राहुल ‘पलटू’ गॉंधी: घोषणा पत्र में जो किया वादा, कृषि बिल में उसका ही कर रहे विरोध

पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी (साभार: Twitter)

गुरुवार (सितंबर 17, 2020) को कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने संसद में देश में कृषि क्षेत्रों में सुधार से संबंधित तीन बिल पेश किए जाने को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ तीखा हमला किया। फिलहाल छुट्टियों पर चल रहे कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ट्विटर पर कहा कि मोदी सरकार के इन ‘काले कानूनों’ को किसानों और खेतिहर मजदूरों आर्थिक रूप से शोषित करने के लिए पेश किया जा रहा है।

https://twitter.com/RahulGandhi/status/1306581066896084994?ref_src=twsrc%5Etfw

राहुल गाँधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, “मोदी जी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था। लेकिन मोदी सरकार के ‘काले’ क़ानून किसान-खेतिहर मज़दूर का आर्थिक शोषण करने के लिए बनाए जा रहे हैं। ये ‘ज़मींदारी’ का नया रूप है और मोदी जी के कुछ ‘मित्र’ नए भारत के ‘जमींदार’ होंगे। कृषि मंडी हटी, देश की खाद्य सुरक्षा मिटी।”

दिलचस्प बात यह है कि इस हफ्ते की शुरुआत में, राहुल गाँधी ने मोदी सरकार के खिलाफ इसी तरह का हमला करते हुए दावा किया था कि केंद्र सरकार के तीन बिल किसान और खेतिहर मजदूरों पर एक ‘घातक प्रहार’ है।

फार्म सेक्टर और APMC सुधार कॉन्ग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा थे

हालाँकि, संसद में पेश किए गए तीन कृषि सुधारों के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ कॉन्ग्रेस पार्टी के विरोध ने फिर से उनके पाखंड को उजागर कर दिया है। जारी संसद सत्र में मोदी सरकार ने तीन बिल पेश किए हैं – किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल और आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल। ये तीनों बिल कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार लाने के लिए लाया गया है।

बता दें कि जो कॉन्ग्रेस पार्टी इन दिनों बिल का विरोध कर रही है, वह खुद भी कभी इसी तरह के सुधार की प्रस्तावक थी, जो वर्तमान में मोदी सरकार द्वारा पेश किए जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2019 में राहुल गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इन सुधारों की घोषणा की थी।

2019 के लोकसभा चुनावों में, कॉन्ग्रेस पार्टी ने एक चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि कॉन्ग्रेस पार्टी यदि कभी सत्ता में आती है तो वह कृषि उपज मंडी समितियों के अधिनियम में संशोधन करेगी, जिससे कि कृषि उपज के निर्यात और अंतर्राज्यीय व्यापार पर लगे सभी प्रतिबन्ध समाप्त हो जाएँगे।

Image Source: Congress Manifesto 2019/ DAAM – AGRICULTURE, FARMERS, AND FARM LABOUR

मोदी सरकार ने जिन तीन बिल को आगे बढ़ाया है उसमें से पहले दो बिल- किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल एवं मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल में APMC एक्ट में सुधार की बात कही गई है। फिलहाल मौजूदा व्यवस्था के तहत APMC एक्ट के जरिए किसानों को अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए बाध्य होना पड़ता है लेकिन सरकार ने जो सुधार किया है उसके तहत किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकेंगे। APMC में इस तरह के सुधार से किसानों को कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा किए गए वादे के अनुसार खेत की उपज को बेचना आसान हो गया है।

PRS इंडिया के अनुसार पहला विधेयक विभिन्न राज्य कृषि उपज बाजार कानूनों के तहत अधिसूचित बाजारों के बाहर किसानों की उपज के अवरोध मुक्त व्यापार के लिए प्रदान करना चाहता है। वहीं दूसरा बिल APMC बाजारों के भौतिक परिसर से परे किसानों की उपज के अंत:-राज्य और अंतर-राज्य व्यापार की अनुमति देता है।

इसी तरह, अपने चुनावी घोषणापत्र में, कॉन्ग्रेस पार्टी ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 को बदलने का भी वादा किया था। कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 को बदलकर आज की जरूरतों और संदर्भों के हिसाब से नए कानून बनाए जाएँगे, जो विशेष आर्थिक परिस्थितियों में ही लागू किए जा सकेंगे।

Image Source: Congress Manifesto 2019/ DAAM – AGRICULTURE, FARMERS, AND FARM LABOUR

हालाँकि, कॉन्ग्रेस पार्टी को लगता है कि मोदी सरकार एक ऐसा कानून ला रही है जो आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की जगह लेगा। मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन के लिए आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को शामिल किया है। नया विधेयक केंद्र सरकार को कुछ वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, व्यापार और वाणिज्य को नियंत्रित करने का अधिकार देता है।

हालाँकि यह समझ से परे है कि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी क्यों उन्हीं सुधारों का विरोध कर रहे हैं, जिनका वादा बहुत पहले उनकी ही पार्टी ने किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया