केंद्र सरकार ने जनरल केटेगरी के गरीब लोगों को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव ने एक नई बहस छेड़ दी है। हालाँकि, ये सुविधा जनरल केटेगरी के लोगों के लिए है, लेकिन मीडिया में इसे ‘सवर्ण आरक्षण’ कहकर दिखाया जा रहा है। ट्विटर पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई, सागरिका घोष और बरखा दत्त ने ‘सवर्ण आरक्षण’ पर सरकार से प्रश्न किया है, “आरक्षण तो देंगे लेकिन सरकारी नौकरियाँ कहाँ हैं?”
2014 लोकसभा चुनावों के बाद से अक्सर पत्रकारों का ये समूह सरकार की योजनाओं और प्रस्तावों का विरोध ही करते आए हैं। इसीलिए ट्वीट-रथियों के ये आसान टारगेट भी माने जाते हैं। कुछ ट्वीटर यूज़र्स ने ट्वीट के जवाब में प्रतिक्रिया देकर कहा है कि गरीब और सवर्ण आरक्षण की चर्चा पर एक विशेष पत्रकार गिरोह क्यों असहज हो रहा है? क्या वो गरीब-विरोधी हैं?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है, “चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ़ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।”
चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ़ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है https://t.co/CuediQtgse
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 7, 2019
राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया है, “आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण अच्छा विचार है, लेकिन क्या कोई मुझे बता सकता है कि सरकारी नौकरियाँ कहाँ हैं? असली चुनौती अधिक रोजगार सृजन है, और अधिक आरक्षण नहीं!”
10 per cent additional reservations in jobs and education for economically weaker upper castes: good optics! But can anyone tell me where are the additional Govt jobs in the first place? Real challenge is more job creation not more reservations!!
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) January 7, 2019
बरखा दत्त ने अपने ट्वीट में लिखा है, “दूसरे शब्दों में, BJP सवर्ण आरक्षण इसलिए दे रही है क्योंकि SC/ST एक्ट को लेकर सवर्णों मे ख़ासा गुस्सा था। लेकिन दो बिन्दु हैं- 50 प्रतिशत आरक्षण से ऊपर जाना असंवैधानिक है और न्यायालय द्वारा नकार दिया जाएगा। दूसरा, सरकारी नौकरियाँ कहाँ हैं?”
In other words BJP wants ‘upper’ caste reservation (fear of backlash to restoring original SC /St act). But two points – going above 50 % quotas is unconstitutional & will be struck down by court. Two, where are the govt jobs? https://t.co/Xj98HJI8pD
— barkha dutt (@BDUTT) January 7, 2019
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी केंद्र के इस फैसले को चुनावी जुमला बताया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “बहुत देर कर दी मेहरबाँ आते-आते। यह ऐलान तभी हुआ है जब चुनाव नजदीक है। वे कुछ भी कर लें, उनका कुछ नहीं होने वाला। कोई भी जुमला उछाल दें, उनकी सरकार नहीं बचने वाली।”
Harish Rawat,Congress on 10% reservation approved by Cabinet for economically weaker upper castes: ‘Bohot der kar di meherbaan aate aate’, that also when elections are around the corner. No matter what they do, what ‘jumlas’ they give, nothing is going to save this Govt pic.twitter.com/PXBwWvNKTY
— ANI (@ANI) January 7, 2019
सागरिका घोष ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, “जब रोजगार और संभावनाओं की कमी है, ऐसे में बार-बार कोटा दिए जाने के पीछे क्या तर्क है? धन सृजन कहाँ है? अर्थव्यवस्था का विस्तार कहाँ है?
When there is a dearth of jobs and opportunities, what’s the rationale of endless quotas? Where’s wealth creation? Expansion of economy?
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) January 7, 2019
भाजपा में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया है, “आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का प्रस्ताव जुमले से ज़्यादा कुछ नहीं है। यह कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ है और संसद के दोनों सदनों से पास करवाने का समय नहीं है। सरकार का मुद्दा पूरी तरह से एक्स्पोज़ हो गया है।” गौर करने की बात है कि यशवंत सिन्हा भाजपा सरकार से नाराज़गी के चलते समय समय पर मोदी सरकार के विरोध में बयान देते रहते हैं।
The proposal to give 10% reservation to economically weaker upper castes is nothing more than a jumla. It is bristling with legal complications and there is no time for getting it passed thru both Houses of Parliament. Govt stands completely exposed.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) January 7, 2019