Saturday, November 23, 2024
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दिल्ली में पहले शराब घोटाला, फिर केस लड़ने के लिए सरकारी खजाने से वकीलों पर फूँक दिए ₹28 करोड़: आधा से ज़्यादा इस कॉन्ग्रेस नेता को मिला

मुख्य सचिव की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के अंतर्गत शराब कारोबार में गुटबाजी और एकाधिकार चल रहा था। यह भी आरोप लगाया गया है कि नई आबकारी नीति के तहत शर्तों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को भी शराब के लाइसेंस अवैध रूप से वितरित किए गए थे।

दिल्ली का शराब घोटाला न केवल अरविंद केजरीवाल सरकार बल्कि दिल्ली के सरकारी खजाने के लिए भी भरा पड़ रहा है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार शराब घोटाले में पैरवी करने वाले वकीलों को 25 करोड़ रुपए से अधिक दे चुकी है। वहीं, बीते 18 महीनों में वकीलों की फीस के रूप में 28.10 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि शराब घोटाले की पैरवी करने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा कॉन्ग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी को 18.97 करोड़ रुपए दिए हैं। वहीं, जेल में बंद मंत्री सत्येंद्र जैन की पैरवी करते दिखाई देने वाले वकील राहुल मेहरा को 5.30 करोड़ रुपए दिए गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंघवी को साल 2021-22 के दौरान, पहले तो 14.85 करोड़ रुपए दिए गए। लेकिन, बाद में 4.1 करोड़ रुपए दिए गए हैं। मेहरा का भुगतान, जो 2020-21 में बयान की व्यय सूची में 2.4 लाख रुपए के रूप में दिखाया गया था, 2021-22 में बढ़कर 3.9 करोड़ रुपए हो गया और वर्तमान में 1.3 करोड़ रुपए दर्ज किया गया।

सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि शराब घोटाला सामने आने से पहले, दिल्ली में आप सरकार का कुल खर्च केवल 6.70 करोड़ रुपए था। इसमें, अधिकांश खर्च सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) और स्वास्थ्य विभाग के लिए खर्च किया जाता था।

दिल्ली का शराब घोटाला

मुख्य सचिव की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के अंतर्गत शराब कारोबार में गुटबाजी और एकाधिकार चल रहा था। यह भी आरोप लगाया गया है कि नई आबकारी नीति के तहत शर्तों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को भी शराब के लाइसेंस अवैध रूप से वितरित किए गए थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल की अनिवार्य स्वीकृति के बिना ही एक्साइज पॉलिसी में बदलाव किए थे। सिसोदिया ने शराब विक्रेताओं द्वारा लाइसेंस के लिए भुगतान की जाने वाली लाइसेंस फीस पर ₹144.36 करोड़ की छूट दी थी। उन्होंने यह छूट कोविड-19 महामारी के नाम पर दी थी। यही नहीं, सिसोदिया ने बीयर पर प्रति पेटी 50 रुपए के आयात पास शुल्क को भी हटा दिया था। साथ ही, विदेशी शराब की कीमतों में संशोधन करके शराब विक्रेताओं को अनुचित तरीके से लाभ दिया था।

सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, एल-1 लाइसेंस अवैध रूप से जारी किए गए थे। इसके लिए वकायदा रिश्वत ली गई थी। यह भी सामने आया है कि एक व्यापारी ने मनीष सिसोदिया के सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को 1 करोड़ रुपए का दिए थे। जाँच में यह भी सामने आया है कि L-1 लाइसेंस के लिए व्यापरियों से करोड़ों रुपए लिए जा रहे थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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