पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पताल के 700 से ज्यादा डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसा उन्होंने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए किया। कोलकाता स्थित नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सोमवार (10 जून) को दो जूनियर डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के बाद से शुरू हुआ डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में डॉक्टरों को दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक समेत कई बड़े शहरों के डॉक्टरों का साथ मिला। इससे पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। ममता की जिद की वजह से लोगों की जान पर बन आई है। मगर ममता की असंवेदनशीलता बरकरार है और वो अपनी जिद पर कायम हैं।
AIIMS RDA’s letter to @MamataOfficial pic.twitter.com/B3rJQdsP13
— DNA (@dna) June 15, 2019
डॉक्टरों ने काम पर वापस लौटने के लिए माँग की है कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, साथ ही सीएम ममता बनर्जी बिना शर्त डॉक्टरों से माफी माँगे। यही नहीं, दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टरों की असोसिएशन ने भी ममता सरकार को दो दिन (48 घंटे) का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि दो दिनों में पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की माँगें स्वीकार नहीं की, तो फिर एम्स में भी अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।
Bengal healthcare in coma as over 700 doctors quit
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गुरुवार (जून 13, 2019) को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एसएसकेएम अस्पताल पहुँची और उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को 4 घंटे में काम पर वापस आने का अल्टीमेटम दिया और कहा कि अगर वो 4 घंटे में काम पर नहीं लौटते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसने डॉक्टरों में व्याप्त गुस्से को शांत करने की बजाए भड़काने का काम किया। इसी का नतीजा है कि एक ही दिन में 700 से ज्यादा डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया। ममता के बयान के बाद डॉक्टरों में हलचल और तेज हो गई और सीनियर डॉक्टर उनके समर्थन में खड़े हो गए। इससे पहले, गुरुवार को एनआरएस अस्पताल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ने पद से इस्तीफा दिया था। वहीं, कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सागोर दत्ता अस्पताल के 21 सीनियर डॉक्टर भी इस्तीफा दे चुके हैं।
शुक्रवार (जून 14, 2019) को सबसे पहले आरजी कार मेडिकल कॉलेज के 107 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया। इसके बाद तो इस्तीफों का दौर शुरू हो गया। मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 100, एसएसकेएम के 175, चित्तरंजन नेशनल मेडिकल कॉलेज के 16, एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 100 और स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के 33 डॉक्टरों से पद से त्यागपत्र दे दिया। जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है उसमें सीनियर डॉक्टरों के अलावा विभागाध्यक्ष भी शामिल हैं। मंगलवार (जून 11, 2019) से ही राज्य की स्वास्थ्य सेवा चरमराई हुई है। शुक्रवार को भी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद रहीं।