‘माँ को बता देना एक दिन मुख्यमंत्री बनूँगा’: चाइल्ड आर्टिस्ट से असम के CM बने हिमंत बिस्वा सरमा की फैमिली से मिलिए

हिमंत बिस्वा सरमा और उनकी पत्नी रिनिकी (साभार: न्यूज लाइव टीवी)

असम के नए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अपने कॉलेजों के दिनों से ही आश्वस्त थे कि उन्हें एक दिन मुख्यमंत्री बनना है। मात्र 22 साल की उम्र में उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। पत्नी रिनिकी भुइयाँ से सरमा ने शुरुआती दिनों ही कह दिया था, “अपनी माँ से बता दो कि मैं एक दिन मुख्यमंत्री बनूँगा।” रिनिकी उस समय मात्र 17 साल की थीं।

रिनिकी का जब सरमा के साथ प्रेम शुरू हुआ तो उन्होंने सवाल किया कि आखिर वह अपनी माँ को क्या बताएँगी कि हिमंत क्या करते हैं। इस पर उन्हें जवाब मिला, “मैं एक दिन असम का मुख्यमंत्री बनूँगा।” सरमा की बात ने रिनिकी को चौंकाया, मगर बाद में उन्हें महसूस हुआ कि जिससे वह शादी करने वाली हैं वह शख्स अपने लक्ष्य को लेकर इतना स्प्ष्ट है कि उसके पास राज्य के लिए सपने हैं।

रिनिकी की शादी हिमंत से 2001 में हुई। वह उस दौरान विधायक थे। बाद में वह मंत्री भी बने। 10 मई 2021 को जब सरमा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो निकी ने कहा, “उनका (हिमंत का) सपना पूरा हो गया।” वह बोलीं, “जब उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए देखा तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि यह सच है।” 

रिनिकी कहती हैं, “शपथ से एक दिन पहले मैंने हिमंत से पूछा कि मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन हैं तो उन्होंने जवाब दिया- मैं। एक पल के लिए लगा वह मेरी टाँग खींच रहे हैं।” वह बताती हैं, “हिमंत तो मेरे लिए हमेशा हिमंत ही रहे। मैंने कभी उन्हें सीएम पद से जोड़कर नहीं देखा। मुझे ऐसा सोचने में समय लगेगा।”

सरमा की तारीफ करते हुए वे कहती हैं कि उन्होंने कोरोना में जैसे हालात सँभाला है, वो सराहनीय है। हालाँकि कोरोना का खत्म होना अभी दूर है, लेकिन वो इस लड़ाई को ईमानदारी से लड़ रहे हैं।

मालूम हो कि सरमा की पत्नी मीडिया उद्यमी हैं। दोनों के दो बच्चे हैं। 19 साल के नंदिल बिस्व सरमा और 17 साल की सुकन्या सरमा। हिमंत कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय थे। उन्होंने कॉटन कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद गवर्मेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी कीऔर गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में पीएचडी की डिग्री ली।

असम में स्टूडेंट यूनियन से उन्होंने राजनीति की शुरुआत की। बाद में वह कॉन्ग्रेस में शामिल हुए। 2001, 2006 और 2011 में जलुकबारी से लगातार तीन बार विधायक निर्वाचित हुए। 2015 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की। 

2016 में कॉन्ग्रेस को राज्य में शिकस्त देने के बाद वह भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और इस तरह सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया। उनकी माँ मृणालिनी देवी ने कहा कि उनके लिए मदर्स डे पर ये सबसे अच्छा तोहफा है।

दिलचस्प बात यह है कि हमेशा से राजनीति को लक्ष्य समझने वाले सरमा चाइल्ड आर्टिस्ट भी रहे हैं। एक मशहूर गाने में उन्होंने हाथी पर बैठकर असमिया मूवी में एक्टिंग की थी। कॉलेज तक पहुँचते पहुँचते वह वाद-विवाद में भी इतने निपुण हो गए थे कि कई सालों तक उन्हें डिबेट प्रतियोगिताएँ जीतीं। आज उनके हाथ में अगले पाँच साल के लिए असम राज्य की कमान है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया