जामिया की महूर परवेज पर यूपी के खुर्जा में FIR, हंदवाड़ा के बलिदानियों को बताया था ‘युद्ध अपराधी’

जामिया की छात्रा महूर परवेज पर खुर्जा में FIR

जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ने वाली लॉ की छात्रा महूर परवेज पर हंदवाड़ा में वीरगति प्राप्त जवानों के लिए सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज हो गया है।

परवेज के ख़िलाफ यूपी के खुर्जा में तहरीर के बाद ये केस दर्ज हुआ है। दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक प्रवीण भाटी एडवोकेट व बजरंग दल के प्रांत सह संयोजक ने खुर्जा कोतवाली पुलिस को दी तहरीर में बताया कि जामिया मिलिया विश्वविद्यालय दिल्ली की BA (LLB) की छात्रा महूर परवेज ने बीते 3 मई को भारतीय सेना व सरकार के विरुद्ध दुर्भावना प्रदर्शित करने वाली पोस्ट अपनी इंस्टाग्राम आईडी से पोस्ट की थी।

इस पोस्ट में महूर ने मुठभेड़ में वीरगति प्राप्त होने वाले भारतीय सेना के जवानों को ‘युद्ध अपराधी’ कहा था। उन्होंने बताया कि यह पोस्ट समाज के वर्गों के मध्य शत्रुता बढ़ाने वाली थी।

शिकायत के आधार पर खुर्जा कोतवाली पुलिस ने परवेज के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कर लिया। थाना प्रभारी सुभाष सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज करके अब मामले में आगे की जाँच जारी है।

खुर्जा की तरह गुलावठी शहर कोतवाली में भी बजरंग दल के अन्य दो पदाधिकारियों ने तहरीर देकर इस छात्रा के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की माँग की है। बजरंग दल के लोगों का कहना है कि यदि इस छात्रा को जिला पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार नहीं किया तो वह सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे।

क्या है महूर परवेज का मामला?

दरअसल, 3 मई को हंदवाड़ा से 5 जवानों के बलिदान की खबर आने के बाद  महूर परवेज (Mahoor Parvez) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर हंदवाड़ा में बलिदान हुए 5 भारतीय सैनिकों को ‘वार क्रिमिनल’ यानी ‘युद्ध के अपराधी’ बताया था।

परवेज ने अपने सोशल मीडिया पर देश की सुरक्षा में तैनात वीरकर्मियों के वीरगति प्राप्त होने पर उन्हें श्रद्धांजलि मिलता देख आश्चर्य जताया था और पूछा था कि लोग युद्ध अपराधियों का महिमामंडन क्यों कर रहे हैं।

महूर परवेज (Mahoor Parvez) ने लिखा, “आप सभी युद्ध अपराधियों का महिमामंडन क्यों कर रहे हैं? इन ताकतों ने कश्मीर में 70+ वर्षों से अवैध रूप से घोर मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है। फिर भी कश्मीर को आज़ाद कराने के लिए बंदूक उठाने वाला आप के लिए आतंकवादी है और ये शहीद हैं? ये कैसी बात है।”

इस पोस्ट के बाद कई कट्टरपंथियों ने महूर का समर्थन किया। मगर, जिस फर्म के साथ वे काम करती थी, उसने बयान जारी कर कहा कि इस बयान का संस्थान से कोई लेना-देना नहीं है। परवेज सिर्फ़ उनके यहाँ इंटर्न के तौर पर काम कर रही थीं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया