उत्तर प्रदेश में ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद) के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में 2 याचिका दाखिल करके चुनौती दी गई है। इन याचिकाओं में माँग की गई है कि अध्यादेश को असंवैधानिक घोषित करके इसे लागू न करने का निर्देश दिया जाए।
गौरतलब है कि पिछले दिनों ग्रूमिंग जिहाद को रोकने के लिए योगी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दी थी।
ऐसे में इसके ख़िलाफ कई लोगों ने आवाज उठाई और इसको संविधान के ख़िलाफ़ बताया। अब सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में एक याचिका दिल्ली के एक वकील की है और दूसरी दिल्ली व प्रयागराज में वकालत पढ़ रहे छात्रों की है।
A PIL has been filed before Supreme Court, challenging Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance, and seeking an order to direct the authorities not to give effect to the Ordinance.
— ANI (@ANI) December 3, 2020
इन याचिकाओं में कहा गया है कि ये उत्तर प्रदेश का लव जिहाद कानून और उत्तराखंड का कानून आर्टिकल 21 के तहत मिलने वाले निजता के अधिकार और आर्टिकल 25 के तहत मिलने वाले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि संसद के पास मौलिक अधिकारों में संशोधन करने की कोई शक्ति नहीं है और यदि यह अध्यादेश लागू किया जाता है तो यह बड़े पैमाने पर जनता को नुकसान पहुँचाएगा और समाज में अराजक स्थिति पैदा करेगा।
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि यह कानून स्पेशन मैरेज एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करता है और समाज में डर पैदा करता है। इसके अलावा, इस बात का भी उल्लेख है कि इस अध्यादेश के जरिए किसी भी व्यक्ति को गलत तरीके से फँसाने का काम भी होगा और यह अध्यादेश ऐसे बुरे तत्वों के लिए शक्तिशाली उपकरण बनेगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण अध्यादेश आने के बाद बरेली के एक लव जिहाद केस में आज उवैश खान नामक लड़के की पहली गिरफ्तारी हुई। उवैश पर आरोप है कि वह शादीशुदा महिला पर धर्म परिवर्तन करके शादी का दबाव बना रहा था।
एफआईआर के मुताबिक, वह लड़की को पिछले तीन साल से प्रताड़ित कर रहा था और उसकी शादी के बाद उसके घर में घुसकर धमकी दे आया था कि वो उसकी शादी तुड़वाकर खुद निकाह करेगा। आज गिरफ्तारी के बाद उवैश को अदालत में पेश किया गया था। जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया।