आर्य समाज के निलंबित नेता और हरियाणा के पूर्व विधायक स्वामी अग्निवेश ने शुक्रवार (11 सितंबर, 2020) को नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (ILBS) में अंतिम साँस ली। 80 वर्षीय अग्निवेश लिवर सिरोसिस से पीड़ित थे।
मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण वे मंगलवार से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। अस्पताल की ओर से बताया गया कि स्वामी अग्निवेश को शुक्रवार शाम करीब छह बजे दिल का दौरा पड़ा। अस्पताल ने अपने बयान में कहा, “11 सितंबर को उनकी हालत गंभीर हो गई और शाम 6 बजे कार्डियक अरेस्ट हुआ। उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। उन्होंने शाम 6.30 बजे अंतिम साँस ली।”
80 वर्षीय राजनीतिक कार्यकर्ता हरियाणा में मंत्री भी रहे थे। उन्होंने 1970 में आर्य सभा नाम की राजनीतिक पार्टी बनाई थी। वह विभिन्न सामाजिक अभियानों से भी जुड़े थे। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ रैली की और महिलाओं की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। वह 2011 में अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन अभियान से भी जुड़े थे, जो जन लोकपाल बिल के इम्पलीमेंटेशन की माँग पर केंद्रित था।
हालाँकि, एक वीडियो सामने आने के बाद अन्ना आंदोलन में अपनी भूमिका को लेकर वे विवादों में भी रहे थे। इस वीडियो में वे अन्ना हजारे के आंदोलन को समाप्त करने की योजना पर उस समय यूपीए सरकार में मंत्री रहे कपिल सिब्बल से चर्चा कर रहे थे।
स्वामी अग्निवेश ने एक बार हिंदुओं के तीर्थ स्थलों को अंधविश्वास और बेकार बताया था। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में हिंदुओं के देवताओं का जिक्र किया था। 2011 में अमरनाथ के शिवलिंग को उन्होंने बर्फ का टुकड़ा बता दिया था।
स्वामी अग्निवेश को नक्सल शांति वार्ता और कश्मीरियों अलगावादियों का प्रचारक भी कहा जाता था। उन्होंने न केवल मनमोहन सिंह को संबोधित करते हुए माओवादियों के साथ शांति वार्ता की माँग की थी, बल्कि वह यासीन मलिक के साथ जम्मू-कश्मीर में एक प्रदर्शन के दौरान भी दिखाई दिए थे।
इसके अलावा स्वामी अग्निवेश ने उस 30 घंटे की भूख हड़ताल का भी समर्थन किया था जिसमें उन कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के खिलाफ़ माँग थी, जिन्हें कश्मीर के कट्टरपंथी जिहादियों ने जबरन वहाँ से भागने पर मजबूर कर दिया था।