कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार (20 जुलाई 2021) को चौथे राष्ट्रीय सीरोसर्वे के आँकड़े जारी किए। इसके इसके मुताबिक, बच्चों समेत देश की 67% आबादी में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। हालाँकि, लगभग 40 करोड़ लोग अभी भी वायरस के संक्रमण की चपेट में हैं।
इस बार के राष्ट्रीय सीरोसर्वे के दौरान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बच्चों को भी शामिल किया है। ताकि कोरोना से लड़ने की उनकी शारीरिक क्षमताओं का आकलन किया जा सके।
इस सर्वे के दौरान यह पता चला है कि 6-17 वर्ष की आयु के 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए थे, जिनमें वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। इस सर्वेक्षण के दौरान बच्चों को दो आयु वर्गों के समूहों में बाँटा गया था। पहला 6-9 वर्ष और दूसरा 10-17 वर्ष आयु के थे। इनमें 6-9 वर्ष की क्रम में सीरो-प्रचलन 57.2 फीसदी था, जबकि 10-17 वर्ष के वर्ग में यह 61.6 प्रतिशत था।
The 4th round of national serosurvey was conducted in 70 districts in June-July and included children of 6-17 years of age: ICMR DG Dr Balram Bhargava pic.twitter.com/mMxyJU0vBH
— ANI (@ANI) July 20, 2021
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक सीरो-प्रचलन 45-60 वर्ष (77.6 प्रतिशत) आयु वर्ग में पाया गया, इसके बाद 60 वर्ष से अधिक (76.7 प्रतिशत) और 18-44 वर्ष (66.7 प्रतिशत) आयु वर्ग के लोग थे।
आईसीएमआर के डीजी डॉ बलराम भार्गव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि राष्ट्रीय सीरोसर्वे का चौथा दौर जून-जुलाई में 70 जिलों में आयोजित किया गया था और इसमें 6-17 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल थे।
उन्होंने कहा कि पुरुष-महिला, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सीरोप्रवलेंस में कोई अंतर नहीं था। जिन लोगों ने टीके नही लगवाए थे उनमें सीरोप्रवलेंस 62.3% था, जबकि टीके की एक खुराक लेने वालों में यह 81% था। इसके अलावा जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज ली थी, उनमें यह 89.8% थी।
There was no difference in seroprevalence in male and female and rural and urban areas. In unvaccinated, the seroprevalence was 62.3% & with one dose of vaccine, it was 81%. In those who receive both doses, it was 89.8%: ICMR DG Dr Balram Bhargava pic.twitter.com/4AWYrtBc5K
— ANI (@ANI) July 20, 2021
स्कूलों को खोले जाने के मुद्दे पर डॉ बलराम भार्गव ने कहा, हम अच्छी तरह से जानते हैं कि बच्चे वयस्कों की तुलना में वायरल इन्फेक्शंस को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। वयस्कों की तरह बच्चों में भी एंटीबॉडी एक्सपोजर समान है। कुछ स्कैंडिनेवियाई देशों ने अपने प्राथमिक स्कूलों को किसी भी कोविड लहर में बंद नहीं किया है।”