हिंदू धर्म अपनाकर छत्तीसगढ़ की एक हिंदू लड़की से शादी करने वाले मुस्लिम शख्स ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसका इस्लाम में फिर से धर्मांतरण करने की कोई मंशा नहीं है।
35 वर्षीय व्यक्ति ने शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कहा, “मैंने हिंदू धर्म में आत्मीयता पाई और अपनी स्वेच्छा से कानूनी प्रक्रिया के तहत खुद को इस्लाम धर्म से परिवर्तित करके हिन्दू धर्म को अपनाया है।” शख्स ने बताया कि वह 2014 में 24 वर्षीय युवती (अब पत्नी) से रायपुर के एक कॉलेज में मिला था। वहाँ उनके बीच दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। काफी समय तक एक दूसरे को जानने-समझने के बाद साल 2018 में शादी करने का निर्णय लिया।
शख्स ने बताया, “25 फरवरी, 2018 को मैं और मेरी पत्नी आर्य समाज मंदिर गए, जहाँ शुद्धिकरण समारोह किया गया और मैंने हिन्दू धर्म अपना लिया। धर्म परिवर्तन के बाद मैंने और मेरी पत्नी ने उसी दिन मंदिर में हिंदू संस्कारों और रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर ली। जिसमें ‘सप्तपदी’ और ‘सात फेरे’ आदि भी शामिल थे।”
उसने बताया कि 17 अप्रैल 2018 को एक विवाह पंजीकरण प्रमाण-पत्र मिला था। लेकिन उसमें शादी से पहले का धर्म और नाम पंजीकृत था। हालाँकि, अब उस गलती को सुधार लिया गया है और 23 नवंबर 2018 को नया प्रमाण-पत्र जारी किया गया, जिसमें धर्म परिवर्तन के बाद वाला नाम छपा है। एक सप्ताह बाद उसने अपने आधार कार्ड की जानकारी को भी अपडेट करवा लिया।
उसने कहा कि धर्म परिवर्तन के बाद से वह हिंदुत्व का पालन कर रहा है। उसने फिर से इस्लाम धर्म को नहीं अपनाया है और न ही ऐसा करने का इसका कोई इरादा ही है। वह आजीवन अपनी पत्नी के साथ रहना चाहता है। उसने यह भी कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए प्रतिबद्ध है। वह व उसके परिवारवाले, पत्नी की जरूरतों को पूरी करने में सक्षम हैं।
गौरतलब है कि युवती के पिता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें पति को पत्नी के साथ रहने की इजाजत दी थी। पिता का कहना था कि युवक ने हिंदू धर्म अपनाकर शादी की, लेकिन बाद में उसने वापस इस्लाम अपना लिया।