तबलीगी जमातियों के 30 कारनामे: शुरुआत से अभी तक की सारी खबरें एक साथ

700 विदेशी तबलीगी जमातियों के पासपोर्ट जब्त (प्रतीकात्मक फोटो)

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात के मजहबी कार्यक्रम हुए, जिसमें प्रशासन के दिशा-निर्देशों और लॉकडाउन का खुला उल्लंघन किया गया। इसके बाद हज़ारों लोग अलग-अलग राज्यों में जाकर छिप गए। उन्हें खोजने गए पुलिसकर्मियों और उनकी स्क्रीनिंग के लिए गई मेडिकल टीम पर हमले हुए। ऐसी एक-दो नहीं बल्कि दसियों घटनाएँ हुईं। यहाँ हम ऐसी कुछ घटनाओं की सूची आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।

जमातियों की करतूतें: पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला – कब और कहाँ?

1 अप्रैल: दिल्ली के तुगलकाबाद में क्वारंटाइन किए गए तबलीगी जमात के लोगों ने डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया। कुल 160 जमातियों को क्वारंटाइन किया गया था। वो डॉक्टरों पर थूक रहे थे। साथ ही उन्होंने परोसे जा रहे भोजन को लेकर भी आपत्तिजनक बातें कही। जमाती इधर-उधर घूम रहे थे और मना करने के बावजूद हंगामा कर रहे थे। इन सबके ख़िलाफ़ उच्चाधिकारियों को शिकायत की गई।

1 अप्रैल: बिहार के मधुबनी में पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया। पुलिस वहाँ लॉकडाउन का पालन कराने पहुँची थी लेकिन मजहब विशेष के स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया। वहाँ पुलिस और लोगों के बीच झड़प भी हुई। ये घटना अंधारठाढ़ी के गिरधरगंज गाँव में हुई। वहाँ पुलिस को बड़ी संख्या में लोगों के तबलीगी जमात के बैनर तले जुटने की ख़बर मिली थी, जिसके बाद पुलिस वहाँ पहुँची। इसके बाद पुलिस पर हमला कर दिया गया।

1 अप्रैल: गुजरात के अहमदाबाद में पत्थरबाजी हुई। गोमतीपुर में दिल्ली के निजामुद्दीन से लौटे जमातियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। जैसे ही पुलिस वहाँ पर पहुँची, लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। पत्थरबाजी का वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें कई बच्चे भी शामिल थे। बाद में वहाँ भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी। इस पत्थरबाजी में एक जवान को चोट भी आई। सीसीटीवी फुटेज वायरल हुए।

1 अप्रैल: हैदराबाद के गाँधी हॉस्पिटल में एक जमाती के सम्बन्धियों ने डॉक्टर पर हमला बोल दिया। 49 वर्षीय मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था लेकिन उसकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद उसके परिजनों ने हंगामा किया। मरीज के सम्बन्धियों ने हॉस्पिटल में तोड़फोड़ मचाई और खिड़कियाँ फोड़ डाली। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एटला राजेंद्र ने भी इस घटना की निंदा की। डॉक्टर्स एसोसिएशन भी नाराज़ दिखा।

1 अप्रैल: न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ अभद्रता की गई, बल्कि वे लोग वहाँ मौजूद लोगों पर थूकने भी लगे। ये घटना हजरत निजामुद्दीन की ही है, जहाँ जमातियों को मरकज़ मस्जिद से निकाल कर क्वारंटाइन सेंटर ले जाया जा रहा था। उन्होंने बसों में भी बदतमीजी की। स्वास्थ्य विभाग की टीम, पुलिस और मीडिया के लोगों से अभद्र व्यवहार किया गया। बस की खिड़की बंद की जाने लगी तो ये इधर-उधर थूकने लगे।

3 अप्रैल: महाराष्ट्र के शोलापुर स्थित पिंपरी में एक 56 वर्षीय व्यक्ति पर इसीलिए हमला किया गया क्योंकि उसने स्थानीय ग्रामसेवक को तबलीगी जमात के कार्यक्रम से लौटने वाले 7 लोगों के बारे में सूचित किया था। उसने उन लोगों के कोरोना वायरस टेस्ट कराने की माँग की थी। इसके बाद जमातियों व उनके रिश्तेदारों ने उक्त व्यक्ति पर सूचनाएँ लीक करने का आरोप लगा कर हमला किया। बाद में उन सभी का कोरोना टेस्ट हुआ।

3 अप्रैल: इंदौर में एक कोरोना के संदिग्ध की जाँच करने पहुँची स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर हमला किया गया। डॉक्टरों, नर्सों और आशा कर्मचारियों को वहाँ से खदेड़ दिया गया। बता दें कि इंदौर अब तक कोरोना के सबसे बड़े हॉटस्पॉट्स में से एक बन चुका है। दो महिला डॉक्टरों के पैरों में गहरी चोटें आईं। वो किसी तरह तहसीलदार की गाड़ी में छिप गईं, जिससे उनकी जान बच पाई। बाद में पुलिसकर्मियों ने स्वास्थ्य टीम को बचाया।

