिकॉप्टर ख़रीदने के सौदे को अंतिम रूप दिया था। इसके साथ ही भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टर के पायलटों को पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका के डेलावर में चिनूक हेलिकॉप्टरों को उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के लिए भी भेजा गया था।

दहेज में नहीं मिली बाइक और रुपए तो पति ने WhatsApp पर दिया तीन तलाक़

केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक़ का अध्यादेश लाए जाने के बावजूद तीन तलाक़ का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। आए दिन ऐसी घटनाएँ सामने आती रहती हैं जिससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि तीन तलाक़ को लेकर समाज में अभी भी जागरुकता नहीं आ रही। इसी कड़ी में तीन तलाक़ से जुड़ा एक मामला सामने आया है, जिसमें पति ने पत्नी को व्हाट्सएप के ज़रिए तलाक़ दे दिया।

बता दें कि ये मामला गाज़ियाबाद के सिंभावली क्षेत्र के गाँव का है। यहाँ के एक युवक की शादी तक़रीबन दो साल पहले दिल्ली के सीलमपुर क्षेत्र में रहने वाली लड़की से हुई थी। युवक ने दहेज में बाइक व दो लाख रुपए की माँग की थी, जिसके ना दिए जाने पर उसने 16 मार्च 2019 को पत्नी को व्हाट्सएप पर तलाक़ दे दिया।

इतना ही नहीं, तलाक़ देने के बाद महिला के ससुराल वालों ने उसे बंधक बना लिया था। मगर किसी तरह से मौका पाकर महिला ने अपने मायके वालों को ख़बर की, जिसके बाद महिला के परिजनों ने पुलिस की मदद से अपनी बेटी को ससुरालवालों की क़ैद से आज़ाद करवाया। महिला के परिजनों ने थाने में कहा कि दहेज की रक़म ना दे पाने की वजह से उनकी बेटी को तलाक़ की सज़ा दी गई है।

इस मामले पर एसओ (थाना प्रभारी) नीरज कुमार का कहना है कि शिक़ायत के आधार पर परिजनों के साथ पहुँची पुलिस महिला को मुक्त कराकर थाने ले आई थी। महिला के परिजनों का कहना है कि वो क़ानूनी सलाह लेने के बाद ही किसी तरह की कार्रवाई करेंगे। फ़िलहाल परिजन तलाक़शुदा महिला को उसकी बच्ची समेत अपने साथ घर ले गए हैं।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले भी हैदराबाद से एक ऐसी ही ख़बर सामने आई थी, जिसमें 22 वर्षीय महिला फराह फातिमा को उनके शौहर यासीर सिद्दकी ने व्हाट्सएप्प मैसेंजर के जरिए तीन तलाक़ दे दिया था, बता दें कि इनका निक़ाह फोन पर हुआ था।

‘मेरे पिता लाल बहादुर शास्त्री की तरह मोदी ने भी भारतीयों का मस्तक गर्व से ऊँचा उठाया’

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री ने ‘द ताशकंद फाइल्स’ लॉन्च के दौरान खुल कर अपनी बातों को सामने रखा। सुनील शास्त्री ने बेबाक तरीके से हर सवाल का जवाब देते हुए फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की प्रशंसा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऑपइंडिया के सवालों का जवाब देते हुए सुनील शास्त्री ने कहा कि जिस तरह उनके पिता लाल बहादुर शास्त्री ने हर भारतीय का मस्तक गर्व से ऊँचा किया, ठीक उसी तरह आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हर भारतीय का मस्तक गर्व से ऊँचा करने वाला कार्य कर रहे हैं। हालाँकि, उन्होंने राजनीति से जुड़े कई सवालों को टाल दिया लेकिन पीएम मोदी और अपने पिता के बीच समानता ढूँढने वाले प्रश्न पर वे ख़ामोश नहीं रह सके और अपनी बात रखी।

बाएँ से दाएँ (लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री, नाती संजय नाथ सिंह और फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री)

इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सुनील शास्त्री ने एक बहुत ही जबरदस्त वाक़या सुनाया। ऑपइंडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने एक ऐसी घटना का जिक्र किया, जिस से आप न सिर्फ़ लाल बहादुर शास्त्री की हाज़िरजवाबी के कायल हो जाएँगे बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता की भी प्रशंसा करेंगे। हुआ यूँ कि युद्ध के दौर से गुज़र रहे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम के समझौते के लिए दोनों देशों के नेताओं के बीच ताशकंद में समझौता होना तय हुआ। उस समय जनरल अयूब ख़ान पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। ऊँची क़द-काठी के अयूब ख़ान की शख़्सियत बहुत ही डील-डौल वाली थी। जब उनके और लाल बहादुर शास्त्री के बीच समझौता होना निश्चित हुआ, तब किसी ने शास्त्री का इस तरफ़ ध्यान दिलाया।

लाल बहादुर शास्त्री से किसी ने कहा कि वे तो इतने सीधे-सादे व्यक्ति हैं और धोती-कुर्ता में रहते हैं, ऐसे में भारी क़द-काठी वाले अयूब ख़ान के साथ वे एक फ्रेम में कैसे जँचेंगे? इस सवाल का शास्त्री ने काफ़ी हाज़िरजवाबी ढंग से जवाब दिया। लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मेरे से ऊँची क़द-काठी वाले हैं तो ये और भी अच्छी बात है क्योंकि भारत अपना मस्तक उठा कर बात करेगा और पाकिस्तान अपना सर झुका कर बात करेगा। उन्होंने इस बात से यह साबित कर दिया कि आदमी अपनी क़द-काठी से नहीं बल्कि अपने व्यवहार से अपने व्यक्तित्व का निर्माण करता है।

अभिनेत्री पल्लवी जोशी और सुनील शास्त्री के साथ फ़िल्म से जुड़े अन्य लोग

इस दौरान भावुक हुए सुनील शास्त्री ने कहा कि उन्हें आशा है कि ‘द ताशकंद फाइल्स’ की रिलीज के बाद उनके पिता की मृत्यु का सच बाहर आएगा। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे लाल बहादुर शास्त्री के पर्सनल डॉक्टर और असिस्टेंट का एक्सीडेंट करा दिया गया था। उसके अस्सिस्टेंट रामनाथ को सुनील शास्त्री एक भाई की तरह मानते थे। उनसे जब भी शास्त्री जी के बारे में पूछा जाता, वो रो उठते थे। उनका दो बार एक्सीडेंट हुआ, जिसमें उनका एक पैर जाता रहा और उनके दिमाग पर भी बुरा असर पड़ा। इसी तरह उनके डॉक्टर की पुत्र सहित एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। बकौल सुनील शास्त्री, ये सब सिर्फ़ एक संयोग नहीं था।

भावुक सुनील शास्त्री को ढाढस बँधाते हुए अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने कहा कि क्या एक बेटे को यह जानने का हक़ नहीं है कि उनके पिता की मृत्यु कैसे हुई? सुनील शास्त्री ने और भी कई रोंगटे खड़े कर देने वाली बातें बताई, जिसे सुन कर आप भी यह सोचने को मज़बूर हो जाएँगे कि आखिर वो कौन लोग थे, जिन्हें शास्त्री जी की मृत्यु का राज़ खुलने का भय था?

सुनील शास्त्री कह चुके हैं कि पीएम मोदी को वैसा ही मान-सम्मान मिलता है, जैसा उनके पिता को मिला करता था। बता दें कि नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने पद पर रहते हुए लाल बहादुर शास्त्री के पैतृक आवास का दौरा किया था। सुनील शास्त्री मोदी को लाल बहादुर की तरह ही मेहनती मानते हैं।