बिहार में ज़हरीली शराब से गरीब मर रहे हैं। उनमें जागरूकता का अभाव है। उनके परिवारों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों? आम जनता पर क्यों थोपा जा रहा दोष?
मोहम्मद अशफाक, शाहीन फिरदौस, फरहत खान, इफ्तिखारुद्दीन या इनामुर्रहमान को यह भान भी नहीं होगा कि वे अपने आचरण से स्वयं को विध्वंसक विचार की मध्ययुगीन मेगा मशीन के गंदे कलपुर्जे बनाए हुए हैं!