Tuesday, October 8, 2024
Homeदेश-समाजकश्मीर में टारगेट किलिंग को देखते हुए सरकार का बड़ा फैसला: जिला मुख्यालयों पर...

कश्मीर में टारगेट किलिंग को देखते हुए सरकार का बड़ा फैसला: जिला मुख्यालयों पर होगा हिन्दू कर्मचारियों का स्थानांतरण, आवास की भी होगी सुरक्षा

पिछले महीने राहुल भट नाम के एक कश्मीरी हिंदू की बडगान के सुदूर इलाके चंडूरा में स्थित तहसील परिसर में घुसकर आतंकियों ने हत्या कर दी थी। भट वहाँ राजस्व अधिकारी के तौर पर तैनात थे और हिंदू शरणार्थियों के लिए सरकारी योजनाओं का काम देख रहे थे। जिस वक्त उन्हें मौत के घाट उतारा गया, उस वक्त ऑफिस में अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे।

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में टारगेट किलिंग (Target Killing) के शिकार हिंदुओं को राहत देने के लिए प्रशासन ने सभी हिंदू कर्मचारियों को जिला मुख्यालय पर स्थानांतरण करने का निर्णय लिया है। यह फैसला आतंकियों द्वारा लगातार दी जा रही घटनाओं को देखते हुए उप-राज्‍यपाल मनोज सिन्‍हा (Lieutenant Governor Manoj Sinha) द्वारा बुलाई गई बैठक में लिया गया है।

यह निर्णय कश्मीरी हिंदुओं के प्रदर्शन के बीच आया है, जिसमें उन्होंने घाटी से पलायन की धमकी दी थी। कश्मीरी हिंदुओं ने कहा था कि अगर प्रशासन ने उन्हें 24 घंटे के अंदर सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुँचाया तो वो घाटी छोड़ कर कहीं और पलायन कर जाएँगे। उनकी माँग है कि उन्हें सिर्फ जम्मू में पोस्टिंग दी जाए। उनका कहना था कि जम्मू में वे कम-से-कम जिंदा तो रहेंगे।

वहीं, कुलगाम में एक हिंदू शिक्षक रजनी बाला की हत्या पर बुधवार (1 जून 2022) को भी विरोध प्रदर्शन रहा। रजनी की अंतिम यात्रा में प्रदर्शनकारियों ने ‘हमें न्याय चाहिए’ के नारे लगाए। उन्होंने सरकार के प्रति अपनी नाराजगी भी जाहिर की।

घाटी में हालात को देखते हुए प्रशासन सकते में आ गया। उसके बाद आनन-फानन में उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि दूर-दराज या अन्य जगहों पर पदस्थापित हिंदू कर्मचारियों को जिला मुख्यालय में स्थानांतरित की जाए। इसके साथ इन कर्मचारियों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने का निर्णय भी लिया गया है।

इसके अलावा, जो कश्मीर घाटी के जिला मुख्यालय में ट्रांसफर के इच्छुक नहीं हैं, ऐसे कर्मचारियों को जम्मू में ट्रांसफर लेने का विकल्प दिया गया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर में हिंदू सरकारी कर्मचारियों के लिए उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है। नोडल अधिकारियों को कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों की शिकायतों का भी समय पर समाधान करने के लिए कहा गया है।

बता दें कि मंगलवार (31 मई 2022) की सुबह कुलगाम के गोपालपोरा इलाके में हाईस्कूल की टीचर रजनी बाला की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 36 वर्षीय रजनी के सिर में गोलियाँ मारी गई थीं। अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में उन्होंने वक्त दम तोड़ दिया था।

जिस समय यह घटना हुई उस समय स्कूल में कई अन्य टीचर भी थे, लेकिन आतंकियों ने पूरे स्कूल में उन्हें अलग से चुन कर मारा। वह सांबा जिले की मूल निवासी थी, लेकिन कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल में तैनात थीं। घटना के बाद घायल रजनी बाला को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया। उनकी हत्या की खबर सुनने के बाद उनके परिजनों और छात्रों के आँसू नहीं रुक रहे।

हत्या से पहले ट्रांस्फर ऑर्डर को लेकर खुश थीं रजनी बाला

जानकारी के मुताबिक हत्या से एक दिन पहले सोमवार (30 मई 2022) की रात को रजनी को ट्रांसफर की सूचना मिली थी। इससे वह काफी खुश थीं। उन्होंने इसके बारे में स्कूल के पास के एक दुकानदार को भी बताया था, जिसे वह अपना भाई मानती थीं। रजनी और उनके पति राजकुमार की कुलगाम के ही चवलगाम स्थित सरकारी स्कूल में ट्रांसफर हो गया था। मंगलवार को आदेश की कॉपी मिलने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही आतंकियों ने उनकी निर्मम हत्या कर दी। राजकुमार भी सरकारी टीचर हैं और वह गोपालपोरा से कुछ ही दूरी पर स्थित सरकारी मिडिल स्कूल मिरहामा में तैनात हैं।

पिछले महीने राहुल भट नाम के एक कश्मीरी हिंदू की बडगान के सुदूर इलाके चंडूरा में स्थित तहसील परिसर में घुसकर आतंकियों ने हत्या कर दी थी। भट वहाँ राजस्व अधिकारी के तौर पर तैनात थे और हिंदू शरणार्थियों के लिए सरकारी योजनाओं का काम देख रहे थे। जिस वक्त उन्हें मौत के घाट उतारा गया, उस वक्त ऑफिस में अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे।

आईडी देख जब हिंदू टीचर उतारे गए मौत के घाट

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी लगातार गैर-मुस्लिम समुदाय को टारगेट कर हमले कर रहे हैं। पिछले दिनों श्रीनगर में दो शिक्षकों की हत्या कर दी गई। आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्थित एक स्कूल में शिक्षकों को लाइन में खड़े कराकर पहचान करने के बाद दो गैर-मुस्लिम शिक्षकों की हत्या कर दी थी।

बता दें कि आतंकियों ने स्कूल के सभी शिक्षकों को पंक्ति में खड़ा किया, उसके बाद उनके पहचान पत्र और मोबाइल फोन की जाँच की। इसके साथ ही आतंकियों ने उनसे पूछताछ भी की और उनमें से अधिकतर को छोड़ दिया। माना जा रहा है कि जिन शिक्षकों को आतंकियों ने जाने दिया, वे सभी मुस्लिम थे। वहीं, आतंकियों ने सिख समुदाय से संबंध रखने वाली शिक्षिका सतिंदर कौर और हिंदू समुदाय से संबंध रखने वाले शिक्षक दीपक चंद की गोली मारकर हत्या कर दी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

फूट गया ‘इंडिया आउट’ का बुलबुला, भारतीयों से राष्ट्रपति मुइज्जू ने लगाई मालदीव आने की गुहार: PM मोदी ने ₹3300 करोड़ का दिया ‘सहारा’

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा के बाद मोदी सरकार ने मालदीव को 400 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है।

‘मेहदी फाउंडेशन’ से जुड़ा है UP का परवेज अहमद, पाकिस्तानी मुस्लिमों को ‘हिंदू पहचान’ देकर भारत में बसाता है: खुद की बीवी भी सीमा...

पुलिस ये छानबीन कर रही है कि पाकिस्तानी परिवारों का कोई आपराधिक बैकग्राउंड है या नहीं। अगर नहीं, तो फिर उन्हें वापस उनके मुल्क भेजने की प्रक्रिया की जाएगी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -