Saturday, November 23, 2024

सामाजिक मुद्दे

विवाद मैदान का, खुद के मजे के लिए KL राहुल का ‘परिवार’ घसीट लाए मीमबाज: फैन नहीं कोढ़ है वह मानसिकता जो क्रिकेटरों की...

गोएनका और के एल राहुल की वीडियो देख आलोचना करने वाले लोग वहीं हैं जो पसंदीदा क्रिकेटर के आउट होने पर उसको माँ-बहन की गाली देने लगते हैं।

8 साल, 150 बार रेप, मामला निकला झूठा… ‘शादी का झाँसा देकर बलात्कार’ वाले केस कितने सही? प्रेम करना हो जाएगा मुश्किल, FIR होते...

किसी महिला द्वारा एक पुरुष के विरुद्ध बलात्कार का मामला दर्ज कराए जाते ही उसे अपराधी मानने का चलन खत्म करना होगा।

जज की टिप्पणी ही नहीं, IMA की मंशा पर भी उठ रहे सवाल: पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, ईसाई बनाने वाले पादरियों के ‘इलाज’...

यूजर्स पूछ रहे हैं कि जैसी सख्ती पतंजलि पर दिखाई जा रही है, वैसी उन ईसाई पादरियों पर क्यों नहीं, जो दावा करते हैं कि तमाम बीमारी ठीक करेंगे।

चीन से आई बीमारी, मोदी सरकार ने की नसबंदी, फिर भी रिश्ते तक को रहा लील: जिंदगी छीन रहा मनोरंजन का यह ट्रेंड

टिकटॉक ने ऐसा वर्ग को पैदा किया जो फेमस होने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। अब वो ऐप बैन है लेकिन इससे प्रभावित लोग अब भी वर्चुअल दुनिया के गुलाम हैं।

‘बहरों को सुनाने के लिए ऊँची आवाज़ की ज़रूरत’: ब्रिटिश सरकार को नाकों चने चबवा दिए थे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, शहीद दिवस...

सैंडर्स की हत्या के लिए भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को आज ही के दिन यानी 23 मार्च 1931 को फाँसी दे दी गई थी।

भारत की स्त्रियों का गरिमामयी और सशक्त इतिहास: पुरुषों के साथ मिलकर रची हैं सफलता की कहानियाँ, आवश्यकता है संपूरकता के विमर्श की

यदि रावण ने सीता माता का हरण किया तो उनकी रक्षा के लिए पुरुषों ने योगदान दिया। यदि स्त्रियों ने जौहर किया तो साका भी हजारों पुरुषों ने किया।

आक्रांताओं की हिंसा से बचाने के लिए देवी-देवताओं, महिलाओं को घर में लाया गया… राम मंदिर से महिलाएँ फिर होंगी स्वतंत्र-सुरक्षित

श्री राम और राम राज्य इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि हिंसा सनातन संस्कृति का हिस्सा नहीं थी। राम मंदिर से समाज में यह बात फिर से घर करेगी।

पूनम पांडेय के सस्ते पब्लिसिटी स्टंट पर होगी कार्रवाई? अगर किसी पुरुष ने ऐसा किया होता तब?

पूनम पांडेय की इस हरकत पर लोग निंदा तो कर रहे हैं, मगर यह तब तक अधूरा है जब तक इस प्रकार के पब्लिसिटी स्टंट को लेकर कोई कानूनी कदम नहीं उठाया जाता।

‘परिवार-तोड़ू फेमिनिस्ट और न्याय-विरोधी वामपंथी’ को भगवान राम से नफरत क्यों? क्योंकि ‘शबरी के बेर, ताड़का को ढेर, सौतेली माँ का मान’ टाइप आदर्श...

प्रभु श्रीराम मर्यादा निर्धारित करते हैं कि अपराध लिंग निरपेक्ष होता है तो दंड भी लिंग निरपेक्ष ही हो। तभी फेमिनिस्ट भगवान से घृणा करती हैं।

यह केवल धर्म नहीं, राम सिर्फ भगवान नहीं, यह हर्ष मात्र भक्ति नहीं

राम पर हरेक का अधिकार उनके अवतार होने के कारण नहीं है। अराध्य होने के कारण नहीं है। किसी मायाजाल या चमत्कार से नहीं है।

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