3 अप्रैल: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जब एक मस्जिद में पुलिस ने सोशल डिस्टनिंग का पालन करने की सलाह दी तो उन पर हमला कर दिया गया। वहाँ बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होकर नमाज़ पढ़ रहे थे, जिन्हें मना करने पर वो उग्र हो उठे। ये मस्जिद बन्नादेवी पुलिस स्टेशन के सराय रहमान क्षेत्र में स्थित है। कुल 25-30 लोग उस मस्जिद में लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए जमा हुए थे। पुलिस को वहाँ से भागना पड़ा।

3 अप्रैल: दरभंगा के डीएम त्यागराजन एसएम ने जब राज्य में बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की घोषणा की तो उन्हें जान से मार डालने धमकी दी गई। मोहम्मद फैसल नामक व्यक्ति ने सोशल मीडिया के माध्यम से धमकी दी और उन पर 2 लाख रुपए का इनाम भी रखा। जिलाधिकारी ने अपील की थी कि लोग देशहित में आगे आकर ख़ुद जाँच कराएँ, जिसे फैसल भड़क गया। उसने कहा कि जो डीएम को मार डालेगा, उसे वो 2 लाख रुपए देगा।

3 अप्रैल: उत्तर प्रदेश के बस्ती के मेडिकल कॉलेज में 31 जमातियों को क्वारंटाइन किया गया था, जो देश भर में घूम-घूम कर आए थे। उन्हें खाने में सुबह पोहा व चाय, उसके बाद फल, और लंच व डिनर में चावल-दाल-रोटी-सब्जी दी जा रही थी लेकिन उन्होंने शाकाहारी खाना खाने से इनकार कर दिया। रोज सब्जी बदल-बदल कर दी जा रही थी। जमातियों ने कर्मचारियों को कई बार धमकी भी दी। जबकि अधिकारियों का कहना था कि मेन्यू के तहत ही खाना परोसा जा रहा था।

3 अप्रैल: देहरादून के अस्पताल में भी जमातियों ने वही सारी हरकतें शुरू कर दीं, जो वो देश के अन्य हिस्सों में कर रहे थे। उन्होंने इधर-उधर थूकना शुरू कर दिया और परोसे जा रहे खाने में गलतियाँ निकालने लगे। चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ को इन जमातियों ने परेशान कर के रख दिया। वो कभी खाने में कमी निकाल दे रहे थे और कभी खाने की मात्रा को कम बता रहे थे। मना करने पर बदतमीजी पर उतर आते थे।

3 अप्रैल: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद हॉस्पिटल में जमातियों ने नर्सों के साथ अश्लील व्यवहार किया। कभी वो नर्सों के सामने कपड़े उतार देते तो कभी अश्लील इशारे करते। सभी आरोपितों के ख़िलाफ़ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसे लोग मानवता के दुश्मन हैं और उनसे कड़ाई से निपटा जाएगा। जमातियों ने संक्रमण फैलाने वाली हरकतें भी की थीं।

4 अप्रैल: कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में भर्ती जमातियों ने स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया। ये सभी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ मस्जिद से लौटे हुए जमाती थे, जिन्हें वहाँ क्वारंटाइन किया गया था। वो सोशल डिस्टन्सिंग का पालन नहीं कर रहे थे और लॉकडाउन के नियमों की भी धज्जियाँ उड़ा रहे थे। साथ ही वो हॉस्पिटल कर्मचारियों से अजोबोग़रीब डिमांड्स भी कर रहे थे, जिन्हें पूरा करना मुश्किल था।

4 अप्रैल: पीलीभीत में मौलाना जरताब रजा खां को सोशल मीडिया के माध्यम से धमकाया गया। उनका ‘गुनाह’ सिर्फ़ इतना था कि उन्होंने जमातियों की करतूतों की आलोचना की थी। उन्होंने पूछा था कि जब पूरे मुल्क के साथ ही दुनिया भर में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला हुआ है, तब तबलीगी जमात के लोगों ने ऐसे हालात क्यों पैदा किए, जिससे इस वायरस का संक्रमण अन्य लोगों में फैल रहा है। क्या देश के लोगों की हिफाजत के लिए बोलना गुनाह है?

