पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि 15 साल की मुस्लिम लड़की का निकाह जायज है। कोर्ट ने 26 साल के जावेद को 16 साल की बीवी के साथ रहने की इजाजत भी दी है। हाई कोर्ट ने शुक्रवार (28 अक्टूबर 2022) को जावेद की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।
जावेद ने याचिका दायर कर 16 वर्षीय बीवी को साथ रखने की अनुमति माँगी थी। उसने याचिका में कहा था कि उसकी पत्नी को हरियाणा के पंचकूला स्थित एक बाल गृह में रखा गया है। शादी के समय उसकी पत्नी की उम्र 16 साल से अधिक थी। यह शादी दोनों की मर्जी और बिना किसी दबाव के हुई थी। वे दोनों मुस्लिम हैं और उन्होंने 27 जुलाई को मनी माजरा की एक मस्जिद में उनका निकाह हुआ था।
लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम होने का हवाला देते हुए उसके परिजनों ने इस निकाह पर आपत्ति जताई थी। परिजनों का कहना था कि लड़की ने अपनी मर्जी से निकाह की है। इसके बाद पंचकूला के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने लड़की को चिल्ड्रेन होम भेजने का आदेश दिया था। जावेद ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी।
Muslim girl entitled to marry person of her choice once she attains 15 years: Punjab and Haryana High Court reiterates
— Bar & Bench (@barandbench) October 28, 2022
report by @ShagunSuryam https://t.co/j0zQoJLwCq
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि लड़की ने अपनी मर्जी से निकाह की है। साथ ही कहा कि इस्लामी कानून के हिसाब से यह निकाह वैध है। जस्टिस विकास बहल की एकल बेंच ने आवश्यक दस्तावेजों, कानूनी अधिकारियों और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिए गए लड़की के बयान को देखने के बाद लड़की को चिल्ड्रेन होम से रिहा करने और उसकी कस्टडी जावेद को सौंपने का आदेश दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतर्गत लड़की की यौन परिपक्वता अथवा अपनी इच्छा से शादी की आयु 15 साल की तय की गई है। ऐसे में बाल विवाह कानून के तहत ऐसी शादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती। 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की ने अपनी इच्छा से शादी की है तो इसे गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता।