इस साल फिर से पुणे में एल्गार परिषद का कार्यक्रम हुआ और उसमें शर्जील उस्मानी, अरुंधति रॉय और प्रशांत कनौजिया सरीखे प्रोपेगेंडाधारी शामिल हुए। 2017 का एल्गार परिषद ‘अर्बन नक्सल’ और असामाजिक तत्वों की आड़ में हुई भीषण हिंसा का केंद्र बिंदु थी। लेकिन इस साल माहौल अलग था, सब कुछ बेहद गुपचुप तरीके से हुआ।
कार्यक्रम में इस बार भीड़ भले नहीं मौजूद थी, लेकिन मजाल है कि जहर की मात्रा में रत्ती भर कमी आई हो। सामाजिक-धार्मिक जहर इतना ज़्यादा हो गया कि अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इंटरनेट पर ऐसे तमाम वीडियो मौजूद हैं जिसमें लिबरल जमात के सदस्य विवादित और हिन्दूफोबिक टिप्पणी करते हुए सुने जा सकते हैं।
शर्जील उस्मानी, जिसे हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था और बाद में अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था, ने कहा, “आज का हिंदू समाज पूरी तरीके से सड़ चुका है। अभी वजह नहीं चाहिए। मुसलमान हो मार देंगे…”। शर्जील ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए कहा कि यूपी प्रशासन ने पिछले एक साल में प्रतिदिन 19 लोगों की हत्या की है। मरने वालों में सभी मुस्लिम या दलित थे।
Chk his thoughts abt Hindus..
— आलू बोंडा (@ek_aalu_bonda) January 30, 2021
"आज के हिंदुस्तान का हिंदू समाज पुरी तरह सड चूका है" pic.twitter.com/I1c2H6rfNc
उस्मानी ने न्यूज़लौंड्री के लिए तमाम ख़बरें और लेख लिखे हैं लेकिन अपने दावों की पुष्टि करने के लिए साक्ष्य कभी नहीं पेश किए। इतनी बातों के बाद अरुंधति रॉय कैसे पीछे रहतीं, उन्होंने एनडीए सरकार को चुनने वाले भारतीय मतदाताओं की तुलना 6 जनवरी को कैपिटल हिल में उपद्रव करने वाली भीड़ से की।
इसके बाद अरुंधति रॉय ने हिन्दुओं का अपमान करने के लिए ‘गौमूत्र’ पर छिछला कटाक्ष किया, वही कटाक्ष जो पुलावामा हमले के आतंकवादियों ने किया था।
Queen of Instigators in JNU two days back pic.twitter.com/cIFZrrdZFu
— iMac_too (@iMac_too) February 26, 2020
तमाम जहरीले वामपंथ ग्रसित चेहरों के बाद प्रशांत कनौजिया ने भाषण दिया/जहर उगला। उसने कहा, “जब तक ‘कश्मीरी भाइयों’ को न्याय नहीं मिलता, अख़लाक और पहलू खान को न्याय नहीं मिल जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। जब तक 3 कृषि क़ानून वापस नहीं लिए जाते हैं तब तक आंदोलन चलेगा।”
इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए नफ़रत की नुमाइश करते हुए कनौजिया ने कहा कि जब तक वो RSS को जड़ से उखाड़ कर फेंक नहीं देते हैं तब उनका आंदोलन जारी रहेगा। अंत में उसने कहा कि ‘दबाव’ झेलने से बेहतर है कि दलित ‘सड़कों पर लड़ते हुए मर जाएँ’।
Elgar Parishad 2021 reveals the actual reason behind the ‘farmer protests’.. pic.twitter.com/NophM2KXHp
— Kraken Zero (@YearOfTheKraken) January 31, 2021
यह आयोजन ऐसे संवेदनशील वक्त में किया गया जब देश की राजधानी में प्रदर्शननुमा उपद्रव जारी है और खालिस्तानी भीड़ ने गणतंत्र दिवस जैसे अहम मौके पर लाल किले पर सिख झंडा फहराया था। इस कार्यक्रम में महज़ 500 लोग शामिल हुए थे और सुरक्षा का पर्याप्त प्रबंध किया गया था।