Tuesday, April 16, 2024
HomeराजनीतिJNU के 'पढ़ाकू' वामपंथियों को फसाद की नई वजह मिली, आइशी घोष पर जुर्माना;...

JNU के ‘पढ़ाकू’ वामपंथियों को फसाद की नई वजह मिली, आइशी घोष पर जुर्माना; शेहला भी कूदी

सपना रतन शाह के अनुसार, कोयना हॉस्टल के एक वरिष्ठ वार्डन ने कहा कि छात्रों ने कमरों के ताले तोड़े और अवैध रूप से हॉस्टल में घुस गए। इसलिए, वार्डन समिति ने उन पर जुर्माना लगाने का फैसला किया।

जेएनयू में हुई हिंसा का चेहरा रही आइशी घोष फिर से चर्चा में हैं। उनके चर्चा में आते ही शेहला रशीद ने भी खुद को सुर्खियों में रखने का तरीका खोज निकाला है। इससे लगता है कि जेएनयू में पढ़ने वाले वामपंथी ‘कार्यकर्ताओं’ और कथित छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने की नई वजह मिल गई है। यह वजह है कैंपस के अंदर हॉस्टल के कमरों में अवैध रूप से प्रवेश करके कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने पर कई छात्रों पर जुर्माना लगाया जाना।

रिपोर्टों के अनुसार, जेएनयू प्रशासन ने पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस महामारी के बीच कई छात्रों को परिसर में हॉस्टल के कमरों में अवैध रूप से रहने के लिए जुर्माना देने के लिए कहा था। JNU के कुछ ‘छात्रों’ ने यूनिवर्सिटी में आधिकारिक रूप से दोबारा प्रवेश की अनुमति देने से पहले ही छात्रावास में प्रवेश किया था।

वर्तमान में केवल अंतिम वर्ष के पीएचडी, एमफिल और साइंस स्ट्रीम से एमटेक छात्रों को ही परिसर के अंदर रहने की अनुमति है। लॉकडाउन के दौरान, छात्रों को कैंपस में कोरोना वायरस मामलों की बढ़ती संख्या के कारण अपने घर लौटने के लिए कहा गया था। विश्वविद्यालय ने अभी तक परिसर में छात्रावासों के खुलने की सूचना नहीं दी है। केवल कुछ छात्रों को ही छात्रावास में रहने की अनुमति दी गई है।

JNUSU अध्यक्ष आइशी घोष अवैध रूप से हॉस्टल में रह रही

JNUSU अध्यक्ष और JNU दंगा मामले में आरोपित आइशी घोष और कुछ अन्य छात्रों ने हॉस्टल के कमरों पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया। इसके बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने नोटिस भेजकर उन्हें अवैध रूप से रहने के लिए जुर्माना भरने को कहा है।

कोयना छात्रावास में रहने वाली आइशी घोष को हाल ही में अवैध रूप से रहने के लिए नोटिस भेजा गया और 2,000 रुपए का जुर्माना देने को कहा गया। वरिष्ठ वार्डन द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में कहा गया है, “सुरक्षा गार्ड द्वारा हमारे संज्ञान में लाया गया कि आइशी घोष को कोयना हॉस्टल में 5 नवंबर को सुबह 4.30 बजे देखा गया। इसलिए समिति घोष पर 2,000 रुपए का जुर्माना लगाने का फैसला करती है।”

उन्होंने कहा, ”आपको 2,000 रुपए का जुर्माना (सात दिनों के भीतर) जमा करना होगा। इस जुर्माने को जमा करने में असफल रहने पर आपसे प्रति सप्ताह 2,000 रुपए और शुल्क लिया जाएगा।”

सपना रतन शाह के अनुसार, कोयना हॉस्टल के एक वरिष्ठ वार्डन ने कहा कि छात्रों ने कमरों के ताले तोड़े और अवैध रूप से हॉस्टल में घुस गए। इसलिए, वार्डन समिति ने उन पर जुर्माना लगाने का फैसला किया, क्योंकि इंटर-हॉल एडमिनिस्ट्रेशन (IHA) का दिशा-निर्देश बताता है कि जुर्माना उन छात्रों पर लगाया जाएगा जो अनधिकृत प्रविष्टि में संलग्न हैं। बता दें कि IHA एक निकाय है, जो 18 JNU छात्रावासों का प्रबंधन करता है।

