‘तब तक आराम नहीं… जब तक ओलंपिक स्वर्ण नहीं’ – लवलिना बोरगोहेन ने चोट लगने पर कहा, अब मंजिल की ओर

लवलिना बोरगोहेन ओलंपिक में क्वॉर्टर फाइनल में जीत के बाद

टोक्यो ओलंपिक में बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने देश के लिए दूसरा मेडल पक्का कर लिया है। लवलीना ने आज (30 जुलाई 2021) क्वाटर फाइनल में ने चीनी ताइपे की बॉक्सर को हरा दिया। अब 4 अगस्त को सेमीफाइनल में वो अपने अगले मैच में गोल्ड मेडल की राह पर होंगी।

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चीनी ताइपे की बॉक्सर के खिलाफ लवलीना ने 4-1 से मैच जीता। इस जीत के साथ ही टोक्यो ओलिंपिक में भारत के लिए दूसरा मेडल लवलीना बोरगोहेन ने फिक्स कर दिया। सेमीफाइनल में लवलीना का मुकाबला अब तुर्की की मुक्केबाज से होगा।

आपको बता दें कि लवलीना बोरगोहेन का यह पहला ओलंपिक है। इससे पहले उनकी उपलब्धियों की बात करें तो 2019 में विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर 2021 ओलंपिक खेलों के लिए जगह बनाने में कामयाब रही थीं।

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बॉक्सिंग में व्यक्तिगत उपलब्धि की बात की जाए तो विजेंद्र सिंह और मैरी कॉम के बाद लवलीना बोरगोहेन तीसरी भारतीय बॉक्सर हैं, जिन्होंने ओलंपिक पदक जीता (मतलब पक्का तो हो ही गया है अभी तक के लिए) है। 2019 में चोटिल होने के बाद उन्होंने कहा था :

“मैं तब तक आराम नहीं करूँगी, जब तक मैं ओलंपिक स्वर्ण नहीं जीत लेती। कोई फर्क नहीं पड़ता कि ब्रह्मांड ने मेरे लिए क्या योजना बनाई है, यह सच है कि मैं चोट के बाद भी मजबूत हूँ, मुझे बहुत बेहतर और अधिक करने की उम्मीद है।”

इससे पहले पहली बार ओलंपिक में भाग ले रही भारतीय मुक्केबाज लवलिना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) ने टोक्यो ओलंपिक में जोरदार आगाज किया। उन्होंने मंगलवार (27 जुलाई) को जर्मनी की दिग्गज खिलाड़ी नेदिन एपेट्ज (35 वर्षीय) को कड़े मुकाबले में करारी शिकस्त देते हुए क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। 23 वर्षीय लवलिना ने प्री क्वार्टर फाइनल में अपने से 12 साल बड़ी एपेट्ज को मात देकर 3-2 से यह मैच जीता है। अब वह मेडल से केवल एक कदम दूर हैं। भारत की नौ सदस्यीय टीम से अंतिम 8 में जगह बनाने वाली लवलिना पहली खिलाड़ी हैं।

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लवलिना ने क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की निएन चिन चेन को हराया। चिन चेन पूर्व वर्ल्ड चैंपियन हैं और मौजूदा खेलों में उन्हें चौथी वरीयता प्राप्त है। इस मुकाबले में अपनी प्रतिद्वंद्वी को शिकस्त देने के बाद भारतीय खिलाड़ी का पदक पक्का हो गया है।

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कौन हैं भारतीय मुक्केबाज लवलिना बोरगोहेन

लवलिना बोरगोहेन की उम्र 24 साल है। वह असम के गोलाघाट जिले के सरुपथर विधानसभा के छोटे से गाँव बरोमुखिया की रहने वाली हैं। उनके गाँव में महज 2 हजार लोग रहते हैं। यहीं से उन्होंने ओलंपिक तक का सफर अपनी कड़ी मेहनत के दम पर तय किया है। ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने वाली लवलिना असम की पहली महिला बॉक्सर हैं। 1.77 मीटर लंबी लवलिना बोरगोहेन टोक्यो ओलंपिक में 69 किग्रा वर्ग में हिस्सा ले रही हैं। उन्हें देश की दूसरी मैरीकॉम कहा जा रहा है, जो देश का नाम रौशन करने के लिए बेजोड़ प्रयास कर रही हैं।

अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है

लवलिना को अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2018 और 2019 में हुए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह 2018 कॉमनेवल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इसके अलावा लवलिना 2017 में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।

इस समय लवलिना का दैनिक भास्कर को दिया गया एक इंटरव्यू खासा चर्चा में हैं। उन्होंने कहा था, ”हम तीन बहनें हैं। सब लोग यही कहते थे कि लड़कियाँ कुछ नहीं कर पाएँगी। लेकिन मेरी माँ ममोनी बोरगोहेन हमेशा कहती हैं कि कुछ ऐसा करना है, जिसे लोग आपको याद रखें।” लवलिना अपनी माँ के बताए रास्ते पर चल रही हैं, ओलंपिक में मेडल जीतकर वह साबित कर देंगी कि लडकियाँ भी अपने देश का नाम रौशन कर सकती हैं।

शुरुआती दौर में लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था

बताया जाता है कि लवलिना को बचपन से ही काफी संघर्ष करना पड़ा है। उनके पिता टिकेन बोरगोहेन की छोटी सी दुकान थी। शुरुआती दौर में लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था। इक्विपमेंट और डाइट के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता था।

बहनें भी नेशनल स्तर पर जीत चुकी हैं मेडल

लवलिना ने मीडिया को बताया था कि उन्हें अपनी जुड़वा बहनों से इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा मिली थी। उन्होंने कहा कि मैंने लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के असम रीजनल सेंटर में सिलेक्शन होने के बाद मैं बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने लगी थीं। उनकी दोनों बहनें किक बॉक्सिंग में नेशनल स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया