उत्तर प्रदेश और असम के बाद अब बिहार में भी मदरसों की जाँच की जाएगी। हालाँकि, ये जाँच पटना हाईकोर्ट के आदेश पर की जाएगी। कोर्ट ने राज्य के 2459 मदरसों की मान्यता की जाँच करने के लिए कहा है। इसके साथ ही जाँच पूरी होने तक 609 मदरसों की अनुदान राशि को रोकने का आदेश दिया है। इनमें से ज्यादातर मदरसे फर्जी कागजात पर अनुदान ले रहे थे।
फर्जी कागजात के आधार पर मदरसों द्वारा अनुदान लेने को लेकर पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को जाँचका आदेश दिया है। कोर्ट ने उन्हें सभी जिलाधिकारियों से बैठक करने का आदेश दिया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने जाँच पूरी होने तक 609 मदरसों को दी जाने वाली अनुदान राशि पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही जाली कागजात के आधार पर मान्यता लेने वाले मदरसों के खिलाफ FIR के बाद हुई कार्रवाई को लेकर DGP से जानकारी माँगी है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी 2023 को करेगा।
मदरसों के फर्जीवाड़े की शिकायत सीतामढ़ी के रहने वाले मोहम्मद अलाउद्दीन बिस्मिल ने जनहित याचिका दायर कर की थी। याचिकाकर्ता के वकील राशिद इजहार ने कोर्ट को बताया कि माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक मोहम्मद तस्नीमुर रहमान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीतामढ़ी जिले के 88 मदरसों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर अनुदान लिया है।
उधर कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। अपने हलफनामे में उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के अन्य जिलों के 609 मदरसों ने सरकारी अनुदान प्राप्त किया है। उन सभी की जाँच के लिए तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया है।