महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की मॉब लिंचिंग को लोग अभी भूले नहीं हैं। इसी बीच महाराष्ट्र से अब एक और ऐसा मामला सामने आ गया है। औरंगाबाद में राम मंदिर के एक साधु पर 25 लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया और जम कर पिटाई की। ये घटना पेठण तहसील के जांभली गाँव की है। यहाँ के मंदिर में गणेश पुरी शिंदे नामक एक साधु रहते हैं। उनकी पिटाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
जब अचानक से दो दर्जन ग्रामीणों ने साधु महाराज को घेर लिया तो उन्होंने अपनी कुटिया में जाकर आत्मरक्षा के लिए रखी दो तलवार उठा ली। वीडियो में उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है कि भीड़ उन्हें उसी तरह मार डालेगी, जैसे पालघर में साधुओं की सामूहिक हत्या की गई थी। उन्होंने बताया कि ये लोग उन्हें हमेशा परेशान और प्रताड़ित करते रहते हैं। साधु ने कहा कि उन पर पहले भी ऐसे हमले हो चुके हैं।
अपने हाथ में दो तलवारों के वीडियो में दिखने के सवाल पर साधु गणेश पुरी शिंदे ने कहा कि उन्होंने खुद की सुरक्षा के लिए ये उठाया था, उन्हें इसके लिए मजबूर होना पड़ा था। शुक्रवार (दिसम्बर 25, 2020) को मोक्षदा एकादशी थी, ऐसे में गाँव के कई महिलाएँ एवं पुरुष निलाज गाँव के श्रीराम मंदिर में पहुँचे थे। ग्रामीणों का कहना है कि साधु के भुट्टे के खेत में गाय घुस गई। इसके बाद साधु ने एक ग्रामीण को डंडे से मारा, जिससे लोग आक्रोशित हो गए।
साधु ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों ने सबसे पहले उन पर पत्थरबाजी की, जिसमें उन्हें काफी चोटें आईं। ग्रामीणों ने दावा किया कि वे दौड़ते हुए बस्ती की ओर गए थे, इसलिए गिरने पर उन्हें चोट लगी होगी। औरंगाबाद के घाटी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। शनिवार को 25 लोगों के खिलाफ मारपीट का मामला भी दर्ज कराया गया। पुलिस साधु से पूछताछ कर रही है कि उनके पास तलवार कहाँ से आई और उन्होंने क्यों रखी थी।
गाय को लेकर उठे विवाद में औरंगाबाद में साधु पर हमला https://t.co/mZuiGAlz4W
— Max Maharashtra Hindi (@max_hindi) December 26, 2020
‘आज तक’ की खबर के अनुसार, पुलिस ने जाँच के क्रम में वो तलवारें भी जब्त कर ली है। पुलिस ने बताया कि अगर साधु महाराज के पास रखीं तलवारें अवैध पाई जाती हैं तो उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। पुलिस ने कहा कि वो शुक्रवार को ही साधु को मामला दर्ज कराने को कह रहे थे, लेकिन वो तैयार नहीं हुए। सोशल मीडिया में लोगों ने इस घटना को लेकर जम कर आक्रोश जताया।
पालघर मामले की जाँच के बाद भी एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने साधुओं की मॉब लिंचिंग को लेकर कहा था कि इसके पीछे गहरी साजिश थी। साथ ही इस घटना के तार नक्सलियों से भी जुड़े थे। कमिटी ने पाया था कि वहाँ उपस्थित पुलिसकर्मी अगर चाहते तो इस हत्याकांड को रोक सकते थे लेकिन उन्होंने हिंसा की साजिश में शामिल होने का रास्ता चुना। कमिटी के अनुसार, आदिवासियों को वामपंथी भड़का रहे हैं कि वे क़ानून, सरकार और संविधान का सम्मान न करें।