4 अप्रैल: बिहार के शेखपुर मस्जिद से पकड़े गए जमाती हॉस्पिटल में कभी डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को गाली बक रहे थे और कभी उन पर थूक फेंक रहे थे। इससे इलाज में ख़ासी परेशानी हुई। इसके अलावा उन्होंने खाने में बीफ की माँग की, जो प्रतिबंधित है। पुलिस ने इन्हें व‌र्द्धमान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पावापुरी (विम्स) के आइसोलेशन वार्ड में रखा था। डॉक्टरों ने उनके व्यवहार से नाराज़गी जताई।

4 अप्रैल: उत्तर प्रदेश के बिजनौर के जिला अस्पताल में 13 जमातियों को हिरासत में रखा गया था। इन सभी जमातियों ने अंडे और बिरयानी के लिए हंगामा किया। इनमें से 8 इंडोनेशिया के थे और 5 भारत के थे। वो अंडा-करि और बिरयानी की माँग करते हुए हॉस्पिटल कर्मचारियों को तंग कर रहे थे। मामला सुलझाने के लिए डीएम, एसपी और सीएमओ को हॉस्पिटल आना पड़ा। समझाने के बाद वो शांत हुए।

5 अप्रैल: प्रयागराज के बख्सी मोड़ क्षेत्र में दलित लोटन निषाद की इसीलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने तबलीगी जमात की आलोचना की थी। लोटन निषाद ने बातचीत के क्रम में कहा था कि अगर जमात नहीं होता तो देश में कोरोना के मामले कम होते। मोहम्मद सोना ने साथियों संग मिल कर उनकी हत्या कर दी। हत्या के बाद भी परिवार डरा हुआ था क्योंकि गाँव का मुखिया दूसरे मजहब से है। परिवार गाँव छोड़ने की बातें कर रहा है।

5 अप्रैल: लुधियाना के शेरपुर एरिया में कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों को लेने गई स्वास्थ्य विभाग की टीम पर हमला कर दिया गया। संदिग्ध मरीज तबलीगी जमात से जुड़े हुए थे। जब उन्हें एम्बुलेंस में बिठाया गया तो उन्होंने वीडियो बनानी शुरू कर दी। जब इसका विरोध किया गया तो वो धक्का-मुक्की पर उतर आए। वहाँ और भी लोग जुट गए और उन सभी ने एम्बुलेंस का रास्ता रोक लिया। कई स्वास्थ्यकर्मियों को चोटें आईं।

6 अप्रैल: लखनऊ के कसाईबाड़ा में जब पुलिस ने एरिया को सील किया तो जमातियों ने मेडिकल टीम पर हमला बोल दिया। उस क्षेत्र में तब तक 12 जमाती कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे, जिसके बाद एरिया को सील करने का फ़ैसला लिया गया था। इसके बाद मेडिकल टीम लोगों के स्क्रीनिंग के लिए पहुँची थी, जिस पर जमातियों ने हमला बोल दिया। भीड़ ने सर्वे रिपोर्ट फाड़ कर फेंकने की कोशिश की।

6 अप्रैल: एक कोरोना संक्रमित जमाती को जब कानपुर के सरसौल सीएचसी के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया तो उसने वहाँ जमकर उत्पात मचाया। कोरोना संक्रमित जमाती ने पहले तो मेडिकल टीम और डॉक्टर पर थूक दिया और फिर कहा– “मुझे मौत से डर नहीं लगता, क्या होती है मौत?” इसके बाद उसने आइसोलेशन रूम के दरवाजे काे अंदर से बंद कर लिया। उसे मछरिया खैर मस्जिद से पकड़ा गया था।

7 अप्रैल: दिल्ली के नरेला में तबलीगी जमात वालों ने एक कमरे के सामने भी शौच कर दिया। इसके बाद दो जमातियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया। क्वारंटाइन सेंटर के सैनिटेशन कर्मचारियों ने जमातियों की इस हरकत को देखा, जिसके बाद पुलिस को इस बारे में सूचित किया गया। वो दोनों पहले से ही डॉक्टरों की बातें नहीं मान रहे थे। एफआईआर के अनुसार, उन्होंने दूसरे मरीजों की ज़िंदगी दाँव पर लगा दी।

7 अप्रैल: तेलंगाना के रिम्स आदिलाबाद में एक डॉक्टर तबलीगी जमात के कार्यक्रम से लौट कर मरीजों का इलाज करता रहा। जब डॉक्टर दीपा शर्मा ने उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई तो सोशल मीडिया पर उनके ख़िलाफ़ ही इस्लामी कट्टरपंथियों ने मोर्चा खोल दिया। डॉक्टर इदरीस अकबानी कोरोना नेगेटिव टेस्ट किए गए थे लकिन उन्हें 14 दिन के सेल्फ-क्वारंटाइन की सलाह दी गई थी। बावजूद इसके वो सक्रिय रहे।

8 अप्रैल: सीतापुर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना पॉजिटिव एक मरीज ने एक रात बिरयानी नहीं मिलने पर हंगामा शुरू कर दिया। वह वार्ड में घूमने लगा। दवा खाने से भी इंकार करने लगा। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को वहाँ आना पड़ा। पुलिस ने उसे किसी तरह धमकी देकर शांत कराया। खैराबाद इलाके में बांग्लादेश से आए 10 जमातियों और उनके दो सहयोगियों को पकड़ा गया था। ये जमाती उनमें से ही एक था।

15 अप्रैल: दिल्‍ली के लोकनारायण जयप्रकाश हॉस्पिटल में महिला डॉक्‍टर से बदसलूकी की गई। 25 साल का जमाती मरीज यहाँ एडमिट था। वार्ड 5ए में मौजूद महिला डॉक्‍टर पर उसने अभद्र टिप्पणियाँ की। अन्य कर्मचारियों ने जब बचाव किया तो बाकी भीड़ उग्र हो गई। मज़बूरी में डॉक्‍टर्स को अपने दफ्तरों में छिपना पड़ा। वहाँ मरीजों ने इकट्ठा होकर दरवाजा तोड़ने की कोशिश की। परेशान डॉक्टरों ने हॉस्पिटल डायरेक्टर से शिकायत की।

15 अप्रैल: मोरादाबाद में डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया। वहाँ भी जमातियों को क्वारंटाइन करने की कोशिश की जा रही थी। उनमें से कई में कोरोना वायरस के लक्षण देखे गए थे। पुलिस व डॉक्टरों की गाड़ियों में तोड़फोड़ मचाई गई और उन पर पत्थरबाजी की गई। सभी हमलावर तबलीगी जमात से ही जुड़े हुए थे। छत से महिलाओं ने भी ईंट-पत्थर बरसाए। मेडिकल टीम को लौटना पड़ा।

15 अप्रैल: उत्तराखंड के हलद्वानी स्थित बलभुनपुरा में एक इमाम को क्वारंटाइन करने गई टीम पर हमला कर दिया गया। उस क्षेत्र में तब तक 15 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके थे। इनमें से 8 जमाती थे। इमाम सहित 14 अन्य लोग कोरोना मरीजों के सम्पर्क में आए थे, इसलिए उन्हें क्वारंटाइन करना ज़रूरी था। अफवाह फैला दी गई थी कि पुलिस लोगों के साथ दुर्व्यवहार कर रही है और इसीलिए भीड़ उग्र हो गई।

18 अप्रैल: मध्य प्रदेश के देवास में एक गाँव है खाटेगाँव। वहाँ एक समुदाय विशेष बहुल एरिया में सैनिटेशन वर्कर्स पर ही हमला कर दिया गया। आदिल नामक व्यक्ति ने अपने साथियों के साथ सफाईकर्मियों की तब घेर लिया, जब वो सैनिटाइजेशन के काम में लगे हुए थे। लाठी-डंडे, कुल्हाड़ी और रॉड्स लेकर उन पर हमला बोल दिया गया। दीपक नामक सफाईकर्मी बुरी तरह घायल हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

19 अप्रैल: ओडिशा के जाजपुर में जमातियों ने अपने रिश्तेदारों और समर्थकों के साथ मिल कर सरकारी कर्मचारियों को ही बंधक बना लिया। ये घटना कुआखिया थाना क्षेत्र के गोपीनाथपुर गाँव में हुई। जब बीडीओ और तहसीलदार चेकिंग कर रहे थे, तब बिना मास्क के तीन व्यक्ति बाइक से आगे निकल गए । जब अधिकारी उनका पीछे करते हुए गाँव में पहुँचे, तो उलटा उन्हें ही बंधक बना लिया गया।

21 अप्रैल: हापुड़ के सरवाना गाँव में ग्रोसरी की ख़रीददारी को लेकर हुए मामूली विवाद के कारण तनाव व्याप्त हो गया। कट्टरपंथियों ने एक त्यागी परिवार सहित गाँव के कई हिन्दू परिवारों पर हमला बोल दिया। वो लोगों के घरों पर हमला करने लगे। गाँव में तभी से तनाव व्याप्त था, जब जामतियों के बारे में पुलिस को सूचना मिली थी और कार्रवाई हुई थी। तोड़फोड़ और हमले की शुरुआत इमरान और उसके समर्थकों ने की थी।

22 अप्रैल: बंगलौर के पडनारायणपुरा में हेल्थ कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया, जिसके बाद 60 आरोपितों की गिरफ्तारी हुई। ये क्षेत्र भी जमातियों के प्रभाव वाला था और यहाँ लोग विभिन्न मजहबी कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर लौटे थे। जब मेडिकल टीम वहाँ गई, तो उस पर हमला हुआ। इसमें अधिकतर आशा कार्यकर्ताएँ शामिल थीं। सभी आरोपितों के ख़िलाफ़ नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया