मुहम्मद बिन कासिम का नाम इतिहास को जानने वाले लोगों ने सुना होगा। एक ऐसा इस्लामी आक्रांता, जिसका जीवनकाल मात्र 20 वर्षों का ही था लेकिन उसने ऐसे-ऐसे कुकृत्य किए कि इतिहास उसे आज भी लानतें भेजता है। सिंध के राजा दाहिर के साथ हुए उसके युद्ध को भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के सबसे शुरुआती आक्रमणों में से एक माना जाता है। पाकिस्तान में उसे लेकर आज भी बहस होती है क्योंकि पाकिस्तानी एक हिन्दू राजा दाहिर को भला कैसे अपना पूर्वज मान सकते हैं।
अरब के मुहम्मद बिन कासिम ने जब सिंध पर हमला कर के वहाँ कब्ज़ा किया, तब वो मात्र 15-17 वर्ष का था। मुहम्मद बिन कासिम की सेना में मुस्लिम थे, अरब के। राजा दाहिर की सेना में भारतीय थे। जब उसने सिंध को जीत कर आगे बढ़ने की तैयारी की तो साथ में भारतीयों को भी अपनी फ़ौज में जोड़ता चला गया। जो गरीब थे और जिनके पास रुपए कमाने के लिए कोई जरिया नहीं था, उसे फ़ौज में लेकर कासिम ने युद्ध लड़ना शुरू किया।
सिंध की इतिहास की एक पुस्तक है चचनामा। उसमें वर्णन है कि कैसे मुस्लिमों ने सिंध पर कब्ज़ा किया। इसे अली अहमद ने लिखा था। इसमें बताया गया है कि जब युद्ध में राजा दाहिर मारे गए, तो उसके बाद उनकी दो बेटियों को बंदी बना लिया गया। मुहम्मद बिन कासिम ने उन दोनों को दमिश्क (डमस्कस) भेज दिया, जो उस वक़्त उमय्यद वंश की राजधानी थी। आज आतंक से पीड़ित ये जगह सीरिया की राजधानी है।
राजा दाहिर की दोनों बेटियाँ युवा ही थीं। कुछ ही दिनों बाद इस्लाम के खलीफा ने उनके बारे में सुना और दोनों को अपने दरबार में बुलाया। राजा दाहिर की बड़ी बेटी का नाम सूर्यदेवी और छोटी बेटी का नाम परमालदेवी था। खलीफा वालिद बिन अब्दुल मलिक सूर्यदेवी के सौंदर्य को देख कर मोहित हो गया और उसके भीतर हवस की आग जाग उठी। इसके बाद उसने आदेश दिया कि परमालदेवी को वहाँ से ले जाया जाए। तत्पश्चात उसने राजा दाहिर की बड़ी बेटी सूर्यदेवी के साथ जोर-जबरदस्ती शुरू कर दी।
वहाँ खलीफा को पता चला कि मुहम्मद बिन कासिम ने दोनों बहनों को 3 दिनों तक बंधक बना कर रखा था और इस दौरान कासिम ने उनका रेप भी किया था। ये जानने के बाद खलीफा का खून खौल उठा और उसने तुरंत कलम, दवात और कागज़ मँगाई। असल में तो खलीफा इस बात से नाराज था कि मुहम्मद बिन कासिम ने सूर्यदेवी के ‘सतीत्व’ को भंग कर दिया है, जबकि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ उसे, यानी खलीफा को ही था। वो इस बात से नाराज था कि उससे पहले किसी ने रेप क्यों किया।
उसने तुरंत आदेश जारी किया कि मुहम्मद बिन कासिम जहाँ भी और जिस भी अवस्था में हो, उसे कच्चे खाल में सिलकर खलीफा के दरबार में पेश किया जाए। इसके बाद खलीफा का आदेश मानते हुए उसके सैनिकों ने उसे बैल के चमड़े में सिलकर एक ट्रंक में डाल दिया और डमस्कस के लिए निकल गए। कहते हैं कि खलीफा के आदेश के मुताबिक उसने ही सैनिकों से ऐसा करने को कहा था। हालाँकि, रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। जिस अल्लाह के नाम पर उसने मारकाट और खून-खराबा मचाया था, वो उसे ही प्यारा हो गया। खलीफा उसकी लाश देख कर खुश हुआ।
The battle happens in pieces. Sibi ruled by Chandra’s son and is defended fiercely. His buddhist citizens abandon him. Sibi (Siwistan) falls and eventually #Sindh falls in early 8th century (3 Century from the Prophet). Qasim sends two daughters of Dahir shah to the Caliph.
— saket साकेत ಸಾಕೇತ್ 🇮🇳 (@saket71) April 18, 2020
हालाँकि, इस्लामी इतिहास के हिसाब से लिखा गया चचनामा इसके बाद ये भी लिखता है कि सूर्यदेवी ने अपने पिता राजा दाहिर की हत्या का बदला लेने के लिए खलीफा से झूठ बोला था और इसका पता चलते ही खलीफा ने दोनों बहनों को घोड़े की पूछ से बाँधकर तब तक घसीटे जाने की आज्ञा दी, जब तक उनकी मौत न हो जाए। इतिहासकारों में कासिम की मौत के कारण को लेकर मतभेद है। एक वर्ग कहता है कि उसके ही चचेरे भाई हज्जाज ने गुटबाजी कर के खलीफा को उसके खिलाफ भड़काया था।
कई वर्षों तक सिंध और मुल्तान अरब के शासन में रहा। खलीफाओं के कमजोर पड़ते ही वहाँ के क्षेत्र स्वतंत्र होते चले गए। यहाँ आजकल दावा किया जाता है कि 18 वर्ष के कम उम्र में व्यक्ति ‘नाबालिग’ होता है और बच्चा होता है, लेकिन ये भी तथ्य है कि उस ‘बच्चे’ की परवरिश किस माहौल में हुई है और उसे क्या सिखाया गया है, उसके क्रियाकलाप उस पर ही निर्भर करते हैं। इसीलिए, इस्लामी आक्रांताओं में से लगभग सारे मूर्तिभंजक और क्रूर हत्यारे हुए।