कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका दिया। उच्च-न्यायालय ने गुरुवार (19 अगस्त, 2021) को पश्चिम बंगाल में हुई राजनीतिक हिंसा के मामले की जाँच ‘राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)’ को सौंप दी। हत्या, बलात्कार और महिलाओं के साथ हुए अपराधों के इन मामलों की जाँच अब CBI करेगी। मई 2021 में हुई इन घटनाओं की CBI जाँच कलकत्ता उच्च-न्यायालय की निगरानी में होगी।
राज्य में 2 मई को चुनाव परिणाम तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के पक्ष में आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों के खिलाफ जम कर हिंसा हुई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि अपराध के ऐसे अन्य मामलों की जाँच के लिए एक विशेष टीम करेगी, जिसकी कार्यवाही की निगरानी खुद उच्च-न्यायालय करेगा। IPS अधिकारीगण सुमन बाला साहू, सौमेन मित्र और रणबीर कुमार को इस SIT का सदस्य बनाया गया है।
अगले आदेश में सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इस जाँच की निगरानी के लिए नियुक्त किया जाएगा। साथ ही अदालत ने पश्चिम बंगाल की TMC सरकार को चुनाव बाद हुए हिंसा के पीड़ितों के लिए तत्काल मुआवजे की व्यवस्था करने के भी आदेश दिए हैं। साथ ही ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)’ के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दर्ज कराई गई आपत्ति को भी अदालत ने नकार दिया।
https://twitter.com/barandbench/status/1428232878836617218?ref_src=twsrc%5Etfwअदालत के आदेश पर ही NHRC ने एक फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी का गठन कर के पश्चिम बंगाल भेजा था। अगले 6 सप्ताह के भीतर CBI को SIT को अदालत को अवगत कराना होगा कि उनकी जाँच कहाँ तक पहुँची और जाँच की क्या स्थिति है। डिवीजन बेंच 24 अक्टूबर को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा। साथ ही मारे गए भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की ऑटोप्सी रिपोर्ट भी सीलबंद लिफाफे में CBI को सौपे जाने का आदेश दिया गया है।
अदालत में ऐसी कई याचिकाएँ गई थीं, जिनमें TMC के गुंडों पर भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों के खिलाफ हिंसा के आरोप लगाए गए थे। इस मामले में 3 अगस्त को ही जजमेंट रिजर्व कर लिया गया था। केंद्र सरकार ने कहा था कि वो अदालत के आदेश पर CBI व NIA जैसी जाँच एजेंसियों की सेवा मुहैया करा सकती है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी NHRC की रिपोर्ट के बाद माना था कि राज्य में चुनाव परिणाम आने के बाद जम कर हिंसा हुई है।