आर्म्स रैकेट चला रहा मंत्रालय का कर्मचारी इंसार खान धराया, कई अपराधियों को दिए थे फर्जी लाइसेंस वाले हथियार

मोहम्मद इंसार और पारस को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार (फोटो साभार: राज शेखर झा, TOI)

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के एक ऐसे कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया है, जो हथियारों का एक बड़ा रैकेट चला रहा था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस मामले में मोहम्मद इंसार खान को गिरफ्तार किया है, जो आर्म्स रैकेट का संचालक था। जब उसे गिरफ्तार किया गया, तब वो इंडिया गेट पर हथियारों की डिलीवरी देने के लिए पहुँचा था। उसका सहयोगी पारस चोपड़ा भी गिरफ्तार हुआ है।

पारस हरियाणा के करनाल में एक गन हाउस चलाता था। इस मामले में तलाश किए जा रहे तीसरे अभियुक्त का नाम दीपक है, जो बागपत का हिस्ट्री शूटर है। वो फ़िलहाल फरार है। ये गैंग गन हाउस से फेक लाइसेंस बनवा कर बंदूकें उठाता था और फिर उसे दुर्दांत अपराधियों को बेच दिया करता था। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हिस्ट्रीशीटर अपराधी इस गैंग से हथियार ख़रीदा करते थे।

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह ने बताया कि उन्हें ख़ुफ़िया सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति दिल्ली से हथियार लेकर यूपी के बदमाशों को बेचने के लिए आने वाला है। इसके बाद पुलिस सतर्क हो गई और इंडिया गेट के पास तिलक मार्ग से इंसार खान दबोचा गया, जो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का कर्मचारी निकला। पूछताछ में उसने बताया कि वो दीपक से पिस्टल खरीद कर आ रहा था।

वह फर्जी लाइसेंस बनवा कर गन हाउस से अब तक कई पिस्टल खरीद चुका था। पुलिस ने दीपक के घर पर भी छापेमारी की, जहाँ से 14 करतूत और एक पिस्टल की मैगजीन बरामद हुई। ‘चोपड़ा गन हाउस’ का संचालक पारस चोपड़ा भी धरा गया है। इंसार के पास से जो पिस्टल बरामद हुई, उसे भी पारस ने दीपक को बेचा था। हथियार के सत्यापन के बिना ही उसे बेच दिया जाता था।

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पुलिस को हथियारों की खरीद-बिक्री का कोई रिकॉर्ड भी नहीं मिला है। पूछताछ में इंसार खान ने बताया कि कर्मचारी चयन आयोग (SSC) नई दिल्ली द्वारा आयोजित आशुलिपिक की परीक्षा के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में उसकी नौकरी लगी थी। उसने बताया कि वो सोचता था कि वो सरकारी कर्मचारी है, इसीलिए उस पर किसी का भी शक नहीं जाएगा। इसी आड़ में वो आर्म्स रैकेट चला रहा था।

इंसार खान ही उत्तर प्रदेश से हथियारों की सप्लाई लेता था और फिर दिल्ली में डिलीवरी करता था। इससे पहले भी लखनऊ में उस पर धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र का ममला दर्ज किया गया था। 2012 में उसकी सरकारी नौकरी लगी थी। अमीनाबाद पुलिस ने उसे स्टेनोग्राफर की परीक्षा में चीटिंग से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार भी किया था। बावजूद इसके वह मंत्रालय में नौकरी पाने में कामयाब रहा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया