पटना में एक हिंसक झड़प दो समुदायों के बीच तब शुरू हो गई जब एक मूर्ति विसर्जन के लिए डालाजी मस्जिद के सामने से ले जाई रही थी। उसको लेकर हुई हिंसा में कई पुलिस वाले भी घायल हो गए, जिनमें इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) संजय सिंह भी शामिल हैं। यह घटना परसों (सोमवार, 4 नवंबर, 2019 को) रात 11 बजे के आसपास की है। इलाके की सुरक्षा में बढ़ोतरी कर दी गई है क्योंकि मंगलवार (5 नवंबर, 2019) तक हालात तनावपूर्ण बने हुए थे।
हिंसक लोगों ने जमकर तोड़फोड़ की जिसमें पुलिस की कई गाड़ियाँ और एक दमकल की गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गए। दंगाई इतने पर भी नहीं रुके, और 2 बाइकों को भी आग के हवाले कर के ही माने। उनमें से एक बाइक को तो मस्जिद के सामने ही आग लगाई गई। 11 बजे शुरू हुई हिंसा दो घंटे बाद तक यानि रात 1 बजे तक चलती रही। उसके बाद ही प्रशासन ने किसी तरह स्थिति पर काबू पाया।
दोनों भिड़े हुए गुटों के बीच फँसे पुलिस वालों को काफी चोटें भी आईं क्योंकि दोनों पक्षों के बीच भारी पथराव भी शुरू हो गया था। इसमें फँसने वालों में आईजी संजय सिंह भी शामिल हैं। यह भाँपने के बाद कि संघर्ष और भी भयानक रूप ले सकता है, पूरी पुलिस फ़ोर्स को ही आदेश दिया गया कि वे शहर के आलमगंज इलाके की तरफ कूच कर स्थिति को काबू में करने का प्रयास करें। इसके बाद बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) की गोरखा वाहिनी को भी मौके पर तैनात किए जाने की नौबत आ ही गई। इस बीच आईजी संजय सिंह समेत घायल सभी पुलिस वालों को प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट एड) आलमगंज थाने पर ही दिया गया।
स्थानीय निवासी मोहम्मद आलम के अनुसार यात्रा के साथ जा रहे युवा शराब पिए हुए थे और उनमें आपस ही में झगड़ा फसाद शुरू हो गया। “उनकी अपनी लड़ाई के दौरान मूर्ति टूट गई और उन सब ने यह दावा करना शुरू कर दिया कि मूर्ति तोड़ने वाला पत्थर मस्जिद से फेंका गया था। हालाँकि उस समय तो यात्रा आगे चली गई लेकिन बाद में वे युवा लौटे और मस्जिद पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद हालात काबू से बाहर हो गए।”
लेकिन मीडिया रिपोर्टों में पुलिस सूत्रों के हवाले से इसकी उलटी खबरें भी आ रहीं हैं। एक मीडिया सूत्र मूर्ति विसर्जन यात्रा में शामिल लोगों में से एक के हवाले से दावा करता है कि मूर्ति मस्जिद से फेंके गए पत्थर से ही टूटी थी।
टकराव की वजह की जड़ तक पहुँचने के लिए एक जाँच बिठा दी गई है। अभी तक पुलिस ने किसी को हिरासत में नहीं लिया है।