ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने 1 से 7 जनवरी के बीच स्कूलों में ‘सूर्य नमस्कार’ आयोजित करने के केंद्र सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है। मोदी सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा है, “इस्लाम सूर्य नमस्कार की इजाजत नहीं देता, क्योंकि यह सूर्य पूजा का ही रूप है।”
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान जारी कर कहा, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु धार्मिक और बहु सांस्कृतिक देश है। इन्हीं सिद्धांतों पर हमारा संविधान लिखा गया है। स्कूल पाठ्यक्रमों को भी इसका ध्यान रखकर बनाया गया है। लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार इस सिद्धांत से भटक रही है।”
All India Muslim Personal Law Board opposes Govt directive to organize ‘Surya Namaskar’ program in schools between Jan 1-Jan 7 on the 75th anniversary of Independence Day; says ‘Surya Namaskar’ is a form of Surya puja and Islam does not allow it pic.twitter.com/KcUq2xAGIm
— ANI (@ANI) January 4, 2022
मौलाना ने आगे कहा, “यहाँ पर बहुसंख्यक समुदाय के रीति-रिवाज और पूजा पद्धति को सभी धर्मों के ऊपर थोपा नहीं जा सकता है।” उन्होंने मुस्लिम छात्र-छात्राओं से सूर्य नमस्कार कार्यक्रम से दूर रहने की अपील की है। साथ ही कहा कि इस्लाम उन्हें इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेने की इजाजत नहीं देता है। बोर्ड ने यह भी कहा है, “सूर्य नमस्कार, सूर्य की पूजा का एक रूप है। देश के अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं, न ही उसकी उपासना को ठीक मानते हैं। इसलिए सरकार का कर्तव्य है कि इस निर्देश को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे।”
बोर्ड ने कहा है कि शिक्षा मंत्रालय सचिव ने स्वतंत्रता के 75 साल होने पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार योजना चलाने का निर्णय किया है। इसके तहत पहले चरण में 30 हजार स्कूलों को शामिल किया गया है। 1 जनवरी से 7 जनवरी तक स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराया जाना है। 26 जनवरी को भी एक कार्यक्रम प्रस्तावित है। बयान में बोर्ड ने इसे असंवैधानिक कृत्य बताया है।