लालकृष्ण आडवाणी ने ये रथयात्रा सिर्फ राम मंदिर के लिए नहीं निकाली थी, बल्कि इसका उद्देश्य था देश की सांस्कृतिक पहचान को पुनः पुष्ट करना। उनका सीधा कहना था - राम के मुकाबले बाबर को खड़ा करने का प्रयास गलत है।
राहुल गाँधी ने 'शक्ति के विनाश' की बात करने के बाद अब संपूर्ण हिन्दू समाज को हिंसक बता दिया है। साथ ही अहिंसा का वही पुराना रटा-रटाया शिगूफा छेड़ा है। राहुल गाँधी ये बकैती कर पा रहे हैं, क्योंकि भारत में 50 लाख जवान हाथों में शस्त्र लेकर खड़े हैं। हिन्दू धर्म कहता है - राक्षसों से अहिंसा नहीं।
जो चैतन्य महाप्रभु की भूमि थी, उसे पहले 1946 के नरसंहार के बाद खंडित किया गया और अब भी वहाँ शरिया ही चलाया जा रहा है। सीरिया से लेकर तमिलनाडु तक ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। मोपला से लेकर चोपरा तक, खून हिन्दुओं का ही बहता है।
केसी वेणुगोपाल के पत्र ने यह साफ कर दिया है कि कॉन्ग्रेस इमरजेंसी के दौर पर खुद तो बात नहीं ही करना चाहती बल्कि बाकी लोगों को भी इस विषय में चुप करना चाहती है।
कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में कॉन्ग्रेस ने अपने ही नेता को डिप्टी स्पीकर बना रखा है विधानसभा में। तमिलनाडु में DMK, झारखंड में JMM, केरल में लेफ्ट और पश्चिम बंगाल में TMC ने भी यही किया है। दिल्ली और पंजाब में AAP भी यही कर रही है। लोकसभा में यही I.N.D.I. गठबंधन वाले 'परंपरा' और 'परिपाटी' की बातें करते नहीं थक रहे।