आइशी घोष और उनके समर्थकों ने परेशान करने का दावा किया

इस बीच, विवादास्पद जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने ट्विटर पर कहा कि उन्हें 2,000 रुपए का भुगतान करने के लिए कहा गया है। दावा किया है कि छात्रों को परेशान किया जा रहा है, क्योंकि ‘वे छात्रावास में वापस आना चाहते हैं और फिर से शैक्षणिक गतिविधियों को शुरू कर रहे हैं।’ आइशी घोष ने जेएनयू के अधिकारियों से प्राप्त नोटिस को भी साझा किया, जिसमें उसे अवैध रूप से हॉस्टल में रहने के लिए जुर्माना भरने के लिए कहा गया है।

उसने कहा, “हम में से कई 30 सितंबर के बाद आए, प्रशासन ने 8 अक्टूबर तक एक सर्कुलर नहीं निकाला कि क्या छात्र वापस लौट सकते हैं। हमने वार्डन और हमारे अन्य अधिकारियों को अपनी वापसी के बारे में सूचित किया, लेकिन हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।”

मामले को हवा देने के लिए शेहला रशीद भी कूद पड़ी

फ्रीलांस प्रदर्शनकारी और अपने ही ‘बायलॉजिकल’ पिता को धमकी देने की आरोपित शेहला रशीद ने मामले में कूदकर विश्वविद्यालय परिसर के अंदर और अराजकता पैदा करने की स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश की।

जेएनयू में एक लंबे समय तक रहने वाली रशीद ने झूठे दावे करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “उड़ानें, शादी, चुनाव, क्रिकेट टूर्नामेंट, धार्मिक कार्य, संगीत कार्यक्रम- सब कुछ हो सकता है, लेकिन छात्र अपने स्वयं के छात्रावास के कमरों में प्रवेश नहीं कर सकते हैं! घोर कलयुग।” शेहला रशीद ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से छात्र जुर्माना वापस करने की माँग की।

प्रदर्शनकारी से नेता बनी शेहला रशीद ने यह दावा करने के लिए कुछ कथित शोध-पत्र भी जारी किए कि महामारी के दौरान महिला शिक्षाविदों को यह महसूस करना पड़ा कि विश्वविद्यालय को महामारी प्रोटोकॉल को दरकिनार कर छात्रावास खोलना चाहिए।

इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश में शेहला रशीद ने ट्विटर पर लिखा, “दुर्भाग्य से, जेएनयू प्रशासन के विचार केवल राजनीतिक हैं। छात्रों को परिसर से बाहर रखने का कदम विशुद्ध रूप से राजनीतिक है। ऐसा लगता है जैसे COVID केवल JNU में मौजूद है, जबकि शेष विश्व प्रतिरक्षात्मक है।”

हालाँकि, शेहला राशिद के दावों के विपरीत, अधिकारियों ने महामारी के दौरान कुछ गतिविधियों पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें निजी और सार्वजनिक गतिविधियाँ शामिल हैं। राज्य और केंद्र दोनों ने समय-समय पर सार्वजनिक डोमेन में कई अधिसूचनाएँ जारी की हैं, जिसमें जनता को ‘क्या करें’ और ‘क्या न करें’ के बारे में विस्तार से बताया गया, ताकि वे सामूहिक रूप से चीनी महामारी से लड़ सकें।

इसी तरह से, जेएनयू के अधिकारियों ने भी अपने छात्रों को महामारी के खिलाफ एहतियाती कदम उठाने के लिए परिसर के अंदर कुछ प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा है और इसे सख्ती से लागू कर रहे हैं। हालाँकि, शेहला रशीद बेशर्मी से महामारी के कठिन समय में भी एक राजनीतिक एंगल खोजने की कोशिश करते हुए अपने फर्जी प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ा रही है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अरविंद केजरीवाल नं 1, दिल्ली CM की बीवी सुनीता नं 2… AAP की स्टार प्रचारकों की लिस्ट जिसने देखी वही हैरान, पूछ रहे- आत्मा...

आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में तिहाड़ जेल में ही बंद मनीष सिसोदिया का भी नाम है, तो हर जगह से जमानत खारिज करवाकर बैठे सत्येंद्र जैन का भी।

‘कन्हैया लाल तेली का क्या?’: ‘मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग’ पर याचिका लेकर पहुँचा वकील निजाम पाशा तो सुप्रीम कोर्ट ने दागा सवाल, कहा –...

इस याचिका में अल्पसंख्यकों के खिलाफ मॉब लिंचिंग के अपराध बढ़ने का दावा करते हुए गोरक्षकों पर निशाना साधा गया था और तथाकथित पीड़ितों के लिए त्वरित वित्तीय मदद की व्यवस्था की माँग की गई थी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe