राहुल-प्रियंका की उल्टी समेटने के चक्कर में मोहम्मद जुबैर-प्रतीक सिन्हा के ऑल्टन्यूज ने फिर रायता फैलाया

फैक्टचेक में भी धूर्तता का अनुसंधान करने वाले 'वैज्ञानिक' - ऑल्टन्यूज़ ब्रदर्स

सोशल मीडिया पर राहुल-प्रियंका के ठहाकों का वीडियो के वायरल होते ही सबसे पहले ‘इंडिया टुडे’ अपने आकाओं को ‘क्लीनचिट’ देने के लिए मैदान में उतरा तो कुछ ही दिन बाद उसी सामंतशाही विचारधारा से जन्मे गैंग ऑल्टन्यूज वाले ‘आतापी-वातापी’ यानी, प्रतीक-जुबैर की जोड़ी भी अब भाई-बहन की जोड़ी की बची हुई इमेज बचाने मैदान में उतर पड़ी।

इस प्रतीक-जुबैर की ‘ऑल्टन्यूज़ ब्रदर्स’ वाली जोड़ी की उपलब्धि ये है कि इन्होंने फैक्टचेक में भी धूर्तता की गुंजाइश तलाश की थी। इस तरह से इन्हें वैज्ञानिक फैक्टचेकर्स भी कह सकते हैं।

नाबालिग बच्ची की जानकारी और तस्वीर सार्वजानिक कर उसे लोगों की घृणा का शिकार बनाने के आरोप के चलते NCW की फटकार खाने वाले ऑल्टन्यूज़ का सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर सोशल मीडिया पर वापस लौटा और लौटकर उसने ‘धमाकेदार वापसी’ की। वास्तव में, इस बात से शायद ही कोई इनकार करेगा कि कुख्यात और ‘नौटी’ होना ही ऑल्टन्यूज के लिए ‘धमाकेदार वापसी’ हो सकता है।

हाथरस मामले पर हो रही राजनीति के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को कार से हाथरस जाते हुए देखा जा सकता है, जहाँ वह कथित तौर पर पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए जा रहे थे। वीडियो में दोनों भाई-बहनों के ठहाके की आवाज सुनाई देती है।

इंडिया टुडे के बाद अब ऑल्टन्यूज़ ने कुछ साबित नहीं, बल्कि सीधा क्लीनचिट करने का करिश्मा किया है। इस बार राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा के ठहाकों का ‘फैक्ट-चेक’ करने की जिम्मेदारी ऑल्टन्यूज़ ने उठाई।

फीचर फोटो में ‘हाथरस वाले ठहाके’ और फैक्टचेक लोकसभा चुनाव का

ऑल्टन्यूज़ ने ‘इंडिया टुडे’ से एक कदम आगे जाते हुए पूरी धूर्तता के साथ शीर्षक तो ‘हाथरस जाते हुए वीडियो’ का रखा लेकिन अपने आकाओं की जिस तस्वीर का फैक्टचेक किया है वह राहुल-प्रियंका के हाथरस जाते समय की नहीं बल्कि 2019 के आम चुनावों से पहले की है। जबकि इस कथित फैक्टचेक की फीचर फोटो में प्रियंका और राहुल गाँधी की वही विवादित तस्वीर इस्तेमाल की है, जिसमें उन्हें हाथरस जाते समय ठहाके लगते देखा गया था और जिसमें फैक्टचेक की कोई गुंजाइश ही मौजूद नहीं है।

ऑल्टन्यूज़ के इस कथित फैक्टचेक में यह समस्या है कि यदि वह प्रियंका गाँधी वाड्रा और राहुल गाँधी के हाथरस जाते वक्त सामने आए वीडियो का फैक्टचेक करने का दावा कर रहे हैं तो उन्हें उन दोनों भाई बहनों यानी राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी की 2019 के लोकसभा चुनावों की तस्वीर का फैक्ट चेक करने की आवश्यकता क्यों हुई?

राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के हाथरस जाते समय कार में हँसने वाले वीडियो की सच्चाई से पूरी दुनिया वाकिफ है कि वह फेक वीडियो नहीं था लेकिन ‘ऑल्टन्यूज़ ब्रदर्स’ उसके बजाय पुरानी और ऐसी तस्वीर का फैक्टचेक क्यों कर रहे हैं जिस तस्वीर का लोगों को ध्यान तक नहीं? असल में यहाँ पर मंशा सिर्फ और सिर्फ राहुल-प्रियंका को यह क्लीनचिट देने की ही थी कि हाथरस की घटना में पीड़ित परिवार को मिलने जाते समय दोनों बेहद शालीन और दुःख के सागर में डूबे हुए थे।

निष्कर्ष तो यही निकलता है कि दोनों कथित गाँधियों को हाथरस के पीड़ित परिवार से कोई सहानुभूति थी नहीं, लेकिन ऑल्टन्यूज को इनके डूबते करियर से जरुर सहानुभूति है।

इस बार ऑल्टन्यूज़ ने किसी ‘वायरल’ दावे का इन्तजार करना भी जरुरी नहीं समझा बल्कि मात्र एक ट्वीट (जो कि इसलिए संदेहास्पद है क्योंकि वह भी अब डिलीट कर दिया गया है) के आधार पर इसका फैक्ट चेक करना जरुरी समझा। अब इस रिपोर्ट में कहीं दावे नहीं बल्कि सिर्फ एक यूआरएल और कुछ धूर्तता के प्रमाणपत्र ही शेष हैं।

हाथरस पीड़ित परिवार से मिलने जाते वक्त प्रियंका-राहुल के वीडियो की सच्चाई उनके मास्क और कुर्ते बयाँ कर ही रहे हैं –

‘India Today’ ने इस बात से इनकार नहीं किया था कि राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा, दोनों ही कार में सबसे आगे बैठे हैं, लेकिन उनका कहना था कि चूँकि दोनों के चेहरे नहीं दिख रहे थे इसलिए यह नहीं बताया जा सकता है कि कौन हँस रहा है।

इंडिया टुडे की मक्कारी की हद यहीं तक सीमित थी लेकिन ऑल्टन्यूज़ ने जो कारनामा किया है उसने साबित कर दिया है कि कॉन्ग्रेस को अपनी लाज बचाने के लिए और बड़े स्तर के धूर्त अब मिल चुके हैं। इनके टेलेंट पर शक करना और उसे कम समझना उचित भी नहीं है क्योंकि ये वही लोग हैं जो दिल्ली दंगों के प्रमुख आरोपित ताहिर हुसैन के वीडियो में ‘फैक्ट्स’ तलाश रहे थे, जामिया में पत्थरों को बटुआ बता रहे थे।

ऐसा क्यों करता है ऑल्टन्यूज

ऑल्टन्यूज धूर्त तो है लेकिन इंटरनेट के समय में धूर्तता कई बार मूर्खता में परिवर्तित हो जाती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल और प्रियंका गाँधी के ऊपर हाथरस जाते हुए ‘कार में हँसने’ की बातें सामने आई थी, जो कि सबने देखा और सुना।

ऑल्टन्यूज ने चालाकी से मुद्दा तो हँसने का उठाया, लेकिन फैक्टचेक किसी और फोटो का किया जो एक दो लोग, इस कारण ही शेयर कर रहे थे कि उन्हें भी पता चला राहुल-प्रियंका हँसते हुए जा रहे थे।

ऐसे में, सत्य यही है कि दोनों नकली गाँधियों को हाथरस के पीड़ित परिवार से कोई सहानुभूति थी नहीं, लेकिन ऑल्टन्यूज को इन दोनों के डूबते करियर से बहुत सहानुभूति है। हो भी क्यों नहीं, ऑल्टन्यूज के कुख्यात जुबैर-सिन्हा का जोड़ा भी राहुल-प्रियंका के जोड़े की ही तरह गायब होने की कगार पर है।

बाहरहाल, चालाकी यह की गई कि ऑल्टन्यूज के दो-चार-दस पाठकों को यह जताने के लिए राहुल और प्रियंका हँस नहीं रहे थे, पत्रकारिता के साथ यह दुष्कर्म किया गया। फैक्टचेकिंग सत्य को सामने लाने के लिए किया जाता है, शेयर करने वाले की मंशा भी देखी जाती है। यहाँ राहुल-प्रियंका के हँसने की भी बात सही है, और वो वीडियो भी सबके सामने है।

इतना ही नहीं, ऑल्टन्यूज ने अपने नासा वाले सॉफ्टवेयर से यह पता लगा लिया कि ये फोटो गलत है, लेकिन मंगल ग्रह पर दिमाग रख कर भूल आए जुबैर-सिन्हा की जोड़ी से यह पूछा जाना चाहिए कि फीचर्ड इमेज में वीडियो का स्क्रीनशॉट किस आधार पर लगाया है?

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