कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस बीमारी का खतरा: हो रही मौत, 10 राज्यों से अभी तक संक्रमण की सूचना

भारत में कोविड के कहर के बीच बढ़े ब्लैक फंगस के मामले (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोरोना की मार झेल रहे देश के सामने ब्लैक फंगस (black fungus) के रूप में नया खतरा आ खड़ा हुआ है। भारत में कोविड-19 से संक्रमित या फिर इससे ठीक हो चुके लोगों में ‘म्यूकोरमायकोसिस’ (mucormycosis) या ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं।

यह एक गंभीर फंगल इंफेक्शन है, जो मरीज के फेफड़े और दिमाग पर हमला करता है और इसमें मृत्यु दर काफी अधिक है। ब्लैक फंगस से आँखों की रोशनी जाने के मामले भी सामने आए हैं।

जिन कोविड संक्रमित मरीजों को पहले से ही कोई बीमारी हो उनमें ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही जिन मरीजों को डायबिटीज की समस्या हो उनमें ब्लैक फंगस का खतरा काफी अधिक होता है।

क्या है ‘म्यूकोरमायकोसिस’ या ब्लैक फंगस?

म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस mucormycetes नामक फंगस के कारण होता है। यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। यह अक्सर साइनस, फेफड़े, त्वचा और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो कोरोना संक्रमित होने से पहले ही किसी अन्य बीमारी से पीड़ित रहे हों या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। खासतौर पर डायबिटीज से पीड़ित लोगों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।

क्या हैं ब्लैक फंगस के लक्षण

भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (ICMR) के मुताबिक, ब्लैक फंगस के लक्षणों में नाक बंद होना या साइनस, साँस फूलना, खून की उल्टी, नाक से कालापन/खूनी डिस्चार्ज और गाल की हड्डी में दर्द आदि शामिल हैं। इसके अन्य लक्षणों में चेहरे के एक तरफ दर्द, सुन्नता या सूजन, नाक/तालु के जोड़ पर कालापन होना, दांतों का ढीला होना, दर्द के साथ धुंधला दिखाई देना, बुखार, त्वचा में घाव, खून का थक्का बनना और सीने में दर्द शामिल हैं।।

ब्लैक फंगस क्यों कर रहा है कोविड-19 के मरीजों को प्रभावित?

अनियंत्रित डायबिटीज से पीड़ित लोगों के कोरोना संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। जब ऐसा होता है, तो उनका इलाज स्टेरॉयड से किया जाता है, जो उनकी इम्युनिटी को और प्रभावित करता है। भारत में डॉक्टरों का कहना है कि गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों के इलाज के प्रयोग किया जा रहा स्टेरॉयड ब्लैक फंगस के पैदा होने की वजह बना सकता है। स्टेरॉयड जहाँ फेफड़ों में जलन को कम करने का काम करता है, तो साथ ही इम्युनिटी को घटाने के साथ ही डायबिटीज से पीड़ित और इससे नहीं पीड़ित दोनों तरह के कोविड मरीजों का शुगर लेवल बढ़ा सकता है। लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीजों में भी ब्लैक फंगस होने का खतरा अधिक रहता है।

क्या है ब्लैक फंगस से बचाव के लिए सावधानियाँ

ब्लैक फंगस के मामले डायबिटीज से पीड़ित लोगों में अधिक सामने आ रहे हैं, तो इसे देखते हुए लोगों को डायबिटीज पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। कोविड-19 मरीजों को डिस्चार्ज होने के बाद ब्लड में ग्लूकोज लेवल पर नजर रखनी चाहिए। यही काम डायबिटीज से पीड़ित लोगों को भी करना चाहिए, भले ही वे कोविड संक्रमित न हों। धूल वाली जगहों पर अनिवार्य रूप से मास्क का प्रयोग करें।

साथ ही कोविड मरीजों के इलाज के लिए स्टेरॉयड का अधिक प्रयोग भी इस बीमारी की वजह बन रहा है। कुछ लोग बिना डॉक्टर की सलाह के ही स्टेरॉयड प्रयोग कर रहे हैं, जो कि घातक साबित हो सकता है। साथ ही ऊपर बताए गए ब्लैक फंगस के लक्षणों में से एक भी नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करे।

किस राज्य में हैं ब्लैक फंगस के कितने मरीज

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक देश के 10 राज्यों में ब्लैंक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। इन राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, यूपी, बिहार और हरियाणा शामिल हैं।

लखनऊ में गुरुवार (13 मई) को एक महिला की ब्लैक फंगस से मौत हो गई, जिसे इस बीमारी से उत्तर प्रदेश में हुई पहली मौत माना जा रहा है।

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के मुताबिक, राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 2000 तक हो सकती है। महाराष्ट्र के थाणे में बुधवार (12 मई) को दो लोगों की ब्लैक फंगस से मौत हो गई थी।

गुजरात में ब्लैक फंगस के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और राज्य सरकार ने तो ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अलग वॉर्ड बनाने शुरू कर दिए हैं। मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस से दो लोगों की मौत हुई है जबकि इसके 50 से अधिक मामले सामने आए हैं।

वहीं राजस्थान में अब तक ब्लैक फंगस के 14 मामले सामने आए हैं, जबकि तेलंगाना में इसके करीब 60 और कर्नाटक में 30 से अधिक मामले सामने आए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया