मुंबई के मॉल में ‘अस्थायी’ अस्पताल, आग लगने से 10 मौतें: CM उद्धव बोले- ज्यादातर कोरोना से मरे

मुंबई के मॉल में आग, चल रहा था अस्पताल

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार (26 मार्च 2021) को ड्रीम्स मॉल का निरीक्षण किया। इस मॉल में गुरुवार रात आग लग गई थी। मॉल में सनराइज हॉस्पिटल चल रहा था। आग लगने से कम से कम 10 लोगों के मरने की बात कही जा रही है। लेकिन, सीएम उद्धव और अस्पताल दोनों ने कहा है कि मौतें कोरोना से हुई है, न कि आग से।

एक बयान में उद्धव ठाकरे ने कहा, “मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। ज्यादातर मरीज जिनकी मौत हुई है, वह वेंटिलेटर पर थे। मैं पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ।” मुख्यमंत्री ने यह भी बताया है कि कोरोना के कारण पैदा हुए हालात की वजह से मॉल में अस्पताल चलाने की अस्थायी इजाजत दी गई थी।

उन्होंने कहा कि पिछले साल कई जगहों पर हमने हालात की वजह से इस तरह की अनुमति दी थी। ड्रीम्स मॉल में चल रहा अस्पताल उनमें से एक है। उनके मुताबिक आगजनी के दौरान सभी लोगों को बचाने के प्रयास किए गए, लेकिन कुछ मरीजों के वेंटिलेटर पर होने की वजह से उन्हें बचा पाना संभव नहीं हो पाया। उन्होंने हादसे के लिए पीड़ित परिवारों से खेद जताते हुए कहा है कि यदि किसी तरह की कोताही सामने आई तो जाँच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।

वहीं अस्पताल ने अपने बयान में कहा है कि पिछले साल विशेष परिस्थितियों में उन्होंने काम शुरू किया और कोरोना की वजह से कई लोगों को मरने से बचाया। फायर, नर्सिंग लाइसेंस सहित अन्य जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कर ही अस्पताल शुरू किया गया था। बयान में दावा किया गया है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने मरीजों को बचाने की भरपूर कोशिश की। इससे पहले शुक्रवार की सुबह जब दो शव निकाले गए थे तो सनराइज हॉस्पिटल ने कहा था कि इन मरीजों को भी सुरक्षित निकाल लिया गया था। लेकिन कोरोना से उनकी मौत हो गई।

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बताया जा रहा है कि अस्पताल में 76 कोरोना संक्रमित इलाज के लिए भर्ती थे। आग लगने पर आनन-फानन में उन्हें शिफ्ट ​किया गया।

इस हादसे को लेकर भाजपा नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कहा कि कोविड-19 अस्पताल चलाने के लिए एनओसी नहीं ली गई थी। यह मॉल भ्रष्टाचार का साक्षात उदाहरण है।

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उन्होंने कहा, ”मैं बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के खिलाफ आपराधिक लापरवाही की शिकायत दर्ज कराने जा रहा हूँ। इस मॉल के खिलाफ कई शिकायतें की गई, लेकिन उसके मालिकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।”

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वहीं, पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) प्रशांत कदम का कहना है कि आग की लपटों को बुझाने के लिए करीब 22 फायर टेंडर अस्पताल पहुँचे थे। मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने कहा है कि यह पहली बार है जब उन्होंने किसी मॉल में अस्पताल देखा है। यह बहुत गंभीर स्थिति है। सात मरीज वेंटिलेटर पर थे। 70 मरीजों को दूसरे अस्पताल में ले जाया गया है। आग के कारणों का पता लगाने के लिए जाँच होगी।

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सीएनएन न्यूज 18 ने भी ऐसे दस्तावेज हासिल करने का दावा किया है जिससे पता चलता है कि अस्पताल में फायर सेफ्टी के मानकों का पालन नहीं किया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया