हिन्दुओं के सामूहिक ईसाई धर्मांतरण के आरोपों से घिरे प्रयागराज नैनी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (SHUATS) के कुलपति को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उच्च न्यायालय ने पुलिस को आदेश दिया है कि वो आरोपित डॉ. राजेंद्र बिहारी लाल के खिलाफ 15 फरवरी तक कोई कठोर कार्रवाई न करें और न ही गिरफ्तार करें। अदालत ने आरोपित को भी पुलिस जाँच में सहयोग करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश गुरुवार (9 फरवरी, 2023) को दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस केस की सुनवाई जस्टिस मंजू रानी चौहान की कोर्ट में हुई। आरोपित डॉ लाल ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को विपक्षी बनाया था। लाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कुमार विक्रांत ने बहस की थी। उन्होंने तर्क दिया कि केस दर्ज होते समय उनके मुवक्किल का नाम FIR में दर्ज नहीं था जिसे बाद में जाँच अधिकारी ने 2 गवाहों के बयान के आधार पर शामिल किया है। डॉ लाल को एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बताते हुए बचाव पक्ष के वकील ने उनके खिलाफ दर्ज केस से छवि धूमिल हो रही है।
आरोपित डॉ लाल के वकील की दलीलों का सरकारी पक्ष के वकील ने विरोध किया और पुलिस कार्रवाई को सही और सबूतों के आधार पर होना बतया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुन कर जस्टिस मंजू रानी चौहान ने आरोपित डॉ लाल को राहत देते हुए पुलिस से 15 फरवरी तक आरोपित को गिरफ्तार न करने और कोई कठोर कार्रवाई न करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने डॉ लाल को भी पुलिस जाँच में सहयोग करने का निर्देश दिया। अदालत के मुताबिक, आरोपित को 13 फरवरी, 2023 तक जाँच अधिकारी के आगे अपने पासपोर्ट व अन्य साक्ष्य जमा करने होंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी 2023 को तय की गई है।
फतेहपुर पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपित डॉ लाल 13 फरवरी को पुलिस के आगे पेश नहीं हुआ। अब उसे 15 फरवरी को एक और अवसर के तौर पर पुलिस के आगे पेश हो कर अपने समर्थन में साक्ष्य जमा करने होंगे।
गौरतलब है कि अप्रैल 2022 में हिन्दू संगठन से जुड़े हिमांशु दीक्षित ने 90 हिन्दुओं के सामूहिक ईसाई धर्मांतरण का आरोप लगा कर कोतवाली नगर में एक FIR दर्ज करवाई थी। इस FIR में फतेहपुर में ही मौजूद इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया से जुड़े लोगों को आरोपित किया गया था। मामले में शुरुआती गिरफ्तारी और जाँच के बाद इस घटना के तार विदेशों तक जुड़े पाए गए थे जिसमें अमेरिका, पाकिस्तान के साथ कुछ यूरोपीय देश भी शामिल हैं।
इन देशों ने भारत में ‘यीशु दरबार’ लगाने और हिन्दुओं का धर्म-परिवर्तन करवाने के लिए पैसे भेजे थे। केस में इन पैसों को मँगाने और उसे भारत में बाँटने के लिए नैनी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के डॉ लाल को मुख्य तौर पर आरोपित किया गया है।