कहाँ, कब, कैसे और क्यों? कोरोना वैक्सीन पर हरेक सवाल का जवाब यहाँ, भ्रम फैलाने वालों से रहें दूर

भारत में दो-दो कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है (प्रतीकात्मक चित्र)

भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर जम कर भ्रम फैलाया जा रहा है, इसलिए आपको इसकी पूरी प्रक्रिया और वास्तविकता से परिचित रहने की आवश्यकता है। कोरोना जैसी महामारी के खात्मे के लिए आई वैक्सीन का भी अब राजनीतिकरण किया जा रहा है। सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक के वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद गई है, सरकार ने एक प्रश्नोत्तरी जारी की है, जिसे पढ़ने के बाद आपका सारा भ्रम दूर हो जाएगा।

क्या कोरोना वैक्सीन सभी को एक साथ दिया जाएगा? इसका जवाब है – नहीं। ये काम चरणों में किया जाएगा। भारत सरकार ने हाई-रिस्क समूहों को चिह्नित किया है, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन दिया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मचारियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 50 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। जरूरतमंदों के बाद पूरी जनसंख्या के लिए ये उपलब्ध रहेगी। वैक्सीन के टाइमलाइन को लेकर लोगों में काफी भ्रम है।

वैसे तो वैक्सीन के निर्माण में सालों लग जाते हैं, लेकिन इस महामारी की आपात स्थिति को देखते हुए इसे कुछ ही महीनों में तैयार किया गया। जब वैक्सीन की सटीकता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देश की नियामक संस्थाएँ उसे अनुमति देती हैं, तभी उसका प्रयोग किया जाता है। एक और बात जानने लायक ये है कि कोरोना वैक्सीन लेना अनिवार्य नहीं है। सरकार किसी को भी मजबूर नहीं कर रही कि उसे वैक्सीन लेना ही है।

सरकार बस सलाह दे सकती है कि शेड्यूल के हिसाब से लोगों को कोरोना वैक्सीन लेनी चाहिए, ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके। जो लोग कोरोना संक्रमित हो कर ठीक हो चुके हैं, वो भी अपने इम्यून सिस्टम को और मजबूत करने के लिए वैक्सीन ले सकते हैं। जिन्हें कोरोना संक्रमण है, उन्हें 14 दिनों के लिए वैक्सीन लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे वैक्सीन दिए जाने वाले स्थल पर अन्य लोगों में भी संक्रमण फैलने की आशंका है।

आप कौन सा वैक्सीन लेंगे? जिस भी वैक्सीन को सरकारी नियामक संस्थाओं ने लाइसेंस दे रखी है, उन्हें आप ले सकते हैं। आप उनमें से किसी भी वैक्सीन का प्रयोग कर सकते हैं। हाँ, आप वैक्सीन का शेड्यूल एक से ही पूरा करें, बीच में न बदलें। आपने पहला शॉट भारत बायोटेक वैक्सीन का लिया, फिर आप दूसरा शॉट सीरम वाला नहीं ले सकते। वैक्सीन के रखरखाव के लिए सरकारी सिस्टम पर आप सम्पूर्ण भरोसा कर सकते हैं।

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भारत दुनिया में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाता रहा है। हर साल कम से कम 2.6 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ माँओं को टीके दिए जाते हैं। भारत की जनसंख्या ही इतनी है कि हर वर्ष वैक्सीन मेकेनिज्म के सिस्टम को मजबूत किया जाता है। वैक्सीन का ट्रायल पूरे नियमों के तहत किया गया है, इसलिए भारत में विकसित की गई वैक्सीन भी उतनी ही प्रभावी होगी, जितनी दुनिया में कहीं और की।

मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी और आपको सूचित कर दिया जाएगा कि आप वैक्सीन लेने के लिए योग्य हैं या नहीं। आप किसी भी सरकारी पहचान-पत्र या सर्विस कार्ड का प्रयोग कर वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद ही आपको इसकी अनुमति मिलेगी। रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन के लिए फोटो आईडी होनी ही चाहिए। कौन सा डोज कब लेना है, इसकी सूचना पंजीकृत फोन नंबर पर आ जाएगी।

वैक्सीन लेने जाएँ तो सारे प्रोटोकॉल्स का पालन करें और सोशल डिटेन्सिंग के नियमों को न भूलें। अगर कहीं भी कोरोना वैक्सीन का कोई साइड इफ़ेक्ट आता है तो कम्पनी को उसकी पूरे डिटेल्स की रिपोर्ट सरकारी नियामकों को सौंपनी पड़ेगी। डाइबिटीज या हाइपरटेंशन वाले लोगों को हाई-रिस्क वाला मानते हुए प्राथमिकता दी जाएगी। चूँकि पहले फेज में सप्लाई लिमिटेड है, इसलिए प्राथमिकता तय की गई है। वैक्सीन लगाने के 2 सप्ताह के बाद आपके शरीर की एंटीबॉडी डेवेलप हो जाएगी।

उधर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने भी हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत करते हुए कई सवालों के जवाब दिए हैं। उन्होंने इसे एक बड़ी जीत बताते हुए कहा कि मार्च-अप्रैल तक वो आश्वस्त नहीं थे, लेकिन आर्थिक व तकनीकी रूप से शत-प्रतिशत प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि इसके निर्माण में कोई जल्दबाजी नहीं की गई है। सरकार करार पर हस्ताक्षर के बाद 7 दिन का समय देगी, जिसमें वैक्सीन को कहाँ और कैसे भेजना है ये तय किया जाएगा।

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HT से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमने पहले 100 मिलियन खुराक के लिए, सरकार के समक्ष 200 रुपए की लिखित में एक विशेष कीमत की पेशकश की है। यह पेशकश केवल सरकार के लिए है और वो भी सिर्फ 100 मिलियन खुराक के लिए। इससे अधिक के ऑर्डर पर कीमत अधिक अथवा अलग हो सकती है। निजी बाजार में इस वैक्सीन की एक खुराक की कीमत MRP के हिसाब से 1000 रुपए हो सकती है। हम संभवतः इसे 600-700 रुपए में बेचेंगे। विदेशों में निर्यात के लिहाज से इस वैक्सीन की एक खुराक की कीमत 3-5 डॉलर के बीच होगी।”

उन्होंने वैक्सीन को लेकर फ़ैल रहे अफवाह और भ्रम को लेकर कहा कि किसी को भी विज्ञान के तथ्यों पर सवाल उठाने का अधिकार है, लेकिन हमें पढ़ना चाहिए कि डेटा आखिर होता क्या है और कहाँ इसका परीक्षण किया जाता है। विशेषज्ञों के साथ राय-विचार कर आप समझ सकते हैं कि ये वैक्सीन काफी ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित है। उन्होंने साफ़ किया कि वैक्सीन लेने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा रहा है।

याद दिला दें कि भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SRI) और भारत बायोटेक द्वारा विकसित की गई कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। दोनों ही वैक्सीन को इमरजेंसी स्थिति में रिस्ट्रिक्टेड प्रयोग के लिए मंजूर किया गया। इसका अर्थ है कि आपात स्थिति में इन दोनों द्वारा निर्मित की गई कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी DCGI (Drug Controller General of India) ने दे दी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया