Sunday, November 24, 2024

सामाजिक मुद्दे

सेकुलर नहीं, अच्छा हिंदू बनिए, उनको उनकी ईद के साथ छोड़ दीजिए, क्योंकि फूलों की यही बारिश कल पत्थर बन बरसेंगे

सियासी मजबूरी तो समझी जा सकती है। लेकिन आम हिंदुओं की वह कौन सी मजबूरी है जो उन्हें कथित भाईचारे की मिसाल बनने को इतना उद्वेलित करती है?

नीतीश कुमार, यदि सुशासन ऐसा ही होता है तो इसे भी जहरीली शराब पीकर मर जाना चाहिए

बिहार में ज़हरीली शराब से गरीब मर रहे हैं। उनमें जागरूकता का अभाव है। उनके परिवारों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों? आम जनता पर क्यों थोपा जा रहा दोष?

रामराज्य की स्थापना में कंटक है इस्लामी कट्टरता, श्रीराम के कर्मपथ का अनुसरण कर ही मजहबी क्रूरता पर मिलेगी विजय

आत्मगौरव, स्वधर्म और स्वाभिमानपूर्ण तेजस्वी-यशस्वी जीवन की रक्षा श्रीराम के कर्मपथ का अनुसरण करके ही संभव है।

पहले सरकारी डॉक्टर, अब टीचर का बेटा… क्या बिहार में फिर शुरू हो गया जंगलराज वाला ‘अपहरण उद्योग’: लालू यादव के भतीजे पर भी...

बिहार में किडनैपिंग इंडस्ट्री एक बार फिर से फलने-फूलने लगी है। इस महीने में ही अपहरण और रंगदारी के 5 हाई प्रोफाइल मामले सामने आए हैं।

स्पेशल मैरिज एक्ट और समान नागरिक संहिता: केरल के मोहम्मद शुक्कुर को निकाह के 29 साल बाद फिर क्यों करनी पड़ी शादी, UCC से...

केरल के अभिनेता शुक्कुर जैसे जागरूक लोगों को पता है कि अपने बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए क्या किया जा सकता है।

मोहम्मद अशफाक, शाहीन फिरदौस, फरहत खान, इफ्तखारुद्दीन… सरकारी मशीनरी में मध्ययुगीन विध्वंसक कलपुर्जे

मोहम्मद अशफाक, शाहीन फिरदौस, फरहत खान, इफ्तिखारुद्दीन या इनामुर्रहमान को यह भान भी नहीं होगा कि वे अपने आचरण से स्वयं को विध्वंसक विचार की मध्ययुगीन मेगा मशीन के गंदे कलपुर्जे बनाए हुए हैं!

2047 तक फिर होगा भारत का विभाजन: कट्टर इस्लामी और वामपंथियों का है यह टारगेट, लंबी प्लानिंग पर कर रहे काम

पीएफआई के कट्टर इस्लामी आतंकियों ने हिंदुओं को मारने की योजना बनाई है और वामपंथी उनके काम को आसान कर रहे हैं।

माहवारी शुरू होते निकाह, व्यभिचारी मर्दों को छूट, बेटियों के अधिकार में भेदभाव… मजहबी आधार पर पर्सनल लॉ देश के लिए खतरा

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता जरूरी है।

वो अंधविश्वास बता खारिज करेंगे… आप भौतिक विज्ञान से आगे आध्यात्मिक विज्ञान की डोर थामे सनातन परम्परा पर गर्व कीजिए

कुछ चीजें ऐसी हैं जो भौतिक विज्ञान की पकड़ से बाहर की बात है और अल्बर्ट आइन्स्टाइन जैसे वैज्ञानिक ने भी यह माना था।

कोई उँगली के इशारों से सामान उठा कर रख देता था, तो किसी के चमत्कारों को ओशो ने भी स्वीकारा: आस्था के रहस्यों को...

मेहर बाबा के चमत्कारों को ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति ने भी स्वीकारा है। वैदिक साहित्य में अष्ट सिद्धियों का जिक्र आता है और इनसे यह सब संभव है।

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