Friday, March 29, 2024
Homeरिपोर्टमीडियाबाथरूम से जिम तक: 'कूल पत्रकारिता' के चक्कर में सर्कस दिखा कर नई क्रान्ति...

बाथरूम से जिम तक: ‘कूल पत्रकारिता’ के चक्कर में सर्कस दिखा कर नई क्रान्ति करते पत्रकार

इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर कोई एंकर कल को स्टूडियो में नंगा दौड़ता मिले, वो भी यह दिखाने के लिए कि दिल्ली में गर्मी काफ़ी बढ़ गई है। हर चीज में ग्लैमर ठूँसने वाले 'कूल' पत्रकार...

बंगाली अभिनेत्री और सासंद नुसरत जहान का इंटरव्यू लेते हुए इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार राहुल कँवल ने उनके साथ अच्छा-ख़ासा समय गुज़ारा। इसमें उन्होंने नुसरत के सुबह उठ कर जिम में एक्सरसाइज करने से लेकर अपने बॉयफ्रेंड निखिल के साथ समय गुज़ारने तक को कैप्चर किया। राहुल ख़ुद भी नुसरत के साथ जिम में एक्सरसाइज करते दिखे। कँवल ने ‘कूल’ पत्रकारिता करते हुए उन सभी चीजों में नुसरत का साथ दिया, जो नुसरत की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है या फिर जो नुसरत ने इंटरव्यू के दौरान किया। ज़मीन पर लेटने से लेकर बॉयफ्रेंड के साथ गाड़ी में सफ़र करने तक, कुछेक कैमरों के साथ कँवल ने हर जगह उनका साथ दिया और इसे इंटरव्यू की बजाय फ़िल्मफेयर का शो बना दिया।

देश के भविष्य को लेकर नुसरत जहान की राय जानते राहुल कँवल

पत्रकारिता अब अपना रूप बदल रही है। श्रीदेवी की मृत्यु अगर बाथ टब में डूबने के कारण होती है तो एंकरों को स्टूडियो में बाथ टब लाकर उसमें डूब कर दिखाना ज़रूरी है। असंवेदनशीलता भी चरम पर है। बहुत सारे प्रसिद्ध लोगों की मृत्यु ह्रदय गति रुकने के कारण होती है। वो तो भला हो कि नए जमाने के पत्रकारिता के पुरोधा साँस रोक कर स्टूडियो में नहीं लेटते, ताकि दिखा सकें कि सेलेब्रिटी कैसे मरते हैं? मीडिया संस्थानों को स्पष्ट करना चाहिए कि उनके नए नियम के मुताबिक़ अगर कोई पत्रकार सड़क किनारे मजदूरी कर रहे किसी मजदूर से इंटरव्यू लेने जाता है तो वह क्या करेगा और क्या नहीं – हथौड़ा उठाएगा या फावड़ा? सीमा पर गोलीबारी कवर करने जाने वाले पत्रकार भी लगे हाथ दो-चार गोलियाँ दागेंगे क्या?

श्रीदेवी की मृत्यु के बाद अज़ीबोग़रीब तरीके से चलाए गए शो

टाइटल में बताया जाता है कि पत्रकार देश की राजनीतिक दशा-दिशा एवं भविष्य पर एक सांसद की राय लेने गया है। यह पढ़ कर लगता है कि अभिनेत्री से नेत्री बनी नुसरत जहान से भारत की नीतियों, योजनाओं व समस्याओं के बारे में बात की गई होगी और इन सबके बारे में उनकी राय जानी जाएगी। लेकिन, वीडियो खोलने पर पत्रकार अभिनेत्री के साथ ज़मीन पर लेटा होता है। क्या यही भारत के राजनीतिक भविष्य को लेकर एक नेता की दृष्टि है? प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने वाले एक बड़ा पत्रकार जब इस तरह की हरकतें करने जाता है तो उसे इस बात को पहले ही वीडियो के टाइटल में बता देना चाहिए- “नुसरत जहान के साथ एक्सरसाइज, उनके बॉयफ्रेंड के साथ सुहाना सफ़र”।

बाथरूम टब में लेट कर ‘क्रन्तिकारी’ रिपोर्टिंग

अगर कोई सेलेब्रिटी आत्महत्या करता है तो क्या पत्रकार स्टूडियो में पंखे से लटक कर न्यूज़ पढ़ेगा? क्या संसाधन और रुपए होने का मतलब यह है कि न्यूज़ शो को टीवी सीरियल और फ़िल्म की तरह पेश किया जाए? इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर कोई एंकर कल को स्टूडियो में नंगा दौड़ता मिले, वो भी यह दिखाने के लिए कि दिल्ली में गर्मी काफ़ी बढ़ गई है। यह सर्कस नहीं है, एक न्यूज़ चैनल पर चल रहा शो है, जिसमें ख़बरें बताई जाती है, उनका विश्लेषण किया जाता है। हर चीज में ग्लैमर ठूँसने वाले ‘कूल’ पत्रकार कल को पूर्व में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध की जानकारी देने के लिए स्टूडियो में आपस में ही सिर-फुटव्वल न कर बैठें। ऐसा हो भी रहा है, अब एक प्रवक्ता दूसरे के मुँह पर पानी का ग्लास फेंक देता है और एंकर को कोई फर्क नहीं पड़ता।

अगर केवल यही सब करना है तो इसे सर्कस ही घोषित कर दिया जाए। न्यूज़ चैनलों पर ऐसे कार्यक्रमों से पहले बता दिया जाए कि यह सर्कस है, न्यूज़ शो नहीं है। इससे दर्शक भी पहले से मन बना कर देख सकेंगे। लेकिन, देश की राजनीति पर किसी नेत्री के विचार जानने गया पत्रकार अगर ज़मीन पर लेट कर अजीब हरकतें करता दिखे, तो दर्शकों को दुःख होगा ही। दरअसल, ऐसे पत्रकार अपनी फैंटसी को पूरा कर रहे हैं, पत्रकारिता नहीं कर रहे। इन्हें अभिनेत्रियों के साथ दिन गुज़ार कर दर्शकों के सामने एक ऐसी इमेज बनानी है, जैसी फ़िल्मी हीरो की होती है। अगर ऐसा है तो इन्हें सच में बॉलीवुड में कोशिश करनी चाहिए।

राहुल कँवल द्वारा लिए इंटरव्यू का एक दृश्य

किसको इस बात में इंटरेस्ट है कि फलाँ सेलेब्रिटी ने मरने के पहले 1 दिन तक क्या-क्या किया? किसने कब चाय की चुस्कियाँ ली? कैसे ग्लास में पानी पिया, क्या खाया, क्या नहीं खाया? किसी सेलेब्रिटी ने मरने से पहले कितनी बार कपड़े बदले और उसने कैसे कपड़े पहन रखे थे, इस बात में किसी की क्या दिलचस्पी हो सकती है? दुबई के डॉक्टरों और जाँच एजेंसियों ने ज़रूरी प्रक्रिया वहाँ पूरी की, तब तक यहाँ बेवजह ऐसा मीडिया ट्रायल हुआ, जिससे लोगों को ऐसा लगा जैसे कि वे कोई सस्पेंस थ्रिलर फ़िल्म देख रहे हों। जब कोई विमान गायब हो जाता है, जो कि एक संवेदनशील मुद्दा है, जिस पर 13 लोग सवार थे, तब ये एक एनीमेशन बना कर बताते हैं कि कैसे स्पेससिप से आकर एलियन विमान को उठा कर ले जा रहा है।

ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जहाँ मीडिया ने न्यूज़ को सर्कस बनाया। सब्जी में मसाला उतना ही अच्छा लगता है, जितनी मात्र में वह होनी चाहिए। अगर एक कड़ाही मसाले में पाँव भर भिन्डी की सब्जी बनाई जाए, तो उसका ख़राब होना तय है। आज मीडिया में यही हो रहा है। मसाला पहले तैयार किया जाता है, ख़बरों के बारे में अपडेट बाद में लिए जाते हैं। छौंक पहले लगाया जाता है, दाल बाद में तैयार होता है। ऐसी चीजें कूड़ेदान की शोभा बढ़ाने के लिए होती है, डाइनिंग टेबल पर नहीं रखी जाती। ठीक उसी तरह, आजकल मीडिया में तैयार किए जा रहे शो किसी कार्टून चैनल या मनोरंजन वाले चैनल पर दिखाने लायक हैं, ख़बरों वाले चैनल पर नहीं। सारी ख़बरें मनोरंजन के लिए नहीं होती, असल में न्यूज़ का मतलब मनोरंजन होता ही नहीं।

नुसरत जहान के साथ राहुल कँवल का इंटरव्यू इसका ताज़ा उदाहरण है। ‘बताना कुछ और दिखाना कुछ’ वाले रोग से ग्रसित इन पत्रकारों, मीडिया संस्थानों और न्यूज़ चैनलों ने हिटलर का लिंग मापने से लेकर ख़ुद से ट्वीट करवाई गई चीजों का फैक्ट चेक भी कर बैठते हैं। किसी की मौत का मज़ाक बनाने से लेकर सेना के जवानों को असंवेदनशीलता दिखाने तक, मनोरंजन के क्षेत्र में काफ़ी आगे आ चुके ये पत्रकार शायद यही कारण है कि एक उम्र के बाद नेता बन जाते हैं। इसके लिए ज़रूरी नाटकीयता तो ये विकसित कर ही चुके होते हैं। आश्चर्य नहीं कल को अगर आपके सामने स्क्रीन पर न्यूज़ स्टूडियो में कोई एंकर उल्टा लटक कर न्यूज़ पढ़ रहा हो।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस को ₹1700 करोड़ का नोटिस थमाया, दिल्ली हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी पार्टी की याचिका: टैक्स असेसमेंट...

आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस को ₹1700 करोड़ का रिकवरी नोटिस भेजा है। यह नोटिस वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के लिए भेजा गया है।

इधर मुख्तार अंसारी की मौत, उधर 14 साल बाद मन्ना सिंह की तस्वीर पर चढ़ी माला: गाजीपुर में दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया था,...

मन्ना सिंह की हत्या 29 अगस्त 2009 को मऊ जनपद के गाजीपुर तिराहे पर हुई थी। हत्या के साजिशकर्ता में मुख्तार अंसारी का नाम था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe