कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आगे आए अखाड़े, कुम्भ समाप्ति की घोषणा: जमातियों से तुलना करने वालों को झटका

लगभग सभी बड़े अखाड़े कुम्भ की समाप्ति के पक्ष में (फाइल फोटो)

कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुए साधुओं के अखाड़ों ने कुम्भ की समाप्ति की घोषणा की है। उत्तराखंड और हरिद्वार को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने और इसके लिए जारी सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन ठीक से हो, इसीलिए अखाड़ों ने ये फैसला लिया है। निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़े ने ये घोषणा की है। दोनों अखाड़ों ने अप्रैल 17 को कुम्भ की समाप्ति की घोषणा की। सचिव महंत रवींद्र पुरी ने ये ऐलान किया।

उन्होंने कहा कि यह अखाड़ा परिषद का फैसला नहीं है, बल्कि यह उन अखाड़े का निजी फैसला है। उन्होंने बताया कि अधिकतर अखाड़ों की यही राय है लगभग सबने कुम्भ समापन की घोषणा कर दी है। वहीं आचार्य महामंडलेश्वर निरंजनी अखाड़ा कैलाश नंदगिरी ने दोनों अखाड़ों के मामले में कहा की कोरोना की वजह से अखाड़ा 17 तारीख को कुंभ समाप्ति की घोषणा करेगा। लोगों ने भी इसका स्वागत किया है।

रवींद्र पुरी ने कहा, “27 अप्रैल के शाही स्नान को 40-50 पंथी स्नान करेंगे और स्नान करके वापस चले जाएँगे।” यह घोषणा सिर्फ पंचायती अखाड़े की ओर से है। निरंजनी अखाड़े के बाद बाकी 5 सन्यासी अखाड़े भी अपने यहाँ कुंभ समाप्ति की घोषणा कर सकते हैं। जबकि अभी 27 अप्रैल का शाही स्नान होना है। इस शाही स्नान में अब केवल 3 बैरागी, दो उदासीन और एक निर्मल अखाड़ा ही रह जाएगा।

इस तरह से आम लोग इस कुम्भ में नहीं जाएँगे, बस कुछ चुने हुए साधुओं के प्रतिनिधि ही शाही स्नान करेंगे। ठीक वैसे ही, जैसे मंदिरों में पुजारियों को तो पूजा-पाठ व दैनिक कार्य करने की अनुमति है लेकिन भक्तों को वहाँ फ़िलहाल न जाने की सलाह दी गई है। शुक्रवार (अप्रैल 16, 2021) को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई है, जिसमें कोरोना की ताज़ा स्थिति पर चर्चा होगी।

इसमें कुम्भ, बाहरी व्यक्तियों के राज्य में प्रवेश, नाइट कर्फ्यू की अवधि बढ़ाने और दफ्तरों में उपस्थिति को लेकर फैसला किया जाएगा। कुम्भ की समाप्ति को लेकर अखाड़ों ने जिस तरह से फैसला लिया है, उससे इसकी तुलना तबलीगी जमात से करने वालों को भी झटका लगा है। CEAT कंपनी के चेयरमैन हर्ष गोयनका, शिवसेना नेता संजय राउत और अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल जैसों ने कुम्भ और वहाँ जा रहे साधुओं का मजाक बनाया था।

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जमातियों की तरह यहाँ न तो किसी ने कहीं थूका, न सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया, न मेडिकल टीम या पुलिस पर हमला किया और न ही धर्म/मजहब को आधार बना कर अफवाहें फैलाईं। फिर भी जमातियों से इनकी तुलना की जा रही थी। पिछले साल यही लोग जमातियों के बचाव में लगे हुए थे। अब अखाड़े खुद सामने आकर स्थिति की गंभीरता को समझते हुए फैसले ले रहे हैं। उत्तराखंड में कोरोना की स्थिति कई अन्य राज्यों से बेहतर है।

कुल सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या के मामले में उत्तराखंड फ़िलहाल देश के सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की सूची में 19वें स्थान पर है और यहाँ फ़िलहाल 12,484 सक्रिय कोरोना मरीज हैं। राजधानी देहरादून में 5151 सक्रिय कोरोना मरीज हैं, जबकि हरिद्वार में 3612 कोरोना मामले सक्रिय हैं। पिछले 1 दिन में राज्य में 2220 नए केस सामने आए हैं। राज्य में कोरोना ने अब तक 1802 लोगों की जान ली है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया