मध्य प्रदेश हनी ट्रैप कांड में आए दिन नए ख़ुलासे हो रहे हैं। इस मामले में ताज़ा समाचार यह है कि जाँच दल ने पाया है कि सेक्स रैकेट में भोपाल के कई मीडियाकर्मियों के नाम भी शामिल हैं। इंडिया टीवी की ख़बर के अनुसार, इन नामों में एक हिंदी समाचार पत्र के क्षेत्रीय संपादक, एक समाचार चैनल के कैमरामैन और क्षेत्रीय सैटेलाइट चैनल के मालिक का नाम शामिल है।
इससे पहले यह ख़ुलासा हुआ था कि महिलाएँ कैसे हाई प्रोफ़ाइल और नामी लोगों को अपने जाल में फँसाती थीं। बता दें कि इन महिलाओं के जाल में फँस चुके कई राज्य मंत्रियों और आईएएस अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं।
ख़बर के अनुसार, मीडियाकर्मी हनी ट्रैप रैकेट के शिकार नहीं थे, बल्कि दलाल थे। मीडियाकर्मियों ने कथित तौर पर पीड़ित नौकरशाहों, मंत्रियों और रैकेट की सरगना श्वेता जैन के बीच दलाल के तौर पर सौदे करवाने में मदद की थी।
पत्रकारों और प्रमुख मीडियाकर्मियों के रैकेट में शामिल होने का आरोप सबसे पहले भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने लगाया था। मीडिया से बात करते हुए विजयवर्गीय ने कहा था कि उनके पास रैकेट में शामिल 3 या 4 पत्रकारों के बारे में विशेष जानकारी है।
IANS ने एक हिन्दी दैनिक के प्रधान संपादक हेमंत शर्मा के हवाले से कहा है कि पत्रकारों का एक निश्चित समूह है, जो सत्ता के गलियारों में केवल ब्लैकमेलिंग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं से पैसा ऐंठने के एकमात्र उद्देश्य से चलते हैं। शर्मा ने यह भी कहा है कि श्वेता और आरती दयाल ने कुछ पत्रकारों को अपने रैकेट में शामिल किया था, जिनका इस्तेमाल वे अपने पीड़ितों के साथ सौदे करने के लिए करती थी।
इसी कड़ी में मोनिका यादव जिसे अन्य महिलाओं के साथ गिरफ़्तार किया गया था, उसके पिता को पूछताछ के लिए इंदौर पुलिस ने हिरासत में लिया था। ख़बर में कहा गया है कि मोनिका ने ख़ुलासा किया था कि उसके घर में कुछ साक्ष्य छिपे हुए हैं और पुलिस टीम मोनिका के साथ राजगढ़ ज़िले के सांवंसी गाँव गई थी।
कथित तौर पर, मोनिका एक ग़रीब परिवार की एक प्रतिभाशाली लड़की थी, जिसे पत्रकारिता पाठ्यक्रम के लिए वित्तीय मदद देने का वादा कर आरती दयाल ने फँसाया था। मोनिका और आरती को उनके ड्राइवर ओमप्रकाश के साथ 18 सितंबर को इंदौर के एक होटल से गिरफ़्तार किया गया था, जहाँ वे एक सरकारी अधिकारी से 50 लाख रुपए लेने गए थे, जिसे वे ब्लैकमेल कर रहे थे।
आरती दयाल, श्वेता स्वप्निल जैन, बरखा सोनी, श्वेता विजय जैन, मोनिका यादव और ओमप्रकाश कोरी नाम के ड्राइवर हाई प्रोफाइल हनी ट्रैपिंग रैकेट में गिरफ़्तार होने वाले पहले व्यक्ति थे।
इस पूरे कांड में जाँच टीम के हाथों एक एक हिट लिस्ट हाथ लगी थी, जिसमें 13 आइएस अधिकारियों के नाम सामने आए थे, जिन्हें लड़कियों ने प्रेम में फँसाया था और उनकी सेक्स वीडियो दिखाकर उनसे पैसे माँगने वाले थे। पुलिस को इस ब्लैकमेल करने वाले गिरोह से अभी तक 90 वीडियो मिल चुके हैं। इनमें सियासत से जुड़े लोगों से लेकर कई ब्यूरोक्रेट्स के चेहरे उजागर हुए। गिरोह में शामिल महिलाओं के पास से 8 सिम कार्ड भी मिले थे।