Saturday, November 23, 2024
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PM मोदी की प्रस्तावक डॉ अन्नपूर्णा शुक्ला: वो महिला जिसने ब्रिटेन की एक इंडस्ट्री को झुका दिया था

डॉ शुक्ला ने 1969-72 में रिसर्च करके इस बात का पता लगाया था कि माँ का दूध नवजात के लिए बेहद जरूरी है। नवजात शिशु को 6 महीने तक माँ का दूध ही देना चाहिए। इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (अप्रैल 26, 2019) को जब वाराणसी से नामांकन दाखिल किया, तो इस दौरान उनके चार प्रस्तावकों को लेकर खूब चर्चा रही। पीएम मोदी ने 2019 के नामांकन में चार अलग-अलग क्षेत्र के प्रस्तावकों को शामिल किया। ये प्रस्तावक थे- डोमराज परिवार के जगदीश चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गुप्ता, बीएचयू महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉक्टर अन्नपूर्णा शुक्ला और कृषि वैज्ञानिक राम शंकर पटेल।

इन चारों प्रस्तावकों में से सबसे अधिक चर्चा में रहीं डॉक्टर अन्नपूर्णा शुक्ला। इसके पीछे वजह यह रही कि जब पीएम नामांकन के लिए कलेक्ट्रेट परिसर पहुँचे, तो वहाँ उन्होंने डॉक्टर शुक्ला के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। ऐसे में लोग इस बात से चकित हो गए कि आखिर ये महिला कौन है और पीएम ने नामांकन से पहले इनके पैर क्यों छुए?

पंडित मदन मोहन मालवीय ने दिया था आशीर्वाद

ख़बर के अनुसार, डॉ अन्नपूर्णा शुक्ला को मदन मोहन मालवीय की मानस पुत्री माना जाता है। वो मदन मोहन मालवीय का आशीर्वाद पाने वाली एकमात्र जीवित पूर्व प्राचार्या हैं। यही वजह है कि उन्हें मालवीय की दत्तक पुत्री भी कहा जाता है। 91 वर्षीय अन्नपूर्णा शुक्ला पीएम की प्रस्तावक बनकर बेहद खुश दिखीं। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, “जब मोदीजी आए और मेरे पैर छुए तो मैंने एक माँ की तरह उन्हें आशीर्वाद दिया। मैंने उनसे यह भी कहा कि आप ऊँचे शिखर पर जाओगे।”

पीएम मोदी की प्रस्तावकों में शामिल होने पर चर्चा में आई डॉक्टर अन्नपूर्णा शुक्ला के नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य में उनके योगदान के बारे में काफी कम लोग ही जानते हैं। कुछ ही लोगों को पता होगा कि डॉ शुक्ला ने 1969-72 में रिसर्च करके इस बात का पता लगाया था कि माँ का दूध नवजात के लिए बेहद जरूरी है। नवजात शिशु को 6 महीने तक माँ का दूध ही देना चाहिए। इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। डॉ शुक्ला के इस शोध के बाद ब्रिटेन की एक बेबी फूड कंपनी ने इस खास मैसेज को पैकेजिंग के साथ प्रकाशित करना शुरू किया। बहरहाल, अब इस संदेश को दुनियाभर की कंपनियों द्वारा प्रकाशित किया जाता है और इस बात के लिए दुनिया भर की माँओं को उनका शुक्रिया अदा करना चाहिए।

डॉ शुक्ला ने बच्चों के शरीर के कुल वजन, कैलोरी की मात्रा, दूध पिलाने के तरीके और मोटापे जैसे मापदंडों के बारे में अध्ययन किया। डॉ. शुक्ला की रिसर्च पूरी तरह से वैदिक परंपरा पर आधारित थी। जिस तरह बच्चों के 6 महीने का होने पर उसका अन्नप्राशन कराया जाता है और उसके बाद ही उसे दूध और चावल की खीर यानी ठोस आहार दिया जाता है। इस रिसर्च के दौरान डॉ. शुक्ला ने पाया कि जिन बच्चों को स्तनपान नहीं करवाया जाता था और ठोस आहार दिया जा रहा था, वे शिशु स्थूल थे और उनका वजन भी अधिक था।

जब डॉक्टर अन्नपूर्णा शुक्ला की यह रिसर्च प्रकाशित हुई, तो सरकार ने तुरंत बच्चों के लिए खाद्य सामग्री बनाने वाली कंपनियों के लिए निर्देश जारी किए कि वह इस चेतावनी को उत्पादों की पैकेजिंग में जरूर दर्शाएँ कि माँ के दूध का कोई विकल्प नहीं है। डॉ शुक्ला कहती हैं कि हालाँकि इससे उस समय कई कंपनियों को परेशानी हुई, मगर आज हम इस जानकारी के जरिए बच्चों को बचा पा रहे हैं।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय ने डॉ शुक्ला को काफी प्रभावित किया। वो बताती हैं कि जब वो सिर्फ पाँच साल की थी, तभी मदन मोहन मालवीय जी ने उनसे पूछा था कि वो क्या बनना चाहती है, तो उन्होंने कहा था कि वो डॉक्टर बनना चाहती है। महामनाजी (मदन मोहन मालवीय) ने उनसे कहा था, “एक दिन जब मैं डॉक्टर बनूँ तो वापस लौटकर बीएचयू आऊँ और वो मुझे जॉब देंगे।”

वो कहती हैं कि उन दिनों परिवार, महिलाओं को पढ़ाने के पक्षधर नहीं होते थे। डॉ शुक्ला की माँ डिप्टी कलेक्टर की बेटी थीं, लेकिन फिर भी वो अपने सिर पर कुएँ से पानी भर कर लाती थीं। हालाँकि आज बीएचयू जाने-माने मेडिकल कॉलेजों में गिना जाता है, लेकिन उन दिनों चिकित्सा संबंधी कोर्स यहाँ उपलब्ध नहीं थे। तब डॉ शुक्ला ने 1945 में पटना के प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज (अब पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल) से एमबीबीएस की पढ़ाई की।

विनम्र स्वभाव के साथ-साथ ममता की मूरत हैं डॉक्टर अन्नपूर्णा शुक्ला

एमबीबीएस पूरा करने के बाद उनकी शादी हो गई और वह महिला महाविद्यालय में बतौर मेडिकल ऑफिसर काम करने लगीं। उन दिनों वह वाराणसी की चार महिला डॉक्टरों में से एक थीं। पंडित मदन मोहन मालवीय के बेटे गोविंद मालवीय के आग्रह पर वह उन दिनों गृह विज्ञान का लेक्चर भी बीएचयू में देती थीं। उस समय यूनिवर्सिटी में मेडिकल कॉलेज नहीं था। डॉ अन्नपूर्णा शुक्ला एक पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता बीएचयू के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत थे और मदन मोहन मालवीय के करीबी थे। उनके पति बीएम शुक्ला गोरखपुर विश्वविद्यालय के वीसी पद से रिटायर हुए हैं। वहीं, चर्चित लेखक अमीश उनके भतीजे हैं। अमीश बताते हैं कि बुआजी (डॉ शुक्ला) अद्भुत महिला हैं। वो पारंपरिक, विनम्र और सशक्त महिला होने के साथ-साथ ममता की मूरत भी हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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