देश में कोरोना के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच ईसाई कार्डिनल ने मुंबई के सभी चर्च पादरियों से अपील की है कि वह कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों को दफनाएँ नहीं बल्कि उनकी डेडबॉडी का अंतिम संस्कार कराएँ। इसके साथ ही पादरी ने ईसाईयों से लॉकडाउन के बीच सरकार के नियमों का पालन और कोरोना से बचने के लिए कुछ उपाय भी बताए हैं। हालाँकि, इस अपील को पिछले दिनों बीएमसी द्वारा जारी की गई गाईडलाइन से जोड़कर देखा जा रहा है।
मुंबई: ईसाई धर्मगुरु की अपील, कोरोना से मरे लोगों को दफनाने के बजाय जलाएं ईसाईhttps://t.co/ao2oweHxPQ pic.twitter.com/NVufdn7gPL
— vip bhai (@vipbhai01) April 3, 2020
दरअसल, कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस ने एक वीडियो जारी कर मुंबई के पादरियों से ईसाइयों के शवों को ना दफनाने की अपील करते हुए कहा कि वो सभी बीएमसी के निर्देशों का पालन करें और ईसाइयों के शवों को जलवाएँ। ओसवाल्ड ने इसके अलावा वीडियो के माध्यम से ही लोगों को घर से बाहर न निकलने, बार-बार हाथ साफ करने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी कई चीजों के बारे में भी जागरूक किया है।
इससे पहले कोरोना वायरस से मरने वाले रोगियों के शवों को जलाने के लिए मुंबई में बीएमसी ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी किया था। सर्कुलर में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले रोगियों के शवों का बिना धर्म की परवाह किए अंतिम संस्कार किया जाए यानी उन्हें जलाया जाए। उन्हें दफनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शव को दफनाने से दूसरे लोगों में संक्रमण फैसले की संभावना ज्यादा होती है। संक्रमण को रोकने के लिए शव को जलाना ज्यादा बेहतर होगा।
हालाँकि, सरकार की ओर से दबाव पड़ने के बाद इस आदेश को एक घंटे के अंदर ही वापस ले लिया गया था। वहीं इसके बाद तमाम मुस्लिम उलेमाओं ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस्लाम में शव जलाने की इजाजत नहीं होती। ऐसे में सरकार को दूसरे विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए और उसी के मुताबिक फिर से गाइडलाइन जारी किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि WHO की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की बीमारी से मरे व्यक्ति का शव जलाने से कोरोना के फैलने का खतरा नहीं रहता है। एक जानकारी के मुताबिक जब चिता पर या फिर इलेक्ट्रिक मशीन में शव को जलाया जाता है तो उसका तापमान करीब 700- 1000 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इससे वायरस मर जाता है और उसके फैलने का खतरा भी नहीं रहता।
लेकिन, अगर कोरोना की वजह से मरे शख्स की डेडबॉडी को दफनाया जाता है तो वायरस के फैलने का खतरा बना रहता है। WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ऐसे शव को जमीन में दफनाया जाए तो ध्यान रखा जाए कि दफनाने की जगह के 30 मीटर के दायरे में कोई भी पानी का सोर्स ना हो।