मजाकुर ममद अब्दुल्ला लुहार नाम के एक शख्स को समाज-विरोधी गतिविधियों की रोकथाम (PASA) के तहत सूरत की लाजपोर जेल में भेज दिया गया। बता दें कि अब्दुल्ला लुहार को महीने की शुरुआत में भुज की एक मस्जिद में देर रात घुसने माइक से अजान देकर भड़काऊ अपील करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
गौरतलब है कि अब्दुल्ला लुहार 7 मई 2020 को इमाम-ए-रब्बानी नामक मस्जिद में देर रात करीब 2:30 बजे घुस गया और लाउडस्पीकर से असमय अजान दी। मस्जिद से बेवक्त अजान देकर अपील की गई, “मुस्लिमों अब जागो, हथियार उठाओ और अपने घर से बाहर आओ।”
लुहार ने अपील किया, “मैं कच्छ का राजा हूँ। मुस्लिमों को जाग जाना चाहिए और हथियार उठाकर अपने घरों से बाहर आना चाहिए।” इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुँचकर उसे गिरफ्ताार कर लिया।
स्वराज्य इंटर्न हर्षिल मेहता के अनुसार, बाद में उसके खिलाफ आईपीसी और महामारी रोग अधिनियम की धारा 153, 153A / B, 188, 504, 269 और 270 के तहत FIR दर्ज की गई थी।
https://twitter.com/MehHarshil/status/1262378446870765568?ref_src=twsrc%5Etfwघटना को लेकर ताजा जानकारी देने के लिए स्थानीय कच्छ क्राइम ब्रांच ने 14 मई 2020 को एक बयान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन जारी होने के बावजूद, मजाकुर ममद अब्दुल्ला लुहार ने मस्जिद में प्रवेश किया और माइक्रोफोन पर बेवक्त अजान दिया और सांप्रदायिक कलह को भड़काने की कोशिश की।
प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि लुहार ने लोगों को बाहर आने और संक्रमित होने के लिए उकसाया था और इसलिए उसके खिलाफ समाज विरोधी गतिविधियों (PASA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था। क्राइम ब्रांच ने बताया कि आरोपित को सूरत की लाजपोर जेल भेज दिया गया है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन में किसी भी स्थान पर लोगों का एकत्र होना प्रतिबंधित है। धार्मिक स्थलों पर भी जुटान की मनाही है।
कई राज्यों में स्थानीय प्रशासन कोरोना के प्रति मुस्लिम समुदाय में जागरुकता फैलाने के लिए मस्जिद के मौलवियों और इमामों के साथ समन्वय बनाए हुए हैं। ऐसी स्थिति में बिना समय के अजान देना सांप्रदायिक हिंसा को भड़का सकता है।