हर बीतते दिन के साथ तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के नए-नए कारनामे सामने आए हैं। अब पता चला है कि झारखंड के कुछ ऐसे आदिवासियों के नाम पर जमातियों ने सिम ले रखा है जो अपनी जिंदगी में कभी दिल्ली गए ही नहीं। दैनिक जागरण ने विशेष शाखा की रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया है।
असल में निजामुद्दीन स्थित मरकज जब से कोरोना वायरस संक्रमण का केंद्र बनकर उभरा है यहॉं से गए जमात के सदस्यों की देशभर में तलाश की जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि कौन-कौन से लोग वहॉं मजहबी आयोजन में शामिल हुए थे ताकि उनकी जॉंच कराई जा सके। इसी क्रम में झारखंड पुलिस को लोहरदग्गा के तीन लोगों की तलाश है। ये आदिवासी हैं।
विशेष शाखा की रिपोर्ट में इनके मोबाइल नंबर दर्ज हैं। इन नंबरों की जॉंच से पता चला है कि जिनके नाम से सिम हैं वे कभी दिल्ली गए ही नहीं हैं। इनमें से दो मोबाइल नंबर पर कॉल रिसीव नहीं हो रहा है। एक नंबर पर दिल्ली में कॉल रिसीव हो रहा है। अब पुलिस यह गुत्थी सुलझाने में लगी है कि जब तीनों दिल्ली गए नहीं तो उनके नाम और मोबाइल नंबर वहॉं के लोगों की लिस्ट में कैसे शामिल हो गया।
आशंका जताई जा रही है कि जमात के लोगों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए आदिवासियों के नाम पर फर्जी तरीके से सिम लिया होगा। जागरण की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले की जॉंच चल रही है और अधिकारी फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। बता दें कि इससे पहले दिल्ली पुलिस की जाँच से पता चला था कि मरकज में हर दिन देश-विदेश से पाँच हजार लोग आते थे। बीते साल नवंबर में 21 दिन के लिए मरकज में ठहरे तेलंगाना के एक शख्स ने हाल ही में खुलासा किया है कि वहॉं दिनचर्या कुछ ऐसी थी जिससे संक्रमण फैलना ही था। मरकज में एक ही थाली में बैठकर 6-7 लोग खाना खाते थे। इस व्यक्ति के अनुसार तबलीगी जमात पूरी दिनचर्या तय करता है। खाने-पीने से लेकर मल-मूत्र त्याग करने तक सब कुछ। यहाँ तक कि सेक्स कैसे करना है, ये भी जमात ही सिखाता था।
इसके अलावा झारखंड के रांची सहित 6 जिलों में अभी भी कई विदेशी नागरिकों के छिपे होने की खबरें मिल रही हैं। बताया जा रहा है कि विशेष सत्यापन दल की नजर ये लोग बचे हो सकते हैं। इनमें रांची के अलावा धनबाद, बोकारो, कोडरमा, देवघर तथा गोड्डा जिले शामिल हैं। गृह विभाग ने इन सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को विदेशी नागरिकों की सूची सौंपते हुए जाँच के आदेश दिए हैं।