Tuesday, March 19, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयएशिया के इस देश से शुरू हुआ मास्क लगाने का चलन, झेल चुका है...

एशिया के इस देश से शुरू हुआ मास्क लगाने का चलन, झेल चुका है कई आपदा

आज एक साल में करीब 230 बिलियन डॉलर के सर्जिकल मास्क अकेले जापान वाले खरीदते हैं। जापान से सटे चीन और कोरिया जैसे देश भी प्रदूषण के इन्ही हालातों को झेलने के लिए मजबूर हैं यही वजह है कि उन्होंने भी यही रास्ता अपना लिया है।

बीते कुछ सालों में प्रदूषण और श्वास सम्बन्धी बीमारियों के चलते हिन्दुस्तानियों की आदत बनी है कि वे सर्जिकल मास्क पहनने के आदी हो रहे हैं। यह सिलसिला भारत की राजधानी दिल्ली से लेकर अमेरिका के मैनहैटन तक फ़ैल चुका है। 2002 में SARS और 2006 में बर्ड-फ्लू के बाद इबोला जैसे संकट में भी लोगों ने मास्क लगाकर इस संकट से निजात पाई, ऐसे में एहतियात बरतने वाले ज़्यादातर लोग एशियाई थे। हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी आज प्रदूषण की चपेट में है और इससे बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल करती है।

अगर इस मास्क को पहनने का इतिहास खंगालें तो पता चलता है कि इसकी शुरुआत जापान से हुई थी। एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से पता चलता है कि बीसवीं शताब्दी में पहले विश्वयुद्ध के दौरान तकरीबन 20-40 मिलियन लोगों की मौत हुई जोकि उस समय विश्व की आबादी का 5% है। इन मौतों के चलते कई बीमारियाँ फैलना शुरू हुईं।

इसी दौरान स्कार्फ से लेकर मास्क का चलन शुरू हुआ। लोग बीमारियों से न मरें इसके लिए उन्होंने इस आदत को तबतक जारी रखा जबतक कि 1919 में इससे फैली महामारी का अंत नहीं हो गया। 1923 में आए ‘ग्रेट कांटो’ भूकंप ने जापान में रहने वाले कई लोगों के घरों को उजाड़ कर रख दिया। इस घटना ने वहाँ रहने वाले करीब छ: लाख लोगों के लिए उस जगह को नरक में तब्दील कर दिया। इस प्राकृतिक आपदा से इलाके में सब तरफ धुआँ और राख फ़ैल गया। इसके बाद भी लोगों ने जो सबसे पहला एहतियात अपनाया वह चेहरे पर पहना जाने वाला मास्क था।

जापान अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण कई आपदाओं के काफी करीब रहा है। आपदाओं में होने वाली मौतें अक्सर संक्रमण लाती हैं जिनसे महामारी फैलती है। जापान में 1934 के ग्लोबल फ़्लू ने वहाँ मास्क-प्रेम को एक बार फिर से उजागर कर दिया। इसके बाद सर्दी के वक़्त मास्क पहनना एक प्रचलन बन गया। इसका बड़ा कारण था कि ज़रा सा संक्रमण भी एक से दूसरे व्यक्ति तक न पहुँचे।

1950 के दशक में जापान की औद्योगिक क्रांति तेज़ी से बढ़ रही थी। नतीजतन हुआ यह कि इस तेज़ी के चलते हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा इतनी बढ़ गई कि इसने फिरसे जापान के लोगों को मास्क से उनके लगाव की याद दिला दी। आज एक साल में करीब 230 बिलियन डॉलर के सर्जिकल मास्क अकेले जापान वाले खरीदते हैं। जापान से सटे चीन और कोरिया जैसे देश भी प्रदूषण के इन्ही हालातों को झेलने के लिए मजबूर हैं यही वजह है कि उन्होंने भी यही रास्ता अपना लिया है। क्वार्टज़ की रिपोर्ट के मुताबिक जाँच में यह भी पाया गया कि एक लम्बे अरसे से मास्क लगाने के चलते जापान में यह एक प्रचलन सरीखा हो गया है, यही वजह है कि वहाँ के स्वस्थ बच्चे भी अब मास्क लगाकर घूमते हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग़रीबी का सफाया, आतंक पर प्रहार, भ्रष्टाचार पर कार्रवाई, किसानों की समृद्धि, युवाओं को अवसर… कर्नाटक में PM मोदी ने बताया क्यों 400 पार,...

पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में देश ने भाजपा का काम देखा है, पार्टी की सबसे बड़ी प्राथमिकताएँ हैं - विकास, ग़रीब कल्याण और सामर्थ्यवान भारत।

बिहार में NDA के सीट शेयरिंग फॉर्मूले की घोषणा, चाचा पर भारी पड़ा भतीजा: माँझी-कुशवाहा को एक-एक सीट, जानिए किस पार्टी के हिस्से में...

लोजपा (रामविलास) के हिस्से में जो सीटें गई हैं, वो हैं - हाजीपुर, वैशाली, समस्तीपुर, जमुई और खगड़िया। गया से HAM तो करकट से RLJP ताल ठोकेगी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe