महाराष्ट्र सरकार कोरोना वायरस संक्रमण को हैंडल करने में लगातार फेल हो रही है। बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (BMC) पर भी शिवसेना का ही शासन है। ऐसे में मुंबई में भी स्थिति का नियंत्रण से बाहर होने उद्धव ठाकरे की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। BMC ने सभी स्कूली शिक्षकों को ‘कोरोना कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग’ के लिए रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। शिक्षक इस काम में लगाए जाने से नाराज़ हैं क्योंकि इससे उन्हें भी संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाएगा।
बीएमसी के कई ऐसे शिक्षक हैं, जो 55 वर्ष ये इससे अधिक की उम्र के हैं। भारत सरकार कह चुकी है कि बच्चों और बुजुर्गों को घर में ही रखा जाए क्योंकि उनमें संक्रमण का ख़तरा ज्यादा है। ऐसी में बुजुर्ग शिक्षकों को कोरोना वायरस के मरीजों के संपर्क में आने वालो लोगों को ट्रेस करने भेजना ख़तरे से खाली नहीं हो सकता है। कई शिक्षकों के साथ पहले से ही कुछ मेडिकल समस्याएँ हैं, ऐसे में उन्हें इस काम में लगाए जाने वाले क़दम की आलोचना हो रही है।
सबसे बड़ी बात कि उन शिक्षकों को बीएमसी प्रशासन की तरफ से धमकी भी दी गई है कि अगर वो इस काम के लिए रिपोर्ट नहीं करते हैं तो उन्हें सस्पेंड किया जा सकता है।
बीएमसी ने इस काम के लिए कोई लिखित आदेश भी नहीं जारी किया है। जब शिक्षकों ने लिखित आदेश की माँग की तो कहा गया कि पहले वो रिपोर्ट करें, लिखित आदेश बाद में आएगा। पालघर, वसई और दहानू जैसे क्षेत्रों में भी कई शिक्षक रह रहे हैं, जिनका मुंबई आना-जाना काफी कठिन है। सभी शिक्षक अलग-अलग वार्ड में रहते हैं। वो अपने-अपने स्कूलों वाले क्षेत्रों में रहते हैं। उनके लिए ट्रान्सपोर्टेशन की भी सुविधा नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वो इन नॉन-शैक्षणिक ड्यूटी को करेंगे कैसे, जिसमें उनके ख़ुद बीमार पड़ने का ख़तरा है।
According to new Commissioner of BMC ,Iqbal Chahal all teachers should report back to fight against corona.
— Urvi Sarvesh Raut (@RautUrvi) May 12, 2020
Is this still applicable to my 53 year old mother who is heavy diabetic ,BP and cholesterol patient and my ONLY parent?@OfficeofUT @uddhavthackeray @narendramodi
जहाँ एक तरफ कोरोना से जुड़े कार्यों में मेडिकल कर्मचारियों तक को ट्रेनिंग देने की ज़रूरत पड़ती है, इन शिक्षकों को बिना किसी प्रशिक्षण के कोरोना से सम्बंधित ड्यूटी करने बोला गया है। शिक्षकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की है कि लोग उनके लिए आवाज़ उठाएँ, ताकि उन्हें इस ख़तरे में नहीं पड़ना पड़े।
इससे पहले सायन अस्पताल में रिकॉर्ड किए गए एक वायरल वीडियो में, शव काले रंग के प्लास्टिक बैग में लिपटे हुए दिखाई दे रहे थे, जो इलाज के लिए कोविड-19 रोगियों के ठीक बगल में रखे हुए हैं। इस घटना के बाद अस्पताल के प्रबंधन और राज्य के अधिकारियों के बारे में गंभीर सवाल उठे थे। ऐसी भी ख़बर आई थी कि सरकार ने कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए महामारी विभाग को इस्लामिक धर्मगुरू और स्थानीय मौलवियों के साथ योजना बनाने के लिए भी कहा है।