Thursday, April 25, 2024
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सेब जितने वजन के साथ हुआ ‘सबसे छोटी’ बच्ची का जन्म, डॉक्टरों को लगा सिर्फ़ 1 घंटे का है समय…

"आपकी बेटी के पास सिर्फ़ एक घंटा है..." लेकिन डॉक्टरों के इस एक घंटे को 'saybie' ने 24 घंटों में, फिर पूरे एक हफ्ते में तब्दील कर दिया। मौत को मात देकर 5 महीने से ज्यादा की जिंदगी जी चुकी 'saybie' की कहानी।

जब वो पैदा हुई तो उसका वजन एक सेब जितना था – 245 ग्राम। डॉक्टरों ने उसके पिता से कहा कि उनकी बेटी के पास सिर्फ़ एक घंटा है। लेकिन देखते ही देखते वो एक घंटा, 24 घंटों में बदल गए, और वो 24 घंटे पूरे एक हफ्ते में तब्दील हो गया। लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ। 5 महीने से ज्यादा की जिंदगी जी चुकी ‘saybie’ आज 2 किलोग्राम की हो चुकी है। अपने इस नन्हें से जीवन से उसने उन सभी मानकों को झुठलाया है जिनके आधार पर एक नवजात की जिंदगी का फैसला किया जाता है। ‘saybie’ का जीवन इस बात का उदाहरण है कि जिंदगी मिलना स्वाभाविक प्रक्रिया नहीं बल्कि एक करिश्मा है।

बुधवार (मई 29, 2019) को सैन डियागो अस्पताल ने बच्ची के माँ-बाप की अनुमति से इस किस्से का खुलासा किया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची का जन्म प्रिमैच्योर अवस्था में दिसंबर में हुआ था। 40 हफ्तों का समय जहाँ किसी भी नवजात के विकास के लिए न्यूनतम माना जाता है वहीं ‘saybie’ 23 हफ्तों में ही दुनिया में आ गई। जिस कारण दुनिया के सबसे छोटे बच्चे के रूप में जीवित रहने के लिए उसकी रैंकिंग आइवा विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए tiniest बेबी रजिस्ट्री में उल्लेखित है। आइवा विश्वविद्यालय के पीडिएट्रिक्स प्रोफेसर एडवर्ड बेल का कहना है कि रजिस्ट्री में सबसे कम वजन वालों में ‘saybie’ का नाम दर्ज है, लेकिन इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता कि ‘saybie’ से भी कम वजन के नवजात हुए हैं, जानकारी के अभाव में शायद उनका नाम रजिस्ट्री में मौजूद नहीं है। ‘saybie’ से पहले 2015 में जर्मनी में जन्मा एक बच्चा tiniest बेबी था, जो 7 ग्राम ज्यादा वजनी था।

शार्प मैरी बर्च हॉस्पिटल फॉर वुमेन एंड न्यूबॉर्न द्वारा जारी वीडियो में बच्ची की माँ ने बताया कि वो दिन उनके लिए सबसे डरावने दिनों में से एक था। उन्होंने बताया कि जिस दिन उन्हें अस्पताल ले जाया गया उस दिन उनकी स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई थी। बीपी बढ़ने के कारण डॉक्टरों ने तुरंत डिलीवरी करना उचित समझा। बच्ची की माँ कहती हैं कि वो डॉक्टरों को बार-बार कह रही थीं कि उनकी डिलीवरी हुई तो बच्ची नहीं जी पाएगी, वो सिर्फ़ 23 हफ्तों की है। लेकिन सभी विषम परिस्थितियों में साँस लेकर ‘saybie’ ने अपनी माँ के इस डर को दूर किया। अस्पताल की नर्स बताती हैं कि जब वह हुई थी तो उसे बेड पर बहुत मुश्किल से देख पाते थे क्योंकि वो बहुत छोटी थी। जब ‘saybie’ ने अस्पताल छोड़ा तो वहाँ की नर्सों ने उसे एक छोटी सी ग्रैज्युएशन कैप पहनाई।

बता दें कि बच्ची का असल नाम ‘saybie’ नहीं है। दरअसल, अस्पताल के कहने पर माँ-बाप ने इस कहानी को शेयर करने की अनुमति तो दे दी, लेकिन नाम को गुमनाम रखा और कहा कि पूरा किस्सा शेयर करते समय ‘saybie’ नाम का ही प्रयोग किया जाए। यह नाम अस्पताल की नर्सों द्वारा उसे दिया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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