19 साल की लड़की को अगवा कर जबरन धर्मांतरण के मामले की आरोपित चाँद बीवी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। यूपी पुलिस ने लव जिहाद विरोधी कानून के तहत उसे आरोपित बनाया था।
यह मामला सीतापुर के तंबौर थाना क्षेत्र का है। लड़की के पिता ने इस संबंध में गाँव के ही जुबराईल और अन्य लोगों के खिलाफ नामजद शिकायत की थी। यह बात भी सामने आई थी कि लड़की के घर से पैसे और जेवरात भी गायब थे। लड़की को अगवा करने की यह घटना 29 नवंबर 2020 की है।
लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि जुबराईल अपने साथियों के सहयोग से उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर अपहरण कर ले गया है। उन्होंने उसका जबरन धर्मांतरण कराने के आरोप भी लगाए थे।
चाँद बीवी ने यह दावा करते हुए जमानत माँगी थी कि उसका नाम एफआईआर में नहीं था और उसे झूठे तरीके से इसमें फँसाया गया है। उसने यह भी कहा कि पीड़िता उसके पास से बरामद नहीं हुई थी। पीड़िता अपहरण के तुरंत बाद अपने पिता के साथ थाने में हाजिर हुई थी। उसने कहा कि जब सीआरपीसी की धारा 161 के तहत पीड़िता का बयान जाँच अधिकारी के सामने दर्ज किया गया, तब भी उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाए गए थे।
अतिरिक्त सरकारी अभियोजक ने यह कहते हुए उसे जमानत दिए जाने का विरोध किया कि पीड़ित पक्ष के अतिरिक्त बयान में यह बात विशेष रूप से कही गई है कि धर्मांतरण के लिए जिनलोगों ने दबाव बनाया, उनमें एक याचिकाकर्ता भी थी।
जस्टिस मोहम्मद फैज आलम की एकल पीठ ने माना कि धारा 164 के तहत दिए बयान में याचिकाकर्ता पर कोई आरोप नहीं लगाया गया था। पीठ को बताया गया है कि धारा 164 के तहत अपने बयान में अभियोजक ने उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया। वास्तव में, उसने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह जिबराईल के साथ अपनी मर्जी से गई थी। वह उससे प्यार करती है और उसने अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन किया।
पीठ ने कहा कि तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और चार्जशीट दायर होने की वजह से वह याचिकाकर्ता को जमानत दिए जाने के उपयुक्त मानते हैं। चाँद बीवी को अदालत ने स्थानीय पुलिस को सूचना दिए बिना अपना इलाका नहीं छोड़ने, ट्रायल में सहयोग करने, पीड़ित पक्ष या चश्मदीद पर कोई दबाव नहीं बनाने और किसी तरह के अपराध में संलिप्त नहीं रहने की शर्त पर जमानत दे दी।