Friday, November 29, 2024

राजनैतिक मुद्दे

पंडित दीनदयाल और एकात्म मानववाद: पश्चिम की बजाय भारत को भारत की ही दृष्टि से देखना आवश्यक

दीनदयाल जी ‘राष्ट्र’ की संकल्पना में व्यक्ति को एक साधन के रूप में देखते हैं। व्यक्ति स्वयं के अतिरिक्त अपने राष्ट्र का भी प्रतिनिधित्व करता है।

…भारत के ताबूत में आखिरी कील, कश्मीरी नहीं बने रहना चाहते भारतीय: फारूक अब्दुल्ला ने कहा, जो सांसद है

"इस समय कश्मीरी लोग अपने आप को न तो भारतीय समझते हैं, ना ही वे भारतीय बने रहना चाहते हैं।" - भारत के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने...

लोकतंत्र के मंदिर से होता खिलवाड़, क्या उपवास के बहाने ही सही विपक्ष करेगा गाँधी को याद?

आज हमें खुद से कुछ प्रश्न करने की जरूरत है कि लोकतंत्र के मंदिर में हुई शर्मनाक हरकत से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या सीख दे रहे हैं?

बिहार में कुछ अच्छा हो, कोई अच्छा काम करे… और वो मोदी से जुड़ा हो तो ‘चुड़ैल मीडिया’ भला क्यों दिखाए?

सुल्तानगंज-कहलगाँव के 60 km के क्षेत्र को “विक्रमशिला गांगेय डॉलफिन सैंक्चुअरी” घोषित किया जा चुका है। इस काम को और एक कदम आगे ले जा कर...

8.5% कमीशन आढ़तिया और राज्य सरकार का…ऐसे लूटा जाता है किसान की उपज को, फिर भी घड़ियाली आँसू बहा रहा विपक्ष

इन तीनों विधेयकों की सही और पूरी जानकारी किसानों तक पहुँच नहीं पाई है। यह सरकार की विफलता ही मानी जाएगी। इतने महत्वपूर्ण और दूरगामी...

केवल इसी को बेचो या अपनी मर्जी से कहीं भी बेचो… किसान के लिए क्या बेहतर?

तरह-तरह के जुमलों से किसानों को बरगलाने की कोशिश की जा रही है। MSP जो कि अभी भी लागू है, उसके ख़त्म किए जाने का डर बनाया जा रहा...

‘बिचौलिया’ मदर इंडिया का लाला नहीं… अब वो कंट्रोल करता है पूरा मार्केट: कृषि विधेयक इनका फन कुचलने के लिए

'बिचौलिया' मतलब छोटी मछली नहीं, बड़े किलर शार्क। ये एक इशारे पर दर्जनों वेयरहाउस से आपूर्ति धीमी करवा, कई राज्यों में कीमतें बढ़ा सकते हैं।

86 साल बाद निर्मली और भपटियाही का ‘मिलन’, पर आत्मनिर्भर बिहार कब बनेगा

आखिर आत्मनिर्भर बिहार कब बनेगा जहाँ के लोग रोजगार के लिए पलायन करने के बदले रोजगार देने वाले बनें?

उनके लिए धर्म अफीम है, मजहब नहीं: बेगूसराय में निपटा ‘लफंगा’ अब अपनों के गेम से चित

बेगूसराय ने जब वामपंथी पोस्टर बॉय को नकार दिया तो अब 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' ने उसी कुकृत्य से कुख्यात हुए एक दूसरे चेहरे को सामने रखना शुरू कर दिया है।

प्रवासी: तापसी पन्नू का वैचारिक प्रपंच

तापसी श्रमिक पालयन के मूल कारण पर मौन क्यों हैं? महामारी नियंत्रण में केंद्र सरकार के प्रयासों को विफल क्यों करना चाहती हैं, देश में अराजकता क्यों बढ़ाना चाहती हैं?

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