राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुआ निर्भया कांड आज भी रूह कंपा देता है। तसल्ली है तो बस ये कि उसके दोषियों को फाँसी देकर देर-सवेर ही सही उसके साथ न्याय तो हुआ।
हम खुश हैं क्योंकि एक ऐसे मुद्दे पर हमें कुछ दिन पहले जीत मिली जिसकी वीभत्सता की हमें जानकारी थी, जिसका जिक्र आए दिन मीडिया में हो रहा था, जिसके लिए वकील कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे और जिसके लिए कैंडल मार्च किया गया था।
लेकिन, इन सबके बीच उस उत्तराखंड की किरण नेगी का क्या? जिसके शरीर को दिल्ली में ही उसी साल निर्भया से पहले नोच लिया गया और जिसकी निर्मम हत्या पर चूँ तक न हुई। शायद उस समय किसी ने आवाज उठाई होती तो दिसंबर आते-आते निर्भया भी सतर्क हो जाती और उसके दोषियों के भीतर भी डर होता।
सोशल मीडिया के कारण अब किरण नेगी का मामला पहुँचा CM रावत के पास
आज सोशल मीडिया के कारण किरण नेगी का यह मामला मुख्यधारा में आया है। उत्तराखंड की बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए सीएम त्रिवेंद्र रावत ने इस पर स्वयं संज्ञान ले लिया है। उन्होंने किरण को न्याय दिलाने का जिम्मा उठाते हुए ये वादा किया है कि दोषियों को बिना दंड दिलवाए शांत नहीं बैठेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर उन सभी लोगों का आभार व्यक्त किया है जो इस पर सालों से लगातार आवाज उठाते रहे।
CM @tsrawatbjp has come out strongly in support of #justiceforkirannegi social media campaign & has promised all legal support to the parents of victim to ensure that perpetrators of this heinous crime don’t go unpunished. He thanked everyone on SM for raising this issue. pic.twitter.com/WI5pDzFLY7
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) November 25, 2020
पहाड़ की निर्भया को इंसाफ दिलााने के लिए #DevbhoomiDialogue ने #JusticeForKiran की जो मुहिम चलाई, उसे आज एक नया बल मिला है। आज किरन के माता पिता ने सूबे के मुख्यमंत्री @tsrawatbjp से मुलाकात की है। मुख्यमंत्री जी ने उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। #justiceforkirannegi pic.twitter.com/RadHIZ0uWF
— देवभूमि डायलॉग (@Devbhoomidialo) November 25, 2020
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि वह दोषियों को घृणित अपराध के लिए दंड दिलवाएँगे। साथ ही परिवार को भी हर तरह से लीगल सपोर्ट करेंगे। इसी बाबत सीएम रावत ने आज (नवंबर 25, 2020) किरण के माता-पिता से मुलाकात भी की। उन्हें बल देते हुए आश्वस्त किया कि वह उनकी हर संभव मदद करेंगे।
Before Nirbhaya it was Kiran Negi but media Forgotten. pic.twitter.com/pIUa2E1Qof
— Yogita Bhayana (@yogitabhayana) November 20, 2020
क्या हुआ था किरण नेगी के साथ?
गौरतलब है कि किरण नेगी का मामला जो बहुत पहले सुन लिया जाना चाहिए था, जिस पर आज तक प्रशासन मौन रहा। संदेह है कि यदि इस दर्दनाक घटना पर सीएम रावत स्टैंड नहीं लेते तो शायद यह केस अब भी चर्चा में नहीं होता।
किरण की मृत्यु कोई सामान्य घटना नहीं थी। किरण एक ऑफिस जाने वाली सपने देखने वाली मिडिल क्लास लड़की थी। चूँकि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी और पिता सेक्योरिटी गार्ड थे इसलिए उसे यही लगता था कि जल्द से जल्द एक घर खरीदना है और अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी है।
वह घर आते ही अपनी माँ को चिल्ला कर बताती थी, ‘माँ मैं आ गई।’ उसकी आवाज को याद करते हुए किरण की माँ बताती हैं कि उनकी बेटी को सपने देखने का शौक था और उड़ने का भी।
9 फरवरी 2012 को किरण भी अपने ऑफिस से घर की ओर आ रही थी कि तभी एक लाल इंडिका में उसका अपहरण गुड़गाँव में कर लिया गया। इसके बाद हरियाणा ले जाकर उन दरिंदों ने उसका तीन दिन तक रेप किया। फिर अंत में उसे सरसों के खेत में मरने के लिए छोड़ दिया।
किरण ने बार-बार अपनी जान की भीख माँगी, पर कल्पना करिए जिन्होंने उसके नाजुक अंगो में शराब की बोतल डाल दी हो, उसकी आँखों को तेजाब से जला दिया हो, उसके शरीर को खौलते पानी से दागा हो, उन्हें उस पर दया कैसे आती! उन दरिंदों ने पहले तीन दिन किरण के शरीर पर अपनी हवस मिटाई और फिर उसे दर्दनाक मौत दे दी।
Early hearing petition in Supreme Court was filed by the parents of Kiran Negi and Myself.When Superem court can hear other Issues from Influential People.Are our daughters not important enough for our judiciary or is it only for high &Mighty? @narendramodi #JusticeForKiranNegi pic.twitter.com/wQbiCHaFYw
— Yogita Bhayana (@yogitabhayana) November 20, 2020
मौजूदा जानकारी से पता चलता है कि किरण के साथ उस रात तीन सहेलियाँ थी। सभी अपना काम करके घर को लौट रही थीं। तभी एक इंडिका में बैठे तीनों दरिंदों ने सब लड़कियों को छेड़ना शुरू किया और जैसे ही वो जब वहाँ से भागने लगीं, उन लोगों ने किरण को अपनी गाड़ी में जबरन बिठा लिया।
पुलिस ने नहीं की सुनवाई, शीला दीक्षित ने कहा- ऐसे अपराध होते रहते हैं
किरण के अपहरण के बाद उसकी सहेलियों ने यह सूचना उसके घरवालों और पुलिस की दी थी। लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। अंत में उत्तराखंड समाज के लोगों को इस घटना का विरोध करने के लिए सड़कों पर आना पड़ा, जिसकी वजह से पुलिस हरकत में आई और 14 फरवरी को किरण की लाश हरियाणा के खेत से मिली।
किरण के पिता बताते हैं कि अपनी बेटी के लिए न्याय माँगने वो शीला दीक्षित के पास तक गए थे, मगर उन्हें ये कह दिया गया कि इस तरह की घटनाएँ होती रहती हैं। इसके बाद अधिकारियों ने उन्हें 1 लाख का चेक थमाया और किसी प्रकार की मदद या मुआवजा देने से इंकार कर दिया गया।
अब लगभग 9 साल होने वाले हैं। किरण के पिता मीडिया को बताते हैं कि उन्हें आज तक इंसाफ की दरकार है। साल 2014 में किरण का गैंगरेप करने वाले तीनों दोषियों को उच्च न्यायालय ने फाँसी की सजा दी थी, मगर बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच कर लटक गया। अब स्थिति ये है कि उन्हें यहाँ तक नहीं पता कि कोर्ट की अगली तारीख क्या है और उनके वकील का नाम क्या है।
क्या चाहते हैं किरण नेगी के माता-पिता?
माँग के नाम पर बस वह इतना चाहते हैं कि उनकी बेटी के साथ दरिंदगी करने वालों को फाँसी हो। उन्हें 8 साल कोर्ट के चक्कर लगाते बीत गए हैं, लेकिन न्याय का कुछ अता-पता नहीं है। वो प्रशासन पर सवाल उठाते हुए सवाल करते हैं कि यदि उनकी बिटिया हाथरस की होती या फिर निर्भया होती तो उसे न्याय मिल जाता?
उन्हें भी यह बात सताती है कि निर्भया से पहले हुई इस घटना पर अब भी कोई सुनवाई नहीं है। वहीं निर्भया के दोषियों को इंसाफ मिल चुका है। कुँवर नेगी (किरण के पिता) कहते हैं कि जब तक रेप मामलों में त्वरित कार्रवाई का प्रावधान नहीं होता तब तक कुछ भी नहीं बदल पाएगा। बेटियाँ डर महसूस करती हैं, ये डर अपराधियों में होना चाहिए। जब तक फाँसी की सजा नहीं होगी, यह रेप नहीं रुकेंगे। जिन मामलों में पुख्ता सबूत मिल रहे हैं उनमें तो 6 माह में फाँसी हो ही जानी चाहिए।
बेटी को न्याय दिलाने के लिए कुँवर नेगी जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर चुके हैं। जहाँ उन्हें पीड़ा यह देख कर हुई कि एक ओर केजरीवाल का पंडाल लगा था और उन्होंने उनके बारे में जानने तक का प्रयास नहीं किया। वहीं दूसरे गेट पर राहुल गाँधी की बैठक हुई और उन्होंने उनकी तरफ तक नहीं देखा। ये सब इन नेताओं ने तब किया जब कुँवर नेगी अपनी बिटिया के लिए हाथ में पोस्टर लेकर न्याय माँग रहे थे।
साल 2019 में हुआ था किरण के लिए पहली बार कैंडल मार्च
पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय संग्रहालय से इंडिया गेट तक किरण के लिए न्याय माँगते हुए पहली बार कैंडल मार्च निकाला गया। इस मार्च में उत्तराखंड समाज के तमाम सामाजिक संगठन और लोग एकत्र हुए। इन सबने एक आवाज़ में माँग की कि उत्तराखंड की बेटी किरन नेगी के हत्यारों को जल्द से जल्द फाँसी की सजा दी जाए।
कैंडल मार्च की अगवाई करने वाले समाज सेवी विनोद बछेती ने बताया था कि वह अपनी उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए एकत्रित हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट बेटी के हत्यारों को फाँसी देगा और उत्तराखंड के लोगों को न्याय मिलेगा।
इस कैंडल मार्च में शामिल किरण के माता पिता तब तक यही आस लगाए हुए थे कि जैसे निर्भया के हत्यारों को फाँसी की सजा दिलवाने की तैयारी हो रही है, वैसे ही कोर्ट उनकी भी सुनेगा, लेकिन अफसोस ये मामला इस साल तक लटका रहा। हालाँकि अब हो सकता है सीएम रावत के साथ आने के बाद उन्हें जल्द इसमें न्याय मिले।